वैद्युत-द्विध्रुव तथा वैद्युत-द्विध्रुव आघूर्ण- वह वैद्युत निकाय (system) जिसमें दो बराबर, परन्तु विपरीत प्रकार के बिन्दु-आवेश एक-दूसरे से बहुत कम दूरी पर रखे हों, “वैद्युत-द्विध्रुव’ कहलाता है। दोनों आवेशों में से किसी एक आवेश और दोनों आवेशों के बीच की दूरी के गुणनफल को ‘द्विध्रुव’ का वैद्युत-द्विध्रुव आघूर्ण (electric dipole moment) कहते हैं। इसे प्रायः p से प्रदर्शित करते हैं।
(i) द्विध्रुव पर शुद्ध स्थानान्तर बल F = qE – qE = 0
(ii) एकसमान वैद्युत-क्षेत्र में रखे वैद्युत-द्विध्रुव पर बल-युग्म–यदि किसी वैद्युत-द्विध्रुव को एकसमान वैद्युत-क्षेत्र (E) में रखा जाए तो उसके आवेशों पर समान और विपरीत बल -qE तथा +qE (अर्थात् एक बल-युग्म) कार्य करने लगता है। यह बल-युग्म द्विध्रुव को क्षेत्र की दिशा में संरेखित करने का प्रयत्न करता है। इसे प्रत्यानयन बल-युग्म’ कहते हैं। माना एक वैद्युत-द्विध्रुव एकसमान वैद्युत-क्षेत्र (E) में क्षेत्र से 8 कोण बनाते हुए रखा गया है। +q तथा – q पर लगने वाले बराबर एवं विपरीत बले (+qE व -qE) एक बल-युग्म बनाते हैं जो द्विध्रुव को घुमाकर क्षेत्र E की दिशा में लाने का प्रयत्न करता है। इस प्रत्यानयन बल-युग्म का आघूर्ण
(torque on a dipole in a uniform electric field in hindi) एक समान विद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव पर बलाघूर्ण , एक समान व असमान वैद्युत क्षेत्र में वैद्युत द्विध्रुव पर बल आघूर्ण:
माना एक विद्युत द्विध्रुव AB है जो एक समान विद्युत क्षेत्र में उपस्थित है , विद्युत द्विध्रुव AB , θ कोण पर चित्रानुसार रखा गया है।
विद्युत द्विध्रुव के +q आवेश पर विद्युत क्षेत्र की दिशा में एक बल लगता है जिसका मान F = qE होगा , तथा विद्युत द्विध्रुव के -q आवेश पर विद्युत क्षेत्र की दिशा के विपरीत एक बल लगता है जिसका मान F = -qE होगा। अतः विद्युत द्विध्रुव पर लगने वाला परिणामी या कुल बल
F (कुल) = qE + (-qE) = 0
अतः एक समान विद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव पर लगने वाला बल शून्य होगा , अतः विद्युत द्विध्रुव गति नहीं करेगा।
लेकिन -q तथा +q पर लगने वाला बल संरेखी नहीं है अतः विद्युत द्विध्रुव पर एक बलयुग्म बनता है जो द्विध्रुव को विद्युत क्षेत्र की दिशा में संरेखित करने की कोशिश करता है।
बल आघूर्ण = किसी एक आवेश पर लगने वाला बल x बलों की क्रिया रेखा के मध्य की लंबवत दूरी
Torque (τ)बल आघूर्ण बल आघूर्ण = qE (BC)
चित्र से
BC = 2a Sinθ
अतः सूत्र में BC का मान रखने पर
Torque (τ) बल आघूर्ण = qE (2a Sinθ)
चूँकि
p = 2qa
अतः
Torque (τ) बल आघूर्ण = E p Sinθ
बलाघूर्ण को सदिश रूप में निम्न प्रकार लिखा जा सकता है।
special case :
1. जब θ = 0
Sinθ = 0
Torque (τ) = E p Sin0 = 0
अतः द्विध्रुव स्थायी साम्यावस्था में स्थित है।
2. जब θ = 180
Sin180 = 0
Torque (τ) = E p Sin180 = 0
अतः द्विध्रुव अस्थायी साम्यावस्था में स्थित है।
3. जब θ = 90
Sin90 = 1
Torque (τ) = E p
इस स्थिति में (θ = 90) बलाघूर्ण का मान अधिकतम होता है।
विद्युत क्षेत्र में विद्युत द्विध्रुव :
(1) समरूप विद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव पर लगने वाले बल युग्म का आघूर्ण :-
एक समरूप वैद्युत क्षेत्र में एक वैद्युत द्विध्रुव θ विक्षेप की स्थिति में दिखाया गया है। द्विध्रुव के आवेशो +q एवं -q पर लगने वाले विद्युत बल qE परिमाण में , समान व दिशा में विपरीत है और दोनों की क्रिया रेखाएँ अलग है। अत: ये दोनों बल बलयुग्म बनाते है , इस बल युग्म का आघूर्ण –
T = बल x बलों की क्रिया रेखाओं के मध्य की दूरी
या
T = qE x BC
चित्र से , BC/AB = sinθ
या
BC = AB.sinθ
या
BC = 2l.sinθ
अत: T = qE x 2l.sinθ
T = q.2l.Esinθ
T = pEsinθ न्यूटन x मीटर
चित्र की सहायता से सदिश रूप में बल युग्म के आघूर्ण को निम्न तरह से लिखा जा सकता है –
T = p x E (सदिश चिन्ह के साथ है सभी राशियाँ)
सदिश T की दिशा दक्षिणावर्त पेंच के नियम के अनुसार सदिश p एवं E के तल के लम्बवत होती है।
स्थिति 1 : जब θ = 0 तो sinθ = 0
अत: T = pEsinθ = 0
या
T = 0
यह स्थायी संतुलन की अवस्था होती है।
स्थिति 2 : जब θ = 90 तो sinθ = 1
अत: T = pEsinθ = pE
यह बल आघूर्ण का अधिकतम मान है।
स्थिति 3 : T = pEsinθ
यदि विद्युत क्षेत्र E = 1 न्यूटन/कुलाम , θ = 90 तो sinθ = 1
तो T = p
अर्थात वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण उस बलयुग्म के आघूर्ण के तुल्य है जो द्विध्रुव पर तब कार्य करता है जब वह एकांक तीव्रता के समरूप वैद्युत क्षेत्र में क्षेत्र के लम्बवत रखा होता है।