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`( ग स्वाधीनता शब्द की सार्थकता लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी क्या बतलाते हैं?`?
इसे सुनेंरोकेंलेखक का नाम- हजारी प्रसाद द्विवेदी। (ग) लेखक नख बढ़ाने की प्रवृत्ति को मानव में अंतर्निहित पशुत्व का प्रमाण मानते हैं। (घ) नाखून का बढ़ना, केश का बढ़ना, पलकों का गिरना, दाँत का दुबारा उठना इत्यादि मानव शरीर में विद्यमान सहजात वृत्तियाँ हैं। (ङ) नख काटने की प्रवृत्ति मनुष्यता की निशानी है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी का निबंध नाखून क्यों बढ़ते हैं?
इसे सुनेंरोकेंनाखूनों का बढ़ना मनुष्य की उस अंध सहजात वृत्ति का परिणाम है, जो उसके जीवन में सफलता ले आना चाहती है, उसको काट देना उस स्व-निर्धारित, आत्म-बन्धन का फल है, जो उसे चरितार्थता की ओर ले जाता है । नाखून बढ़ते हैं तो बढ़ें, मनुष्य उन्हें बढ़ने नहीं देगा।
नाखून क्यों बढ़ते हैं स्वाध्याय हिंदी?
इसे सुनेंरोकेंमनुष्य की नाखून काटने की जो प्रवृत्ति है, वह उसकी पशुता की निशानी है। Answer: मनुष्य की नाखून काटने की जो प्रवृत्ति है, वह उसकी मनुष्यता की निशानी है। हमारी परंपरा महिमामयी और संस्कृति उज्ज्वल हैं।
मनुष्य बार बार नाखून क्यों बढ़ते हैं?
इसे सुनेंरोकेंनाखूनों का बढ़ना मनुष्य की उस अंध सहजात वृत्ति का परिणाम है, जो उसके जीवन में सफलता ले आना चाहती है, उसको काट देना उस स्व-निर्धारित, आत्म-बन्धन का फल है, जो उसे चरितार्थता की ओर ले जाता है। के प्रयास में लेखक ने मनुष्यता की विकास प्रक्रिया का और मनुष्यता तथा पशुता के संघर्ष को हमारे सामने प्रस्तुत कर दिया है।
इसे सुनेंरोकेंउत्तर- लेखक कहते हैं कि स्वाधीनता शब्द का अर्थ है अपने ही अधीन रहना। क्योंकि यहाँ के लोगों ने अपनी आजादी के जितने भी नामकरण किये उनमें हैं. स्वतंत्रता, स्वराज, स्वाधीनता। उनमें स्व का बंधन अवश्य है।
नाखून क्यों बढ़ते है किसमे संकलित है?
इसे सुनेंरोकेंयह निबन्ध ‘कल्पलता’ निबन्ध संग्रह में संकलित है।
10 स्वाधीनता शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है?`?
इसे सुनेंरोकें’स्वाधीनता’ शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है? स्वाधीनता शब्द का अर्थ है अपने ही अधीन रहना। जिसमें ‘स्व’ का बंधन अवश्य है। यह क्या संयोग बात है या हमारी समूची परंपरा ही अनजाने में हमारी भाषा के द्वारा प्रकट होती रही है।
लेखक क्यों पूछता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर स्पष्ट करें?
इसे सुनेंरोकेंलेखक के हृदय में अंतर्द्वन्द्व की भावना उभर रही है कि मनुष्य इस समय पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर बढ़ रहा है। वह इस प्रश्न को हल नहीं कर पाता है। अत: इसी जिज्ञासा । को शांत करने के लिए स्पष्ट रूप से इसे प्रश्न के रूप में लोगों के सामने रखता है।
नाखून क्यों बढ़ते हैं निबंध के आधार पर मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है?