फरवरी में 78 दिन क्यों होते हैं? - pharavaree mein 78 din kyon hote hain?

फीचर डेस्क, अमर उजाला Updated Wed, 21 Feb 2018 10:38 AM IST

आपने कई बार सुना होगा की फरवरी में केवल 28 दिन ही क्यों होते हैं जबकि बाकी महीनों में 30 या 31 दिन होते हैं। आपने स्कूल में भी इस सवाल का जवाब अध्यापको से जानने की कोशिश की होगी। लेकिन क्या आपको इसका सटीक और सही जवाब मिल पाया..? अगर नहीं तो यहां जान लें... 

आज हम आपको बताते हैं कि फरवरी में 28 या 29 दिन क्यों होते हैं। साल के 12 महीनो में से सिर्फ फरवरी ही मात्र एक ऐसा महीना है जिसमें 28 या 29 दिन होते हैं। इस बात को जानने के लिए हमें इसकी गहराईयों में जाने की जरुरत है कि आखिर क्यों फरवरी में 30 और 31 दिन की बजाए 28 और 29 दिन होते है।

यूं तो फरवरी महीने में सिर्फ 28 दिन होते हैं लेकिन लीप वर्ष होने पर फरवरी में 29 दिन होते हैं। आजकल हम जिस कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं वह रोमन कैलेंडर पर आधारित है। पहले के कैलेंडर में महीनों की शुरुआत मार्च से होती थी। उस समय एक साल में 304 दिन होते थे और एक साल में सिर्फ 10 महीने ही होते थे।

कुछ समय बाद इस कैलेंडर में कुछ बदलाव किये गए। बदलाव के चलते साल में 2 महीने ‘जनवरी और फरवरी’ और जोड़ दिए गए। यह वर्ष चन्द्र वर्ष के अनुसार बनाये गए। चांद पृथ्वी का पूरा चक्कर 354 दिनों में पूरा करता है। इसलिए जनवरी और फरवरी को 28-28 दिन का रखा गया, लेकिन रोम के लोग 28 अंक को अशुभ मानते थे।

जिसके चलते उन्होंने जनवरी में 1 और दिन जोड़ उसे 29 दिन का बना दिया। इस बदलाव के बाद साल में 12 महीने और 355 दिन होने लगे। अब आप सोच रहे होंगे की फरवरी में 1 दिन क्यों नहीं जोड़ा ? रोम के लोग फरवरी को अशुभ मानते थे। इस महीने में यह लोग मरे हुए लोगो की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते थे।

लेकिन इतने बदलावों के बावजूद कैलेंडर में आने वाली मुश्किलें खत्म नहीं हुई। यह वर्ष अब मौसम के मुताबित नहीं बनाया गया था, क्योंकि इस वर्ष को चंद्रमा के अनुसार बनाया गया था। मौसम हमेशा सूर्य और प्रथ्वी के चक्कर के कारण बदलता है।

पुरानी कहानियों के अनुसार जुलियस सीजर ने 45 BC में कैलेंडर को चंद्रमा के अनुसार न रखते हुए सूर्य के अनुसार रखा। इस बदलाव के बाद हर वर्ष में 10 दिन और जोड़ दिए गए। इसके कारण अब हर वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का हो गया।

क्योंकि सूर्य पृथ्वी का चक्कर 365 दिन और 6 घंटे में पूरा करता है। पीछे बचे इन 6 घंटो को हर साल बचा लिया जाता है और हर चौथे साल मिला कर एक दिन फरवरी महीने में जोड़ दिया जाता है। इस वर्ष को हम लीप वर्ष कहते है। कहानियों और ग्रंथो के अनुसार इसी कारण फरवरी में 28 दिन होते है।

टीवी पर एक विज्ञापन में एक बच्चा अपनी मम्मी से पूछता है कि फरवरी में 28 दिन क्यों होते हैं? क्या आपने कभी सोचा फरवरी के साथ यह अन्याय क्यों किया गया? आखिर क्यों फरवरी सिर्फ 28 दिन का होता है? आइए हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्या हुआ जो फरवरी लगातार तीन सालों तक सिर्फ 28 दिन का रखा गया।

फरवरी में हर चौथे साल 29 दिन होने का वैज्ञानिक कारण यह है कि पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा पूरा करने में 365 दिन और 6 घंटे का समय लगता है और हर साल के यह अतिरिक्त 6 घंटे बचाकर रख दिए जाते हैं। तीन सालों के बाद अगले साल में यह घंटे जोड़ दिए जाते हैं और इस तरह फरवरी को एक अतिरिक्त दिन मिल जाता है। परंतु हमारा मुद्दा है कि फरवरी 28 दिन का क्यों होता है? क्यों नहीं अन्य कोई महीना 28 दिन का रखा गया?

जवाब यह है कि इसमें रोमन लोगों का हाथ है। हम अभी जिस कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं वह काफी कुछ रोमन लोगों के बहुत पुराने और समझने में मुश्किल कैलेंडर पर आधारित है। हालांकि इस बात के सबूत ढूंढ पाना मुश्किल है परंतु ऐसी कई कहानियां सदियों से प्रचलित हैं जिनके अनुसार रोम के पहले शासक रोमुलुस के समय में ऐसा कैलेंडर था जो मार्च से शुरू होकर दिसंबर पर खत्म होता था। इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि इस समय दिसंबर की समाप्ति और मार्च के पहले के समय को कैसे गिना जाता था परंतु यहां सर्दी के मौसम में कृषि न हो पाने की वजह से इस समय का रोमन लोगों के लिए कोई महत्व नहीं था और इसे कैलेंडर का हिस्सा बनाना उन्होंने जरूरी नहीं समझा।

रोमन साम्राज्य और कैलेंडर :- रोम के दूसरे शासक, नुमा पोम्पिलियुस, ने कैलेंडर को ज्यादा सटीक बनाने का निश्चय किया और इसे चांद के हिसाब से एक वर्ष पूरा करने का सोचा। उस समय प्रत्येक चंद्र वर्ष 354 दिन लंबा होता था। नुमा ने कैलेंडर में दिसंबर के बाद जनवरी और फरवरी के महीने जोड़े ताकि बचे हुए दिनों की गिनती की जा सके। दोनों नए महीनों को 28 दिनों का बनाया गया क्योंकि चंद्र वर्ष के हिसाब से 56 दिन अतिरिक्त थे।

रोम में 28 नंबर को बुरा समझा जाता था और इससे बचने के लिए नुमा ने जनवरी में एक दिन और जोड़कर इसे 29 दिन बना दिया और हर वर्ष को 355 दिनों का। इस बात का कारण कभी ज्ञात नहीं हो पाया कि आखिर क्यों नुमा ने फरवरी में भी एक और दिन नहीं जोड़ा? प्राचीन रोमन काल से ही फरवरी महीने को बदनसीबी वाला महीना समझा जाता था क्योंकि यह 28 दिन लंबा था।

फरवरी को अशुभ महीना समझे जाने के पीछे एक और कारण यह भी है कि इस महीने में ही रोम में मृत आत्माओं की शांति और पवित्रता कार्य किए जाते थे। यहां तक कि पुरानी सेबाइन जनजाति की भाषा में फेब्रुअरे का मतलब पवित्र करना होता है।

इतने बदलावों के बावजूद कैलेंडर में आने वाली मुश्किलें खत्म नहीं हुई और यह मौसम के बदलावों के हिसाब से नही बन सका क्योंकि नुमा ने इसे चंद्रमा के हिसाब से बनाया था जबकि मौसम में बदलाव पृथ्वी द्वारा सुर्य परिक्रमा से होते हैं। इस समस्या से निजाद पाने के लिए 23 फरवरी के बाद 27 दिनों का एक और महीना जोड़ा गया अगले दो सालों में। परंतु पोंटिफ जिसे कैलेंडर में सुधार सुनिश्चित करने का भार सोंपा गया था, उसने अतिरिक्त महीनों को कैलेंडर में सही समय पर नहीं जोड़ा और इस प्रकार समस्या का कोई उपाय नहीं मिल सका।

रोम के विश्व प्रसिद्ध शासक जुलियस सीजर ने 45 BC में एक विद्वान को नियुक्त कर कैलेंडर को चंद्रमा के अनुसार न रखते हुए सूर्य के हिसाब से रखने का आदेश दिया जैसा कि मिस्त्र के कैलेंडर में किया जाता था। जुलियस सीजर ने हर वर्ष में 10 दिन जोड़ दिए और हर चौथे वर्ष में एक और दिन। अब हर वर्ष 365 दिन और 6 घंटे लंबा था।

एक प्रचलित कहानी के अनुसार जुलियस सीजर ने हर वर्ष फरवरी में एक दिन जोड़कर इसे 29 दिनों का बना दिया था परंतु जब वहां की संसद में फरवरी का नाम बदलकर सेक्सटिलिस किया गया तो फरवरी में से यह एक दिन कम कर दिया गया और यह दिन अगस्त में जोड़ दिया गया। परंतु इस कहानी को बिल्कुल गलत समझा जाता है और इस बात के कोई प्रमाण उपरलब्ध नहीं हैं कि जुलियस सीजर ने कभी फरवरी में एक अतिरिक्त दिन जोड़ा था।

फरवरी माह में 28 दिन क्यों होते हैं?

यह पृथ्वी के सूर्य के चक्कर लगाने पर निर्भर करता है. साल के अन्य महीनों में 30 या 31 दिन होने के बाद फरवरी में एडजस्ट करने के लिए सिर्फ 28 दिन और कुछ घंटे ही बचते हैं तो इस महीने में ऐसे ही एडजस्ट कर दिया गया. इस वजह से फरवरी में 28 दिन होते हैं और चार साल बाद 29 दिन हो जाते हैं.

कौन से महीने में 28 दिन होते हैं?

एक साल में 12 महीने होते हैं और इन महीनों में 30 या 31 दिन होते हैं, लेकिन फरवरी एक ऐसा महीना है, जिसमें दिन सिर्फ 28 या 29 ही होते हैं.

29 का महीना कब आता है?

फरवरी में हर चौथे साल 29 दिन होने का वैज्ञानिक कारण यह है कि पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा पूरा करने में 365 दिन और 6 घंटे का समय लगता है और हर साल के यह अतिरिक्त 6 घंटे बचाकर रख दिए जाते हैं।

फरवरी अन्य महीनों से अलग क्यों है?

इस तरह एक साल में 304 दिन होते थे, लेकिन समस्या यह थी कि चार ऋतुओं के लिए कैलेंडर वर्ष पर्याप्त नहीं था. उस समय, 'जनवरी' और 'फरवरी' के महीने अस्तित्व में नहीं थे. क्योंकि उनका कैलेंडर दस महीने का था, इसलिए दिसंबर से मार्च तक 61 दिन और एक चौथाई अतिरिक्त दिन का शीतकालीन अंतराल होता था.

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