पनीर में क्या मिलाया जाता है? - paneer mein kya milaaya jaata hai?

शादियों के इस मौसम में पनीर और दूध से बने खाद्य पदार्थों की खपत बढ़ गई है। शायद ही कोई ऐसा विवाह समारोह हो जिसमें पनीर न हो। जिले में रोजाना करीब सौ क्विंटल मिलावटी पनीर तैयार हो रहा है। इसे दूध में 40 प्रतिशत तक पाउडर मिलाकर तैयार किया जाता है। दूध भी क्रीम निकला इस्तेमाल हो रहा है। जानकार बताते हैं कि शुद्ध दूध से पनीर बनाया जाए तो उसकी लागत प्रति किलो 320 रुपये तक पहुंचती है, लेकिन बाजार में पनीर 260 से 280 रुपये प्रति किलो के हिसाब से उपलब्ध है। जाहिर है कि इस पनीर में मिलाबट स्वाभाविक है।

खाद्य विभाग से जुड़े कर्मी बताते हैं कि बाजार में 50 से 55 रुपये तक में मिल रहे शुद्ध दूध से एक किलो पनीर बनाने में लगभग पांच लीटर दूध इस्तेमाल होता है। शुद्ध दूध से पनीर की लागत निकाली जाए तो दूध की लागत ही 300 रुपये तक आती है, इसमें अगर गैस और लेबर का खर्च प्रति किलो जोड़ा जाए तो 20 रुपये लागत अतिरिक्त लगती है। सभी खर्चों को जोड़कर देखा जाए तो 320 रुपये तक लागत पहुंचती है, लेकिन बड़ी-बड़ी मिठाई की दुकानों और डेयरियों पर 260 से लेकर 280 रुपये प्रति किलो के हिसाब से पनीर आसानी से मिल जाता है। इसमें पूरी तरह मिलावट होती है।

दूध का रोजाना उत्पादन दो लाख लीटर और खपत पौने तीन लाख लीटर
-पशुपालन विभाग की साल 2012 की पशुगणना के अनुसार जिले में क्रासब्रीड गोवंशीय पशु 13975 और देशी गोवंशीय पशु 137858 हैं। इनके अलावा 268058 भैंस हैं। करीब 122 डेयरियां पंजीकृत हैं, जो दूध उत्पादन और विक्रय का कार्य करती हैं। आबादी के हिसाब से प्रतिदिन जिले में पौने तीन लाख लीटर दूध की खपत होती है, जबकि जिले में दूध का उत्पादन दो लाख लीटर से अधिक नहीं हो रहा। डिमांड पूरी करने के लिए बाहरी जिलों से पराग, अमूल आदि ब्रांड का दूध मंगाया जाता है, लेकिन इसकी मात्रा भी करीब बीस हजार लीटर है। जाहिर सी बात है कि उत्पादन और मांग में 50 हजार लीटर के अंतर को सिंथेटिक दूध और पानी से पूरा किया जा रहा है।
ऐसे होती है मिलावट
दूध में मिलावट का खेल शहर की लगभग हर छोटी-बड़ी डेयरी और होटलों में चलता है। पनीर बनाने में दूध में फैट न के बराबर होता है। इसके अलावा इसे बनाने के लिए दूध में 40 प्रतिशत तक घटिया मिल्क पाउडर मिलाया जाता है। पाउडर मिले दूध को फाड़कर पनीर और छेना बना लिया जाता है। इस प्रकार की मिलावट करने से पनीर बनाने की लागत बेहद कम हो जाती है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक अगर मिलावटी दूध और इससे बनी चीजों की बिक्री कम नहीं हुई तो देश में कैंसर रोगी बढ़ेंगे। 2025 तक इसमें 87 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है।
ऐसे पहचानें मिलावटी पनीर
1. चिकनाई न होने से मिलावटी पनीर बेहद खुरदरा होगा।
2. हाथ से मसलने पर पनीर टूटता चला जाएगा।
3. फ्राई करने के बाद पनीर रबर की तरह हो जाता है।
4. चाकू से काटने पर भी पनीर कटेगा नहीं बल्कि टूट जाएगा।
5. हाथ से मसलने पर मिलावटी पनीर से हाथों पर चिकनाई नहीं लगेगी।
शुद्ध दूध से बने पनीर की पहचान
1. शुद्ध पनीर बेहद मुलायम होगा, चिकनाई भी होगी।
2. हाथ से मसलने पर चिकनाई के साथ पिसता चला जाएगा।
3. फ्राई करने के बाद भी पनीर मुलायम रहेगा, खिंचेगा नहीं।
मिलावटी पनीर और दूध कारोबारियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। एक साल में दूध के करीब 40 सैंपल भरे गए हैं। मिलावटी पनीर और मावा भी पकड़ा गया है। सहालगों के चलते दूध-पनीर की खपत बढ़ी है। विभाग की टीमें लगातार छापामारी कर रही हैं। - वीके सिंह, अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा विभाग।

पनीर में मिलावट कैसे होती है?

पनीर में मिलावट के कुछ तरीके इन्टरनेट पर मौजूद हैं । दूध से क्रीम निकाल लिया जाता है और फिर उस दूध में आरारोट मिला दिया जाता है। दूध में आरारोट की मात्रा इतनी होती है कि वह गाढ़ा हो जाता है, जिसमें फार्मलीन डाल दिया जाता है। दूध फाड़ने के लिए छेने का पानी का डाल दिया जाता है।

पनीर बनाने के लिए दूध में क्या मिलाया जाता है?

पनीर बनाने में दूध में फैट न के बराबर होता है। इसके अलावा इसे बनाने के लिए दूध में 40 परसेंट तक मिल्क पाउडर मिलाया जाता है। इसको फाड़ कर पनीर और छेना बना लिया जाता है। इस प्रकार की मिलावट करने से पनीर बनाने की लागत बेहद कम हो जाती है।

पनीर बनाने में किसका उपयोग किया जाता है?

लैक्टोबैसिलस जीवाणु का उपयोग पनीर बनाने में किया जाता है।

पनीर में मुख्य रूप से क्या होता है?

स्वास्थ्यवधर्क खाद्यपदार्थ के रूप में पनीर बड़ा महत्वपूर्ण एवं ठंडे देशों में बहुप्रचलित खाद्य है। ऐसे रोगियों, बच्चों एवं बूढ़ों के लिये जिन्हें मांसयुक्त भोजन पचाने में कठिनाई होती है, पनीर श्रेष्ठ खाद्य पदार्थ है, क्योंकि इसमें प्रोटीन, मांस के समान यथेष्ट मात्रा में होता है तथा अधिक पाचक दशा में रहता है।

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