बुंदेलवासी उस वीर स्त्री के पौरुष की कथा सुनाते हैं। हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में, व्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में, राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में, सुभट बुदेलों की विरुदावलि-सी वह आई झाँसी में, चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी। बुंदेले
हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।बुंदेले हरबोलों के नाम कविता में क्यों आया है?