सीमांत प्रवृत्ति से आप क्या समझते हैं? - seemaant pravrtti se aap kya samajhate hain?

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

अर्थशास्त्र में, सीमांत उपभोग प्रवृति ( marginal propensity to consume (MPC)) वह मापांक है जो प्रेरित उपभोग को एक संख्यात्मक मान प्रदान करता है।

"//hi.wikipedia.org/w/index.php?title=सीमांत_उपभोग_प्रवृति&oldid=4011562" से प्राप्त

Solution : सीमांत उपभोग प्रवृत्ति से अभिप्राय-आय में परिवर्तन के कारण उपभोग में परिवर्तन तथा आय में, परिवहन के अनुपात को सीमांत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं। <br> सीमांत उपभोग प्रवृत्ति = `"उपभोग में परिवर्तन"/"आय में परिवर्तन ", MPC=(Deltac)/(Deltay)` <br> सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति तथा सीमान्त बचत प्रवृत्ति में संबंध-सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति तथा सीमान्त बचत प्रवृत्ति का योग सदैव एक (इकाई) के बराबर होता है। <br> MPC+MPS=1 <br> यदि किसी एक MPC (MPS) का मान दिया हो तो MPS (MPC) का मूल्य ज्ञात किया जा सकता है। यदि MPC या MPS में किसी एक का मूल्य घटता है तो दूसरे के मूल्य में वृद्धि होती है।

सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) – आय में थोड़ी सी वृद्धि के फलस्वरूप उपभोग में जो वृद्धि होती है उसे सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) कहते हैं। उदाहरण के लिए, जिस देश की कुल आय 1000 करोड़ रूपये की है वहाँ यदि कुल आय 1100 करोड़ रूपये हो जाती है। तो इससे उपभोग में वृद्धि होना स्वाभाविक है और उपभोग भी 900 करोड़ से बढ़कर 980 करोड़ रू. हो जाता है। इस प्रकार आय में 100 करोड़ रूपये की वृद्धि होने से उपभोग में 80 करोड़ की वृद्धि होती है।

सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC) क्या है ।

कीन्स के अनुसार (MPC) सदैव धनात्मक होती है।

You may also like

About the author

Pradeep Patel

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग