सुखिया के पिता पर कौन-कौन सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया? - sukhiya ke pita par kaun-kaun sa aarop lagaakar use dandit kiya gaya?

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

सुकिया के पिता पर कौन सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?

सुखिया के पिता अछूत वर्ग के व्यक्ति थे और उनका मंदिर में जाना निषेध था| लोगों का मानना था कि सुखिया के पिता ने मंदिर की पवित्रता नष्ट कर दी है और और यही आरोप लगाकर उसे दण्डित किया गया|


सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?

Solution

सुखिया के पिता अछूत वर्ग के व्यक्ति थे। मंदिर जैसे पवित्र स्थानों पर उनका जाना निषेध था। अछूतों के साथ समानता का व्यवहार नहीं किया जाता था। अछूत होकर भी सुखिया के पिता ने मन्दिर में प्रवेश पा लिया। लोगों के अनुसार उसने देवी माँ की पवित्रता नष्ट कर दी। एक प्रकार से यह देवी माँ का घोर अपमान था। इसलिए न्यायालय में आरोप लगाकर सात दिन का कारावास दे दिया।

प्रश्न 18-2 : (ख). बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?
(ग). सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया ?
(घ). जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को किस रूप में पाया?
(ड). इस कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
(च). इस कविता में से कुछ भाषिक प्रतीकों/बिंबों को छाँटकर लिखिए !
उदाहरणः अंधकार की छाया

उत्तर 18-2 ख:
बीमार बच्ची ने देवी माँ के चरणें के एक फूल की प्रसाद रूप में इच्छा प्रकट की ।
उत्तर ग:
सुखिया के पिता पर यह आरोप लगाया गया कि उसने अछूत होते हुए देवी माँ के मंदिर में घुसकर मंदिर की पवित्रता को भंग किया है इसलिए उसे दंडित किया गया ।
उत्तर घ:
जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने उसे राख की ढेरी के रूप में पाया ।
उत्तर ड:
कवि के अनुसार इस संसार को बनाने वाला ईश्वर एक ही है। हमने ही आपस में ऊॅंच-नीच के भेद-भाव पैदा किए हैं। और उसमें हम इतना डूब चुके हैं तिक हमें किसी की मार्मिक भावनाओं तक का ध्यान नहीं रहता। इस पाठ में एक अछूत बच्ची की चाह देवी माँ के चरणों के एक फूल की थी मगर इस निर्दयी समाज ने उसे भी पूरा न होने दिया और एक पिता के हाथों में उसकी बच्ची राख की ठेरी के रूप में पकड़ा दी ।
उत्तर च:
(क) हृदय-चिताएँ धधकाकर (ख) जलते-से अंगारों से, (घ) पाकर समुदित रवि-कर-जाल।
(ड) हाय! फूल -सी कोमल बच्ची। (च) चिरकालिक शुचिता सारी।

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एक फूल की चाह

सियारामशरण गुप्त

NCERT Solution

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?

उत्तर: बीमार बच्ची ने कहा कि उसे देवी माँ के प्रसाद का फूल चाहिए।

सुखिया के पिता पर कौन सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?

उत्तर: सुखिया के पिता पर मंदिर को अशुद्ध करने का आरोप लगाया गया। वह अछूत जाति का था इसलिए उसे मंदिर में प्रवेश का अधिकार नहीं था।

जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने बच्ची को किस रूप में पाया?

उत्तर: जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने बच्ची को राख की ढ़ेर के रूप में पाया।

इस कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: इस कविता में छुआछूत की प्रथा के बारे में बताया गया है। इस कविता का मुख्य पात्र एक अछूत है। उसकी बेटी एक महामारी की चपेट में आ जाती है। बेटी को ठीक करने के लिए वह मंदिर जाता है ताकि देवी माँ का प्रसाद ले आये। मंदिर में सवर्ण लोग उसकी जमकर धुनाई करते हैं। फिर उसे सात दिन की जेल हो जाती है क्योंकि एक अछूत होने के नाते वह मंदिर को अशुद्ध करने का दोषी पाया जाता है। जब वह जेल से छूटता है तो पाता है कि उसकी बेटी स्वर्ग सिधार चुकी है और उसका दाह संस्कार भी हो चुका है। एक सामाजिक कुरीति के कारण एक व्यक्ति को इतना भी अधिकार नहीं मिलता है कि वह अपनी बीमार बच्ची की एक छोटी सी इच्छा पूरी कर सके। बदले में उसे जो मिलता है वह है प्रताड़ना और घोर दुख।

कविता की उन पंक्तियों को लिखिए, जिनसे निम्नलिखित अर्थ का बोध होता है:

सुखिया के बाहर जाने पर पिता का हृदय काँप उठता था।

उत्तर: मेरा हृदय काँप उठता था,
बाहर गई निहार उसे;
यही मनाता था कि बचा लूँ
किसी भाँति इस बार उसे।

पर्वत की चोटी पर स्थित मंदिर की अनुपम शोभा।

उत्तर: ऊँचे शैल शिखर के ऊपर
मंदिर था विस्तीर्ण विशाल;
स्वर्ण कलश सरसिज विहसित थे
पाकर समुदित रवि कर जाल।

पुजारी से प्रसाद/फूल पाने पर सुखिया के पिता की मन:स्थिति।

उत्तर: दिया पुजारी ने प्रसाद जब
आगे को अंजलि भरके,
भूल गया उसका लेना झट,
परम लाभ सा पाकर मैं।

पिता की वेदना और उसका पश्चाताप।

उत्तर: अंतिम बार गोद में बेटी,
तुझको ले न सका मैं हा!
एक फूल माँ का प्रसाद भी
तुझको दे न सका मैं हा।

निम्नलिखित पंक्तियों का आश्य स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ सौंदर्य बताइए:

अविश्रांत बरसा करके भी आँखें तनिक नहीं रीतीं

उत्तर: उसकी आँखें निरंतर बरसने के बावजूद अभी भी सूखी थीं। यह पंक्ति शोक की चरम सीमा को दर्शाती है। कहा जाता है कि कोई कभी कभी इतना रो लेता है कि उसकी अश्रुधारा तक सूख जाती है।

बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर छाती धधक उठी मेरी

उत्तर: उधर चिता बुझ चुकी थी, इधर सुखिया के पिता की छाती जल रही थी।

हाय! वही चुपचाप पड़ी थी अटल शांति सी धारण कर

उत्तर: जो बच्ची कभी भी एक जगह स्थिर नहीं बैठती थी, आज वही चुपचाप पत्थर की भाँति पड़ी हुई थी।

पापी ने मंदिर में घुसकर किया अनर्थ बड़ा भारी

उत्तर: सुखिया के पिता को मंदिर में देखकर एक सवर्ण कहता है कि इस पापी ने मंदिर में प्रवेश करके बहुत बड़ा अनर्थ कर दिया, मंदिर को अपवित्र कर दिया।

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सुखिया के पिता पर कौन सा आरोप लगा कर सजा दी गई?

सुखिया के पिता पर कौन सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया? उत्तर: सुखिया के पिता पर मंदिर को अशुद्ध करने का आरोप लगाया गया। वह अछूत जाति का था इसलिए उसे मंदिर में प्रवेश का अधिकार नहीं था।

सुखिया के पता पर कौन सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?

सुखिया का पिता अपनी बेटी की इच्छा पूरी करने के लिए मंदिर में प्रवेश कर गया। मंदिर की पवित्रता नष्ट करने और देवी का अपमान करने का आरोप लगाकर उसे सात दिन का कारावास देकर दंडित किया गया

सुखिया के पिता को न्यायालय ने क्या दंड दिया?

अबकी दी न दिखाई वह। (iii) पुजारी से प्रसाद / फूल पाने पर सुखिया के पिता की मन:स्थिति। (iv) पिता की वेदना और उसका पश्चाताप ।

सुखिया के पिता को न्यायालय ने जो दंड दिया उसे आप कहाँ तक उचित मानते है आपके विचार स्पष्ट कीजिए?

Answer: सुखिया के पिता को न्यायालय द्वारा सात दिनों के कारावास की सज़ा सुनाई गई। यह सज़ा उसे इसलिए दी गई ,क्योंकि अछूत होने के बावजूद उसने मंदिर मे प्रवेश किया। मेरे विचार से यह दंड मानवता के विरुद्ध है,जो लोग छूत-अछूत को मारते है,वे भी दंडनीय है।

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