सागर जिले का पुराना नाम क्या है? - saagar jile ka puraana naam kya hai?

मध्यप्रदेश के उत्तरमध्य भाग और विंध्य पर्वत श्रंखला के बीच स्थित सागर जिला प्रदेश का एक सम्रद्ध जिला है और प्रदेश के सबसे विकिसित जिलो की श्रेणी में आता है | मुख्यतः बुंदेलखंड प्रान्त में आने वाले सागर जिले के इतिहास की बात करे तो इस जिले का उल्लेख हमे भारत के प्राचीनतम ग्रंथो में देखने को मिलता है | इसके अलावा ईसा पूर्व भी इसका उल्लेख पाया जाता है | गुप्त वंश के शासनकल के दौरान महान सम्राट रहे समुन्द्र गुप्त ने यहाँ एक स्वभोग नगर की स्थापना करवाई थी, जो आज के दौर में सागर जिले का मुख्य पर्यटन स्थल है जिसे लोग एरण के नाम से जानते है, उस समय यह स्थान साम्राज्य की राजकीय और सैन्य गतिविधियों का मुख्य केंद्र था | सागर जिले के बारे में अगर आप विस्तृत जानकारी चाहते है तो आप ‘टामली’ नामक लेख पढ़ सकते है इस लेख में सागर के इतिहास के बारे में पूर्ण जानकारी है | इस लेख के अनुसार सागर को पहले पुलिंदौं का नगर आगर कहा जाता था | इसके बाद यहाँ कई शासको ने राज किया और कई राजाओ ने इसे अपनी राजधानी के रूप में भी शामिल किया | मुगलकाल की बात करे तो उस समय यहाँ बुंदेलखंड के प्रमुख राजा छत्रसाल का राज हुआ करता था उन्होंने मुगलिया हुकूमत को हरा कर धामोनी, गढ़कोटा और खिमलासा में अपना साम्राज्य स्थापित किया, लेकिन कुछ समय बाद मराठा साम्राज्य के महान शासक रहे बाजीराव पेशवा ने इसे पंडित गोविन्द पन्त बुंदेले को इसे सौंप दिया और उन्होंने सागर शहर की स्थापना की | जिसके बाद देश आजाद होने पर इसे नागपुर मिला दिया गया और मध्यप्रदेश राज्य के गठन के बाद ये एक जिले के रूप में अस्तित्व में आया | सागर जिले आज कई पर्यटन स्थल है जहाँ आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ घुमने जा सकते है, यहाँ मुख्यतः प्रकृति से परिपूर्ण पर्यटन स्थल है जिनकी जानकारी हम आपको इस आर्टिकल के द्वारा देंगे | आप आर्टिकल को पूरा अवश्य पढ़े |

सागर जिले में घुमने के लिए प्रमुख पर्यटन स्थलों की जानकारी

1. सागर झील – सागर झील सागर शहर के बीचो बीचो है पूरा शहर इसी झील के चारो और बसा हुआ है | सागर जिले में आने वाले पर्यटकों के लिए ये झील मुख्य आकर्षण का केंद्र रहती है | इस झील को एक अन्य नाम से भी जाना जाता है जो लाखा बंजारा है | झील का ये नाम यहाँ राजा रहे लाखा बंजारा के नाम पर रखा गया था उन्होंने शहर में जल संकट को दूर करने के लिए इस झील का निर्माण करवाया था | तभी से इस झील का नाम उनके नाम पर पढ़ गया | झील के आस पास का प्राकृतिक सौन्दर्य बहुत ही अद्भुत है यहाँ पुरे वर्ष हरियाली छाई रहती है झील का क्षेत्रफल इतना बड़ा है जी एक छोर से दुसरे छोर को देख पाना आसान नहीं है | पर्यटकों को लुभाने के लिए स्थानीय प्रशासन के यहाँ कई सुविधाएँ दी है | जिसमे बोटिंग विशेष है यहाँ आने वाले अधिकतर लोग बोट के द्वारा झील की सेर जरुर करते है | शाम के समय झील का नजारा बेहद खूब सूरत होता है अधिकतर लोग यहाँ शाम के समय समय व्यतीत करने आते है | यहाँ आपको कई छोटे पर्यटन स्थल भी मिलेंगे जहाँ आप घूम सकते है और समय बिता सकते है |

2. नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण – नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण सागर सहित पडोसी जिलो के लिए भी मुख्य पर्यटन स्थल है | ये अभ्यारण सागर जबलपुर रोड पर सागर, नरसिंहगढ़ और दमोह तीनो जिले के मध्य त्रिभुज आकर में स्थित है | इस अभ्यारण में आपको अनेक प्रकार के जंगली जानवर देखने को मिलेंगे | जिसमे हिरण, तेंदुआ, चीता, बाघ आदि को देख सकते है | स्थानीय लोगो के लिए ये क्षेत्र मुख्य पिकनिक स्पॉट है | अभ्यारण में कई छोटे छोटे जलाशय है जिनमे आपको मगरमच्छ की कई प्रजातियाँ देखने को मिल जाएगी साथ ही जलाशय के आसपास आपको में कई प्रजातियों के पक्षी की विहार करते हुए दिखाई देंगे | यहाँ का प्राकृतिक वातावरण इतना शांत है की आपका यहाँ से जाने का मन नही करेगा |

3. आबचंद की गुफाएं – सागर जिले के गढ़कोटा में वान आरक्षित क्षेत्र में आबचंद की ये प्राचीन गुफाएं स्थित है, इन गुफाओं का निर्माण किसने और कब करवाया इसका कोई साक्ष्य नही है परन्तु स्थानीय लोगो का कहना है ये गुफाएं आदिमानव काल से यहाँ है, जिनका प्रमाण इन गुफाओ की दीवारों पर बनी पेंटिंग मिलता है | जंगल के शांत वातावरण में समय बिताने और परिवार के साथ आनंद उठाने के लिए अक्सर यहाँ पर्यटक आते रहते है | यहाँ कुल 5 गुफाएं है परन्तु आप सभी में प्रवेश नही कर सकते साथ ही यहाँ एक कुंड भी है | जिसके आस पास का प्राकृतिक सौन्दर्य बहुत ही खुबसूरत है आस पास जंगल होने के कारण यहाँ आपको जंगली जानवर भी नजर आ सकते है | जंगल में गोधरी नदी बहती है जो गर्मी के मौसम में बहती रहती है बरसात के समय इसका जल स्टार काफी बाद जाता है तब यहाँ का नजर और भी खुबसूरत हो जाता है |

4. राहतगढ़ वॉटरफॉल (झरना) – सागर शहर से करीबन 40किमी की दुरी पर स्थित ये झरना राहतगढ़ नगर में आता है इसलिए राहतगढ़ का झरना या राहतगढ़ जलप्रपात और भालकुंड जलप्रपात के नाम से भी जानते है | ये झरना बिना नदी का हिस्सा है बरसात के समय नदी में जलस्तर बढ़ने पर इस जलप्रपात को देखने का एक अलग ही आनंद आता है | इस जलप्रपात के आस पास कई प्राचीर और प्राचीन स्थान भी है | झरने के आस पास का प्राकृतिक वातावरण काफी शांत है जंगल से घिरा ये क्षेत्र बहुत खुबसूरत है | राहतगढ़ में कभी परमार वंश का राज हुआ करता था आज उनके केवल यहाँ अवशेष ही पाए जाते है | राहतगढ़ में एक किला भी है जो वॉटरफॉल से कुछ ही दुरी पर स्थित है | यहाँ आने वाले पर्यटक राहतगढ़ के इन दोनों पर्यटन स्थलों की सेर करते है और यहाँ अपना समय व्यतीत करते है |

5. गढ़पहरा का किला – सागर के इतिहास को संजोये गढ़पहरा का किला सागर शहर से कुछ मिनिट की दुरी पर एक ऊँचे पहाड़ी क्षेत्र पर स्थित है | इस स्थान को पुराने सागर के नाम से भी जाना जाता है कहे तो ये उसके लिए विख्यात है | इस स्थान पर एक समय डांगी साम्राज्य का राज हुआ करता था इससे पहले यहाँ सम्राट संग्राम शाह का राज था उन्होंने ही इस भव्य किले का निर्माण करवाया था, सम्राट संग्राम शाह के 52 गढ़ों में से गढ़पहरा भी एक गढ़ था, उनकी मृत्यु हो जाने के बाद डांगी राजपूतो ने अपना कब्ज़ा इस किले और नगर पर जमा लिया और इस स्थान को अपनी राजधानी के रूप में विख्यात किया | पहाड़ी के ऊपर होने के कारण इस किले से सूर्यास्त का नजारा बहुत ही ज्यादा खुबसूरत दिखाई देता है | यहाँ आने वाले पर्यटक यहाँ इस नज़ारे को देखने के लिए रुकते है और इस पल आनंद उठाते है |

6. एरण : एक प्राचीन धार्मिक स्थल  - सागर जिले की बीना तहसील में स्थित एरण एक बहुत ही प्राचीन स्थान है जो बिना नदी के तट पर बसा हुआ है | इस स्थान की स्थापना गुप्तवंश के महान सम्राट रहे समुन्द्र गुप्त ने अपनी सैन्य और राजकीय गतिविधियों के करवाया था | इस स्थान पर आपको गुप्त काल के कई अवशेष देखने को मिलेगे | यहाँ आपको भगवान विष्णु के कई अवतारों की प्राचीन मूर्तियाँ भी देखने को मिलेगी | जिसमे से उनके वराह अवतार की मूर्ति सबसे ऊँची है जिसकी ऊंचाई 10 फिट की है इस मूर्ति पर आपको कई प्रकार की कलाकृतिय भी देखने को मिलेगी जो इसके समर्द्ध और प्राचीन इतिहास की साक्षी है | इसके अलावा यहाँ आपको एक स्मारक भी देखने को मिलेंगे जो यहाँ के राजाओ के द्वारा किसी विशेष घटना के सन्दर्भ में बनाये गए है |

7. खिलमासा : एक प्राचीन धरोहर –खिलमासा सागर जिले का एक प्राचीन नगर है जो सागर जिले के गढ़मंडला के अंतर्गत आता है | इस स्थान पर एक समय महारानी दुर्गावती का साम्राज्य था | खिलमासा का पुराना नाम क्षेमोल्लास था जो एक संस्कृत शब्द है | खिलमासा सम्राट संग्राम शाह के 52 गढ़ों में से एक गढ़ था | यहाँ बने किले को ऊपर से देखेने पर इसकी आकृति कमल के फुल की तहर दिखाई देती हैतथा इसके अलावा यहाँ कमल के फूलो की खेती भी बड़ी मात्र में होती थी | जिसके कारण इसका एक नाम कमलासा भी था परन्तु बाद में इसे खिलमासा में परिवर्तित कर दिया गया | इस नगर में कई प्राचीन किले और एतिहासिक इमारते है जो सम्राट संग्राम शाह ने अपने शासनकाल के दौरान बनवाई थी | उनकी मृत्यु के बाद यहाँ मुगलों के अपनी हुकूमत जमा ली परन्तु बुंदेलखंड के महान शासक छत्रसाल ने इसे जीता | आज के समय में खिलमासा सागर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जिसे देखने पर्यटक दूर दूर से यहाँ आते है | यहाँ आस पास का प्राकृतिक सौन्दर्य बहुत ही खुबसूरत और मनमोहक है |

सागर कैसे पहुंचे ?

सागर मध्यप्रदेश का एक प्रमुख जिला है इसके चलते यहाँ आवागमन में काफी आसानी होती है, सागर आप हर मार्ग से बहुत ही आसानी से पहुँच सकते है | एक तरफ सागर उत्तरप्रदेश से लगा हुआ है | अगर आप रेल के द्वारा यहाँ आना चाहते है तो सागर जिले का बीना जंक्शन आज देश के हर कोने से जुड़ा हुआ और काफी प्रचलित रेलवे स्टेशन है | यहाँ से हर क्षेत्र से जाने वाली रेल गाड़ी गुजरती है | अगर आप हवाई यात्रा करके यहाँ आना चाहते है तो आपको भोपाल या जबलपुर होते हुए यहाँ आना होगा | दोनों ही शहर सागर से करीब है लेकिन राजधानी भोपाल ज्यादा करीब है | बस मार्ग से आज पूरा मध्यप्रदेश जुड़ा हुआ है चार्टेड और प्रदेश परिवहन की बसे आपको आसानी से सागर में प्रवेश करा देगी |

सागर जिले पर लिखे गए इस आर्टिकल में हमने आपको सागर के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों की जानकारी दी है, अगर आपको लगता है इस आर्टिकल में सागर से सम्बंधित छुट गया है तो आप हमे कमेंट करके, ईमेल करके, या facebook और अन्य सोशल मीडिया के जरिये सन्देश के द्वारा बता सकते है सोशल मीडिया Plugin आपको हमारी website पे उपलब्ध है |


सागर का पुराना नाम क्या है?

सौ गढ़ के कारण पड़ा सागर नाम जिले के इतिहासकारों का कहना है कि ब्रिटिश काल में अंग्रेज अपनी बोली के अनुसार सागर को सागौर बोलते थे और अंग्रेजी में पहली बार उन्होंने ही सागौर लिखा जिसे मान्य किया गया.

सागर जिले का राजा कौन था?

ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार सागर का प्रथम शासक श्रीधर वर्मन को माना जाता है।

सागर नाम क्यों पड़ा?

इतिहास | जिला सागर, मध्यप्रदेश शासन | भारत

सागर जिला की स्थापना कब हुई?

विवरण [सागर विश्वविध्यालय] मध्यप्रदेश का पहला और देश का 16वां विश्वविध्यालय था। इसकी स्थापना 18 जुलाई 1946 को डॉ. हरीसिंह गौर ने अपनी जीवन की अर्जित सारी कमाई दान कर की थी।

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