विषयसूची
सिक्के कौन जारी करता है?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 38 के अनुसार संचलन हेतु सिक्के सिर्फ भारतीय रिज़र्व बैंक के माध्यम से जारी किए जाते हैं ।
भारत में सिक्कों की ढलाई कौन करता है?
इसे सुनेंरोकेंभारत में सिक्कों की ढलाई का कार्य टकसाल में होता है, जहाँ विभिन्न प्रकार के सिक्कों को ढाला जाता है । वर्तमान समय में भारत में भारत सरकार के द्वारा चार टकसाल जो कि मुम्बई अलीपुर कोलकाता (प. बंगाल) सैफाबाद (हैदराबाद), चेरियापल्ली (हैदराबाद) और नोयडा (उ. प्र.)
भारत में मुद्रा कौन जारी करता है?
इसे सुनेंरोकेंकरेंसी ऑर्डिनेंस 1940 के अंतर्गत जारी एक रुपये के नोट भी विधि मान्य मुद्रा हैं और उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम,1934 के सभी प्रयोजनों हेतु रुपये सिक्के के रूप में माना गया हैं। क्योंकि सरकार द्वारा जारी रुपये सिक्के भारत सरकार की देयताओं में आते हैं, इसलिए सरकार द्वारा जारी एक रुपया भी भारत सरकार की देयता है।
भारत में कागजी मुद्रा की शुरुआत कब हुई?
इसे सुनेंरोकें1862 ई. से. 1770 बैंक ऑफ कोलकाता ने जारी किया था।
1 रुपये का सिक्का कौन जारी करता है?
इसे सुनेंरोकेंरिजर्व बैंक के मुताबिक, अभी बाजार में 50 पैसे, 1 रुपए, 2, 5, 10 और 20 रुपए के सिक्के चलन में हैं. रिजर्व बैंक की तरफ से इन्हें जारी भी किया जाता है. इन्हें लेने से कोई इनकार नहीं कर सकता.
एक रुपए का नोट कौन जारी करता है?
इसे सुनेंरोकेंएक रुपए के नोट को छोड़कर बाकी सभी नोटों और सिक्कों को जारी करने का अधिकार भारतीय रिजर्व बैंक को है, जबकि एक रुपए का नोट वित्त मंत्रालय जारी करता है. भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड (SPMCIL) वह संस्था है जो इन सिक्कों और नोटों का निर्माण कार्य करती है.
₹ 1 का सिक्का कौन जारी करता है?
सिक्के कौन कौन सी धातु के बने होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंसिक्के निकेल धातु से बने होते हैं। अतीत में, कभी-कभी सोने और चांदी जैसी मूल्यवान धातुओं से सिक्के बनाए जाते थे। आज, अधिकांश सिक्के तांबे, जस्ता और निकल के कुछ संयोजन के साथ बनाए जाते हैं।
रुपये का चिन्ह किसने और कब दिया?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय रुपये का चिह्न संकेत: ₹ भारतीय रुपये के लिए मुद्रा का प्रतीक है, जो भारत की आधिकारिक मुद्रा है। इसे उदय कुमार द्वारा डिजाइन किया गया था, इसे 15 जुलाई 2010 को भारत सरकार द्वारा जनता के सामने प्रस्तुत किया गया था।
हमारे देश की राष्ट्रीय मुद्रा क्या है?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय रुपया (चिह्न: ₹; कोड: INR) भारत की राष्ट्रीय मुद्रा है। इसका बाज़ार नियामक और जारीकर्ता भारतीय रिज़र्व बैंक है।
कागजी मुद्रा जारी करने वाला पहला देश कौन है?
इसे सुनेंरोकेंकागज मुद्रा का उपयोग करने वाला पहला देश चीन है।
विश्व में सर्वप्रथम मुद्रा की शुरुआत कहाँ हुई?
इसे सुनेंरोकेंचीन में ही सन् ६५० ई.
दृष्टि खराब व्यक्तियों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कौन सा ऐप जारी किया गया है?
इसे सुनेंरोकेंदृष्टिबाधितों के लिए आरबीआई ने MANI ऐप लॉन्च किया है. दृष्टिबाधितों के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने मोबाइल एडिड नोट आइडेंटिफायर (MANI) ऐप लॉन्च किया है. इस ऐप से दृष्टिबाधितों को नोट किस मूल्यवर्ग का है यानी कितने का है, यह जानने में मदद मिलेगी.
Cost of making 1 Rupee Coin: 1 रुपए का सिक्का... वैल्यू के हिसाब से बहुत छोटा लगता है. लेकिन, यही अपने देश की अर्थव्यवस्था की रीड़ है. वैल्यू भले ही छोटी है, लेकिन असली करेंसी यही है. ये एक रुपए का सिक्का बड़े काम का है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इसकी ढलाई के लिए सरकार को इसकी वैल्यू से भी ज्यादा खर्च करना पड़ता है. यकीनन ये सुनने में थोड़ा अजीब है. लेकिन सच्चाई यही है कि 1 रुपए की वैल्यू वाले इस सिक्के की ढलाई इससे ज्यादा की होती है. फिर भी सरकार इसे बनवाती है. आखिर क्यों? आइये समझते हैं क्या है इसके पीछे की वजह...
कितना खर्चिला है 1 रुपए का सिक्का बनाना?
ये तो हम सभी जानते हैं कि नोटों की छपाई और सिक्कों की ढलाई में सरकार को जेब से खर्च करना होता है. अगर आपसे कहा जाए कि 100 रुपए की चीज खरीदने के लिए 110 रुपए खर्च करने होंगे, तो शायद ही आप करेंगे. लेकिन, हमारी सरकार ऐसा करती हैं. एक रुपए के सिक्के की बनाई (Cost of making 1 Rupee Coin) के लिए सरकार ज्यादा पैसे खर्च करती है. 1 रुपए के सिक्के (One Rupee Coin) को बनाने में 1.11 रुपए से 1.25 रुपए तक खर्च होता है. मतलब सिक्के की वैल्यू है 1 रुपए और खर्च 11 पैसे से लेकर 25 पैसे ज्यादा होता है. फिर भी सरकार हर साल दो से ढाई करोड़ के सिक्के बनवाती है. कुल मिलाकर ये नुकसान का सौदा है.
नुकसान के बाद भी क्यों इतने सिक्के बनवाती है सरकार?
यूं तो बाजार या आम आदमी को खर्च के लिए सरकार नोटों की छपाई (Currency notes printing) करती है. लेकिन, इसके बाद भी बड़े पैमाने पर सिक्कों की ढलाई होती है. दरअसल, नोटों की छपाई में काफी तामझाम होता है. बहुत सारे सिक्योरिटी फीचर्स का इस्तेमाल करके एक नोट को तैयार किया जाता है. कुछ खास सिक्योरिटी फीचर्स भी होते हैं, ताकि कोई नोट की कॉपी न कर सकें. नोटों की छपाई में महात्मा गांधी की फोटो, सिक्योरिटी थ्रेड, RBI गवर्नर के सिग्नेचर जैसे 15-17 फीचर्स होते हैं. लेकिन, नोटों की लाइफ बहुत लंबी नहीं होती. क्योंकि, इन्हें कागज से बनाया जाता है. हालांकि, इनकी शेल्फ लाइफ को ध्यान में रखते हुए RBI कॉटन पेपर का इस्तेमाल करता है, जिससे नोट थोड़ा लंबा चल सकते हैं. नोटों की छपाई और इनकी लाइफ को ध्यान में रखते हुए सिक्कों का कोई तोड़ नहीं है. क्योंकि, इनकी लाइफ काफी लंबी होती है. इसलिए सिक्के बनाना बहुत जरूरी होता है.
महंगाई नहीं बढ़ने देता 1 रुपया?
1 रुपए की सबसे बड़ी खासियत है कि ये महंगाई को कंट्रोल करता है. अब सवाल ये है कैसे.. दरअसल, छोटी वैल्यू वाली करेंसी न तो बंद की जा सकती है. न ही उसे रोककर बड़ी वैल्यू करेंसी को लॉन्च किया जा सकता है. सोचिए अगर 1 रुपए का सिक्का (1 Rupee Coin) या नोट न हो तो आप जरूरत की चीजें सीधे 2 रुपए महंगी होंगी. अगर दूध की कीमतों को उदाहरण मान लिया जाए तो कंपनियां अक्सर ऑड फॉर्म में इसके दाम बढ़ाती हैं. कभी 1 रुपए कभी 3 रुपए. ऐसे में एक रुपए का न होना महंगाई को बढ़ावा दे सकता है. फिर चीजें 1 रुपए नहीं सीधे 2,4 और 6 रुपए महंगी होंगी. मतलब 1 लीटर दूध 50 से 51 रुपए नहीं बल्कि सीधे 52 रुपए का हो जाएगा. यही वजह है कि सरकार को छोटी वैल्यू करेंसी सर्कुलेशन में रखनी होती हैं.
कहां होती है भारत में सिक्कों की ढलाई?
देश में चार मिंट (टकसाल) हैं, जिनके पास सिक्के बनाने का अधिकार है. मुंबई मिंट, कलकत्ता मिंट, हैदराबाद मिंट और नोएडा मिंट. यहीं से निकलकर सिक्के मार्केट में आते हैं. देश के सबसे पुराने मिंट में कलकत्ता और मुंबई मिंट हैं. दोनों को साल 1859 में अंग्रेजी हुकूमत ने स्थापित किया था. टकसाल (Mint) उस कारखाने को कहते हैं जहां देश की सरकार या उसके दिए अधिकार से मुद्राओं (करेंसी) का निर्माण होता है.
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