संयुक्त राज्य अमेरिका और अमेरिका में क्या अंतर है? - sanyukt raajy amerika aur amerika mein kya antar hai?

सार


लोकतंत्र, समानता, स्वाधीनता और न्याय के सिद्धांत अमेरिकी संविधान और समाज की नींव हैं। यह बिना किसी पूर्वाग्रह के अपने सभी नागरिकों को स्वतंत्रता की गारंटी देता है। फिर भी, अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय व्यवस्थित नस्लीय असमानताओं और अन्याय से जूझ रहा है। जहाँ दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश कोविड-19 महामारी से लड़ रहा है, वहीं जॉर्ज फ्लॉयड, एक अश्वेत अमेरिकी की श्वेत अधिकारियों द्वारा हत्या के मामले में सामाजिक और नस्लीय अशांति की अंतर्धारा को सामने लाकर खड़ा कर दिया है। राष्ट्रपति ट्रम्प की प्रतिक्रिया ने समाज को विभाजित किया है और अमेरिकी लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवाल उठाए हैं। यह पेपर अमेरिकी समाज में अपनी गहरी जड़ें बना चुकी प्रचलित और संरचनात्मक नस्लीय पक्षपात के कुछ पहलुओं को उजागर करता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में अफ्रीकी अमेरिकियों के नस्लीय भेदभाव और अलगाव का एक लंबा इतिहास रहा है, जिसका उपयोग बहुसंख्यक श्वेत आबादी द्वारा नियंत्रण और शक्ति प्रक्षेपण के साधन के रूप में किया गया है। इस अलगाव को समाप्त करने का आंदोलन सफल रहा लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका नस्लीय असमानताओं और अफ्रीकी अमेरिकियों और अन्य रंग के लोगों के लिए अवसरों की कमी वाला एक नस्लीय रूप से संरचित समाज बना हुआ है। ‘एक बड़ा अंतर - शिक्षा, आय, धन, स्वास्थ्य और न्याय में – विशेष रूप से श्वेत और अश्वेत अमेरिकियों के बीच बना हुआ है, जिनकी गुलामी का इतिहास, कानूनी अलगाव और राज्य द्वारा अनुमोदित आतंकवाद आंशिक रूप से समाज में उनकी कलंकित स्थिति के लिए जिम्मेदार है।'i पुलिस की बर्बरता के परिणामस्वरूप श्री जॉर्ज फ्लॉयड की हालिया मृत्यु संयुक्त राज्य में नस्लीय हिंसा के लंबे इतिहास को दर्शाती है। ‘श्री फ्लोयड की मौत छह हफ्ते बाद हुई जब लुईसविले, केंटकी में पुलिस ने 26 वर्षीय अश्वेत महिला ब्रियोना टेलर को आधी रात के “नो-नॉक” छापे के दौरान मार दिया था। यह घटना एक 25 वर्षीय अश्वेत व्यक्ति अहमद आर्बरी की हत्या के 10 सप्ताह बाद हुई, जिसकी एक श्वेत पिता और बेटे ने एक पिकअप ट्रक से पीछा करके हत्या कर दी थी, तब जब वह ग्लिन काउंटी, जॉर्जिया में अपने पड़ोस में जॉगिंग कर रहा था’ii और यह घटना क्रिश्चियन कूपर पर न्यूयॉर्क शहर के एक पार्क में एक श्वेत महिला द्वारा उत्पीड़न का झूठा आरोप लगाकर धमकाने की वारदात के बाद हुई थी।एक ऐसी महामारी के दौरान जिसने अफ्रीकी अमेरिकियों को असमान रूप से प्रभावित किया है और नस्लीय असमानताओं को सामने लेकर आया है, इन घटनाओं के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका में व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और सामाजिक अशांति फैली है। इसके जवाब में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने शहरों में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना को बुलाने की धमकी दी। व्हाइट हाउस में एक बयान में उन्होंने कहा, “... मैं सभी उपलब्ध संघीय संसाधनों - नागरिक और सैन्य को जुटा रहा हूं - दंगा और लूटपाट रोकने के लिए, विनाश और आगजनी को समाप्त करने के लिए ... यदि कोई शहर या राज्य अपने निवासियों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करने के लिए आवश्यक कार्य करने से इनकार करता है, तो मैं संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना को वहां तैनात कर दूंगा और उनके लिए जल्द ही समस्या का समाधान कर दूंगा”।iii राष्ट्रपति ट्रम्प ने प्रदर्शनकारियों को “... पेशेवर अराजकतावादी, हिंसक भीड़, आगजनी, लुटेरे, अपराधी, दंगाई, एंटीफा आदि कहा”। iv संयुक्त राज्य अमेरिका ने खुद को लोकतंत्र और न्याय के बीकन के रूप में देखा है और अमेरिकी संविधान के अधीन लोगों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार आरक्षित है।v बहरहाल, बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए सैन्य बल का उपयोग करने की राष्ट्रपति की इच्छा ने राज्य के राज्यपालों और सैन्य कर्मियों- सेवारत और सेवानिवृत्त दोनों को चिंतित कर दिया है। इन कार्रवाइयों के कारण चीन, ईरान, उत्तर कोरिया, रूस और वेनेजुएला की राष्ट्रीय सरकारों ने संयुक्त राज्य अमेरिका के पाखंड पर सवाल उठाया है, जिन पर संयुक्त राज्य अमेरिका लम्बे समय से अलोकतांत्रिक व्यवहार और भारी बल द्वारा ‘लोगों के विरोध प्रदर्शन और अपने विचार सामने रखने’ को दबाने का आरोप लगता आया था।दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र पहले से ही एक विश्वास-अभाव का सामना कर रहा है, और अब उस पर दोहरे नैतिक सिद्धांत अपनाने का आरोप लगाया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है लेकिन सवाल यह है कि क्या अमेरिका अपनी राष्ट्रीय चेतना के भीतर इस विश्वास-अभाव को दूर कर पाएगा। यह पेपर अमेरिका के लोकतंत्र, समानता और स्वाधीनता और न्याय के सिद्धांतों की जड़ों को खोखला कर चुकी नस्लीय असमानताओं की समीक्षा करता है। ये सिद्धांत अमेरिकी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन की नींव हैं। और फिर भी, कई अश्वेत अमेरिकियों को लगता है कि नस्ल की असमानताएं इतनी व्यवस्थित हो गई हैं कि वे अदृश्य हो चुकी हैं और अब नीति निर्माताओं के बीच बहस का विषय नहीं रही हैं।अमेरिकी लोकतंत्र: संकट में मताधिकार‘एक व्यक्ति एक वोट' का सिद्धांत लोकतंत्रों की नींव है। ‘लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग लेने में असमर्थता राजनीतिक शक्ति - साझा मूल्यों के साथ उम्मीदवारों का चुनाव करने की शक्ति और सार्वजनिक नीति प्राथमिकताओं को अधिनियमित करने की शक्ति - की त्रुटी में बदल जाती है। नागरिक अधिकार आंदोलन के कई ऐतिहासिक विधायी जीत के मध्य, वोटिंग राइट्स एक्ट, 1965 (वीआरए) और इसके बाद के संशोधन… कई रंग के लोगों के लिए बैलेट बॉक्स तक पहुंच बढ़ाते हैं।’vi हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका में अश्वेत अमेरिकियों के मतदान के अधिकार को रोकने के लिए राज्यों द्वारा व्यवस्थित प्रयास किए गए हैं। कैलिफोर्निया, फ्लोरिडा, उत्तरी केरोलिना, नेवादा और मिसिसिपी जैसे राज्यों में ऐसे बिल लागू हैं जो मतदाताओं के लिए पंजीकरण करवाना मुश्किल बनाता है। ऐसे कई राज्य हैं जहाँ मतदान देने के लिए मतदाता पहचान पत्र की आवश्यकता होती है जिसमें श्वेत लोगों की पहचान को अनुपातहीन रूप से मान्यता दी जाती है और इनमें अफ्रीकी अमेरिकियों की पहचान को शामिल नहीं किया जाता है। इसी तरह पहचान पत्र की सख्त आवश्यकता से अमेरिका के आदिवासी मतदाताओं और अन्य रंग के अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को बाहर रखा गया है।अश्वेत अमेरिकियों के लिए समस्या का एक और विषय है कि कोई अपराध करने पर वे अपना मताधिकार खो देते हैं, जिसकी वजह से ऐसे छोटे-मोटे अपराध के कारण वे अपने मताधिकार से वंचित हो जाते हैं, जिसका चुनावी प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं है। ये कानून उन लोगों को मताधिकार से वंचित करता है जिनका अपराध अतीत में साबित हुआ था और अधिकार पुनःस्थापन प्रथाएं अलग-अलग राज्यों के लिए भिन्न हैं। इकतीस राज्य अपने समुदाय के लोगों को केवल उनके अतीत की अपराध सिद्धि के आधार पर मतदान करने से रोक देते हैं। लेकिन आयोवा एकमात्र ऐसा राज्य है जो उन लोगों को आजीवन मताधिकार से वंचित रखता है जिनका अपराध साबित हो चुका है, और ऐसा तब तक रहता है जब तक सरकार व्यक्तिगत अधिकार पुनःस्थापन को मंजूरी नहीं देती’।vii अपराध मताधिकार वंचन नीति रंग वाले अन्य समुदायों को अनुपातहीन रूप से प्रभावित करती है। मतदान की आयु वाले अश्वेत अमेरिकियों का अन्य वयस्क आबादी की तुलना में मताधिकार खोने की संभावना चार गुना है, जिसके तहत राष्ट्रीय स्तर पर हर 13 अश्वेत वयस्कों में से एक को मताधिकार से वंचित किया गया है। 2016 तक, चार राज्यों – फ्लोरिडा (21 प्रतिशत), केंटकी (26 प्रतिशत), टेंनेसी (21 प्रतिशत), और वर्जिनिया (22 प्रतिशत) – में पांच अश्वेत वयस्कों में से एक से अधिक लोगों को मताधिकार से वंचित किया गया है। कुल मिलाकर, 2.2 मिलियन अश्वेत नागरिकों को मतदान करने से रोका गया है। वर्तमान में कैद या जेल में बंद लोग, कुल मताधिकार वंचित आबादी के अल्पसंख्यक का प्रतिनिधित्व करते हैं। वास्तव में, 77 प्रतिशत मताधिकार वंचित लोग परिवीक्षा या पैरोल पर्यवेक्षण के तहत या अपनी सजा पूरी करने के बाद इन समुदायों में रहते हैं।’viii

चित्र एक


स्रोत: //www.brennancenter.org/our-work/research-reports/criminal-disenfranchisement-laws-across-united-states


‘वाशिंगटन डी. सी., प्यूर्टो रिको, अमेरिकी वर्जिन द्वीप समूह, गुआम, उत्तरी मारियाना द्वीप समूह और अमेरिकी समोआ में रहने वाले अमेरिकी वयस्कों को पूर्ण मताधिकार नहीं मिलते हैं। 2016 में, 3.4 मिलियन अमेरिकी-जिनमें से अधिकांश अश्वेत हैं – वाशिंगटन डी.सी. या किसी अमेरिकी क्षेत्र में उनके निवास के कारण मतपत्र नहीं डाल पाए थे।’ix इन सभी कदमों ने सुनिश्चित किया है कि अश्वेत अमेरिकी अपने उन लोकतांत्रित अधिकारों का प्रयोग करने में सक्षम न हों, जो अमेरिकी संविधान ने अमेरिका के सभी नागरिकों को दिया है।
()समानता और नस्ल का सवालनस्लीय असमानता अमेरिका में रोज़ाना की एक वास्तविकता है। अश्वेत अमेरिकियों के साथ गलत तरीके से व्यवहार किया जाता रहा है और एक आम श्वेत अमेरिकी की उन्हें तुलना में खतरे के रूप में देखा जाता है।इस प्रणालीगत नस्लवाद ने अश्वेत अमेरिकियों के लिए सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा हासिल करना मुश्किल बना दिया है। उदाहरण के लिए, अश्वेत अमेरिकियों को वर्तमान कोविड-19 महामारी में उच्च मृत्यु दर का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे निम्न आय वाले कामगार की अनुपातहीन श्रेणी में आते हैं जिन्हें कोई सामाजिक सुरक्षा या स्वास्थ्य बीमा प्राप्त नहीं है या कम से कम प्राप्त है। निम्न आय के कारण, उन्हें अपने स्वास्थ्य जोखिमों के बावजूद काम करना पड़ता है। इनमें से ज्यादातर लोग ऐसे उद्योगों में काम करते हैं जहाँ उन्हें डिलीवरी सर्विस, कैब ड्राइवर आदि जैसे लोगों के संपर्क में रहना पड़ता है। महामारी ने उनके आमदनी को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है और वे बेरोजगार हितलाभ के लिए भी आवेदन नहीं कर सकते क्योंकि हितलाभों का दावा करने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक कागजात उनके पास नहीं होते हैं’। ‘66% लैटिनो परिवारों और 44% अश्वेत परिवारों को 38% श्वेत परिवारों की तुलना में महामारी के कारण आमदनी में नुकसान सहना पड़ा है या नौकरी से हाथ धोना पड़ा है’।x

चित्र दो


स्रोत: //www.americanprogress.org/issues/economy/reports/2019/12/05/478150/african-americans-face-systematic-obstacles-getting-good-jobs/


रोजगार के अवसरों की सामान्य कमी, संयुक्त राज्य अमेरिका में नस्लों के बीच बढ़ती धन की खाई को बढ़ा रही है। क्योंकि देश ‘बहुसंख्यक अल्पसंख्यक देश’ बना है, यानी अल्पसंख्यक समुदाय श्वेत अमेरिकियों के बजाय आबादी का एक बड़ा हिस्सा बना है, अश्वेत परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधारना अर्थव्यवस्था चलाने के लिए आवश्यक है। ‘हाल में, अधिकतर अश्वेत अमेरिकी परिवारों के पास कोई बचत नहीं है, और उनका कर्ज उनकी संपत्तियों से अधिक है। धन की कमी घरों के स्वामित्व में भी झलकती है, जहाँ अश्वेत अमेरिकी परिवार घर खरीदने या अपराध-मुक्त पड़ोस में रहने में कम समर्थ हैं। नस्लीय अलगाव ने सार्वजनिक सामानों जैसे कि किफायती घर, स्कूल, अस्पताल, पार्क आदि की पहुँच में लगातार विषमताओं को जन्म दिया है’। यहाँ तक शिक्षा में भी समानता सुनिश्चित नहीं है, जहाँ पोस्ट ग्रेजुएट अश्वेत अमेरिकी अपने श्वेत समकक्षों से 30 प्रतिशत कम कमाते हैं।xi आमदनी में असमानता, देश भर के अश्वेत समुदायों में धन निर्माण को खोखला बना रहा है और अंतर-पीढ़ी विचलता को रोकता है जिसकी वजह से गरीबी का चक्र लगातार बना हुआ है।
स्वाधीनता और न्याय: प्रणाली में पक्षपातस्वाधीनता और न्याय (समानता के साथ) अमेरिकी मूल्यों के स्तम्भ हैं, पर फिर भी नस्लीय पक्षपात के कारण सभी को इन तक समान पहुंच नहीं मिलती है। हालांकि आपराधिक न्याय प्रणाली में नस्लीय असमानता कम हो गई है, फिर भी अफ्रीकी अमेरिकियों को अक्सर पुलिस द्वारा रोक कर पूछताछ की जाती है या उन्हें गलती से अपराधी समझ लिया जाता है। कोविड -19 पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाह ने सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना अनिवार्य बना दिया है, जिसने अश्वेत अमेरिकियों के बीच चिंता पैदा कर दी है। उन्हें डर है कि यदि उन्होंने मास्क पहना, खासकर घर पर सिला मास्क तो पुलिस उनसे पक्षपात करेगी और सताएगी और संभवतः उन पर हमला कर सकती या जान ले सकती है।संयुक्त राज्य अमेरिका ने अश्वेत अमेरिकियों और रंग के लोगों के खिलाफ बढ़ती पुलिस हिंसा देखी है। ‘अफ्रीकी-अमेरिकियों के गिरफ्तार होने की संभावना दोगुनी है और पुलिस के साथ मुठभेड़ में उन पर शारीरिक बल का प्रयोग होने की संभावना चार गुना है। आज, श्वेत पुरुषों की तुलना में अश्वेत पुरुषों को उसी अपराध के लिए 19% अधिक जेल की सजा सुनाई जाती है, और अफ्रीकी अमेरिकियों को श्वेत अमेरिकियों की तुलना में पांच से अधिक बार की दर से जेल की सजा सुनाई जाती है’।xiii ‘2018 में जितने लोगों को जेल की सजा सुनाई गई थी, उनमें से एक-तिहाई हिस्सा अश्वेत अमेरिकी थे – अमेरिका की वयस्क आबादी में समग्र रूप से उनकी संख्या का लगभग तिगुना। वे अनुपातहीन संख्या में पुलिस की शूटिंग में मारे में जाते हैं’।xiiiजैसा कि ऊपर बताया गया है नस्लीय पक्षपात ने अफ्रीकी अमेरिकियों को रोजगार और घर के स्वामित्व सहित गुणवत्ता वाले आर्थिक जीवन की पहुँच से दूर रखा हुआ है। शिक्षा प्रणाली में भी असमानता फैली है, जहाँ ज्यादातर अश्वेत अमेरिकी छात्र अपने पड़ोस के अपर्याप्त वित्तपोषित और अत्यधिक नीति-नियमों वाले स्कूलों में जाते हैं।निष्कर्षसंयुक्त राज्य अमेरिका एक विविध और नस्लीय रूप से विभाजित समाज है। इसका इतिहास लम्बे समय से अश्वेत अमेरिकियों की आवाजों को दबाने और श्वेत अमेरिकियों के हाथों में धन और शक्ति जमा करने द्वारा चिन्हित है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने नस्लीय भेदभाव को समाप्त कर दिया है, फिर भी नस्लीय असमानता और पक्षपात बना हुआ है। वे संयुक्त राज्य के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन के सामाजिक नियमों और प्रथाओं में अंतर्निहित हैं। वे अश्वेत-विरोधी पूर्वाग्रह के अदृश्य प्रवर्तक बन गए हैं। नस्लीय भेदभावों के नकारात्मक प्रभाव आज बहुत अधिक दिखाई देते हैं, क्योंकि रूढ़ीवाद के नज़रिए से अश्वेतों को आज भी एक संपन्न व्यक्ति के बजाय अपराधियों और निम्न स्तर के कम आमदनी वाले मजदूरों के रूप में देखा जाता है। पिछले कुछ वर्षों में इस भेदभाव पर बहुत ध्यान दिया गया है क्योंकि अश्वेत अमेरिकियों के खिलाफ पूर्वाग्रहों ने दुनिया भर की मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है और इसे सोशल मीडिया साइटों के माध्यम से साझा किया जा रहा है। इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि जब अमेरिका के अपने लोगों को इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो वह अन्य राज्यों में होने वाले भेदभाव पर सवाल कैसे उठा सकता है।जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या ने अमेरिका में नस्लीय भेदभाव की पहले से मौजूद दरार को उजागर कर दिया है। इसकी वजह से पूरे संयुक्त राज्य में कुछ श्वेत अमेरिकियों और अन्य संजातीय अल्पसंख्यकों के समर्थन से व्यापक रूप से और लगातार विरोध प्रदर्शन हुए हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प और उनके प्रशासन की समानुभूति के अभाव ने इस खाई को और भी गहरा बना दिया है और ‘दंगा’ रुकवाने के लिए भारी सशस्त्र बलों और कानून प्रवर्तक अधिकारियों को तैनात करने के बयान ने अमेरिकी समाज को और भी विभक्त कर दिया है। राष्ट्रपति ट्रम्प को तस्वीरें खिंचवाने के लिए एक चर्च तक पैदल जाना था, इसलिए रास्ता खाली करवाने और वाइट हाउस के निकट विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए स्मोक कैनिस्टर और पेपर बॉल का उपयोग किया गया जो उनके समर्थकों की ताकत और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों से निपटने में उनकी विफलताओं को दर्शाता है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने बयान दिया कि जैसा कि कुछ लोगों की मांग है पुलिस का वित्तपोषण समाप्त करना संभव नहीं है, लेकिन उन्होंने कांग्रेस द्वारा प्रस्तुत एक पुलिस सुधार विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिया है। पर फिर भी, अश्वेत समुदाय के लोगों, सिविल सोसाइटी के कार्यकर्ताओं तक पहुँचने में उनकी अक्षमता की निंदा की गई है।जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों की तैयारी कर रहा है, यह कहना जल्दबाजी होगी कि अश्वेत अमेरिकियों की हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का इसपर कोई असर होगा या नहीं। बहरहाल, जब से जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या का मुकदमा शुरू हुआ है, यह स्पष्ट होता जा रहा है कि मतदाताओं के मन में जातिवाद एक बड़ा मुद्दा होगा।

*****

*डॉ. स्तुति बनर्जी, शोधकर्ता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली।
व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।

डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने । अंत टिप्पण

iFredrick C. Harris, “The invisible hands of racial inequality in the USA,” //en.unesco.org/inclusivepolicylab/sites/default/files/analytics/document/2019/4/wssr_2016_chap_20.pdf, Accessed on 05 June 2020

iiDeneen l. Brown, “‘It was a modern-day lynching’: Violent deaths reflect a brutal American legacy,” National Geographic, 03 June 2020, //www.nationalgeographic.com/history/2020/06/history-of-lynching-violent-deaths-reflect-brutal-american-legacy/, Accessed on 04 June 2020.

iiiThe White House, “Statement by the President,” //www.whitehouse.gov/briefings-statements/statement-by-the-president-39/, Accessed on 03 June 2020.

ivIbid.

vThe First Amendment guarantees freedoms concerning religion, expression, assembly, and the right to petition. ... It guarantees freedom of expression by prohibiting Congress from restricting the press or the rights of individuals to speak freely.

viDanyelle Solomon, Connor Maxwell, and Abril Castro, “Systematic Inequality and American Democracy,” //www.americanprogress.org/issues/race/reports/2019/08/07/473003/systematic-inequality-american-democracy/, Accessed on 03 June 2020

vii——, "Criminal Disenfranchisement Laws Across the United States,” //www.brennancenter.org/our-work/research-reports/criminal-disenfranchisement-laws-across-united-states, Accessed on 03 June 2020

viiJean Chung, “Felony Disenfranchisement: A Primer,” //www.sentencingproject.org/publications/felony-disenfranchisement-a-primer/, Accessed on 03 June 2020

ixOp.Cit 6, Danyelle Solomon, Connor Maxwell, and Abril Castro.

x——, “ Racial Economic Inequality,” //inequality.org/facts/racial-inequality/, Accessed on 03 June 2020

xiMark Travers, “Five Charts That Will Change The Way You Think About Racial Inequality,” //www.forbes.com/sites/traversmark/2019/10/01/five-charts-that-will-change-the-way-you-think-about-racial-inequality/#1cc01d685fb2, Accessed on 03 June 2020

xiiBernie Sanders, “Racial Justice,” //berniesanders.com/issues/racial-justice/, Accessed on 04 June 2020

xiiiCharlotte, Edmond, ‘The World Economic Forum: 5 charts reveal key racial inequality gaps in the US’, "//www.weforum.org/agenda/2020/06/us-race-economy-education-inequality/, Accessed on 03 June 2020.

अमेरिका का दूसरा नाम क्या है?

अमेरिका के संयुक्त राज्य (अंग्रेज़ी: United States of America), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (सं॰रा॰; अंग्रेज़ी: United States या US) या अमेरिका कहा जाता हैं, उत्तरी अमेरिका में स्थित एक देश हैं, यह 50 राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र से मिलकर बना हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका में कुल कितने देश हैं?

संयुक्त राष्ट्र के आकड़े के अनुसार उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में कुल 23 देश है इसके अलावा 23 और प्रदेश है जो किसी दूसरे देश की नियंत्रण में है। वर्तमान समय में उत्तरी अमेरिका महाद्वीप की जनसंख्या 59 करोड़ 22 लाख है। जो की विश्व जनसंख्या का लगभग 7.5 प्रतिशत है।

अमेरिका को संयुक्त राज्य अमेरिका क्यों कहा जाता है?

क्योंकि अमेरिका राज्यों का एक संग है इसलिए इसको संयुक्त राज्य अमेरिका कहा जाता है।

संयुक्त राज्य को एक राज्य क्यों नहीं कहा जा सकता?

संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रयुक्त भाषाएं संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रिया नियम 51 से 57 में Page 2 | संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा तथा इसकी विभिन्न समितियों एवं उपसमितियों के लिए आधिकारिक तथा कार्य संचालन की भाषाओं की व्यवस्था की गई है।

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