Q5. वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?
Answer :
नीलकंठ को फलों के वृक्षों से भी अधिक पुष्पित व पल्लवित (सुगन्धित व खिले पत्तों वाले) वृक्ष भाते थे। इसीलिये जब वसंत में आम के वृक्ष मंजरियों से लदे जाते और अशोक लाल पत्तों से ढक जाता तो नीलकंठ के लिए जालीघर में रहना असहनीय हो जाता
तो उसे छोड़ देना पडता।
वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?
वसंत ऋतु के आरम्भ होते ही अपने स्वभाव के कारण नीलकंठ अस्थिर हो उठता था। वर्षा ऋतु में जब आम के वृक्ष मंजरियों से लद जाते थे। अशोक का वृक्ष नए गुलाबी पत्तों से भर जाता, तो वह बाड़े में स्वयं को रोक नहीं पाता था । उसे मेघों के उमड़ आने से पूर्व ही इस बात
की आहट हो जाती थी कि आज वर्षा अवश्य होगी। वह उसका स्वागत करने के लिए अपने स्वर में मंद केका करने लगता और उसकी गूँज सारे वातावरण में फैल जाती थी। उस वर्षा में अपना मनोहारी नृत्य करने के लिए वह अधीर हो उठता और जालीघर से निकलने के लिए छटपटा जाता था।
Concept: गद्य (Prose) (Class 7)
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वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जाली घर में रहना असहनीय क्यों हो जाता था?
उत्तर:- नीलकंठ को फलों के वृक्षों से भी अधिक पुष्पित व पल्लवित (सुगन्धित व खिले पत्तों वाले) वृक्ष भाते थे। इसीलिये जब वसंत में आम के वृक्ष मंजरियों से लदे जाते और अशोक लाल पत्तों से ढक जाता तो नीलकंठ के लिए जालीघर में रहना असहनीय हो जाता तो उसे छोड़ देना पडता।
वसंत ऋतुमें नीलकंठ के सलए जाल घि में बंद िहना असहनीय क्यों हो जाता था?
प्रश्न 5: वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था? उत्तर : वसंत ऋतु के आरम्भ होते ही अपने स्वभाव के कारण नीलकंठ अस्थिर हो उठता था। वर्षा ऋतु में जब आम के वृक्ष मंजरियों से लद जाते थे। अशोक का वृक्ष नए गुलाबी पत्तों से भर जाता, तो वह बाड़े में स्वयं को रोक नहीं पाता था ।
नीलकंठ सबसे अधिक प्रसन्न कब होता है?
नीलकंठ सबसे अधिक प्रसन्न कब होता था? Solution : वर्षा ऋतु में जब आकाश बादलों से ढक जाता था, वसन्त की ऋतु में आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे और अशोक के वृक्ष जब नए लाल पल्लवों से ढक . जाते थे, तब नीलकंठ अत्यधिक प्रसन्न होता था।
वसंत ऋतु में मोर क्या कर रहा है?
वसंत ऋतु में मोर क्या कर रहा है? Answer: वसंत ऋतु में मोर ठुमक-ठुमककर नाच रहा है।