4 हारिल की लकड़ी का क्या तात्पर्य है गोपियों ने कृष्ण को हारिल की लकड़ी क्यों कहा है - 4 haaril kee lakadee ka kya taatpary hai gopiyon ne krshn ko haaril kee lakadee kyon kaha hai

गोपियों ने हारिल की लकड़ी किसे कहा है : गोपियों ने कृष्ण को हरिल की लकड़ी कहा है । गोपियों ने श्रीकृष्ण को ‘हरिल की लकड़ी’ इसलिए कहा है क्योंकि जिस प्रकार हरिल पक्षी सदैव अपने पंजों में हमेशा कोई न कोई लकड़ी या तिनका पकड़े रहता है, उसी प्रकार गोपियां भी श्रीकृष्ण को अपने हृदय में दृढ़तापूर्वक धारण किया हैं और उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं हैं। गोपियाँ कृष्ण के प्रेम में लीन हैं और दिन-रात ‘कृष्ण-कृष्ण’ का जाप करती रहती हैं। 

अधिक पढ़ें : गोपियों को अकेला छोड़कर कृष्ण कहां चले गए थे

हारिल पक्षी की क्या विशेषता है सूरदास पद पाठ के आधार पर बताइए ?

गोपियों ने कृष्ण को हरिल की लकड़ी कहकर अपने प्रेम की दृढ़ता का प्रकट किया है। हरील एक ऐसा पक्षी है जो अपने पंजों में हमेशा कोई न कोई लकड़ी या तिनका रखता है। वह उसे किसी भी हाल में नहीं छोड़ते।

कृष्ण को ‘हरिल की लकड़ी’ कहने वाली गोपियों का अर्थ यह है कि कृष्ण का प्रेम उनके दिलों में इतनी दृढ़तापूर्वक से बसा हुआ है कि वह किसी भी तरह से निकल नहीं सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि गोपियाँ कृष्ण को ही समर्पित हैं।  

तीसरे पद के अनुसार हारिल किसे कहा गया है ?

सूरदास के तीसरे पद के अनुसार हारिल श्रीकृष्ण को कहा गया है ।

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गोपियों ने श्री कृष्ण को हारिल पक्षी की लकड़ी क्यों कहा है?

गोपियों ने श्रीकृष्ण को 'हरिल की लकड़ी' इसलिए कहा है क्योंकि जिस प्रकार हरिल पक्षी सदैव अपने पंजों में हमेशा कोई न कोई लकड़ी या तिनका पकड़े रहता है, उसी प्रकार गोपियां भी श्रीकृष्ण को अपने हृदय में दृढ़तापूर्वक धारण किया हैं और उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

हाररि की िकड़ी का क्या तात्पर्य है गोवपयों िे क ृ ष्ण को हाररि की िकड़ी क्यों कहा है?

Answer: गोपियों का कृष्ण को 'हारिल की लकड़ी' कहने का तात्पर्य यह है कि उनके ह्रदय में कृष्ण का प्रेम इतना दृढ़तापूर्वक समाया हुआ है जो किसी भी प्रकार निकल नहीं सकता। कहने का आशय है कि गोपियाँ कृष्ण के प्रति ही एकनिष्ठ हैं।

हारिल की लकड़ी के माध्यम से गोपियां क्या कहना चाहती हैं?

इसे सुनेंरोकेंकृष्ण को 'हरिल की लकड़ी' कहने वाली गोपियों का अर्थ यह है कि कृष्ण का प्रेम उनके दिलों में इतनी दृढ़तापूर्वक से बसा हुआ है कि वह किसी भी तरह से निकल नहीं सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि गोपियाँ कृष्ण को ही समर्पित हैं

हारिल और हारिल की लकड़ी के माध्यम से गोपियों ने उद्धव जी को क्या समझाने का प्रयत्न किया है?

उन्होंने उद्धव से कहा कि उनके लिए श्रीकृष्ण' हारिल की लकड़ी' के समान हैं। जैसे हारिल पक्षी सदा वृक्ष की टहनी पंजे में दबाए रहता है, उसी प्रकार गोपियों के जीवन में कृष्ण समाए हुए हैं। उन्हें त्याग कर योग पथ को अपनाना उनके लिए किसी भी प्रकार सम्भव नहीं है।

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