श्रीलंका (आधिकारिक नाम श्रीलंका समाजवादी जनतांत्रिक गणराज्य) दक्षिण एशिया में हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में स्थित एक द्वीपीय देश है। भारत के दक्षिण में स्थित इस देश की दूरी भारत से मात्र ३१ किलोमीटर है। १९७२ तक इसका नाम सीलोन (अंग्रेजी:Ceylon) था, जिसे १९७२ में बदलकर लंका तथा १९७८ में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द "श्री" जोड़कर श्रीलंका कर दिया गया। श्रीलंका का सबसे बड़ा नगर कोलम्बो समुद्री परिवहन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण बन्दरगाह है। श्रीलंका में भारत-यूरोपीय, द्रविड़ और ऑस्ट्रोनियन परिवारों के भीतर कई भाषाएं बोली जाती हैं। श्रीलंका सिंहली और तमिल को आधिकारिक दर्जा देता है। द्वीप राष्ट्र पर बोली जाने वाली भाषा पड़ोसी भारत, मालदीव और मलेशिया की भाषाओं से गहराई से प्रभावित होती है। अरब बसने वालों और पुर्तगाल, नीदरलैंड और ब्रिटेन की औपनिवेशिक शक्तियों ने श्रीलंका में आधुनिक भाषाओं के विकास को भी प्रभावित किया है।[1]
बोली भाषा[संपादित करें]
2016 तक, सिंहला भाषा ज्यादातर सिंहली लोगों द्वारा बोली जाती है, जो राष्ट्रीय आबादी का लगभग 74.9% और कुल 16.6 मिलियन है। यह सिंहला अबुगिदा लिपि का उपयोग करता है, जो प्राचीन ब्रह्मी लिपि से लिया गया है। सिंधला की बोलीभाषा रोडिया भाषा, चोडोदी वेदहास के निम्न जाति समुदाय द्वारा बोली जाती है। माना जाता है कि वेदहा लोग 2002 में केवल 2,500 थे, माना जाता है कि एक बार एक अलग भाषा बोली जाती है, तमिल भाषा श्रीलंकाई तमिलों के साथ-साथ पड़ोसी भारतीय राज्य तमिलनाडु के तमिल प्रवासियों और अधिकांश श्रीलंकाई मूरों द्वारा बोली जाती है। तमिल वक्ताओं की संख्या लगभग 4.7 मिलियन है। श्रीलंकाई क्रेओल मलय भाषा के 50,000 से अधिक वक्ताओं हैं, जो मलय भाषा से काफी प्रभावित हैं।[2]
विदेशी प्रभाव की भाषाएं[संपादित करें]
श्रीलंका में अंग्रेजी आबादी के लगभग 10% द्वारा स्पष्ट रूप से बोली जाती है, और व्यापक रूप से आधिकारिक और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती है। यह लगभग 74,000 लोगों की मूल भाषा है, मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में। पुर्तगाली मूल के 3,400 लोगों में से एक मुट्ठी भर श्रीलंकाई पुर्तगाली बोलते हैं। श्रीलंका में मुस्लिम समुदाय व्यापक रूप से धार्मिक उद्देश्यों के लिए अरबी का उपयोग करता है।[3] शायद ही कभी इस्तेमाल किया जाता है अरवी, तमिल का एक लिखित रजिस्टर है जो अरबी लिपि का उपयोग करता है और अरबी से व्यापक व्याख्यात्मक प्रभाव पड़ता है।[4]
संदर्भ[संपादित करें]
- ↑ "South Asia ::SRI LANKA". CIA The World Factbook. मूल से 26 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 नवंबर 2018.
- ↑ Veddah at Ethnologue (18th ed., 2015)
- ↑ Indo-Portuguese (Sri Lanka) at Ethnologue (18th ed., 2015)
- ↑ "Sri Lanka – language". मूल से 26 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 June 2014.
සිංහල सिंहल | ||
| ||
श्री लंका | ||
2007 | ||
16 million | ||
हिन्द-यूरोपीय
| ||
Vedda (perhaps a creole) | ||
Sinhala alphabet Sinhalese Braille (Bharati Braille) | ||
कोई संगठन नहीं | ||
si | ||
sin | ||
sin | ||
59-ABB-a | ||
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सिंहली भाषा श्रीलंका में बोली जाने वाली सबसे बड़ी भाषा
है।[1] [2] सिंहली के बाद श्रीलंका में सबसे ज्यादा बोली जानेवाली भाषा
तमिल है। प्राय: ऐसा नहीं होता कि किसी देश का जो नाम हो, वही उस देश में बसने वाली जाति का भी हो और वही नाम उस जाति द्वारा व्यवहृत होने वाली भाषा का भी हो। सिंहल द्वीप की यह विशेषता है कि उसमें बसने वाली जाति भी "सिंहल" कहलाती चली आई है और उस जाति द्वारा व्यवहृत होने वाली भाषा भी "सिंहल" है।
लिपि[संपादित करें]
अनेक भारतीय भाषाओं की लिपियों की तरह सिंहल भाषा की लिपि भी ब्राह्मी लिपि का ही परिवर्तित विकसित रूप हैं।
सिंहल भाषा को दो रूप मान्य हैं - (1) शुद्ध सिंहल तथा (2) मिश्रित सिंहल
शुद्ध सिंहल को केवल बत्तीस अक्षर मान्य रहे हैं-
अ, आ, ऍ, ऐ, इ, ई, उ, ऊ, ऒ, ओ, ऎ, ए क, ग ज ट ड ण त द न प ब म य र ल व स ह क्ष अं।सिंहल के प्राचीनतम व्याकरण ग्रन्थ सिदत्संगरा (Sidatsan̆garā (1300 AD)) का मत है कि ऍ तथा ऐ -- अ, तथा आ की ही मात्रा वृद्धि वाली मात्राएँ हैं।
वर्तमान मिश्रित सिंहल ने अपनी वर्णमाला को न केवल पाली वर्णमाला के अक्षरों से समृद्ध कर लिया है, बल्कि संस्कृत वर्णमाला में भी जो और जितने अक्षर अधिक थे, उन सब को भी अपना लिया है। इस प्रकार वर्तमान मिश्रित सिंहल में अक्षरों की संख्या चौवन (54) है। अट्ठारह अक्षर "स्वर" तथा शेष छत्तीस अक्षर व्यंजन माने जाते हैं।
व्याकरण[संपादित करें]
दो अक्षर (पूर्व अक्षर तथा पर अक्षर) जब मिलकर एकरूप होते हैं, तो यह प्रक्रिया "संधि" कहलाती है। शुद्ध सिंहल में संधियों के केवल दस प्रकार माने गए हैं। किंतु आधुनिक सिंहल में संस्कृत शब्दों की संधि अथवा संधिच्छेद संस्कृत व्याकरणों के नियमों के ही अनुसार किया जाता है।
"एकाक्षर" अथवा "अनेकाक्षरों" के समूह पदों को भी संस्कृत की ही तरह चार भागों में विभक्त किया जाता है - नामय, आख्यात, उपसर्ग तथा निपात।
सिंहल में हिंदी की ही तरह दो वचन होते हैं - "एकवचन" तथा "बहुवचन"। संस्कृत की तरह एक अतिरिक्त "द्विवचन" नहीं होता। इस "एकवचन" तथा "बहुवचन" के भेद को संख्या भेद कहते हैं।
जिस प्रकार "वचन" को लेकर "हिंदी" और "सिंहल" का साम्य है उसी प्रकार हम कह सकते हैं कि "लिंग" के विषय में भी हिंदी और शुद्ध सिंहल समानधर्मा है। पुरुष तीन ही हैं - प्रथम पुरुष, मध्यम पुरुष तथा उत्तम पुरुष। तीनों पुरुषों में व्यवहृत होने वाले सर्वनामों के आठ कारक हैं, जिनकी अपनी-अपनी विभक्तियाँ हैं। "कर्म" के बाद प्राय: "करण" कारक की गिनती होती है, किंतु सिंहल के आठ कारकों में "कर्म" तथा "करण" के बीच में "कर्तृ" कारक की गिनती की जाती है। "संबोधन" कारक नहीं होने से "कर्तृ" कारक के बावजूद कारकों की गिनती आठ ही रहती है।
वाक्य का मुख्यांश "क्रिया" को ही मानते हैं, क्योंकि क्रिया के अभाव में कोई भी कथन बनता ही नहीं है। यों सिंहल व्याकरण अधिकांश बातों में संस्कृत की अनुकृति मात्र है। तो भी उसमें न तो संस्कृत की तरह "परस्मैपद" तथा "आत्मनेपद" होते हैं और न लट् लोट् आदि दस लकार। सिंहल में
क्रियाओं के ये आठ प्रकार माने गए हैं-
(5) आशीर्वाद क्रिया, (6) असंभाव्य, (7) पूर्व क्रिया, तथा (8) मिश्र क्रिया।
सिंहल भाषा बोलने-चालने के समय हमारी भोजपुरी आदि बोलियों की तरह प्रत्ययों की दृष्टि से बहुत ही आसान है, किंतु लिखने-पढ़ने में उतनी ही दुरूह। बोलने-चालने में यनवा (या गमने) क्रियापद से ही जाता हूँ, जाते हैं, जाता है, जाते हो, (वह) जाता है, जाते हैं इत्यादि ही नहीं, जाएगा, जाएंगे आदि सभी क्रियास्वरूपों का काम बन जाता है।
लिंगभेद हिंदी के विद्यार्थियों के लिए टेढ़ी खीर माना जाता है। सिंहल भाषा इस दृष्टि से बड़ी सरल है। वहाँ "अच्छा" शब्द के समानार्थी "होंद" शब्द का प्रयोग आप "लड़का" तथा "लड़की" दोनों के लिए कर सकते हैं।
प्रत्येक भाषा के मुहावरे उसके अपने होते हैं। दूसरी भाषाओं में उनके ठीक-ठीक पर्याय खोजना बेकार है। तो भी अनुभव साम्य के कारण दो भिन्न जातियों द्वारा बोली जाने वाली दो भिन्न भाषाओं में एक जैसी मिलती-जुलती कहावतें उपलब्ध हो जाती हैं। सिंहल तथा हिंदी के कुछ मुहावरों तथा कहावतों में पर्याप्त एकरूपता है।
सिंहल-भाषा एवं साहित्य का इतिहस[संपादित करें]
उत्तर भारत की एक से अधिक भाषाओं से मिलती-जुलती सिंहल भाषा का विकास उन शिलालेखों की भाषा से हुआ है जो ई. पू. दूसरी तीसरी शताब्दी के बाद से लगातार उपलब्ध है।
भगवान बुद्ध के परिनिर्वाण के दो सौ वर्ष बाद अशोकपुत्र महेंद्र सिंहल द्वीप पहुँचे, तो "महावंश" के अनुसार उन्होंने सिंहल द्वीप के लोगों को द्वीप भाषा में ही उपदेश दिया था। महामति महेंद्र अपने साथ "बुद्धवचन" की जो परंपरा लाए थे, वह मौखिक ही थी। वह परंपरा या तो बुद्ध के समय की "मागधी" रही होगी, या उनके दो सौ वर्ष बाद की कोई ऐसी "प्राकृत" जिसे महेंद्र स्थविर स्वयं बोलते रहे होंगे। सिंहल इतिहास की मान्यता है कि महेंद्र स्थविर अपने साथ न केवल त्रिपिटक की परंपरा लाए थे, बल्कि उनके साथ उसके भाष्यों अथवा उसकी अट्ठकथाओं की परंपरा भी। उन अट्ठकथाओं का बाद में सिंहल अनुवाद हुआ। वर्तमान पालि अट्ठकथाएँ मूल पालि अट्ठकथाओं के सिंहल अनुवादों के पुन: पालि में किए गए अनुवाद हैं।
कुछ प्रमुख सिंहल शब्द और उनके अर्थ[संपादित करें]
गिया -- गया | ऍन्गिलल -- अंगुलू | ऍन्ग -- शरीर | नगरय -- शहर |
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "Census of Population and Housing 2011" Archived 2017-04-28 at the Wayback Machine. www.statistics.gov.lk. Retrieved 2017-04-06.
- ↑ "Sinhala" Archived 2018-06-12 at the Wayback Machine. Ethnologue. Retrieved 2017-04-06
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- सिंहल लिपि
- सिंहल साहित्य
- हेलु भाषा (सिंहल प्राकृत)
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- हिंदी-सिंहल वार्तालाप पुस्तिका
- Technical Glossary of Sinhala (from dept of Official languages)
- Technical Terms in Sinhala -mainly for Computer science, nanotechnology and quantum physics
- Language Technology Research LaboratoryUniversity of Colombo School of Computing
- सिंहल ब्लॉग संकलक
- हिन्दी-सिंहल-हिन्दी आनलाइन शब्दकोश
- Similarities between "Aryan" Sinhala and "Dravidian" Tamilstarted by Ponniyin Selvan[मृत कड़ियाँ]