वनों की कटाई को कैसे रोकें? - vanon kee kataee ko kaise roken?

संवाद सहयोगी, बेंगाबाद (गिरिडीह) : दैनिक जागरण के बाल संवाद कार्यक्रम के तहत मंगलवार को मध्य विद्यालय दुधिटांड़ के बच्चे खुरचुट्टा वन प्रक्षेत्र के रेंजर एसके रवि से रूबरू हुए। बच्चों ने उनसे पर्यावरण समेत कई मुद्दों पर सवाल किए। प्रस्तुत है बच्चों के सवाल और रेंजर के जवाब :

प्रश्न : वनों की कटाई रोकने के लिए वन विभाग क्या कर रहा है? शिवानी मंडल

जवाब : वनों की कटाई रोकने के लिए विभाग प्रयासरत है। विभाग के लोग गांवों में वन सुरक्षा समिति बनाकर और जागरूकता फैलाकर वन की कटाई रोकने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। वन कटाई की सूचना मिलते ही विभाग के लोग छापेमारी कर लोगों को पकड़ने और जेल भेजने की कार्रवाई करते हैं।

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प्रश्न : पौधों की कटाई क्यों होती है? पैसे देकर लोग पेड़ काटते हैं? सरस्वती कुमारी

जवाब : पौधों की कटाई विधि सम्मत की जाती है। वन विभाग योजना बनाकर सूखे पेड़ों की कटाई करता है। हरे पेड़-पौधों को नहीं काटा जाता है। अगर वन विभाग को छोड़ कोई भी व्यक्ति वन भूमि के पेड़ों को काटता है तो वह गैरकानूनी है। हर पेड़ों को काटना कानून का उल्लंघन करना है। पैसे देकर पेड़ों की कटाई नहीं होती है। विभाग सूखे पेड़ों की कटाई कराता है, जिससे विभाग को राजस्व की प्राप्ति होती है।

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प्रश्न : पौधों को कैसे लगाया जाता है? हमलोगों द्वारा लगाए पौधे क्यों मर जाते हैं? अमीता कुमारी

जवाब : पौधों को लगाने से पहले गड्ढा कर लें और मिट्टी को निकाल कर कुछ दिनों तक छोड़ दें। उसके बाद उसके आसपास से घास को हटा दें। पेड़ों को लगाने के समय डीएपी और गेमेक्सीन पाउडर उचित मात्रा में दें। पौधा लगाने के बाद उसकी देखभाल करते रहें। पानी समय-समय पर जरूर दें। जानवर के खाने का डर हो तो उसे बास के गैबीयन से जरूर घेरें।

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प्रश्न : वन अभ्यारण्य खोलने की कोई योजना है? साक्षी प्रिया

उतर : वन अभ्यारण खोलने की दिशा में विभाग सोच रहा है। वर्तमान में खंडोली में चार प्रकार के साइबेरियन पक्षी आते हैं। विभाग बर्ड सेंचुरी बनाने की योजना पर विचार कर रहा है।

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प्रश्न : वनों के विस्तार की क्या योजना है, इसका विस्तार कैसे होगा? काजल भारती, रानी कुमारी

जवाब : वनों का विस्तार पौधे लगाने से होगा। साथ ही वनों की कटाई रोकनी होगी, लोगों को जागरूक होना पडे़गा। सिर्फ खुरचुट्टा वन प्रक्षेत्र में पिछले वर्ष सवा लाख पौधे लगाए गए हैं। जगल को बचाने की भी जरूरत है।

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प्रश्न : हमारे आसपास वन आरक्षित है या नहीं, उसका प्रभाव क्यों नहीं है? प्रीति कुमारी

जवाब : खुरचुट्टा वन प्रक्षेत्र में हतवा जंगल आरक्षित जंगल है। कुछ वर्ष पूर्व आरक्षित जंगल को ग्रामीणों ने उजाड़ दिया था, अब ऐसा नहीं है। वनों को बचाने की दिशा में प्रयास हुआ है। लोगों के सहयोग से आरक्षित जंगल को बचाया जा रहा है। वहा पर नए पौधे भी लगाए गए हैं। कुछ दिनों में उसके प्रभाव दिखने लगेंगे।

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प्रश्न : बंजर भूमि में कैसे पौधा लगाएं, वन विभाग ने ऐसी जमीन में कहीं पौधा लगाया है? बोबी कुमारी

जवाब : बंजर भूमि में चिह्नित पौधे को लगाएं। जमीन के मुताबिक पौधों का चयन करें। बैदाडीह में वन विभाग ने काम किया है। यहा पर विभाग ने पचास हजार पौधे लगाए हैं। आज उक्त स्थल पर शानदार जंगल तैयार है।

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प्रश्न : गरीब जंगल की लकड़ी को ही जलावन के रूप मे इस्मेताल करते हैं। उस पर रोक लगाने से वह खाना कैसे बनाएंगे? पंकज कुमार यादव

जवाब : जलावन में सूखी लकड़ियों का इस्तेमाल होता है। सूखी लकड़ी ले जाने में विभाग को कोई आपत्ति नही है। ग्रामीण हरे पेड़ को नहीं ले जाएं। हरे पेड़ पर्यावरण को संतुलित रखते हैं।

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प्रश्न : आप रेंजर कैसे बने, इसके लिए कौन सी परीक्षा पास करनी होती है? अमिज मंराडी

जवाब : रेंजर बनने के लिए बीपीएससी की परीक्षा पास की थी। अब आप लोगों को झारखंड में जेपीएससी की परीक्षा पास करनी होगी। जेपीएससी की परीक्षा राज्य स्तर पर होती है।

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प्रश्न : जब्त लकड़ी विभाग के प्रांगण में सड़ा दी जाती है, क्यों? अर्जुन कुमार राणा

जवाब : जब्त लकड़ी दो प्रकार की होती है। पहली दावा रहित और दूसरी दावा सहित। विभाग द्वारा कानून सम्मत कार्रवाई की जाती है। मुकदमे में देरी की वजह से ऐसा होता है।

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प्रश्न : यहा के जंगल में कौन-कौन से खनिज पदार्थ हैं। उसके अवैध कारोबार की रोकथाम के लिए क्या पहल होती है। उसका दोहन कैसे किया जाएगा? सीताराम पोद्दार

जवाब : खुरचुट्टा वन प्रक्षेत्र में काला पत्थर, सफेद क्वा‌र्ट्ज पत्थर और माइका है। वन भूमि से इसका दोहन नहीं किया जा सकता है। अगर कोई वन क्षेत्र से इन खनिज पदार्थो को निकालता है तो उसके ऊपर वन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाती है। गैर वन भूमि से संपदा को निकाला जा सकता है। इसके लिए खनन विभाग से लीज लिया जाता है।

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प्रश्न : वनों की देखभाल विभाग द्वारा समुचित ढंग से क्यों नहीं की जाती है? दीपाली कुमारी

जवाब : ऐसा कहना गलत है कि वनो की देखभाल समुचित ढंग से नहीं की जाती है। फिलहाल वन विभाग में मैनपावर की काफी कमी है। वर्तमान में जो वनकर्मी हैं वे ग्रामीणों और वन समिति के सहयोग से देखभाल कर रहे हैं।

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प्रश्न : प्राय: सभी विभागों में भ्रष्टाचार हावी है। आपके विभाग के किसी कर्मी पर भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई हुई है? अमित हेम्ब्रम

जवाब : वन विभाग में भ्रष्टाचार नहीं है। फिलहाल मेरी नजर में ऐसा कोई कर्मचारी नहीं है जिस पर कार्रवाई हुई है।

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प्रश्न : पहले इस जंगल में काफी जानवर थे, वे कहा गए। वर्तमान में कौन-कौन से जानवर यहा हैं? रूपा कुमारी

जवाब : वनों के खत्म होने के कारण जानवर यहा से चले गए हैं। वर्तमान में लोमड़ी, जंगली सुअर, लक्कड़बघा, उल्लू आदि जानवरो को इस जंगल में देखा गया है। वनों के बचाने से जानवर पुन: यहा आ सकते हैं।

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वनों की कटाई को कैसे रोका जा सकता है?

पुनवनरोपण एवं वनरोपण द्वारा इस तरीके को अपना कर हम वन संरक्षण कर सकते है- ... .
वृक्षों की नियमन एवं नियोजित कटाई करके ... .
जंगल की आग को नियंत्रित करके ... .
वृक्षों के संरक्षण द्वारा ... .
लकड़ी से बनी वस्तुओं का कम मात्र में उपयोग करके ... .
अन्त्येष्टि क्रिया में उपयोग न करके ... .
पर्यटन के माध्यम से जागरूकता फैलाकर ... .
सरकार द्वारा एक्शन लेकर.

जंगल को बचाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

जमीन और पानी एक प्रकृति की देन है, जो सजीवों को जीवन प्रदान करती है। साथ ही जंगलो से प्राणवायु निर्माण होता है जो प्रकृति का अमूल्य खजाना है।.
जंगलो की कटाई कम करना,.
वन्य जिव तथा वन का संरक्षण,.
वन संवर्धन जनजागृति,.
वनो में शिकार के लिए सामाजिक प्रतिबंध, आदि।.

वनों की कटाई का मुख्य कारण क्या है?

वनोन्मूलन, दिनोंदिन आवासों की स्थिति में हो रहे परिवर्तन और लकड़ी के उत्पादन सहित बहुत से मानवीय कारक इसका कारण होते हैं। इसका कारण यह है कि जैसे-जैसे हम बड़े जंगलों को काटते जाते है वैसे-वैसे उस क्षेत्र विशेष की जैव विविधता नष्ट होने लगती है और कार्बन में कमी आने लगती है।

वनों की कटाई के प्रभाव क्या है?

वनोन्मूलन का प्रभाव इनमें से कुछ परिणाम हैं: जैव विविधता की क्षति, वन आधारित समाज का विनाश; और जलवायु विघटन. उदाहरण के लिए अमेजन वर्षा वन का अधिक नुकसान वायुमंडल में बहुत अधिक मात्र में कार्बन डाई ऑक्साइड को मुक्त कर सकता है।

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