भारतीय कैबिनेट ने पंचायत में महिलाओं को 50 फ़ीसदी आरक्षण पर सहमति जता दी है. अब तक महिलाओं को पंचायत में 33 प्रतिशत आरक्षण था. गुरुवार को कैबिनेट ने इस बात पर सहमति दे दी.
//p.dw.com/p/JJLz
विज्ञापन
संसद में भले ही महिलाओं के आरक्षण पर मामला आगे न बढ़ पा रहा हो लेकिन पंचायतों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ गई है. इसके लिए संविधान की धारा 243 डी में सुधार किया जाएगा. इसी के साथ पंचायत में महिलाओं का आरक्षण 33 फीसदी से बढ़ा कर 50 फ़ीसदी कर दिया जाएगा.
सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि "ये एक ऐतिहासिक निर्णय" है. उन्होंने कहा कि "पंचायत राज मंत्रालय संविधान में इस सुधार के लिये संसद के अगले सत्र में एक बिल पेश करेगा."
बुनियादी स्तर पर महिलाओं को ज़्यादा अधिकार देने के लिये सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कदम उठाया था और संविधान में 73 संशोधन करके महिलाओं का 33 प्रतिशत आरक्षण संभव किया था.
बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश में पहले से ही पंचायत में महिलाओं को 50 फ़ीसदी आरक्षण है. राजस्थान ने इसकी घोषणा की है जो अगले पंचायत चुनावों से लागू हो जाएगी. बिहार पहला राज्य था जहां 2005 में महिलाओं को पंचायत में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था.
भारत सरकार ने ग्राम स्तर पर महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में एक असाधारण क़दम उठाते हुए पंचायतों में महिलाओं की आरक्षित संख्या 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है.
देश भर में पंचायतों में महिला आरक्षण 50 प्रतिशत करने के लिए सरकार को संविधान के अनुच्छेद 243 में संशोधन करना होगा.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कैबिनेट की गुरूवार को बैठक हुई जिसमें संविधान के अनुच्छेद 243 (डी) में संशोधन करने के लिए एक विधेयक लाने का फ़ैसला भी किया गया.
देश के पाँच राज्यों में पहले से ही पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया है.
सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिको सोनी ने पत्रकारों को बताया, "यह एक असाधारण फ़ैसला है."
उन्होंने कहा कि पंचायती राज मंत्रालय पंचायतों में महिलाओं का आरक्षण बढ़ाने के इस फ़ैसले को प्रभावी रूप देने के लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाने की योजना बना रहा है. पंचायतों में महिलाओं के लिए बढ़ा हुआ आरक्षण सीधे तौर पर निर्वाचित सीटों, पंचायत चैयरमैन के पदों और अनुसूचित जाति, जनजाति और आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर लागू होगा.
अंबिका सोनी ने कहा, "पंचायतों में महिलाओं के आरक्षण की सीमा बढ़ाने से सार्वजनिक जीवन में महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में मदद मिलेगी. इससे पंचायतों में उनकी हिस्सेदारी बढ़ेगी और स्थानीय स्वशासन में उनका योगदान भी बढ़ेगा."
उन्होंने कहा कि यह फ़ैसला लागू करने पर कोई अतिरिक्त वित्तीय ख़र्च नहीं आएगा.
इस समय देश भर में कुल पंचायतों के लगभग 28 लाख 10 हज़ार प्रतिनिधि होते हैं जिनमें से 36.87 प्रतिशत महिलाएँ हैं.
पंचायतों में महिलाओं का आरक्षण बढ़ाकर पचास प्रतिशत करने से निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या 14 लाख और बढ़ने की संभावना है.
संविधान में यह संशोधन नागालैंड, मेघालय, मिज़ोरम, असम के आदिवासी क्षेत्रों, त्रिपुरा, और मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर बाक़ी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने चार जून को संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए घोषणा की थी कि पंचायतों में महिलाओं के आरक्षण की सीमा पचास प्रतिशत तक करने के लिए संविधानिक संशोधन किया जाएगा.
अंबिका सोनी ने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों में भी महिलाओं का आरक्षण बढ़ाने का एक प्रस्ताव अलग से लाया जाएगा.
बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में पंचायत राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए पहले से ही पचास प्रतिशत आरक्षण लागू है.
राजस्थान ने पंचायतों में महिलाओं के लिए पचास प्रतिशत आरक्षण लागू करने की घोषणा आगामी चुनावों से करने की घोषणा की है जो 2010 में प्रस्तावित हैं. केरल ने भी इसे लागू करने की घोषणा की है.
ऊ0 मुखिया/ उप-मुखिया जिला पंचायत राज पदाधिकारी को स्वयं लिखकर, अपने पद से त्याग-पत्र दे सकेगा। प्रत्येक त्याग-पत्र, जिला पंचायत राज पदाधिकारी को उसकी प्राप्ति की तिथि से सात दिनों की समाप्ति पर प्रभावी हो जाएगा यदि सात दिनों की इस अवधि में वह जिला पंचायत राज पदाधिकारी को स्वयं लिखकर अपना त्याग-पत्र वापस न ले लें।सोमवार को शहर स्थित नगर परिषद के सभागार में जदयू महिला प्रकोष्ठ का राज्य स्तरीय समागम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जदयू महिला प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष संगीता ठाकुर ने की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के आने के कारण ही पूरे प्रदेश से जंगलराज की समाप्त हो सका है। कानून का राज स्थापित करने में इनकी रणनीति को प्रदेश से बाहर भी सराहा जा रहा है। इनके मुख्यमंत्री बनने के बाद ही महिलाओं के विकास का मार्ग प्रशस्त हो सका। लंबे समय से घर की चहारदीवारी में कैद महिलाओं को खुलकर समाज का नेतृत्व करने सहित अन्य कार्यों को किए जाने का मौका मिला। वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में समाज सुधार वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व मंत्री डॉ. रंजू गीता ने बताया कि आजादी के बाद बिहार देश का पहला राज्य है। जहां पंचायती राज्य संस्थाओं में 50 प्रतिशत का आरक्षण महिलाओं को दिया गया। वहीं विधायक गुलजार देवी ने प्रदेश में बालिका शिक्षा को बढ़ाये जाने को लेकर मुख्यमंत्री को साधुवाद देते हुए कहा कि साइकिल, पोशाक सहित कई अन्य योजनाओं के कारण बालिकाओं के शिक्षा ग्रहण करने के अनुपात में वृद्धि हुई है। आज बिहार की महिलाएं खुली हवा में सांस लेने का जो गौरव प्राप्त किया है। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन के कारण ही संभव हो सका है। समागम में पहुंचे अतिथियों का स्वागत मिथिला के पारंपरिक तरीके से किया गया। समागम में विक्रम शीला देवी, जिलाध्यक्ष अब्दुल कयूम, पूर्व विधायक अनु शुक्ला, मीणा दुर्वेदी, रजिया खातून, मनोरमा प्रसाद थे।