दूसरा पुर्तगाली कौन था जो भारत आया था? - doosara purtagaalee kaun tha jo bhaarat aaya tha?

विषयसूची

  • 1 पुर्तगाल देश का नया नाम क्या है?
  • 2 पुर्तगाल में कौन सी भाषा बोली जाती है?
  • 3 पुर्तगाल कैसे जाएं?
  • 4 पुर्तगाली सामुद्रिक साम्राज्य को क्या नाम दिया गया था?
  • 5 पुर्तगाली कौन थे इन हिंदी?
  • 6 भारत आने वाला दूसरा पुर्तगाली कौन था?

पुर्तगाल देश का नया नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकें1999से पूर्व: एस्क्यूडो. पुर्तगाली गणराज्य यूरोप खंड में स्थित देश है। यह देश स्पेन के साथ आइबेरियन प्रायद्वीप बनाता है।

पुर्तगाल में कौन सी भाषा बोली जाती है?

इसे सुनेंरोकेंपुर्तगाली भाषा (पुर्तगाली : Língua Portuguesaपोर्तुगेस, पोर्तुगेश) एक यूरोपीय भाषा है। ये मूल रूप से पुर्तगाल की भाषा है और इसके कई भूतपूर्व उपनिवेशों में भी बहुमत भाषा है, जैसे ब्राज़ील। ये हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की रोमांस शाखा में आती है।

पुर्तगाली की राजधानी क्या है?

लिस्बनपुर्तगाल / राजधानीलिस्बन युरोप में पुर्तगाल देश की राजधानी है। विकिपीडिया

भारत आने वाला प्रथम पुर्तगाली कौन था?

इसे सुनेंरोकेंपुर्तगाली 17 मई 1498 को पुर्तगाल का वास्को-डी-गामा भारत के तट पर आया जिसके बाद भारत आने का रास्ता तय हुआ। वास्को डी गामा की सहायता गुजराती व्यापारी अब्दुल मजीद ने की । उसने कालीकट के राजा जिसकी उपाधि ‘जमोरिन’थी से व्यापार का अधिकार प्राप्त कर लिया पर वहाँ सालों से स्थापित अरबी व्यापारियों ने उसका विरोध किया।

पुर्तगाल कैसे जाएं?

पुर्तगाल के लिए वीज़े स्पष्ट

  • आपके लिए सही वीज़ा मांगें; जिस देश में आप रह रहे हैं,उसी देश में से वीज़ा लेने की प्रक्रिया शुरू करें और अपने नियमित अधिकारों का आनंद लेते हुए और आपके लिए सही प्रक्रिया की गारंटी के साथ पुर्तगाल में प्रवेश करें
  • कार्य वीज़ा (वर्क वीज़ा)
  • आवश्यकताएं
  • वीजा D2 उद्यमी
  • छात्र वीज़ा
  • पुर्तगाली सामुद्रिक साम्राज्य को क्या नाम दिया गया था?

    इसे सुनेंरोकेंपुर्तगाली सामुद्रिक साम्राज्य को एस्तादो द इंडिया नाम दिया गया। वास्कोडिगामा के बाद भारत आने वाला दूसरा पुर्तगाली यात्री पेड्रो अल्ब्रेज कैब्राल ( 1500 ई.) था।

    पुर्तगाली भाषा कैसे सीखें?

    इसे सुनेंरोकेंLinGo Play से पुर्तगाली सीखें यह कोई रहस्य नहीं है कि प्रेरित रहना पुर्तगाली भाषा सीखने के लिए महत्वपूर्ण है। प्रेरित बने रहना लोगों द्वारा भाषा में सफलता पाने का सबसे मुख्य कारण है, और साथ ही यह कुछ लोगों की विफलता का भी कारण है। LinGo Play अध्यायों के साथ अपनी पुर्तगाली शब्दावली को बेहतर बनाइये!

    भारत में पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक कौन था?

    इसे सुनेंरोकें1509 ई में फ्रांसिस्को दे अल्मीडा की जगह अल्बुकर्क भारत में पुर्तगाली गवर्नर बनकर आया जिसने 1510 ई. में बीजापुर के सुल्तान से गोवा को अपने कब्जे में ले लिया। उसे भारत में पुर्तगाली शक्ति का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।

    पुर्तगाली कौन थे इन हिंदी?

    इसे सुनेंरोकेंपुर्तगाली पहले यूरोपीय थे जिन्होंने भारत तक सीधे समुद्री मार्ग की खोज की। 20 मई 1498 को पुर्तगाली नाविक वास्को-डी-गामा कालीकट पहुंचा, जो दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थित एक महत्वपूर्ण समुद्री बंदरगाह है । 1505 ई में फ्रांसिस्को दे अल्मीडा को भारत का पहला पुर्तगाली गवर्नर बनाया गया।

    भारत आने वाला दूसरा पुर्तगाली कौन था?

    इसे सुनेंरोकेंवास्कोडिगामा के बाद भारत आने वाला दूसरा पुर्तगाली यात्री पेड्रो अल्ब्रेज कैब्राल था। जो 1500 ईसवी में यहां आया। वास्कोडिगामा भी दूसरी बार 1502 में यहां आया।

    भारत में सबसे पहले कौन आए थे?

    इसे सुनेंरोकेंभारत पहुचने वालों में पुर्तगाली सबसे पहले थे इसके बाद डच आए और डचों ने पुर्तगालियों से कई लड़ाईयाँ लड़ीं। भारत के अलावा श्रीलंका में भी डचों ने पुर्तगालियों को खडेड़ दिया।

    पुर्तगाल का वीजा कैसे लगाएं?

    वीजा के लिए आवेदन

    1. अपने वीजा प्रकार की पहचान करें।
    2. अपना आवेदन शुरू करें।
    3. अपॉइंटमेंट (नियुक्ति) बुक करें।
    4. शुल्क का भुगतान करें।
    5. वीजा आवेदन सेंटर पर जाएं।
    6. आवेदन को ट्रैक करें।
    7. अपना पासपोर्ट लीजिए।

    भारत में पुर्तगाली

    पुर्तगाली उपनिवेश की स्थापना

    पुर्तगाली पहले यूरोपीय थे जिन्होंने भारत तक सीधे समुद्री मार्ग की खोज की । 20 मई 1498 को पुर्तगाली नाविक वास्को-डी-गामा कालीकट पहुंचा, जो दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थित एक महत्वपूर्ण समुद्री बंदरगाह है। स्थानीय राजा जमोरिन ने उसका स्वागत किया और कुछ विशेषाधिकार प्रदान किये। भारत में तीन महीने रहने के बाद वास्को-डी-गामा सामान से लदे एक जहाज के साथ वापस लौट गया और उस सामान को उसने यूरोपीय बाज़ार में अपनी यात्रा की कुल लागत के साठ गुने दाम में बेचा। 1501 ई.में वास्को-डी-गामा दूसरी बार फिर भारत आया और उसने कन्नानौर में एक व्यापारिक फैक्ट्री स्थापित की। व्यापारिक संबंधों की स्थापना हो जाने के बाद भारत में कालीकट, कन्नानौर और कोचीन प्रमुख पुर्तगाली केन्द्रों के रूप में उभरे। अरब व्यापारी, पुर्तगालियो की सफलता और प्रगति से जलने लगे और इसी जलन ने स्थानीय राजा जमोरिन और पुर्तगालियो के बीच शत्रुता को जन्म दिया। यह शत्रुता इतनी बढ़ गयी कि उन दोनों के बीच सैन्य संघर्ष की स्थिति पैदा हो गयी। राजा जमोरिन को पुर्तगालियों ने हरा दिया और इसी जीत के साथ पुर्तगालियों की सैनिक सर्वोच्चता स्थापित हो गयी।

    भारत में पुर्तगाली शक्ति का उदय

    1505 ई में फ्रांसिस्को दे अल्मीडा को भारत का पहला पुर्तगाली गवर्नर बनाया गया। उसकी नीतियों को ब्लू वाटर पालिसी कहा जाता था क्योकि उनका मुख्य उद्देश्य हिन्द महासागर को नियंत्रित करना था। 1509 ई में फ्रांसिस्को दे अल्मीडा की जगह अल्बुकर्क भारत में पुर्तगाली गवर्नर बनकर आया जिसने 1510 ई.में बीजापुर के सुल्तान से गोवा को अपने कब्जे में ले लिया। उसे भारत में पुर्तगाली शक्ति का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। बाद में गोवा भारत में पुर्तगाली बस्तियों का मुख्यालय बन गया। तटीय क्षेत्रों पर पकड़ और नौसेना की सर्वोच्चता ने भारत में पुर्तगालियों के स्थापित होने में काफी मदद की ।16 वीं सदी के अंत तक पुर्तगालियों ने न केवल गोवा,दमन,दीव और सालसेट पर कब्ज़ा कर लिया बल्कि भारतीय तट के सहारे विस्तृत बहुत बड़े क्षेत्र को भी अपने प्रभाव में ले लिया।

    पुर्तगाली शक्ति का पतन

    भारत में पुर्तगाली शक्ति अधिक समय तक टिक नहीं सकी क्योकि नए यूरोपीय व्यापारिक प्रतिद्वंदियों ने उनके सामने चुनौती पेश कर दी। विभिन्न व्यापारिक प्रतिद्वंदियों के मध्य हुए संघर्ष में पुर्तगालियों को अपने से शक्तिशाली और व्यापारिक दृष्टि से अधिक सक्षम प्रतिद्वंदी के समक्ष समर्पण करना पड़ा और धीरे धीरे वे सीमित क्षेत्रों तक सिमट कर रह गए।

    पुर्तगाली शक्ति के पतन के मुख्य कारण

    भारत में पुर्तगाली शक्ति के पतन के प्रमुख कारणों में निम्नलिखित शामिल है-पुर्तगाल एक देश के रूप में इतना छोटा था कि वह अपने देश से दूर स्थित व्यापारिक कॉलोनी के भार को वहन नही कर सकता था।उनकी समुद्री डाकुओं के रूप में प्रसिद्धि ने स्थानीय शासकों के मन में उनके विरुद्ध शत्रुता का भाव पैदा कर दिया।पुर्तगालियो की कठोर धार्मिक नीति ने उन्हें भारत के हिन्दू और मुसलमानों दोनों से दूर कर दिया।इसके अतिरिक्त डच और ब्रिटिशो के भारत में आगमन ने भी पुर्तगालियो के पतन में योगदान दिया।विडंबना यह है कि पुर्तगाली शक्ति, जो भारत में सबसे पहले आने वाली यूरोपीय शक्ति थी ,वही 1961 ई.में भारत से लौटने वाली अंतिम यूरोपीय शक्ति भी थी, जब भारत सरकार ने गोवा ,दमन और दीव को उनसे पुनः अपने कब्जे में ले लिया।

    भारत को पुर्तगालियो की देन

    उन्होंने भारत में तंबाकू की कृषि आरंभ की।उन्होंने भारत के पश्चिमी और पूर्वी तट पर कैथोलिक धर्म का प्रसार किया।उन्होंने 1556 ई.में गोवा में भारत की पहली प्रिंटिग प्रेस की स्थापना की। द इंडियनमेडिसनल प्लांट्स पहला वैज्ञानिक कार्य था जिसका प्रकाशन 1563 ई.में गोवा से किया गया ।सर्वप्रथम उन्होंने ही कार्टेज प्रणाली के माध्यम से यह बताया कि कैसे समुद्र और समुद्री व्यापार पर सर्वोच्चता स्थापित की जाए। इस प्रणाली के तहत कोई भी जहाज अगर पुर्तगाली क्षेत्रोँ से गुजरता है तो उसे पुर्तगालियों से परमिट लेना पडेगा अन्यथा उन्हें पकड़ा जा सकता है।वे भारत और एशिया में ईसाई धर्म का प्रचार करने वाले प्रथम यूरोपीय थे।

    भारत आने वाला दूसरा पुर्तगाली कौन था?

    वास्कोडिगामा के बाद भारत आने वाला दूसरा पुर्तगाली यात्री पेड्रो अल्ब्रेज कैब्राल था। जो 1500 ईसवी में यहां आया। वास्कोडिगामा भी दूसरी बार 1502 में यहां आया। पूर्वी जगत के काली मिर्च और मसालों के व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त करने के उद्देश्य से पुर्तगालियों ने 1503 में कोचीन में अपने पहले दुर्ग की स्थापना की।

    भारत आने वाला प्रथम पुर्तगाली यात्री कौन था?

    17 मई 1498 को पुर्तगाल का वास्को-डी-गामा भारत के तट पर आया जिसके बाद भारत आने का रास्ता तय हुआ। वास्को डी गामा की सहायता गुजराती व्यापारी अब्दुल मजीद ने की ।

    भारत पहुंचने वाला पहला नाम कौन था?

    वास्‍को डी गामा, एक ऐसा नाम है जिसको भारत की खोज करने का श्रेय दिया जाता है। इस खोज के पीछे उसका मकसद पूरी तरह से व्‍यापारिक था। अपनी लंबी यात्रा के दौरान वो पहली बार 20 मई को 1498 को भारत के दक्षिण में कालीकट पहुंचा था

    भारत में दो पुर्तगाली उपनिवेश कौन से थे?

    1501 ई. में वास्को-डी-गामा दूसरी बार फिर भारत आया और उसने कन्नानौर में एक व्यापारिक फैक्ट्री स्थापित की। व्यापारिक संबंधों की स्थापना हो जाने के बाद भारत में कालीकट, कन्नानौर और कोचीन प्रमुख पुर्तगाली केन्द्रों के रूप में उभरे।

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