अंकेक्षण का क्या अर्थ है और इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए? - ankekshan ka kya arth hai aur isake uddeshyon ka varnan keejie?

अंकेक्षण से तात्पर्य किसी संस्था की लेखा-पुस्तकों की विशिष्ट एवं आलोचनात्मक जाँच से है जो एक योग्य एवं निष्पक्ष युक्ति के द्वारा प्रमाणकों, प्रपत्रों सूचना तथा स्पष्टीकरणों की सहायता से की जाती है।

अंकेक्षण की उत्पत्ति

अंग्रेजी भाषा का शब्द आडिटिंग (Auditing), जिसका हिन्दी अनुवाद ‘अंकेक्षण’ है, लेटिन भाषा के शब्द आडायर (Audire) से बना है, जिसका अर्थ है सुनना (To hear)। प्राचीन समय में हिसाब-किताब रखने वाले व्यक्ति, लेखपाल, लेखा पुस्तकों को लेकर एक निष्पक्ष व्यक्ति के पास जाते थे तथा हिसाब-किताब उसे सुनाते थे। ये निष्पक्ष व्यक्ति प्राय: न्यायाधीश होते थे तो हिसाब-किताब को सुनकर अपना निर्णय देते थे। इस सुनने की प्रक्रिया को अंकेक्षण (Auditing) तथा सुनने वाले निष्पक्ष व्यक्ति को अंकेक्षक (Auditor) कहा जाने लगा। 

    अंकेक्षण की आवश्यकता

    अंकेक्षण, लेखांकन सम्बन्धी प्रपत्रों की जाँच करना है ताकि इनकी सत्यता, पूर्णता एवं नियमानुकूलता का ज्ञान प्राप्त किया जा सके। यह जाँच उस समय और भी अधिक आवश्यक हो जाती है जबकि लेखांकन स्वामी की ओर से अन्य व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। आज बैंकिंग सुविधाओं में वृद्धि तथा संवादवाहन के नए-नए साधनों ने विनियोजन तथा व्यवसाय के क्षेत्र को बढ़ा दिया है। स्वाभाविक है कि विनियोजक (Investor) अपने विनियोजन की सुरक्षा चाहेगा। इस उद्देश्य पूर्ति के लिए खातों की विधिवत् जाँच होनी आवश्यक है। 

      अंकेक्षण के प्रकार

      अंकेक्षण कितने प्रकार के होते है? अंकेक्षण के प्रकार है -

      1. ऐच्छिक अंकेक्षण 

      ऐच्छिक अंकेक्षण से तात्पर्य एक ऐसे अंकेक्षण से है जो पूर्णत: विनियोक्ता की इच्छा पर निर्भर करता है तथा जिसे करवाने के लिए वह किसी विधान द्वारा बाध्य नहीं है। ऐसे अंकेक्षण को निजी अंकेक्षण के नाम से भी पुकारते है। उदाहरण के लिए एकाकी व्यापार, साझेदारी तथा अन्य व्यक्ति व संस्थाएँ।

      2. वैधानिक अंकेक्षण

      जिस संस्था के हिसाब-किताब का अंकेक्षण अनिवार्यत: किसी विधान के अन्तर्गत कराया जाता है उसे वैधानिक अंकेक्षण कहते हैं जैसे कम्पनी, सार्वजनिक ट्रस्ट, बैंक आदि का अंकेक्षण। इस प्रकार के अंकेक्षण में अंकेक्षण का कार्यक्षेत्र अंकेक्षण की योग्यता व अयोग्यता, अंकेक्षण के अधिकार एवं कर्त्तव्य विधान द्वारा निश्चित किए जाते है जिन्हें आपसी समझौते द्वारा बढ़ाया तो जा सकता है किन्तु कम नहीं किया जा सकता।

      3. सरकारी अंकेक्षण

      सरकार अपने विभागों तथा अपने द्वारा संचालित अन्य संस्थाओं के हिसाब-किताब की जाँच करवाती है। इसे सरकारी अंकेक्षण कहते है।

      4. व्यावहारिक अंकेक्षण

      व्यावहारिक अंकेक्षण को सुविधा की दृष्टि से दो भागों में बाँटा जा सकता है-(अ) आन्तरिक अंकेक्षण (ब) बाहर अंकेक्षण।

      1. आंतरिक अंकेक्षण - आंतरिक अंकेक्षण से तात्पर्य ऐसे अंकेक्षण से है जिसमें व्यवसाय के लेखों की जाँच एक ऐसे व्यक्ति व उसके स्टाफ द्वारा की जाती है जो स्वंय उस व्यवसाय की सेवा में नियुक्त है। इस प्रकार के अंकेक्षण उस संस्था में अंकेक्षक के रूप में कार्य न करके एक लेखापन (Accountant) के रूप में कार्य करते हैं। इस लेखों की जांचकर उनमें पाई जाने वाली असत्यता को दूर करना तथा आन्तरिक निरीक्षण की प्रथा को प्रभावशाली बनाना है

      2. बाहर अंकेक्षण - बाहा्र अंकेक्षण का अर्थ ऐसे अंकेक्षण से है जिसमें किसी व्यवसाय के लेखों की जाँच ऐसे व्यक्तियों से कराई जाती है जो ‘‘व्यावसायिक (Professional) व्यक्तियों के रूप में संगठित, स्वतन्त्र, सार्वजनिक लेखापाल है।’’ इस प्रकार के अंकेक्षकों के पास सी0 ए0 (C.A.) की डिग्री होना आवश्यक है तथा ये व्यावसायिक व्यक्तियों के रूप में संगठित होते हैं। जैसे भारत में इन्स्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स द्वारा अंकक्षक संगठित है। ये अंकेक्षक स्वतन्त्रा होते है तथा जिन संस्थाओं का अंकेक्षण करते हैं उनमें इनका हित नहीं होता। इनकी सेवाएँ सार्वजनिक होती है तथा ये अपनी सेवाओं के बदले में उचित फीस लेते हैं। 

      इस प्रकार अंकेक्षकों को अंकेक्षण के पश्चात नियोक्ता को जाँच की रिपोर्ट भी देनी होती है। बाहर अंकेक्षण कई प्रकार का होता है जिनमें से प्रमुख हैं:-

      1. पूर्ण अंकेक्षण : यह वह अंकेक्षण होता है जिसके अन्दर समस्त लेखा पुस्तकें, प्रमाण-पत्र खाते जोड़ घटाना आदि सभी व्यवहारों का परिक्षण किया जाता है। इस प्रकार का अंकेक्षण केवल ऐसी संस्थाओं में ही हो सकता है जो छोटी हों। बड़े पैमाने के व्यवसायों में इस प्रकार का अंकेक्षण सम्भव नहीं है। किन्तु ऐसे व्यपारों में भी पूर्ण अंकेक्षण आवश्यक है जिनका अभी तक अंकेक्षण न हुआ हों।

      2. आंशिक अंकेक्षण : यदि नियोक्ता सम्पूर्ण खातों की जाँच न करवाकर केवल किसी विशेष भाग का ही अंकेक्षण करवाता है तो इस प्रकार के अंकेक्षण को आंशिक कहते है।

        5. चालू अंकेक्षण

        ‘‘चालू अंकेक्षण से आशय ऐसे अंकेक्षण से है जिसके अन्दर अंकेक्षण या उसका स्टाफ वर्ष भर हिसाब-किताब की जाँच करता रहता है या निश्चित अथवा किसी अनिश्चित समय के बाद व्यापार काल के मध्य हिसाब-किताब का निरीक्षण करता है।’’ 

        डब्लू0 डब्लू0 बिग के अनुसार- ‘‘ चालू अंकेक्षण वह है जिसमें अंकेक्षक का स्टाफ वर्ष-भर खातों की जाँच में लगा रहता है।’’ 

          6. सामयिक अंकेक्षण

          सामायिक अंकेक्षण उसे कहते है जब वित्तीय वर्ष के अन्त में खाते बनकर तैयार हो जाती है और अंकेक्षक आकर लेखों का अंकेक्षण करता है और अपना कार्य तभी समाप्त करता है। इस प्रकार का अंकेक्षण वर्ष के अन्त में होता है इसलिए इसे वार्षिक अंकेक्षण (Annual Audit) या अन्तिम अंकेक्षण (Final Audit) भी कहते है। इस अंकेक्षण का एक और नाम चिट्ठा अंकेक्षण (Balance Sheet Audit) भी है क्योंकि इसे चिट्ठा बन जाने के बाद प्रारम्भ किया जाता है। किन्तु अमेरिका में चिट्ठी के अंकेक्षण से ही लिया जाता है। 

            7. निपुणता/प्रबन्ध अंकेक्षण

            इसे प्रबन्धकीय अंकेक्षण भी कहते हैं। यह अंकेक्षण का एका सलाहकारी रूप है। व्यवसाय के लिए निर्धारित नीतियों, योजनाओं, नियमों एवं उपनियमों का पालन पूर्णरूप से एवं कार्यक्षमता के साथ किया जा रहा है या नहीं इसकी जाँच करना कार्यक्षमता अंकेक्षण कहा जाता है। इस जाँच के आधार पर यह भी ज्ञात किया जा सकता है कि व्यवसाय की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए नीतियों एवं योजनाओं आदि में क्या परिवर्तन किये जाने चाहिएँ। इससे कर्मचारी की कार्यक्षमता का भी ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

            8. रोकड़ अंकेक्षण 

            यदि कोई संस्था अपने एक विशेष अवधि के केवल रोकड़ के लेन-देनों की जाँच करने के लिए अंकेक्षक की नियुक्ति करती है, तो वह ‘रोकड़ का अंकेक्षण’ कहलाता है। उसके अन्तर्गत वह आवश्यक प्रमाणों की सहायता से केवल रोकड़वही की जाँच तक सीमित होता है। अत: इसे इस सीमा का उल्लेख अपनी रिपोर्ट मे अवश्य करना चाहिए।

            9. लागत अंकेक्षण

            लागत लेखों के अंकेक्षण को ‘लागत अंकेक्षण’ कहा जाता है। लागत लेखों और वित्तीय लेखों (Financial Accounts) में इतना घनिष्ठ सम्बन्ध है कि लागत लेखों में अलग से अंकेक्षण की आवश्यकता बहुत कम पड़ती है परन्तु जहाँ लागत लेखे एक विस्तृत रूप में एक बड़े पैमाने पर रखे जाते हैं वहाँ यह जानने की आवश्यकता पड़ती है कि इतने बड़े लागत लेखों का होना अनिवार्य है या नहीं और इसके द्वारा दिखाए गए फल ठीक हैं या नहीं। अंकेक्षक को उतनी ही सतर्कता, बुद्धिमानी तथा परिश्रम के साथ कार्य करना चाहिए, जितना कि वह वित्तीय लेखों की जाँच के सम्बन्ध में करता है।

            10. विस्तृत अंकेक्षण 

            विस्तृत अंकेक्षण, पूर्ण अंकेक्षण से भिन्न है। विस्तृत अंकेक्षण से तात्पर्य है कि पूर्ण अंकेक्षण के अन्तर्गत सभी व्यवहारों अथवा आंशिक अंकेक्षण के अन्तर्गत चुने गए व्यवहारों की अत्यंन्त विस्तृत तथा गहन जाँच करना। विस्तृत अंकेक्षण साधारणतया किसी विशिष्ट उद्देश्य से किया जाता है।

            11. प्रमाणित अंकेक्षण 

            इसमें कुछ मदों की पूर्ण जाँच एवम् विश्लेषण सम्मिलित है और बाकी मदों की परीक्षण जाँच होती है। इसमें समस्त अंकेक्षण की क्रिया एक सामान्य अंकेक्षण की भाँति होती है। इस प्रकार के अंकेक्षण का वर्णन श्री रोनाल्ड ए0 आयरिश (Ronald A. Irish) ने किया है। उनका कहना है कि जब कभी कुछ विशेष मदों का पूर्ण अंकेक्षण करना हो और शेष पर सरसरी निगाह डालनी हो तो इस प्रकार के अंकेक्षण को ‘प्रमाण अंकेक्षण’ कहना चाहिए।

            12. मध्य अंकेक्षण या अन्तरिम अंकेक्षण 

            जब किसी वित्तीय वर्ष के बीच में लेखा पुस्तकों का अंकेक्षण उस समय तक की लाभ-हानि व आर्थिक स्थिति को जानने के उद्देश्य से कराया जाता है तो उसे मध्य अंकेक्षण अथवा अन्तरिम अंकेक्षण कहते है। इस प्रकार का अंकेक्षण किसी विशष उद्देश्य की पूर्ति हेतु कराया जाता है। इस प्रकार का अंकेक्षण विशेषकर उन कम्पनियों में करया जाता है जिनको कि अपना वार्षिक लाभांश घोषित करने से पूर्व कुछ मध्य लाभांश (Interim Dividend) घोषित करना पड़ता है। साझेदारी की मृत्यु, अवकाश ग्रहण अथवा नए साझी के आने की परिस्थितियों में भी अंकेक्षण की आवश्यकता पड़ती है। अन्तरिम अंकेक्षण सामयिक अंकेक्षण का पूरक होता है। चालू अंकेक्षण से होने वाले लाभ भी काफी सीमा तक मध्य अंकेक्षण द्वारा पूरे कर दिये जाते हैं।

            अंकेक्षण क्या है इसके उद्देश्य का वर्णन करें?

            अंकेक्षण से आशय लेखो की सत्यता की जांच करना होता है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि वे सही रूप से संबंधित सौदे के लिए किए गए है की नी । प्रो. प्रतीक चंदवानी लेखा परीक्षा, अंकेक्षण या ऑडिट (audit) का सबसे व्यापक अर्थ किसी व्यक्ति, संस्था, तन्त्र, प्रक्रिया, परियोजना या उत्पाद का मूल्यांकन करना है।

            लागत अंकेक्षण अंकेक्षण का क्या उद्देश्य है?

            लागत अंकेक्षण में अंकेक्षक को यह रिपोर्ट करनी होती है कि क्या कम्पनी के लागत लेखों का विवरण उचित प्रकार से रखा गया है, जिससे वे उत्पादन, प्रक्रियन, निर्माण या खनन गतिविधियों की लागत का सही एवं उचित चित्र प्रस्तुत कर सकें।

            अंकेक्षण का निम्न में से कौन उद्देश्य है?

            अंकेक्षण ( Auditing) के उद्देश्यों का अध्ययन करने से पहले लेखा पुस्तकों में होने वाली मुख्य व छोटी गलतियों/ अशुद्धियों आदि का अध्ययन करना आवश्यक है। कारण स्पष्ट है अंकेक्षण का मुख्य उद्देश्य ही होता है गलतियों की खोज करना और उन्हें रोकना, सुधार करना।

            लागत अंकेक्षण क्या है लागत अंकेक्षण के उद्देश्यों एवं लाभों को बताइए?

            लागत अंकेक्षण के आधार पर इकाई लागत तथा कुल लागत की शुद्धता एवं औचित्य की जाँच की जाती है। इससे लागत व्यय में कमी की प्रभावी योजनाएँ लागू की जा सकती हैं, ताकि संस्था की उत्पादकता एवं कुशलता में सुधार लाया जा सके। 2. श्रमिकों को लाभ- लागत अंकेक्षण से श्रमिक वर्ग को भी लाभ प्राप्त होता है।

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