2060 में पृथ्वी का अंत कैसे होगा - 2060 mein prthvee ka ant kaise hoga

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prithvi kab khatm hogi, पृथ्‍वी का अंत का कारण सूरज बनेगा

न्यूटन की गणना के आधार पर 800 में 1260 को जोड़ने पर साल 2060 आया और उन्‍होंने दुनिया के अंत का साल 2060 बताया. उनका कहना था कि अगर इस समय तक दुनिया खत्‍म नहीं भी हुई तो भी उसका विनाश शुरू हो जाएगा.

दुनिया को लॉ ऑफ ग्रैविटी यानी गुरुत्‍वाकर्षण का सिद्धांत बताने वाले आइसैक न्‍यूटन ने एक ऐसी भविष्‍यवाणी भी की थी जो किसी की भी समझ से परे हो सकती है. पूरी दुनिया इस समय कई तरह के उतार-चढ़ावों से गुजर रही है. कोरोना वायरस महामारी से लेकर मौसम तक का प्रकोप दुनिया को परेशान किए हुए है. न्‍यूटन को दुनिया का महान गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी कहा जाता है. न्‍यूटन ने अपनी गणना के आधार पर बताया था कि साल 2060 तक दुनिया खत्‍म हो चुकी है. न्‍यूटन ने कुछ फॉर्मूलों के आधार पर यह बात कही थी

सर आइसैक न्‍यूटन ने अपने कई नोट्स और चिट्ठियों में दुनिया के खत्‍म होने का जिक्र किया था. उन्‍होंने स्‍पष्‍ट तौर पर कहा था कि अगर साल 2060 तक दुनिया बची रह गई तो ये विनाश की शुरुआत का साल होगा. न्यूटन ने दुनिया के खत्‍म होने का एक फार्मूला भी दिया था. न्यूटन ने ये भविष्‍यवाणी सन् 1704 में की थी. भविष्‍यवाणी के साथ न्यूटन का यह नोट उनकी लिखी चिट्ठियों के साथ मिला था. सन् 1727 में उनका निधन हो गया था और इसके बाद उनके लिखे सभी नोट्स, चिट्ठियां उनके घर में पाए गए.

न्‍यूटन ने अपनी गणना के आधार पर कहा कि दुनिया 1260 साल में खत्म हो जाएगी. इसके बाद न्यूटन के मन में सवाल उठा कि ये 1,260 साल किस वर्ष से शुरू माने जाएं. इसके लिए उन्होंने वर्ष 800 को मानक बनाया. इसके पीछे उन्‍होंने तर्क दिया कि 800AD में रोम में धार्मिक क्रांति आई और रोम के राजा चैलीमैगन ने शासन से ऊपर पोप को स्थान दिया. न्यूटन की गणना के आधार पर 800 में 1260 को जोड़ने पर साल 2060 आया और उन्‍होंने दुनिया के अंत का साल 2060 बताया. उनका कहना था कि अगर इस समय तक दुनिया खत्‍म नहीं भी हुई तो भी उसका विनाश शुरू हो जाएगा.

धरती का अंत कहाँ होता है?

इंटरनेशनल डेस्क. ये फोटोज धरती के सबसे साउदर्न प्वाइंट पर मौजूद तिएरा डेल फ्यूगो आइलैंड की हैं। ये आइलैंड चिली और अर्जेंटीना के बीच बंटा है। धरती के आखिरी छोर पर बसा ये आइलैंड दुनिया से बिल्कुल अलग-थलग पड़ा है।

 पृथ्‍वी का अंत का कारण सूरज बनेगा

अनुमान लगाया गया है कि भविष्य में खरबों वर्षों में गैस का ज्वलनशील गोला खत्म होने वाला है, लेकिन बहुत जल्द कई बदलाव होंगे जो हमारे सौर मंडल के अंत की ओर ले जाएंगे। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सूर्य अभी अपने जवानी के चरण पर है जिसे इसके 'मुख्य अनुक्रम' के रूप में जाना जाता है, अब से लगभग पांच अरब वर्ष बाद सूरज ब्लास्‍ट हो जाएगा जिसके कारण पूरी धरती तबाह हो जाएगी।

पृथ्‍वी के साथ अन्‍य ये ग्रह भी हो जाएंगे नष्‍ट

वैज्ञानिकों ने बताया पांच बिलियन साल बाद सूरज में मौजूद हाइड्रोजन कोर काम करना बंद कर देगा जिसके कारण सूरज गर्मी उत्‍पन्‍न नहीं कर पाएगा। जिसके कारण अन्य ग्रह भी ठंडे हो जाएंगे। यह सूर्य के पड़ोसी ग्रहों बुध और शुक्र को निगल जाएगी जिसमें पृथ्‍वी भी शामिल होंगी

प्रलय का अर्थ होता है संसार का अपने मूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना। प्रकृति का ब्रह्म में लय (लीन) हो जाना ही प्रलय है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड ही प्रकृति कही गई है। इसे ही शक्ति कहते हैं।

हिन्दू शास्त्रों में मूल रूप से प्रलय के चार प्रकार बताए गए। पहला किसी भी धरती पर से जीवन का समाप्त हो जाना, दूसरा धरती का नष्ट होकर भस्म बन जाना, तीसरा सूर्य सहित ग्रह-नक्षत्रों का नष्ट होकर भस्मीभूत हो जाना और चौथा भस्म का ब्रह्म में लीन हो जाना अर्थात फिर भस्म भी नहीं रहे, पुन: शून्यावस्था में हो जाना। इस विनाश लीला को नित्य, आत्यन्तिक, नैमित्तिक और प्राकृत प्रलय में बांटा गया है।

जिसका जन्म है उसकी मृत्यु भी तय है। जिसका उदय होता है, उसका अस्त होना भी तय है, ताकि फिर उदय हो सके। यही सृष्टि चक्र है। इस संसार की रचना कैसे हुई और कैसे इसका संचालन हो रहा है और कैसे इसके विलय हो जाएगा। इस संबंध में पुराणों में विस्तार से उल्लेख मिलता है।

पुराणों में सृष्टि उत्पत्ति, जीव उद्भव, उत्थान और प्रलय की बातों को सर्गों में विभाजित किया गया है। हालांकि पुराणों की इस धारणा को विस्तार से समझा पाना कठिन है। इसीलिए हम ब्रह्मांड की बात न करते हुए सिर्फ धरती पर सृष्टि विकास, उत्थान और प्रलय के बारे में बताएंगे।

जब-जब पृथ्वी पर प्रलय आता है भगवान विष्णु अवतरित होते हैं पहली बार जब जल प्रलय आया तो प्रभु मत्स्य अवतार में अवतरित हुए और कलयुग के अंत में जब महाप्रलय होगा तब कल्कि अवतार में अवतरित होंगे।

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महान ब्रिटिश वैज्ञानिक आइसैक न्‍यूटन ने अपनी गणना के आधार पर कहा था कि 2060 में दुनिया का अंत हो जाएगा.

दुनिया में जब भी कोई महामारी अपने पैर पसारना शुरू करती है, तब-तब दुनिया के अंत को लेकर चर्चा शुरू हो जाती है. अलग-अलग धर्मों में दुनिया के अंत का समय अलग बताया गया है. नास्‍त्रेदमस समेत दुनिया के कई भविष्‍यवक्‍ताओं ने भी इस बारे में अनुमान जताए हैं. ब्रिटेन के महान वैज्ञानिक आइसैक न्‍यूटन (Isaac Newton) और भौतिकविद् स्‍टीफन हॉकिंग (Stephen William Hawking) ने भी दुनिया के अंत की भविष्‍यवाणी की थी. आइए जानते हैं कि उनकी भविष्‍यवाणियों के आधार क्‍या थे और उन्‍होंने इसकी गणना कैसे की...

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  • News18Hindi
  • Last Updated : March 06, 2020, 14:48 IST

    नई दिल्‍ली. दुनिया में जब भी कोई खतरनाक बीमारी विकराल रूप लेने लगती है तो लोग अकसर चर्चा करने लगते हैं कि दुनिया का अंत कब होगा? इस समय दुनिया के 76 देश कोरोना वायरस (Corona Virus) की चुनौती का सामना कर रहे हैं. चीन के वुहान (Wuhan) शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस अब तक करीब एक लाख लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है, जिसमें 3382 लोगों की मौत हो चुकी है. अकेले चीन (China) में 3,042 लोगों की कोरोना वायरस के कारण मौत हो चुकी है. दुनिया पर जीवन को लेकर ब्रिटेन के महान गणितज्ञ और भौतिक वैज्ञानिक आइसैक न्‍यूटन (Isaac Newton) ने भी अपने नोट्स और चिट्ठियों में जिक्र किया था. उनके मुताबिक, अगर साल 2060 तक दुनिया बची रह गई तो ये विनाश की शुरुआत का साल होगा.

    न्‍यूटन ने 1704 में लिखे नोट्स और चिट्ठियां
    फादर ऑफ मॉडर्न साइंस न्यूटन ने 2060 में दुनिया के खत्‍म होने का एक फार्मूला भी दिया था. गति के नियम के तमाम फॉर्मूलों का अविष्कार करने वाले न्यूटन ने 1704 में एक नोट लिखा था. न्यूटन का यह नोट (Notes) उनकी लिखी चिट्ठियों (Letters) के साथ मिला. न्यूटन के 1727 में निधन के बाद उनके लिखे सभी नोट्स, चिट्ठियां उनके घर में पाए गए.

    नोट्स और लेटर्स को संभालने में लगे 16 साल
    साराह ड्राई की किताब 'द न्‍यूटन पेपर्स: द स्‍ट्रेंज एंड ट्रू ऑडायसिस ऑफ आइसैक न्‍यूटंस मैन्‍युस्क्रिप्‍ट्स' के मुताबिक, उन्‍होंने अपने जीवन में करीब 10,000 नोट्स और लेटर्स लिखे. साराह ने एक इंटरव्‍यू के दौरान बातया कि जब इन नोट्स और लेटर्स को 1800 के आखिर में कैम्ब्रिज लाया गया तो ये काफी अस्‍त-व्‍यस्‍त थे. इन्‍हें सही ढंग से लगाने में दो लोगों को 16 साल लग गए. उनके नोट्स और चिट्ठियों की 1936 में नीलामी (Auction) हुई. इन्‍हें इंग्लैंड के अर्थशास्त्री जॉन मेयनार्ड कीन्स ने खरीद लिया. बाद में इन सभी नोट्स को यरूशलम (Jerusalem) के एक स्कॉलर ने 'सीक्रेट्स ऑफ न्यूटन' (Secrets of Newton) नाम से एक किताब में ढाल दिया. ये किताब यूनिवर्सिटी ऑफ यरूशलम में आज भी रखी है.

    आइसैक न्‍यूटन ने 1704 में लिखे नोट में दुनिया के अंत के साल का जिक्र किया था. (फोटो साभार: टॉपटेंज)

    न्‍यूटन ने लिख, दुनिया भी एक दिन खत्‍म होगी
    न्‍यूटन ने एक नोट में लिखा, 'अगर इंसान यह सोचता है कि वह हमेशा के लिये रहेगा तो ऐसा बिलकुल नहीं है. उनका भी समय आएगा. जब इंसान धर्म को मानना बंद कर देगा, तभी से उसका अंत शुरू हो जाएगा. दुनिया भी एक दिन खत्म हो जाएगी. दुनिया में मौजूद हर चीज कुछ समय के लिए रहेगी. एक समय आएगा, जब आधा समय रह जाएगा.' न्यूटन ने अपने एक नोट में लिखा है कि उन्‍होंने आधे समय की बात एक किताब में पढ़ी थी, जिसमें समय, समय, समय और आधा समय का जिक्र किया गया था. न्यूटन ने इसी के आधार पर गणना की और उत्तर आया साढ़े तीन साल यानी 1,260 दिन. इसके बाद उन्‍होंने वैज्ञानिक गणना कर दिन को वर्ष में बदल दिया यानी 1,260 साल.

    वर्ष 800 को मानक मानकर निकाला दुनिया के अंत का साल
    आइसैक न्‍यूटन ने अपनी गणना के आधार पर कहा कि दुनिया 1260 साल में खत्म हो जाएगी. इसके बाद न्यूटन के मन में सवाल उठा कि ये 1,260 साल किस वर्ष से शुरू माने जाएं. इसके लिए उन्होंने वर्ष 800 को मानक बनाया. इसके पीछे उन्‍होंने तर्क दिया कि 800AD में रोम में धार्मिक क्रांति आई और रोम के राजा चैलीमैगन ने शासन से ऊपर पोप को स्थान दिया. न्यूटन की गणना के आधार पर 800 में 1260 को जोड़ने पर साल 2060 आया और उन्‍होंने दुनिया के अंत का साल 2060 बताया. न्यूटन ने 1704 में ही लिख दिया था कि अगर 2060 तक दुनिया का अंत नहीं हुआ तो यह वो साल होगा, जब तबाही शुरू होगी.

    न्‍यूटन ने 1704 में ही दुनिया के अंत की भविष्‍यवाणी अपने एक नोट में कर दी थी. वहीं, भौतिक विज्ञानी स्‍टीफन हॉकिंग का कहना था कि 600 साल के भीतर पृथ्वी आग के गोले में तब्‍दील हो जाएगी.

    स्‍टीफन हॉकिंग ने की थी 600 साल में अंत की भविष्‍यवाणी
    प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन विलियम हॉकिंग (Stephen William Hawking) ने भी दुनिया के अंत को लेकर दावा किया था कि मानव जाति ज्‍यादा से ज्‍यादा 600 साल तक जीवित रह सकती है. उनका कहना था कि 600 साल के भीतर पृथ्वी आग के गोले में तब्‍दील हो जाएगी. साथ ही कहा था कि मनुष्य को 100 साल के भीतर किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की खोज कर बस्तियां बसानी होंगी. उन्‍होंने तर्क दिया कि बहुत ज्‍यादा आबादी के कारण धरती पर ऊर्जा की खपत बहुत ज्यादा हो जाएगी. इससे धरती का तापमान असीमित रूप से बढेगा और धरती गर्म होकर लाल हो जाएगी. उन्‍होंने भविष्यवाणी की थी कि आने वाले समय में पृथ्वी का तापमान शुक्र ग्रह के बराबर हो जाएगा. इसके बाद धरती पर 'एसिड रेन' हो सकती है.

    हॉकिंग ने कहा, दुनिया पर राज करने की जिद में होगा अंत
    प्रोफेसर हॉकिंग ने धरती पर मनुष्य की जगह रोबोट (Robots) के कब्जे के खतरे की आशंका भी जताई थी. उनके अनुसार आने वाले सालों में रोबोट खुद एक स्वचालित सभ्यता बनकर मनुष्य पर कब्‍जा कर सकते हैं. एक अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में स्टीफन ने कहा कि हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के विकास की तरफ बढ़ते हुए इससे जुड़े खतरों के बारे में भी ध्यान देना चाहिए. उन्‍होंने एक समारोह में भविष्यवाणी की थी कि हमारा अंत मानवीय आक्रामकता और दुनिया पर राज करने की जिद के कारण ही होगा. इसके लिए परमाणु हथियारों (Nuclear Weapons) का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे सामूहिक विनाश होगा.

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    Tags: Britain, Corona, Corona Virus, Earth, Global warming, Pollution, Science, Stephen hawking, World news

    FIRST PUBLISHED : March 06, 2020, 14:30 IST

    2060 में पृथ्वी कैसे खत्म होगी?

    सबकुछ जल जाएगा, इसके बाद फिर बारह वर्षों तक लगातार बारिश होगी। जिससे सारी धरती जलमग्र हो जाएगी।

    2060 में क्या क्या होगा?

    2060 का कैलेंडर.

    पृथ्वी कब नष्ट हो जाए?

    तब पृथ्वी की मृत्यु कब होगी? ऐसे में सवाल पैदा होता है कि आखिर पृथ्वी की मौत कब होगी. वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी के निधन का अगला चरण अब से पांच से सात अरब वर्षों में दिखाई देगा. दरअसल, एक वक्त ऐसा आएगा जब सूर्य एक तारे से एक विशाल हीलियम के जलने वाले लाल विशालकाय गोले में बदल जाएगा.

    पृथ्वी का अंत कैसे हो सकता है?

    नई दिल्ली: दुनियाभर में बढती प्राकृतिक आपदाओं, ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ा समुद्र जल का स्तर, कोरोना वायरस जैसे जैविक युद्ध और परमाणु युद्ध का खतरा आदि उस विनाश का संकेत देते हैं कि एक न एक दिन इस पृथ्वी यानी धरती का अंत होना है.

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