स्वतंत्रता में स्वाभिमान तथा नम्रता दोनों का संयोग जरूरी है | यह बात निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है, उसके लिए स्वाभिमान तथा नम्रता जरूरी है। इससे निर्भरता आती है तथा हमें अपने पैरों पर खड़े होना आता है। आज युवा वर्ग अपनी आकांक्षाओं तथा योग्यताओं के कारण बहुत आगे निकल गया है, लेकिन उसे ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बड़ों का सम्मान करे तथा बराबर के लोगों से कोमलता का व्यवहार करे । यह आत्म मर्यादा के लिए आवश्यक है।
इस संसार में जो कुछ हमारा है, उसमें बहुत से अवगुण तथा थोड़े गुण, सब इस बात की आवश्यकता प्रकट करते हैं कि हमें अपनी आत्मा को नम्र रखना चाहिए। नम्रता से अभिप्राय दब्बूपन से नहीं है, जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुँह देखता है, जिससे उसका संकल्प क्षीण तथा उसकी प्रज्ञा मंद पड़ जाती है, जिसके कारण आगे बढ़ने के समय भी हम पीछे रह जाते हैं और अवसर आने पर उचित निर्णय नहीं कर पाते हैं। इस प्रकार मनुष्य का जीवन उसके हाथों में है। सच्ची आत्मा वही है जो विपरीत परिस्थितियों में स्वाभिमान को बनाए रखने में सफल होती है |
प्रश्न –( I ) वर्तमान समय में युवा वर्ग की क्या स्थिति है?
अ) युवा वर्ग अपने से बड़ों की भावनाओं का ध्यान रखता है |
ब) युवा वर्ग अपनी आकांक्षाओं और योग्यताओं के कारण बहुत आगे निकल गया है |
स) युवा वर्ग अपनी स्वतंत्रता का गला घोट सकता है |
द) युवा वर्ग अधिक विनम्र है |
प्रश्न (II) स्वतंत्रता का नम्रता तथा स्वाभिमान से क्या संबंध है ?
अ) स्वाभिमान के बिना नम्रता का होना व्यर्थ है |
ब) स्वतंत्रता में स्वाभिमान तथा नम्रता दोनों का संयोग जरूरी नहीं है|
स) स्वतंत्रता में स्वाभिमान तथा नम्रता दोनों का संयोग जरूरी है |
द) केवल स्वाभिमान का होना ही आवश्यक है |
प्रश्न-(III) “सच्ची आत्मा” को किस प्रकार परिभाषित किया गया है ?
अ) सच्ची आत्मा विपरीत परिस्थितियों में स्वाभिमान तथा नम्रता को बनाए रखती है |
ब) सच्ची आत्मा मर्यादा का पालन नहीं करती है |
स) सच्ची आत्मा आगे बढ़ने के समय भी पीछे रह जाती है |
द) सच्ची आत्मा में कई अवगुण होते हैं |
प्रश्न (IV) लेखक नम्रता से संबंधित किस गलत धारणा का खंडन करता है?
अ)नम्रता के कारण मनुष्य दूसरों से बहुत आगे निकल जाता है |
ब)नम्रता से अभिप्राय दब्बूपन से नहीं है कि हमें दूसरों का मुँह देखना पड़े|
स)नम्रता के कारण हम कई उचित निर्णय ले पाते हैं |
द)आज के समय में नम्रता अनिवार्य है |
प्रश्न (V) हमें अपनों से बड़ों तथा बराबर वालों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए ?
अ) हमें अपनों से बड़ों के साथ कोमलता का व्यवहार करना चाहिए तथा बराबर वालों का सम्मान करना चाहिए |
ब) हमें अपनों से बड़ों का सम्मान करना चाहिए तथा बराबर वालों के साथ कोमलता का व्यवहार करना चाहिए |
स) उपरोक्त दोनों विकल्प सही है |
द) उपरोक्त दोनों विकल्प गलत है |
प्रश्न (VI) “स्वतंत्रता” और “दब्बूपन” में प्रयुक्त प्रत्यय लिखें |
अ) स्वतंत्रता में “स्व” और दब्बूपन में “दब्बू” |
ब) स्वतंत्रता में “तंत्र” और दब्बूपन में “पन” |
स) स्वतंत्रता में “ता” तथा दब्बूपन में “पन” |
द) कोई भी विकल्प सही नहीं है |
प्रश्न (VII) उपर्युक्त गद्यांश किस विषय वस्तु पर आधारित है ?
अ) अहंकार ही स्वतंत्रता की जननी है |
ब) नम्रता ही स्वतंत्रता की जननी है |
स) अहंकार स्वतंत्रता के लिए आवश्यक है |
द) कोई भी विकल्प सही नहीं है |
प्रश्न (VII) मनुष्य का जीवन किसके हाथ में है ?
अ) मनुष्य का जीवन अहंकार के हाथ में है |
ब)मनुष्य का जीवन स्वाभिमान के हाथ में है |
स)मनुष्य का जीवन उसके अपने हाथों में है |
द)मनुष्य का जीवन किसी के हाथ में नहीं है|
प्रश्न (IX) मर्यादापूर्वक जीवन जीने के लिए क्या आवश्यक है ?
अ)नम्रता और अभिमान दोनो
ब)केवल स्वाभिमान
स)स्वाभिमान और नम्रता दोनों
द)इनमें से कोई भी नहीं
प्रश्न (X) लोग भ्रमवश क्या उचित मान लेते हैं ?
अ)लोग भ्रमवश अहंकार को स्वतंत्रता की जननी मान लेते हैं |
ब)लोग भ्रमवश स्वतंत्रता को अहंकार की जननी मान लेते हैं |
स)दोनों विकल्प सही है |
द) दोनों विकल्प सही नहीं हैं |
उत्तर – (I) ब (II) स (III) अ (IV) ब (V) ब
(VI) स (VII) ब (VIII) स (IX) स (X) अ
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दबाव में काम करना व्यक्ति के लिए अच्छा है या नहीं इस बात पर प्रायः बहस होती है| कहा जाता है कि व्यक्ति अत्यधिक दबाव में नकारात्मक भावों को अपने ऊपर हावी कर लेता है, जिससे उसे अक्सर कार्य में असफलता प्राप्त होती है| वह अपना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी खो बैठता है| दबाव को यदि ताकत बना लिया जाए तो न सिर्फ सफलता प्राप्त होती है, बल्कि व्यक्ति कामयाबी के नए मापदंड रचता है| ऐसे बहुत सारे उदाहरण है जब लोगों ने अपने काम के दबाव को अवरोध नहीं, बल्कि ताकत बना लिया| सुख-दुख, सफलता-असफलता शांति-क्रोध और क्रिया-कर्म हमारे दृष्टिकोण पर ही निर्भर करता है| जोस सिल्वा इस बात से सहमत होते हुए अपनी पुस्तक ‘यू द हीलर’ में लिखते हैं कि मन मस्तिष्क को चलाता है और मस्तिष्क शरीर को| इस तरह शरीर मन के आदेश का पालन करता हुआ काम करता है| दबाव में व्यक्ति यदि सकारात्मक होकर का करें तो वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में कामयाब होता है |दबाव के समय मौजूद समस्या पर ध्यान केंद्रित करने और बोझ महसूस करने की बजाय यदि यह सोचा जाए कि हम अत्यंत सौभाग्यशाली हैं जो एक कठिन चुनौती को पूरा करने के लिए तत्पर है तो हमारी बेहतरीन क्षमताएँ स्वयं जागृत हो उठती है| हमारा दिमाग जिस चीज पर भी अपना ध्यान केंद्रित करने लगता है वह हमें बढ़ती प्रतीत होती है| यदि हम अपनी समस्याओं के बारे में सोचेंगे तो वह भी बड़ी महसूस होगी | इस बात को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि जीतना एक आदत है, पर अफसोस ! हारना भी आदत ही है|
प्रश्न- (I) दबाव में काम करने से व्यक्ति:
अ) कार्य में सफलता प्राप्त नहीं करता
ब) अपना मानसिक स्वास्थ्य खो देता है
स) अपना शारीरिक स्वास्थ्य खो देता है
द)उपर्युक्त सभी
प्रश्न- (II) दबाव हमारी सफलता का कारण बनता है, जब व्यक्ति
अ) दबाव को ताकत बना लेता है
ब) दबाव में नकारात्मक रूप से काम करता है
स) घबरा जाता है
द) उसी भाषा में जवाब देता है
प्रश्न (III) दबाव में सकारात्मक सोच है :
अ) समस्या पर ध्यान केंद्रित करना
ब) कार्य को बोझ न समझना
स) कठिन से कठिन चुनौती के लिए तत्पर रहना
द) उपरोक्त सभी
प्रश्न (IV) सफलता, सुख-दुख, शांति, क्रोध सब किस पर निर्भर करता है ?
अ) मनुष्य के व्यक्तित्व पर
ब) मनुष्य के दृष्टिकोण पर
स) मनुष्य की कार्यशैली पर
द )उपरोक्त सभी पर
प्रश्न (V) कार्य में असफलता प्राप्त होती है जब व्यक्ति :
अ) नकारात्मक भावों को अपने ऊपर हावी होने देता है
ब) कार्य के प्रति जागरूक होता है
स) संघर्ष के साथ आगे बढ़ता है
द) साहस के साथ काम करते हैं
प्रश्न (VI) ‘यू द हीलर’ है :
अ) एक व्यक्ति
ब) एक पुस्तक
स) एक भवन
द) एक संस्थान
प्रश्न (VII) गद्यांश के अनुसार मस्तिष्क को कौन चलाता है ?
अ) व्यक्ति
ब) मन
स) तन
द ) दृष्टिकोण
प्रश्न (VIII) व्यक्ति अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कब करता है ?
अ) सकारात्मक होकर
ब) दबाव में सकारात्मक होकर
स) अत्यधिक पूंजी लगाकर
द) तनाव में आकार
प्रश्न (IX) अपनी क्षमताओं को जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका किसकी होती है ?
अ) पूंजी की
ब) अभिव्यक्ति की
स ) सोच की
द)मार्गदर्शन की
प्रश्न (X)‘शारीरिक स्वास्थ्य’ शब्द में ‘ शारीरिक’ है :
अ) संज्ञा
ब) सर्वनाम
स) विशेषण
द) क्रिया
उत्तर – (I) द (II) अ (III) द (IV) ब (V)अ
(VI) ब (VII) ब (VIII) ब (IX) स (X) स
Apathit Gadyansh in Hindi
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बाज़ार ने, विज्ञापन ने हिंदी को एक क्रांतिकारी रूप दिया , जिसमें रवानगी है , स्वाद है,रोमांच है,आज की सबसे बड़ी चाहत का अकूत संसार है | इस तरह हिंदी भविष्य की भाषा , समय का तकाज़ा और रोज़गार की ज़रूरत बनती जा रही है | लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ पत्रकारिता है | सूचना – क्रांति ने विश्व को ग्राम बना दिया है| मीडिया की जागरूकता ने समाज में एक क्रांति ला दी है और इस क्रांति की भाषा है हिंदी | इतने सारे समाचार चैनल हैं और सभी चैनलों पर हिंदी अपने हर रूप में नए कलेवर , तेवर में निखरकर , संवरकर, लहरकर, बिंदास बनकर छाई रहती है |’तुलनात्मक अर्थों में आज अंग्रेजी–पत्रकारिता का मूल्य, बाज़ार, उत्पादन,उपभोग और वितरण बहुत बड़ा है |प्रिंट मीडिया की स्थिति ज्यादा बेहतर है , पत्र-पत्रिकाओं की लाखों प्रतियां रोजाना बिकती है | चीन के बाद सबसे अधिक अखबार हमारे यहाँ पढ़े जाते हैं ,हिंदी के सम्प्रेषण की यह मानवीय, रचनात्मक और सारगर्भित उपलब्धि है | पत्र-पत्रिकाएं हिंदी की गुणवत्ता और प्रचार-प्रसार के लिए कृत संकल्प हैं | यह भ्रम फैलाया गया था कि हिंदी रोजगारोन्मुखी नहीं है | आज सरकारी, गैर-सरकारी क्षेत्रों में करोड़ों हिंदी पढ़े-लिखे लोग आजीविका कमा रहे हैं | भविष्य में हिंदी की बाज़ार – मांग और अधिक होगी |पसीनों में,प्रार्थनाओं में ,सिरहानों की सिसकियों में और हमारे सपनों में जब तक हिंदी रहेगी, तब तक वह बिना किसी पीड़ा या रोग के सप्राण , सवाक और सस्वर रहेगी |
प्रश्न- (I) लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ किसे कहा गया है –
अ) कार्यपालिका
ब)न्यायपालिका
स)पत्रकारिता
द)व्यवस्थापिका
प्रश्न- (II) तुलनात्मक दृष्टि से हिंदी और अंग्रेजी पत्रकारिता में लेखक ने किसे व्यापक माना है और क्यों ?
अ)हिंदी पत्रकारिता को क्योंकि वह तीव्र गति से विकास कर रही है
ब)अंग्रेजी –पत्रकारिता को क्योंकि उसका मूल्य ,बाज़ार,उत्पादन,उपभोग और वितरण बहुत बड़ा है
स)क्षेत्रीय भाषायी पत्रकारिता को क्योंकि भारत में विविध भाषाएँ बोली जाती है
द) 1) और 2) दोनों सही है
प्रश्न- (III) प्राय : क्या भ्रम फैलाया जा रहा है ?
अ)हिंदी रोजगारपरक नही है
ब)भारत में हिंदी अधिकांश लोग नही समझते
स)हिंदी तकनीकि साधनों में प्रयोग हेतु सुगम नही है
द)हिंदी रोजगारपरक है
प्रश्न (IV) किस देश के बाद अख़बार पढने वालों की संख्या भारत में अधिक है ?
अ)अमेरिका
ब)ब्रिटेन
स) फ़्रांस
द)चीन
प्रश्न- (V) किस क्रांति ने विश्व को एक गाँव बना दिया है ?
अ) सूचना क्रांति
ब) औद्योगिक क्रांति
स) वैचारिक क्रांति
द) निम्न में से कोई नही
प्रश्न- (VI) प्रिंट मीडिया के अंतर्गत आते है –
अ)मोबाईल फोन
ब) इन्टरनेट
स) दूरदर्शन
द)पत्र-पत्रिकाएं
प्रश्न- (VII) मीडिया की जागरूकता ने समाज में एक क्रांति ला दी है और इस क्रांति की भाषा है
अ’)अंग्रेजी
ब)हिंदी
स) 1) और 2) दोनों ही
द) चीनी भाषा
प्रश्न- (VIII) हिंदी कब तक वह बिना किसी पीड़ा या रोग के सप्राण , सवाक और सस्वर रहेगी |
अ)जब तक वह पसीनों में,प्रार्थनाओं में,सिरहानों की सिसकियों में और हमारे सपनों में रहेगी |
ब) जब वह रोजगार की भाषा बनेगी
स)जब वह दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाएगी
द )जब वह विद्यालयों में अनिवार्य रूप से पढाई जाएगी
प्रश्न (IX)) समाचार चैनलों पर हिंदी किस रूप में दिखाई दे रही है ?
अ)नए कलेवर में
ब)तेवर में निखरकर ,
स)संवरकर, लहरकर
द)उपरोक्त सभी रूप में
प्रश्न (X) मानवीय शब्द में प्रत्यय है –
अ) इय
ब)वीय
स) ईय
द) य
उत्तर – (I)स (II)ब (III)अ (IV)द (V) अ
(VI) द (VII) ब (VIII) अ (IX)द (X) स
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राह पर खड़ा है आम का सूखा पेड़, सदा से ठूँठ नहीं है। दिन थे जब वह हरा भरा था और उस जनसंकुल चौराहे पर अपनी छतनार डालियों से बटोहियों की थकान अनजाने दूर करता था। पर मैंने उसे सदा ठूँठ ही देखा है। पत्रहीन, शाखाहीन, निरवलंब, जैसे पृथ्वी रूपी आकाश से सहसा निकलकर अधर में ही टंग गया हो। रात में वह काले भूत-सा लगता है, दिन में उसकी छाया इतनी गहरी नहीं हो पाती जितना काला उसका जिस्म है और अगर चितेरे को छायाचित्र बनाना हो तो शायद उसका-सा ‘अभिप्राय’ और न मिलेगा। प्रचंड धूप में भी उसका सूखा शरीर उतनी ही गहरी छाया ज़मीन पर डालता जैसे रात की उजियारी चांदनी में। जब से होश संभाला है, जब से आंख खोली है, देखने का अभ्यास किया है, तब से बराबर मुझे उसका निस्पंद, नीरस, अर्थहीन शरीर ही दिख पड़ा है। पर पिछली पीढ़ी के जानकार कहते हैं कि एक जमाना था जब पीपल और बरगद भी उसके सामने शरमाते थे और उसके पत्तों से, उसकी टहनियों और डालों से टकराती हवा की सरसराहट दूर तक सुनाई पड़ती थी। पर आज वह नीरव है, उस चौराहे का जवाब जिस पर उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम चारों ओर की राहें मिलती हैं और जिनके सहारे जीवन अविरल बहता है। जिसने कभी जल को जीवन की संज्ञा दी, उसने निश्चय जाना होगा की प्राणवान जीवन भी जल की ही भांति अविकल, अविरल बहता है। सो प्राणवान जीवन, मानव संस्कृति का उल्लास उपहार लिए उन चारों राहों की संधि पर मिलता था जिसके एक कोण में उस प्रवाह से मिल एकांत शुष्क आज वह ठूँठ खड़ा है। उसके अभागी परंपरा में संभवतः एक ही सुखद अपवाद है – उसके अंदर का स्नेहरस सूख जाने से संज्ञा का लोप हो जाना। संज्ञा लुप्त हो जाने से कष्ट की अनुभूति कम हो जाती है।
प्रश्न -(I) जनसंकुल का क्या आशय है?
अ) जनसंपर्क
ब) भीड़भरा
स) जनसमूह
द) जनजीवन
प्रश्न -(II) आम की छतनार डालियों के कारण क्या होता था?
अ) यात्रियों को ठंडक मिलती थी
ब) यात्रियों को विश्राम मिलता था
स) यात्रियों की थकान मिटती थी
द) यात्रियों को हवा मिलती थी
प्रश्न- (III) शाखाहीन, रसहीन, शुष्क वृक्ष को क्या कहा जाता है?
अ) नीरस वृक्ष
ब) जड़ वृक्ष
स) ठूँठ वृक्ष
द) हीन वृक्ष
प्रश्न-(IV) आम के वृक्ष के सामने पीपल और बरगद के शरमाने का क्या कारण था?
अ) उसका अधिक हरा-भरा और सघन होना
ब) हवा की आवाज सुनाई देना
स) अधिक फल फूल लगना
द) अधिक ऊँचा होना
प्रश्न-(V) आम के अभागेपन में संभवतः एक ही सुखद अपवाद था –
अ) उसका नीरस हो जाना
ब) संज्ञा लुप्त हो जाना
स) सूख कर ठूँठ हो जाना
द) अनुभूति कम हो जाना
प्रश्न- (VI) लेखक ने होश संभाला तो पेड़ कैसा था।
अ) हरा भरा
ब) निस्पंद , नीरस, अर्थहीन
स) बहुत बड़ा
द) छोटे पौधे जैसा।
प्रश्न-(VII) "अगर चितेरे को छायाचित्र बनाना हो तो शायद उसका सा अभिप्राय ना मिलेगा।" यह किस के संदर्भ में कहा गया है।
अ) पीपल और बरगद के पेड़ के संदर्भ में
ब) आम क सूखे पेड़ के संदर्भ में
स) सूखी झाड़ियों के संदर्भ में
द) इनमें से कोई नहीं।
प्रश्न (VIII) नीरव शब्द का अभिप्राय है-
अ)शब्द रहित
ब) सूखा हुआ
स) हरा भरा
द) शब्द
प्रश्न (IX) सरसराहट शब्द में प्रत्यय है
अ)हट
ब) राहट
स) आहट
द) सर
प्रश्न (X) चौराहा शब्द में समास है-
अ) द्वन्द्व
ब) कर्मधारय
स) तत्पुरुष
द) द्विगु
उत्तर – (I)ब , (II) स,(III) स, (IV)) अ, (V) ब,
(VI) ब(VII))ब, (VIII)अ , (IX)स, (X)द
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एक बाप ने बेटे को भी मूर्तिकला सिखाई | दोनों हाट में जाते और अपनी-अपनी मूर्तियाँ बेचकर आते | बाप की मूर्ति डेढ़-दो रूपये में बिकती पर बेटे की मूर्तियों का मूल्य केवल आठ दस आने से अधिक न मिलता | हाट से लौटने पर बेटे के पास बैठकर बाप उसकी मूर्तियों में रही त्रुटियों को समझाता और अगले दिन उन्हें सुधारने के लिए कहता | यह क्रम वर्षों से चलता रहा | लड़का समझदार था | उसने पिता की बातों को ध्यान से सुना और अपनी कला में सुधार करने का प्रयत्न करता रहा कुछ समय बाद लड़के की मूर्तियाँ भी डेढ़ रूपये की बिकने लगी | बाप भी उसी तरह समझाता और मूर्तियों में होने वाले दोषों की तरफ उसका ध्यान खींचता | बेटे ने और अधिक ध्यान दिया तो कला भी और अधिक निखरी | मूर्तियाँ पाँच-पाँच रूपये की बिकने लगीं | सुधार के लिए समझाने का क्रम बाप ने तब भी बंद न किया | एक दिन बेटे ने झुंझलाकर कहा आप तो दोष निकालने की बात बंद ही नहीं करते | मेरी कला अब तो आप से भी अच्छी है | मुझे मूर्ति के पाँच रूपये मिलते हैं जबकि आपको दो ही रूपये | बाप ने कहा बेटा, जब मैं तुम्हारी उम्र का था तब मुझे अपनी कला की पूर्णता का अहंकार हो गया और फिर सुधार की बात सोचना छोड़ दिया | तब से मेरी प्रगति रुक गई और दो रुपये से अधिक की मूर्तियाँ न बना सका | मैं चाहता हूँ वह भूल तुम न करो | अपनी त्रुटियों को समझने और सुधारने का क्रम सदा जारी रखो ताकि बहुमूल्य मूर्तियाँ बनाने वाली श्रेणी में पहुँच सको |
1. बाप और बेटे क्या करते थे ?
उत्तर: बाप और बेटे मूर्तियाँ बनाकर बेचा करते |
2. हाट से लौटकर बाप अपने बेटे को क्या समझाता था ?
उत्तर: हाट से लौटकर बाप अपने बेटे को मूर्तियों में त्रुटियों को समझता था|
3. प्रारम्भ में बेटे की मूर्तियों का मूल्य कितना मिलता था?
उत्तर: प्रारम्भ में बेटे की मूर्तियों का मूल्य केवल आठ-दस आने मिलता था|
4. बेटा बाप से क्यों झुंझला गया?
उत्तर: बेटा बाप से झुंझला गया क्योंकि बाप बार-बार उसकी त्रुटियाँ निकालता था|
5. बाप की मूर्तियाँ हमेशा डेढ़ दो रूपये में ही क्यों बिकती रहीं ?
उत्तर: जब बाप बेटा की उम्र का था तब उसे अपनी कला की पूर्णता का अहंकार हो गया और फिर सुधार की बात सोचना छोड़ दिया | तब से मेरी प्रगति रुक गई और दो रुपये से अधिक की मूर्तियां न बना सका | बापकीमूर्तियाँ हमेशा डेढ़ दो रूपये में ही बिकती रहीं |