फीचर डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राजेश मिश्रा Updated Thu, 30 Dec 2021 06:25 PM IST
भारत में परिवहन के लिए रेलगाड़ी एक मुख्य साधन है। लाखों यात्री रोजाना सफर करते हैं। हर भारतवासी की कोई न कोई कहानी रेलगाड़ी से जुड़ी होती है। आज भी ज्यादातर लोग लम्बी दूरी के लिए रेल में यात्रा करना ज्यादा पसंद करते हैं। इतनी सारी रेलगाड़ियों के चलने के बाद भी यात्री ज्यादा हैं और ट्रेन कम। जब भारत में ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या इतनी ज्यादा है तो रेल के डिब्बों को क्यों नहीं बढ़ाया जाता है? लोगों को यात्रा करने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कई लोग कंफर्म टिकट न मिलने के कारण वेटिंग टिकट लेकर यात्रा करते हैं। कई बार ऐसा होता है कि रेलवे को यात्रियों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए स्पेशल ट्रेन चलानी पड़ती है। अक्सर त्यौहारों पर ऐसा होता है, लेकिन जब रेल का इंजन इतना शक्तिशाली होता है तो ट्रेन में 24 ही डिब्बे क्यों लगाएं जाते हैं। क्या इनकी संख्या को बढ़ाया नहीं जा सकता? तो आइए जानते हैं कि पैसेंजर ट्रेन में क्यों 24 ही डिब्बे होते हैं........
कितनी होती है एक कोच की लंबाई
भारतीय रेल की लंबाई 650 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि लूप लाइन की मानक लंबाई 650 मीटर होती है। इसलिए रेल के एक डिब्बे की लंबाई लगभग 25 मीटर होती है जिससे ट्रेन की लंबाई लूप लाइन से ज्यादा न हो।
अगर अब गणना करें तो 650 मीटर में 24 कोच और एक इंजन आराम से एक साथ जोड़े जा सकते हैं। इसलिए यात्री ट्रेनों में अधिकतम 24 डिब्बे रखे जाते हैं।
मालगाड़ी में कितने होते है कोच
अभी हमने आपको पैसेंजर ट्रेनों के डिब्बों की संख्या के बारे में बताया है। अब मालगाड़ी में डिब्बे कितने होते है? मालगाड़ी के डिब्बों की लंबाई भी लूप लाइन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। एक मालगाड़ी, BOX, BOXN, BOXN-HL के वैगनों की लंबाई लगभग 11 से 15 मीटर होती है।
एक रैक में वैगन बॉक्सों की लंबाई के आधार पर ज्यादा से ज्यादा 40 से 58 तक डिब्बे सकते हैं। इसलिए एक मालगाड़ी में ज्यादा से ज्यादा 58 वैगन और यात्री ट्रेन में 24 डिब्बे हो सकते हैं।
भारत की रेल में हर रोज 10 करोड़ से ज्यादा यात्री सफर करते हैं। कई ट्रेनें ऐसी भी होती है जिनमें यात्रियों की संख्या ट्रेन की क्षमता से अधिक होती है। लोगों को वेटिंग टिकट पर सफर करना पड़ता है। जनरल के डिब्बे में यात्री जानवरों की तरह भरे रहते हैं। कई बार रेल मंत्रालय यात्रियों की संख्या अत्याधिक होने पर स्पेशल ट्रेन चला देता है। सवाल यह है कि जब ट्रेन का इंजन काफी शक्तिशाली होता है तो बोगियों की संख्या केवल 24 होती है। यात्रियों की संख्या बढ़ने पर बोगियों की संख्या क्यों नहीं बढ़ा दी जाती है। आइए जानते हैं:
भारत में प्लेटफॉर्म की लंबाई अधिकतम 24 बोगियों के लिए ही होती है
Huawei मैं जॉब कर रहे इंजीनियर वैभव मिश्रा बताते हैं कि भारतीय रेल के लगभग हर प्लेटफॉर्म की लंबाई केवल इतनी ही होती है की वे 24 डिब्बों वाली ट्रेन को ही वहन कर सकते है। अगर ट्रेन के डिब्बों की संख्या 24 से बढ़ाकर अधिक कर दी जाएगी तो ट्रेन के कुछ डब्बे प्लेटफार्म के बाहर निकल जाएंगे।
ट्रेन में डिब्बों की संख्या का निर्धारण लूप लाइन की लंबाई पर आधारित होता है
Huawei मैं जॉब कर रहे इंजीनियर वैभव मिश्रा बताते हैं कि जरूरत पड़ने पर प्लेटफार्म की लंबाई बढ़ाई जा सकती है परंतु लूप लाइन / मेन लाइन का कांसेप्ट एक बड़ा कारण है जो किसी भी ट्रेन को 24 डिब्बों से ज्यादा की अनुमति नहीं देता। मन लीजिये की कोई 32 डिब्बे वाली गाड़ी मेन लाइन से होकर जा रही है, और पीछे से उसे किसी प्रीमियम ट्रेन से ओवेरटेक करवाना है तो उस मेल/एक्स्प्रेस ट्रेन को किसी स्टेशन की लूप लाइन पर लेना पड़ेगा जिससे की मेन लाइन क्लियर हो जाए और उस प्रीमियम गाड़ी को पास दिया जा सके। लेकिन लूप लाइनों की लंबाई इतनी नहीं होती की वो 30 से अधिक डिब्बों वाली गाड़ी को संभाल सके।
इस वजह से गाड़ी का कुछ भाग मेन लाइन पर भी रह जाएगा। ऐसी स्थिति में प्रीमियम ट्रेन को पास नहीं दिया जा सकता। यदि पास भी आ गया तो एक्सीडेंट हो जाएगा। अगर डब्बों की संख्या बढ़ा दी जाएगी तो लाइनों की लंबाई को और बढ़ाना पड़ेगा। प्लेटफॉर्म और ग्रुप लाइन को बढ़ाना काफी खर्चीला है। रेल मंत्रालय अब तक इसके लिए हिम्मत नहीं जुटा पाया है।
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भारतीय रेलवे
भारतीय रेल राष्ट्र की जीवन रेखा है जो देश के कोने-कोने तक परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराती है। इसका उद्देश्य प्रभावशाली, सस्ता, ग्राहक-केंद्रित, पर्यावरण अनुकूल एकीकृत परिवहन सुविधा उपलब्ध कराना है तथा राज्यों, समुदायों, बंदरगाहों और औद्योगिक ,वाणिज्य, पर्यटन केंद्रों एवं पूरे देश के तीर्थस्थानों को एक दूसरे से जोड़ते हुए समग्र विकास का वाहक बनना है।
सिविल इंजीनियरिंग की आधारभूत संरचना भारतीय रेल की सबसे बड़ी स्थैतिक(static) आधारभूत संरचना है जिसमें रेलपथ, पुल, भूमि इत्यादि शामिल है। इतनी बड़ी आधारभूत संरचना का प्रबंधन संगठन के लक्ष्यों के अनुरूप किया जाना है। भारतीय रेल का सिविल इंजीनियरिंग विभाग इन सभी आधारभूत संरचनाओं को प्रबंधित एवं अनुरक्षित करता है। साथ ही, आधारभूत संरचना विकास के क्षेत्र में , विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी विकास, हाई स्पीड यात्रा और विश्व स्तरीय स्टेशनों के विकास में इसकी प्रमुख भूमिका है।
ट्रैक एवं पुल
31.03.2019 को भारतीय रेल पर मार्ग की कुल लंबाई 67,956 किमी थी जबकि रनिंग ट्रैक लंबाई सहित यह 99,235 किमी है।यार्ड, साइडिंग आदि मिलाकर कुल मार्ग 1,26,366 किमी है। यह सारणी गत वर्षों में भारतीय विद्युतीकृत रेल नेटवर्क के बदलते आकार को प्रदर्शित करती है।
1. मार्ग की लंबाई | 67,956 |
2. रनिंग ट्रैक की लंबाई | 99,235 |
3. कुल ट्रैक | 1,26,366 |
2019-20 के दौरान निम्नलिखित कार्य किए गए | |
1. ट्रैक का नवीनीकरण | 4,500 |
2. नई लाइन का निर्माण | 359.71 |
3. एमजी / एनजी से बीजी में गेज रूपांतरण | 408.50 |
4. सिंगल से डबल लाइन में ट्रैक का रूपांतरण | 1,458.22 |
रेल नेटवर्क
भारतीय रेलवे (IR) दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है, जिसकी लंबाई 67,956 रूट किलोमीटर की लंबाई 31.03.2020 है। 67,956 RKM में से, BG में 63,949 RKM (94.10%), MG 2,402 RKM (3.54%) और NG 1,809 RKM (2.36%) हैं। स्वतंत्रता के बाद से इसकी रूट लंबाई, रनिंग और ट्रैक किलोमीटर की वृद्धि निम्नानुसार है :-
1950-51 | 53,596 | 59,315 | 77,609 |
1960-61 | 56,247 | 63,602 | 83,706 |
1970-71 | 59,790 | 71,669 | 98,546 |
1980-81 | 61,240 | 75,860 | 1,04,480 |
1990-91 | 62,367 | 78,607 | 1,08,858 |
2000-01 | 63,028 | 81,865 | 1,08,706 |
2010-11 | 64,173 | 87,114 | 1,14,037 |
2016-17 | 66,918 | 93,902 | 1,21,407 |
2017-18 | 66,935 | 94,270 | 1,22,873 |
2018-19 | 67,415 | 95,981 | 1,23,542 |
2019-20 | 67,956 | 99,235 | 1,26,366 |
राज्यवार मार्ग किमी./ परिचालित मार्ग किमी./ कुल ट्रैक किमी.
निम्नलिखित सारिणी 2019-20 के अंत तक विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में रेल लाइनों का मार्ग किमी., परिचालित मार्ग किमी.तथा कुल ट्रैक किमी.दर्शाती है।
आंध्र प्रदेश | 3,965 | 6,075 | 7,714 |
अरूणाचल प्रदेश | 12 | 12 | 26 |
असम | 2,519 | 2,702 | 3,662 |
बिहार | 3,794 | 5,418 | 7,663 |
छत्तीसगढ़ | 1,152 | 2,183 | 2,914 |
दिल्ली | 184 | 346 | 706 |
गोआ | 69 | 69 | 111 |
गुजरात | 5,301 | 6,357 | 7,938 |
हरियाणा | 1,703 | 2,652 | 3,243 |
हिमाचल प्रदेश | 312 | 317 | 376 |
जम्मू कश्मीर | 298 | 366 | 493 |
झारखंड | 2,596 | 4,383 | 6,296 |
कर्नाटक | 3,542 | 4,837 | 6,083 |
केरल | 6,083 | 1,745 | 2,087 |
मध्य प्रदेश | 5,148 | 8,216 | 9,702 |
महाराष्ट्र | 5,829 | 8,712 | 11,631 |
मणिपुर | 13 | 13 | 18 |
मेघालय | 9 | 9 | 13 |
मिजोरम | 2 | 2 | 6 |
नागालैंड | 11 | 11 | 23 |
उड़ीसा | 2,652 | 4,443 | 5,506 |
पंजाब | 2,265 | 2,768 | 3,622 |
राजस्थान | 5,998 | 8,174 | 9,190 |
तमिलनाडु | 4,036 | 5,492 | 6,836 |
तेलंगाना | 1,828 | 2,596 | 3,223 |
त्रिपुरा | 265 | 265 | 337 |
उत्तराखंड | 346 | 451 | 528 |
उत्तर प्रदेश | 8,808 | 12,957 | 16,001 |
प.बंगाल | 4,217 | 7,624 | 10,309 |
केंद्रशासित प्रदेश | |||
चंडीगढ़ | 16 | 18 | 83 |
पांडिचेरी | 22 | 22 | 26 |
कुल | 67,956 | 99,235 | 1,26,366 |
गेज-वार विवरणः
मार्ग का 93.42% हिस्सा बनाते हुए ब्रॉड गेज, 100% माल उत्पादन (NTKms) और 99.66% यात्री उत्पादन (PKms) उत्पन्न करता है। 31.03.2019 को प्रत्येक गेज पर दोहरी/मल्टीपल लाइन इकहरी लाइन और विद्युतीकृत मार्ग दर्शाते हुए की कुल मार्ग लंबाई नीचे दी गई हैः-
ब्रॉड (1676 मिमी) | 16,036.12 | 22,878.79 | 38,914.91 | 23,292.76 | 1,741.59 | 25,034.35 | 63,949.26 |
मीटर (1000 मिमी) | - | 2,402.25 | 2,402.25 | - | - | - | 2,402.25 |
नैरो (762 मिमी/610 मिमी) | - | 1,604.12 | 1,604.12 | - | - | - | 1,604.12 |
कुल | 16,036.12 | 26,885.16 | 42,921.28 | 23,292.76 | 1,741.59 | 2,5034.35 | 67,955.63 |
कुल RKM का प्रतिशत | - | - | 63.16 | - | - | 36.84 | - |
लगभग सभी दोहरी/मल्टीपल ट्रैक सेक्शन और विद्युतीकृत मार्ग ब्रॉड गेज हैं। मीटर एवं नैरो गेज अधिकांशतः एकल और गैर-विद्युतीकृत हैं। 1950-51 और 2019-20 के बीच यातायात घनत्व (मिलियन जीटी किमी प्रति रनिंग ट्रैक) ब्रॉड गेज पर 4.29 से बढ़कर 21.54 हो गया।
पुल:
01.04.2020 को भारतीय रेल पर 1,50,390 पुल हैं जिनमें से 702 महत्वपूर्ण हैं, 12,256 प्रमुख हैं तथा 1,37,432 छोटे पुल हैं. 2019-20 में 1367 पुलों का मजबूतीकरण/पुनर्निर्माण/मरम्मत की गई ।
रोड ओवर/अंडर पुल:
सड़क उपयोगकर्ताओं की संरक्षा को बेहतर करने एवं असुविधा को कम करने के लिए व्यस्त समपारों की जगह धीरे-धीरे रोड ओवर/रोड अंडर/सबवे (आरओबी / आरयूबी) पुल बनाए जा रहे हैं।
वर्ष 2019-20 के दौरान, भारतीय रेलवे में एनएचएआई द्वारा लागत शेयरिंग, रेलवे लागत / आवास कार्यों, जमा / बीओटी अवधि के तहत 145 आरओबी और 1170 आरयूबी /सबवे का निर्माण किया गया है।
समपार:
समपार,विशिष्ट नियमों और शर्तों द्वारा नियंत्रित विनियमित तरीके से यातायात को सुचारू रूप से चलाने की सुविधा के लिए है। 01.04.2020 को भारतीय रेलवे पर समपार की स्थिति निम्नानुसार है:
समपार की कुल संख्या | 21,323 | |
मानवयुक्त समपार की संख्या | 20,375 | (95.6%) |
मानव रहित समपार की संख्या | 948 | (4.4%) |
भारतीय रेलवे ने सड़क उपयोगकर्ताओं और रेल यात्रियों की सुरक्षा के लिए उत्तरोत्तर क्रॉसिंग को समाप्त करने का निर्णय लिया है। वर्ष 2019-20 के दौरान मानवयुक्त 1273 समपार को समाप्त कर दिया गया है। ब्रॉड गेज पर सभी मानव रहित लेवल क्रॉसिंग को पहले ही समाप्त कर दिया गया है।
भूमि प्रबंधन:
31.03.2020 को भारतीय रेलवे (IR) के पास लगभग 4.81 लाख हेक्टेयर भूमि है। इस भूमि का लगभग 90% रेलवे के परिचालन और संबद्ध उपयोगों के तहत है जैसे कि नई लाइनें बिछाने, दोहरीकरण, गेज रूपांतरण, ट्रैक, स्टेशन, कार्यशाला, स्टाफ कॉलोनियां आदि। भूमि उपयोग विवरण निम्नानुसार हैं:
स्टेशन, कालोनियों आदि सहित ट्रैक और संरचनाएं | 3.67 |
वनीकरण | 0.43 |
'ग्रो मोर फूड’ योजना | 0.03 |
वाणिज्यिक लाइसेंस | 0.04 |
अन्य उपयोग जैसे कि मछलीपालन | 0.10 |
अतिक्रमण | 0.01 |
खाली जमीन | 0.51 |
कुल | 4.81 |