ग्राम सभा क्या है ?
ग्राम सभा पंचायतीराज की प्राथमिक इकाई है।ग्राम सभा ही वह निकाय है जहाँ आम ग्रामीण अपने गांव के विकास के लिये चर्चा करता है ,पंचायत को सुझाव देता है और पंचायत के कार्यों की निगरानी करता है।
ग्राम सभा क्या है ? भारतीय संविधान के भाग 9 अनुच्छेद 243 ब में ग्राम सभा को परिभाषित किया गया है। जिसमे कहा गया है कि ग्राम सभा एक गांव या कई गांवों के समूह के निवासियों से जिनका नाम मतदाता सूची में दर्ज होता है ,से मिलकर बनती है।अर्थात ग्राम सभा, गांव के वे सभी सदस्यों जिनकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक है जो गांव में रहते है तथा जिनका नाम मतदाता सूची में दर्ज होता है ,से मिलकर बनती है।
ग्राम सभा एक स्थाई निकाय है।यह लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का आधार है।यह ग्रामीण मतदातओं को मत देने के अतिरिक्त अपने गांव के लिये कुछ करने की एक कार्यदायी संस्था है। इस संस्था अर्थात ग्राम सभा द्वारा ग्रामीण अपनी ग्राम पंचायत पर नियंत्रण रखते हैं।
ग्राम सभा एक प्रकार से गांव की संसद होती है जैसे सरकार संसद ( लोकसभा ) के प्रति उत्तरदायी होती है वैसे ही गांव की सरकार अर्थात ग्राम पंचायत ग्राम सभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
ग्राम सभा के सदस्य कौन होते हैं -
ग्राम के वे समस्त निवासी जिनका नाम मतदाता सूची में दर्ज होता है ,ग्राम सभा के सदस्य होते हैं।18 वर्ष या इससे अधिकआयु का कोई भी व्यक्ति युवा ,महिला, बुजुर्ग जिनका नाम मतदाता सूची में दर्ज होता है ग्राम सभा के सदस्य होते हैं।
ग्राम पंचायत व ग्राम सभा में अंतर-
ग्रामपंचायत ग्राम सभा द्वारा निर्वाचित एक कार्यकारी समिति होती है जबकि ग्राम सभा गांव या गांव समूहों के समस्त सदस्य जिनका नाम मतदाता सूची में दर्ज होता है ,से मिलकर बनती है है।अर्थात गांव के वे सभी सदस्य जिनका नाम मतदाता सूची में दर्ज होता है ग्राम सभा के सदस्य होते हैं।अतः किसी गांव की ग्राम सभा उस गांव के मतदाता सूची में शामिल व्यक्तियों द्वारा निर्मित होती है और ग्रामपंचायत ग्राम सभा द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों की सभा होती है।
एक उदाहरण द्वारा ग्राम पंचायत और ग्राम सभा के अंतर को और अधिक अच्छे से समझा जा सकता है।माना किसी गांव की कुल जनसंख्या एक हजार (1000) है जिसमे से सात सौ(700)जनसंख्या का नाम मतदाता सूची में दर्ज है।तो उस गांव की ग्राम सभा मतदाता सूची में दर्ज इन सात सौ (700)व्यक्तियों से ही निर्मित होगी तथा मतदाता सूची में दर्ज यही सात सौ व्यक्ति ही ग्रामसभा के सदस्य कहलायेंगें। इन्ही ग्रामसभा के सदस्यों में से कुछ व्यक्ति ग्राम पंचायत चुनाव में उम्मीदवार होंगे और ग्रामसभा के सदस्यों द्वारा चुने जायेंगे। निर्वाचित सदस्य से ही ग्राम पंचायत का गठन होता है और यही निर्वाचित सदस्य ही ग्राम पंचायत के सदस्य होते हैं।
ग्राम पंचायत और ग्राम सभा में निम्नलिखित कुुछ और अंतर हैंं-
- ग्राम सभा स्थायी निकाय होता है जबकि ग्राम पंचायत अस्थायी निकाय होता है।
- 18वर्ष या इससे अधिक आयु का कोई व्यक्ति जिसका मतदाता सूची में नाम दर्ज है ,ग्राम सभा का सदस्य होता है जबकि ग्राम पंचायत का सदस्य पंचायत चुनाव में ग्राम सभा द्वारा निर्वाचित व्यक्ति होता है।
- ग्रामसभा जहाँ ग्रामपंचायत के कार्यों की निगरानी करती है वही ग्राम पंचायत एक कार्यकारणी समिति होती है जो अपने प्रत्येक कार्य के लिये ग्राम सभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
- ग्रामपंचायत अधिकारी जहाँ ग्राम पंचायत के प्रति उत्तरदायी होता है वहीं ग्राम विकास अधिकारी ग्राम सभा के प्रति उत्तरदायी होता है
ग्राम सभा एक गांव से मिलकर बनती है या कई गांवों से मिलकर बनती है-
दोस्तों यह निर्भर करता है उस ग्राम सभा की मतदाता संख्या पर कि वह एक गांव में निवास करती है या कई गांवों में। यदि मतदाता संख्या कम है तो सम्भव है कि वह एक गांव में ही निवास करती हो पर यदि मतदाता संख्या अधिक है तो हो सकता है कि वह कई गांवों में निवास करती हो।
ग्राम सभा के लिये न्यूनतम मतदाता संख्या 200 है अर्थात जिस गांव में 200 मतदाता होते हैं वहाँ ग्राम सभा का गठन होता है पर यह जरूरी नहीं है कि मतदाता 200 ही हों 200 से अधिक भी हो सकते हैं।
जब एक ग्राम सभा की मतदाता संख्या अधिक होती है तब वह कई छोटे छोटे गांवों में रहती है उस स्थिति में कई गांवों के के समूह से मिलकर एक ग्राम सभा का गठन होता है।
यदि ग्राम सभा मे मतदाता संख्या 200 है और वे एक ही ग्राम में रहते हैं तब ग्राम सभा का गठन एक गांव से ही होता है।
ग्रामसभा के लिये न्यूनतम मतदाता संख्या -
पंचायतीराज अधिनियम द्वारा ग्राम सभा के लिये न्यूनतम मतदाता संख्या 200 निश्चित की गयी है।यदि किसी गांव में मतदाताओं की संख्या 200 है तो वहाँ ग्राम सभा का गठन हो सकता है।
अधिकतम मतदाता संख्या 10000 से अधिक हो सकती है।
उदाहरण के तौर पर निघासन ब्लाक की मूड़ा बुजुर्ग ग्राम सभा लगभग 35 गांवो से मिलकर बनी है ।वहीं कुछ गांव जिनकी मतदाता संख्या 200 या 200 से अधिक है जैसे खैरहनी ग्राम सभा सिर्फ एक गांव से ही निर्मित है।
जो ग्राम सभाएं कई गांवों से मिलकर बनती हैं वहाँ सबसे अधिक जनसंख्या वाले गांव के नाम पर ग्राम सभा का नामकरण किया जाता है।
ग्रामसभा की बैठक -
ग्रामसभा की बैठक वर्ष में दो बार अनिवार्य हैं पर दो से अधिक बार भी बैठक हो सकती है।ग्राम सभा की प्रथम बैठक रबी के फसल कटने के तुरंत बाद होती है जिसे रबी की बैठक कहा जाता है ।दूसरी बैठक खरीफ की फसल कटने के तुरंत बाद होती है जिसे खरीफ की बैठक कहा जाता है।
यह दो सामान्य बैठक हैं। इसके अतिरिक्त ग्राम सभा के 1/5 सदस्यों की मांग पर ग्राम प्रधान को ग्राम सभा की बैठक बुलानी पड़ती है ।
ग्राम सभा बैठक की सूचना ग्राम प्रधान को प्रत्येक ग्रामीण को देनी आवश्यक होती है।ग्राम प्रधान को मुनादी ,डुग्गी ,घर -घर जा कर या अन्य संचार के माध्यमों से ग्राम सभा बैठक की सूचना प्रत्येक ग्रामीण को देनी होती है ताकि ग्राम सभा के सभी सदस्य बैठक के बारे में जान जाएं व बैठक में अधिक से अधिक लोग सहभागी हो सकें।
वे ग्राम सभाएं जो कई गांवो से मिलकर बनी हैं वहाँ ग्राम सभा की बैठक बारी-बारी से प्रत्येक गांवों में होती है।
ग्राम सभा की बैठक के लिये कोरम-
कोरम वह न्यूनतम संख्या होती है जो किसी बैठक या कार्य के लिये आवश्यक होती है।ग्राम सभा की बैठक के लिये कोरम ग्राम सभा सदस्यों का 1/5 निर्धारित किया गया है ।अर्थात बैठक में ग्राम सभा के 1/5 सदस्य उपस्थित होना अनिवार्य है ।कोरम के आभाव में बैठक स्थगित कर दी जाती है। एक निश्चित अवधि के बाद बैठक दुबारा बुलाई जाती है ।एक बार कोरम के आभाव में स्थगित बैठक के लिये दूसरी बार कोरम की आवश्यकता नहीं होती है।
ग्राम सभा की शक्तियां-
ग्राम सभा के प्रति ग्राम पंचायत जवाबदेह होती है।ग्राम सभा ग्राम पंचायत के कार्यों व आय-व्यय के ब्यौरे का निरीक्षण करती है, ततपश्चात ग्राम पंचायत को सुझाव देती है।ग्राम सभा की निम्न शक्तियां हैं।जिनका प्रयोग कर ग्राम सभा तमाम मामलों पर विचार कर ग्राम पंचायत को सुझाव दे सकती है।
- ग्राम पंचायत के खातों का निरीक्षण करती है,पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष की प्रशासनिक रिपोर्ट देखती है ,पंचायत के ऑडिट की रिपोर्ट व उसपर की गई टिप्पणी देखती है व पंचायत द्वारा ऑडिट रिपोर्ट पर दिये गये उत्तर को देखती है।
- पिछले वित्तीय वर्ष के ग्राम पंचायत के विकास कार्यक्रमो व चालू वित्तीय वर्ष के दौरान ग्राम पंचायत के प्रस्तावित विकास कार्यो की रिपोर्ट की जांच करती है।
- ग्राम में सभी वर्गों के प्रति सद्भाव एवं समन्वय पूर्ण वातावरण का निर्माण करना ।
- ग्राम में प्रौढ़ शिक्षा को बढ़ावा देना।
- अन्य कार्य जो नियत किये जायें वे सभी कार्य ग्राम सभा करती है।
नोट - ग्राम पंचायत ग्राम सभा की सिफारिशों व सुझावों पर विचार करती है।
ग्राम सभा के कार्य-
- ग्राम सभा ग्राम पंचायत के सामुदायिक कल्याण कार्यक्रम के लिए स्वैच्छिक श्रमदान व अंशदान जुटाती है।
- ग्राम सभा ग्राम से सम्बंधित विकास योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए लाभार्थियों की पहचान करती है।
- ग्राम सभा ग्राम में विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में सहयोग करती है।
ग्राम पंचायत की सफलता ग्राम सभा की सजगता व जागरूकता पर निर्भर करती है ।जिस ग्राम पंचायत में ग्राम सभा मजबूत होती है उस ग्राम पंचायत में विकास कार्यों में पारदर्शिता रहती है।
जमीनी हकीकत -
दोस्तों ग्राम सभा पंचायत की महत्वपूर्ण इकाई है।ग्राम सभा के सदस्यों की सक्रियता से ग्राम सभा मजबूत होती है।पंचायत से सवाल -जवाब करती है, उसके विकास कार्यों की जांच करती है। ग्राम पंचायत के वार्षिक बजट को देखती है और भ्रष्ट ग्राम पंचायत सदस्य के प्रति अविश्वास प्रस्ताव लाती है।
पर दोस्तों जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है ।आज ग्राम सभा की बैठकें सिर्फ कागजों पर होती हैं ।ग्राम प्रधान ग्राम सभा की बैठक आयोजित कराने से कतराता है।साथ ही पंचायत अधिकारी भी ग्राम सभा की बैठक के आयोजन में रुचि नहीं रखते इसलिये अब ग्राम सभा की बैठक सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गईं हैं।
बैठक न आयोजित होने के कई कारण है ।पंचायत अधिकारियों व पंचायत सदस्यों की लापरवाही , ग्राम सभा के सदस्यों में जागरूकता का आभाव ,शिक्षा का अभाव, ग्रामीण क्षेत्रों में जन जागरण के प्रति मीडिया का उदासीनता भरा रुख ,सरकार के ग्रामीण भारत मे जागरूकता सम्बन्धी कार्यक्रमो का अभाव आदि तमाम कारण है जिनके कारण आज पंचायती राज अपने लक्ष्य से कोसों पीछे है।
यदि ग्राम सभा अपनी शक्तियों के अनुरूप सुचारू रूप से कार्य करती तो आज गांवों की तस्वीर अलग होती ।जहाँ कहीं ग्राम सभा के सदस्य सक्रिय हैं ,जागरूक हैं, अपने पंचायत के विकास कार्यों में रुचि रखते हैं, पंचायत से सवाल जवाब करते हैं तो वहाँ ग्राम पंचायत सदस्यों विशेषकर प्रधान द्वारा अवरोध उत्पन्न किया जाता है।जिन ग्राम पंचायतों में दबंग ग्राम प्रधान हैं वहां तो जागरूक ग्राम सभा सदस्य से दबंगई तक भी की जाती है।पंचायत अधिकारी भी व्यवस्था को सुधारने में रुचि नहीं लेते ।
दोस्तों अपनी शक्तियों को पहचानों ,अपने अधिकारों को जानों और ग्रामीण संसद को अर्थात ग्राम सभा को मजबूत करो ।इसकी मजबूती से ही गांव मजबूत होंगे और गांव की मजबूती से देश मजबूत होगा।
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