रावण ने सीता को कौन सी वाटिका में रखा था? - raavan ne seeta ko kaun see vaatika mein rakha tha?

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रावण ने यहां कैद में रखा था माता सीता है, देखिए ओरिजनल फोटोज

नई दिल्ली। माता सीता का हरण के बाद रावण ने जिस अशोक वाटिका में उन्हें रखा था, आज वह एक दर्शनीय स्थल है। इंडिया से श्रीलंका घूमने जाने वाले यहां जाना नहीं भूलते हैं। DainikBhaskar.com आज आपको बताने जा रहा है कि श्रीलंका में स्थित अशोक वाटिका के बारे में कुछ खास बातें...

- ऊंची पहाड़ी पर स्थित नुरालिया में ही रावण की अशोक वाटिका है। चारों ओर चाय के खूबसूरत बागान और झरने इस इलाके की पहचान है। 

- यहीं पर मौजूद है अशोक वाटिका, जिसे सीता इलैया भी कहा जाता है। मान्यता है कि जब रावण ने सीता का हरण किया तो पहले उन्हें मंदोदरी के महल में रखा। बाद में उन्हें अशोक वाटिका में रखा गया।

- मां सीता ने यहां कुल 11 महीने गुजारे थे। जहां सीता मां कैद थी, वहां अशोक का एक विशाल पेड़ था। 

- श्रीलंका में आज भी वह जगह मौजूद है, जिसके बारे में मान्यता है कि मां सीता यहां नहाया करती थीं। इस जगह का नाम है सीता कुंड। कुछ लोग इसे सीता नदी भी कहते हैं। 

मप्र सरकार बनवा रही है सीता मंदिर

जिस अशोक वाटिका में रावण ने सीता माता को कैद करके रखा था, उस स्थान पर मप्र सरकार सीता माता का नया भव्य मंदिर बनवा रही है। बेंगलुरू के जाने-माने आर्किटेक्ट व इंटीरियर डिजाइनर सीकोस से मंदिर का डिजाइन तैयार कराया गया है। मंदिर निर्माण के लिए मप्र सरकार एक करोड़ रुपए पहले ही दे चुकी है। 

आगे की स्लाइड में देखें, अशोक वाटिका की फोटोज...

रावण ने देवी सीता को महल में न रखकर अशोक वाटिका में क्यों रखा? ये श्राप था इसका कारण

इस बार 15 अक्टूबर, शुक्रवार को विजयादशमी (Vijayadashami 2021) का पर्व मनाया जाएगा। ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, त्रेतायुग में इसी दिन भगवान श्रीराम ने राक्षसराज रावण का वध किया था। 

Ujjain, First Published Oct 13, 2021, 7:00 AM IST

उज्जैन. वाल्मीकि रामायण के अनुसार अपनी बहन शूर्पणखा का बदला लेने के लिए रावण ने श्रीराम की पत्नी सीता का छल से हरण कर लिया था, और उन्हें लंका ले गया था। जहां रावण ने देवी सीता को अपने महल में रखते हुए अशोक वाटिका में रखा था। रावण का महल बहुत विशाल था, लेकिन इसके बाद भी उसने देवी सीता को अशोक वाटिका में क्यों रखा, इसके पीछे वाल्मीकि रामायण में एक कथा मिलती है, जो इस प्रकार है…

- एक बार स्वर्ग की अप्सरा रंभा कुबेरदेव के पुत्र नलकुबेर से मिलने जा रही थी। रास्ते में रावण ने उसे देखा और वह रंभा के रूप और सौंदर्य को देखकर मोहित हो गया। रावण ने रंभा को बुरी नीयत से रोक लिया।
- इस पर रंभा ने रावण से उसे छोडऩे की प्रार्थना की और कहा कि- आज मैंने आपके भाई कुबेर (धनराज कुबेर रावण के सौतेले भाई हैं) के पुत्र नलकुबेर से मिलने का वचन दिया है अत: मैं आपकी पुत्रवधु के समान हूं अत: मुझे छोड़ दीजिए।
- परंतु रावण था ही दुराचारी वह नहीं माना और रंभा के शील का हरण कर लिया। रावण द्वारा रंभा के शील हरण का समाचार जब कुबेर देव के पुत्र नलकुबेर का प्राप्त हुआ तो वह रावण पर अति क्रोधित हुआ।
- क्रोध वश नलकुबेर ने रावण को श्राप दे दिया कि- आज के बाद यदि रावण ने किसी भी स्त्री को बिना उसकी स्वीकृति के बिना अपने महल में रखा या उसके साथ दुराचार किया तो वह उसी क्षण भस्म हो जाएगा।
- इसी श्राप के डर से रावण ने देवी सीता को राजमहल में न रखते हुए राजमहल से दूर अशोक वाटिका में रखा। इसके अलावा भी रावण को अन्य बहुत सी महिलाओं ने इस प्रकार के श्राप दिए थे, जो उसके सर्वनाश का कारण बने।

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Last Updated Oct 13, 2021, 9:43 AM IST

एक बार की बात है रावण विजय अभियान से लौट रहा था। रावण के पुष्पक विमान पर अनेक अपहृत सुंदरियां सवार थीं जो सभी विलाप कर रही थीं। उनका विलाप सुन कर रावण प्रसन्न हो रहा था। परम साध्वी एक ऋषि पत्नी ने

Ramayan: एक बार  की बात है रावण विजय अभियान से लौट रहा था। रावण के पुष्पक विमान पर अनेक अपहृत सुंदरियां सवार थीं जो सभी विलाप कर रही थीं। उनका विलाप सुन कर रावण प्रसन्न हो रहा था। परम साध्वी एक ऋषि पत्नी ने उसे शाप देते हुए कहा, ‘‘यह पापी दुराचार के पथ पर चल कर भी स्वयं को नहीं धिक्कारता। स्त्रियों के हरण का पराक्रम इसकी वीरता के सर्वथा प्रतिकूल है। पर-स्त्रियों के साथ बलपूर्वक दुराचार करने का दोषी रावण भला किस प्रकार पांडित्य का अधिकारी हो सकता है? मैं इसे शाप देती हूं कि पर-स्त्री का अपहरण ही इसके वध का कारण बने।’’


रावण की शक्ति उसी समय से कम होने लगी। वह निस्तेज होने लगा। ऐसी ही स्थिति में रावण ने लंका में प्रवेश किया। वहां और भी दुर्भाग्यजनक समाचार उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे जो आगे जाकर उसके नाश का कारण बने।


उनमें से एक कारण शूर्पणखा और लक्ष्मण के मध्य हुई घटना, दूसरा विभीषण द्वारा रावण की निंदा करना और यह कहना, ‘‘राक्षसराज! आप पुलस्त्य ऋषि की संतान हैं। पर-स्त्री का अपहरण आपके लिए उचित नहीं। इधर आप पर-स्त्री अपहरण में व्यस्त हैं और उधर बहन कुंभीनसी का अचानक अपहरण हो गया है।’’

यह सूचना पाकर रावण अति क्रोधित हुआ। आप यह स्मरण रखें कुंभीनसी रावण के नाना सुमाली के ज्येष्ठ भ्राता माल्यवान की पुत्री अनला की पुत्री थी। वह लंका में ही निवास करती थी।


इस प्रकार रावण भीतर से भयभीत था। फलस्वरूप वह सीता जी के साथ बलपूर्वक व्यवहार नहीं कर सका। रावण की सबसे बड़ी विवशता ऋषि-पत्नियों का शाप था। इसलिए अशोक वाटिका में अशोक वृक्ष के नीचे सीता जी सुरक्षित रहीं।

लंका में रावण ने सीता को कौन सी वाटिका में रखा था?

मान्यता है कि जब रावण ने सीता का हरण किया तो पहले उन्हें मंदोदरी के महल में रखा। बाद में उन्हें अशोक वाटिका में रखा गया। - मां सीता ने यहां कुल 11 महीने गुजारे थे।

रावण की वाटिका का क्या नाम था?

रामायण (Ramayan) की कथा इन दिनों टीवी पर आ रही है. टीवी पर नंबर वन बने हुए इस सीरियल में हुए हम सभी ने देखा कि किस तरह त्रिजटा अशोक वाटिका में रावण की कैद के दौरान समय समय पर सीता की मदद करती है. त्रिजटा राक्षसी को रावण ने प्रमुख गार्ड के रूप में वहां रखा था. वो बार-बार उन्हें दिलासा देती थीं.

रावण ने सीता को अशोक वाटिका में क्यों रखा?

क्रोध वश नलकुबेर ने रावण को श्राप दे दिया कि आज के बाद यदि रावण ने किसी भी स्त्री को बिना उसकी स्वीकृति के अपने महल में रखा या उसके साथ दुराचार किया तो वह उसी क्षण भस्म हो जाएगा। इसी श्राप के डर से रावण ने सीता को राजमहल में न रखते हुए राजमहल से दूर अशोक वाटिका में रखा

रावण ने सीता को कितने दिन रखा था?

जानकारी के अनुसार रावण जब सीता माता का हरण करके उन्हें लंका ले गया। तो उसके बाद जानकी को कुल 435 दिन लंका में रहना पड़ा था

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