भोलानाथ के खेल क्या होते थे? - bholaanaath ke khel kya hote the?

विषयसूची

  • 1 माता का अँचल पाठ में भोलानाथ कौन सा खेल खेलता था?
  • 2 माता का अंचल पाठ में भोलानाथ और उसके साथी कौन कौन से खेल खेला करते थे किसी एक खेल का वर्णन करें?
  • 3 एक माँ की बेबसी कविता के कवि अब किसकी भाषा समझने लगे हैं *?
  • 4 भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री क्या होती थी?
  • 5 भोलानाथ की शरारतों की चर्चा करते हुए बताइए कि उसे शरारतें करनी कैसे महँगी पड़ी?
  • 6 आपको भोलानाथ और उसके साधथयों का कौन सा खेल पसंद आया और क्यों?

माता का अँचल पाठ में भोलानाथ कौन सा खेल खेलता था?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: (d) कुश्ती । लेखक बचपन में अपने पिता जी के साथ कुश्ती किया करते थे।

माता का अंचल पाठ में भोलानाथ और उसके साथी कौन कौन से खेल खेला करते थे किसी एक खेल का वर्णन करें?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: भोलानाथ और उसके साथी मिट्टी के बर्तन , पेड़ो की पतिया, गीली मिटटी तथा घर के सामान से ही खेला करते थे ,यही उनके खेलने की सामग्री थी। वे अधिकतर नाटक वाले खेल जैसे किसी किसान का नक्ल करना, या शादी का नाटक करना आदि खेल खेलते थें।

माता का अंचल पाठ का कथानक बिंदु कौन है?

इसे सुनेंरोकेंमाता से बच्ची का रिश्ता ममता पर आधारित होता है जबकि पिता से भी बच्चों का अधिक जुड़ाव होता है बच्चे को विपदा के समय अत्यधिक मां की ममता और स्नेह की आवश्यकता होती है भोलानाथ का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था पर जब उस पर विपदा आई उसे जो प्रेम शांति अपनी मां की गोद में जाकर मिला वह शायद उसे पिता से प्राप्त न होती मां के आंचल …

एक माँ की बेबसी कविता के कवि अब किसकी भाषा समझने लगे हैं *?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: रतन की माँ जब अन्य बच्चों को बोलते देखती होगीं, तो उन्हें रतन के न बोलने पर बहुत दुख होता होगा। यही बेबसी उनकी आँखों में झलकती होगी।

भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री क्या होती थी?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: भोलानाथ व उसके साथी खेल के लिए आँगन व खेतों पर पड़ी चीजों को ही अपने खेल का आधार बनाते हैं। उनके लिए मिट्टी के बर्तन, पत्थर, पेड़ों के पत्ते, गीली मिट्टी, घर के समान आदि वस्तुए होती थी जिनसे वह खेलते व खुश होते।

मूसन तिवारी ने बच्चों को क्यों खदेड़ा?

इसे सुनेंरोकेंबच्चों की मण्डली में बैजू बालक ढीठ था। संयोग से रास्ते में मूसन-तिवारी मिल गए, जिन्हें कम सूझता था, बैजू ने उन्हें चिढ़ाया ‘बुढ़वा बेईमान माँगे करैला का चोखा। ‘ बैजू के सुर में सबने सुर मिलाया और चिल्लाना शुरू कर दिया। तब मूसन तिवारी ने बच्चों को खदेड़ा।

भोलानाथ की शरारतों की चर्चा करते हुए बताइए कि उसे शरारतें करनी कैसे महँगी पड़ी?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: छोटे बच्चों में अक्सर ऐसा देखा जाता है। जब उनका कोई प्रिय खिलौना मिल जाता है तो वे तुरंत ही पिछला सब कुछ भूलकर अपने खेल में खो जाते हैं। अपने साथियों को देखकर भोलानाथ को जी भर कर खेलने का मौका मिल जाता था। इसलिए उन्हें देखकर भोलानाथ सिसकना भूल जाता था।

आपको भोलानाथ और उसके साधथयों का कौन सा खेल पसंद आया और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंउनके लिए मिट्टी के बर्तन, पत्थर, पेड़ों के पत्ते, गीली मिट्टी, घर के समान आदि वस्तुए होती थी जिनसे वह खेलते व खुश होते। परन्तु आज हमारे खेलने का सामान इन सब वस्तुओं से भिन्न है। हमारे खेलने के लिए आज क्रिकेट का सामान, भिन्न−भिन्न तरह के वीडियो गेम व कम्प्यूटर गेम आदि बहुत सी चीज़ें हैं जो इनकी तुलना में बहुत अलग हैं।

भोलानाथ और आज के बच्चों के खेलों में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंभोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री से हमारे खेल और खेल सामग्रियों में कल्पना से अधिक अंतर आ गया है। भोलानाथ के समय में परिवार से लेकर दूर पड़ोस तक आत्मीय संबंध थे, जिससे खेलने की स्वच्छंदता थी। बाहरी घटनाओं-अपहरण आदि का भय नहीं था। खेल की सामग्रियाँ बच्चों द्वारा स्वयं निर्मित थीं।

प्रश्न 1. प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ में इसकी क्या वजह हो सकती है?

उत्तर – (क) माँ का आँचल ‘प्रेम तथा शांति का चंदोवा” होने के कारण-विपदा में घबराए हुए बच्चे के लिए माँ का आँचल प्यार और शांति देने वाला चंदोवा है, जिसकी शीतल छाँव तले वह स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है।

(ख) स्वभावगत अंतर के कारण-यद्यपि पिता और पुत्र में गहरा प्रेम था। पिता उसे सुबह से शाम तक अपने साथ रखते, उसके खेलों में शामिल होकर मित्र की भूमिका निभाते, किंतु माँ जैसी कोमलता और ममता उनके पास नहीं थी, जिसकी ज़रूरत उस समय बच्चे को थी। घबराए हुए बच्चे को अंग लगाना, उसको आँचल में छिपाना, आँखों में आँसू भर लाना,लाड़ से गले लगाना जैसे भाव माँ के पास ही होते हैं, जो ऐसी घड़ी में घावों पर मरहम जैसे लगते हैं।

(ग) अन्य कारण – माँ से संतान का संबंध नौ माह पूर्व जुड़ जाता है। इसी कारण बच्चे का माँ से आत्मीय भाव अत्यंत गहरा हो जाता है। जब मृत्यु जैसी आपदा सर्प रूप में सामने आती है, तो वह जन्म देने वाली की शरण में ही प्राणरक्षा के लिए दौड़ता हुआ चला जाता है।

प्रश्न 2. आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?

उत्तर – (क) बाल स्वभाव के कारण-बच्चे स्वभाव से भोले होते हैं। वे जितनी जल्दी रूठते हैं, उतनी ही जल्दी बात को भूल भी जाते हैं। भोलानाथ की ख़बर मास्टर जी द्वारा लेने के कारण वह रो रहा था, किंतु मित्रों को देखते ही उसे कुछ देर पहले का दुखद समय याद नहीं रहा।

(ख) खेल में आनंद मिलने के कारण-खेल बच्चों को अत्यंत प्रिय हैं। पिता की गोद में सिसकते भोलानाथ को जब नाचती-गाती मित्र-मंडली मिली, तो वही सुर अलापने की इच्छा से भोलानाथ पिता की गोद से उतर गए। खेल में मिलने वाले आनंद की कल्पना ने ही भोलानाथ को सिसकना भुला दिया।

प्रश्न 3. आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब-तब खेलते-खाते समय किसी-न-किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो, तो लिखिए।

उत्तर – (क) अक्कड़-बक्कड़ बंबे बो,
अस्सी नब्बे पूरे सौ।
सौ में लगा धागा,
चोर निकल के भागा॥

(ख) पोशंपा भाई पोशंपा!
डाकिए ने क्‍या किया?
सौ रुपये की घड़ी चुराई।
अब तो जेल में आना पड़ेगा।
जेल की रोटी खानी पड़ेगी,
जेल का पानी पीना पड़ेगा॥

(ग) गुल्ली डंडा रेत में।
दाना मछली पेट में।
ताकत लगती खेल में
हाथ मिलाओ मेल में ॥

प्रश्न 4. भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्‍न है?

उत्तर– भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आज के खेल और खेलने की सामग्री से अधिक भिन्‍न थी। पहले बच्चे अपने घर से बाहर दूर-दूर तक जाकर खेलते थे। माता-पिता को चिंता नहीं होती थी, किसी प्रकार का कोई डर न था। बच्चे टूटे-फूटे बरतनों, कागज़ की नाव तथा अन्य वस्तुओं के साथ ही खेलते थे। उनके अधिकतर खेल खेतों, मैदानों तथा खुले स्थानों पर होते थे, लेकिन अब समय बदल गया है। आज अपहरण की इतनी घटनाएँ हो रही हैं कि माता-पिता अपने बच्चों को अपनी आँखों से दूर नहीं करते। खिलौनों का भी रूप बदल गया है। आज प्लास्टिक और इलैक्ट्रोनिक्स के महँगे खिलौने आ गए हैं। आज अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों को सर्दी, गर्मी, बरसात से भी बचाकर रखते हैं। आज बच्चों के खेल बंद घरों के भीतर ही खेले जाते हैं।

प्रश्न 5. पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए, जो आपके दिल को छू गए हों।

उत्तर – पाठ में ऐसे बहुत-से प्रसंग आए हैं, जो हमारे दिल को छू गए –

(क) बाबू जी अपने हाथों से भोला को खाना खिलाते, पर माता जी को ऐसा लगता कि भोला ने कम खाया है। वे कहतीं कि जब बच्चा बड़े-बड़े कौर खाएगा, तब दुनिया में स्थान पाएगा। माँ के हाथ से खाने पर बच्चों का पेट भरता है। माँ तोता, मैना, कबूतर, हंस तथा मोर आदि के बनावटी नाम से कौर बनाकर यह कहते हुए खिलाती कि जल्दी खा लो, नहीं तो ये उड़ जाएँगे।

(ख) जब बच्चे खेलते तो पिता जी छिपकर देखते और थोड़ी देर बाद वे भी बच्चों के खेल में शामिल हो जाते।

(ग) एक बार सभी लड़के टीले पर चढ़कर चूहों के बिल में पानी डालने लगे। अचानक बिल में से सौंप निकल आया। सभी बच्चे डर कर भागे। किसी के सिर पर चोट लगी, तो किसी के दाँत टूटे। भोलानाथ का सारा शरीर लहूलुहान हो गया। काँटे लगने से पैर छलनी हो गए। भोलानाथ दौड़कर अपनी माँ के आँचल में छिप गया। माँ भी रोने लगी, उसने उसके घावों पर हल्दी पीसकर लगाई।

प्रश्न 6. इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं?

उत्तर – आज की ग्रामीण संस्कृति में बहुत अधिक परिवर्तन हो गए हैं। आज खेतों में आधुनिक विधि और आधुनिक उपकरणों से खेती होने लगी है। अब कुओं से सिंचाई नहीं होती, उनकी जगह ट्यूबबैल आ गए हैं। हल की
जगह अब ट्रैक्टर का प्रयोग होने लगा है। अब जगह-जगह नंग-धड़ंग बच्चे खेलते हुए नज़र नहीं आते। वे भी विद्यालय जाकर पढ़ने लगे हैं। अब बैलगाड़ी तथा लालटेन नज़र नहीं आतीं। गाँवों में भी बिजली पहुँच गई है। कच्चे घरों की जगह पक्के मकान नज़र आने लगे हैं। ग्रामीण लोगों के पहनावे में भी अंतर आया है।

प्रश्न 7. पाठ पढ़ते-पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता का लाड़-प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंकित कीजिए।

उत्तर – पाठ पढ़ते-पढ़ते मुझे भी अपने माता-पिता का लाड – प्यार याद आ रहा था। सभी बच्चों का बचपन एक ही तरह व्यतीत होता है। पेट भरकर खा लेने पर भी माँ को संतुष्टि नहीं होती थी। दे मुझे भी अपने हाथों से खाना खिलाती तथा कहतीं कि जल्दी खाओ नहीं तो कौआ छीनकर ले जाएगा। कभी अपने नाम का, कभी पापा के नाम का, कभी दादा और कभी दादी के नाम का कौर खिलातीं। जब मैं रूठ जाता तो मनाने लगतीं। रात को अच्छी-अच्छी कहानियाँ सुनातीं। उदास या बीमार होने पर तरह-तरह के प्रश्न पूछने लगतीं। माता-पिता के चेहरे पर चिंता की रेखाएँ दिखाई देने लगतीं | सारी रात पास बैठे रहते। बार-बार छूकर देखते । उनका स्पर्श आज भी महसूस होता है। मम्मी-पापा आज भी प्यार करते हैं, लेकिन उसका रूप बचपन से भिन्‍न है। मन करता है कि मैं फिर से छोटा हो जाऊँ तथा उनकी गोदी में बैठे घंटों बिता दूँ।

प्रश्न 8. यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – “माता का आँचल’ उपन्यास अंश में माता-पिता के वात्सल्य का चित्रण हृदयग्राही है। प्रमुख पात्र तारकेश्वरनाथ के पिता प्यार से उन्हें भोलानाथ कहते और उनकी माँ से भी अधिक प्यार करते। साथ सुलाना, सुबह उठाकर नहलाना, पूजा के समय साथ बिठाना तथा अपने हाथ से खाना खिलाना आदि सभी काम पिता करते। उन्हें यह सब करने में बहुत खुशी मिलती। वे भोलानाथ के खेलों में भी रुचि रखते। उन्होंने भोलानाथ को कभी भी नहीं डाटा । जब कभी माँ भोला को ज़बरदस्ती पकड़कर उसके सिर पर तेल डालती, तब वह रोने लगता। पिता जी माँ पर बिगड़ते। एक बार गुरु जी ने भोला की खूब खबर ली। जैसे ही पिता जी को पता चला, वैसे ही वे पाठशाला दौड़ते हुए आए। जब साँप से डरकर भोलानाथ घर में घुसे, पिता हुक्का छोड़ दौड़कर आए, वे उसे माँ की गोद से अपनी गोद में लेना चाहते थे।

पिता की तरह माता का वात्सल्य भी हृदय में उमड़ता रहता है। बच्चे का पेट भरा होने पर भी माँ उसे ज़बरदस्ती खाना खिलाती है। बच्चे को नज़र न लग जाए इसलिए माता काजल की बिंदी लगातीं। चोटी गूँथकर उसमें फूलदार लट्टू बाँधकर रंगीन कुर्ता-टोपी पहनाकर उसे कन्हैया बना देतीं। भोलानाथ को रोते देख माँ ने उसे आँचल में छिपा लिया। डर से काँपते देख सब काम छोड़कर वे स्वयं भी रोने लगीं। हल्दी पीसकर घावों पर लगाई। माँ बार-बार उन्हें निहार रही थी और गले लगा रही थी। भोलानाथ ने भी माँ का आँचल नहीं छोड़ा, क्योंकि उस आँचल में उन्हें प्रेम और शांति मिल रही थी।

प्रश्न 9. “माता का आँचल’ शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए।

उत्तर – “माता का आँचल’ शीर्षक बिलकुल उपयुक्त है। पूरे उपन्यास अंश में चाहे पिता के साथ भोला का अधिक समय व्यतीत होता था, फिर भी घायल होने पर भोलानाथ पिता के पुकारने को अनसुनी कर माँ के पास चले गए। उस समय माँ चावल साफ़ कर रही थी। रोते हुए भोलानाथ को उन्होंने अपने आँचल में छिपा लिया। उन्हें डर से कॉपते देख सब काम छोड़कर स्वयं भी रोने लगी। भोलानाथ केवल धीमी आवाज़ में कॉपते हुए साँ….स….साँ कहते हुए माँ के आँचल में छिप गए। सारा शरीर थर-थर काँप रहा था। भोलानाथ ने माँ का आँचल नहीं छोड़ा, क्योंकि उस आँचल में उन्हें प्रेम और शांति मिल रही थी। इसका अन्य शीर्षक हो सकता है-‘बचपन के दिन’।

प्रश्न 10. बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?

उत्तर – बच्चे अपने माता-पिता के साथ अधिक समय व्यतीत कर अपने प्रेम को अभिव्यक्त करते हैं। पिता के कंधे पर बैठकर या झूलकर, सीने पर बैठ गालों को चूमना, मूँछें उखाड़ने की कोशिश करना या बाल खींचना, झूठ-मूठ का रोना, डर कर माँ की गोद में छिप जाना उन्हें सम्मान देकर, उनके सपनों को साकार कर, छोटे-छोटे कार्यों में उनका हाथ बँटाकर आदि क्रियाएँ प्रेम को प्रकट करती हैं।

प्रश्न 11. इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है, वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?

उत्तर– इस पाठ में जो बच्चों की दुनिया रची गई है, उसमें उनके खेल, कौतूहल, माँ की ममता, पिता का दुलार आदि शामिल हैं। हमारे बचपन की दुनिया नितांत इससे भिन्न है, क्योंकि इसमें कृत्रिमता का समावेश है। पाठ में ग्राम्य जीवन और संस्कृति का चित्रण है जबकि हम शहरी जीवन जीने के अभ्यस्त हैं। उन बच्चों के माता-पिता उन्हें खिलाने, सुलाने उनके साथ खेलने आदि में पूरा समय देते थे जबकि इस दुनिया में माता-पिता व्यस्तता के कारण बच्चों को वक्‍त न देने की कमी को आधुनिक खिलौने, खेल-सामग्री, कंप्यूटर, वीडियो गेम्स, मोबाइल, टैब आदि उपकरण देकर पूरा करते हैं। उनका वात्सल्य इससे संतुष्ट होता है। उन बच्चों में पैत्री की भावना थी, लेकिन आजकल बच्चे अकेले रहने के अभ्यस्त होने लगे हैं। जीवन शैली में बदलाव होने, पड़ोस-कल्चर खत्म होने के कारण बच्चे पड़ोस तथा मुहल्लों में खेलने नहीं जा पाते।

भोलानाथ बचपन में कौन कौन से खेल खेला करते थे?

Answer: भोलानाथ व उसके साथी खेल के लिए आँगन व खेतों पर पड़ी चीजों को ही अपने खेल का आधार बनाते हैं। उनके लिए मिट्टी के बर्तन, पत्थर, पेड़ों के पत्ते, गीली मिट्टी, घर के समान आदि वस्तुए होती थी जिनसे वह खेलते व खुश होते।

भोलानाथ और उसके साथी कौन कौन से खेल खेलते थे?

आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब -तब खेलते-खाते समय किसी न किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए। भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है ?

भोलानाथ का असली नाम क्या है?

Passage. पिता जी हमें बड़े प्यार से ′ भोलानाथ ′ कहकर पुकारा करते। पर असल में हमारा नाम था ′ तारकेश्वरनाथ ′ ।

2 भोलानाथ एवं उसके मित्र किस प्रकार के खेल खेलते थे भोलानाथ और आपके खेलऔर खेल की सामग्री में क्या अंतर है?

Solution : भोलानाथउसके साथी खिलने के लिए आंगन में पड़ी चीजों का इस्तेमाल करते थे। वह <br> मिट्टी के बर्तन, व घर का छोटा मोटा सामान ही इस्तेमाल करते थे और इन्ही चीजों से खेलने पर <br> उनको ख़ुशी मिलती थी लेकिन आज के दौर की बात करे तो अब के बच्चे इन चीजों से खेलना <br> पसंद नहीं करेंगे।

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