राम राज्य की स्थापना कब हुई थी? - raam raajy kee sthaapana kab huee thee?

हिन्दू संस्कृति में राम द्वारा किया गया आदर्शासन रामराज्य के नाम से प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में रामराज्य का प्रयोग सर्वोत्कृष्ट शासन या आदर्श शासन के रूपक (प्रतीक) के तौर पर किया जाता है। रामराज्य, लोकतन्त्र का परिमार्जित रूप माना जा सकता है। वैश्विक स्तर पर रामराज्य की स्थापना गांधीजी की चाह थी। गांधीजी ने भारत में अंग्रेजी शासन से मुक्ति के बाद ग्राम स्वराज के रूप में रामराज्य की कल्पना की थी।

हिन्दू ग्रन्थों में रामराज्य[संपादित करें]

रामचरितमानस में तुलसीदासजी ने रामराज्य पर पर्याप्त प्रकाश डाला है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के सिंहासन पर आसीन होते ही सर्वत्र हर्ष व्याप्त हो गया, सारे भय–शोक दूर हो गए एवं दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्ति मिल गई। कोई भी अल्पमृत्यु, रोग–पीड़ा से ग्रस्त नहीं था, सभी स्वस्थ, बुद्धिमान, साक्षर, गुणज्ञ, ज्ञानी तथा कृतज्ञ थे।

राम राज बैठे त्रैलोका। हरषित भए गए सब सोका।।बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई।।दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा।। अल्पमृत्यु नहिं कवनिउ पीरा। सब सुंदर सब बिरुज सरीरा।।नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना। नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना।।सब गुनग्य पंडित सब ग्यानी। सब कृतग्य नहिं कपट सयानी।।राम राज नभगेस सुनु सचराचर जग माहिं।काल कर्म सुभाव गुन कृत दुख काहुहि नाहिं।।(रा•च•मा• 7। 20। 7–8; 21। 1¸ 5–6¸ 8; 21)

वाल्मीकि रामायण में भरत जी रामराज्य के विलक्षण प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहते हैं, "राघव! आपके राज्य पर अभिषिक्त हुए एक मास से अधिक समय हो गया। तब से सभी लोग निरोग दिखाई देते हैं। बूढ़े प्राणियों के पास भी मृत्यु नहीं फटकती है। स्त्रियां बिना कष्ट के प्रसव करती हैं। सभी मनुष्यों के शरीर हृष्ट–पुष्ट दिखाई देते हैं। राजन! पुरवासियों में बड़ा हर्ष छा रहा है। मेघ अमृत के समान जल गिराते हुए समय पर वर्षा करते हैं। हवा ऐसी चलती है कि इसका स्पर्श शीतल एवं सुखद जान पड़ता है। राजन नगर तथा जनपद के लोग इस पुरी में कहते हैं कि हमारे लिए चिरकाल तक ऐसे ही प्रभावशाली राजा रहें।"

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • अखिल भारतीय रामराज्य परिषद

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • रामराज्य का वर्णन (वेबदुनिया)

अखिल भारतीय राम राज्य परिषद का चुनाव चिह्न

अखिल भारतीय राम राज्य परिषदगठनविचारधारा
1948
हिन्दू धर्म, हिन्दू राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
भारत की राजनीति
राजनैतिक दल
चुनाव

अखिल भारतीय राम राज्य परिषद भारत का एक राजनैतिक दल था जिसकी स्थापना स्वामी करपात्री ने सन् १९४८ में की थी। इस दल ने सन् १९५२ के प्रथम लोकसभा चुनाव में ३ सीटें प्राप्त की थी। सन् १९५२, १९५७ एवं १९६२ के विधान सभा चुनावों में हिन्दी क्षेत्रों (मुख्यतः राजस्थान) में इस दल ने दर्जनों सीटें हासिल की थी।

अखिल भारतीय राम राज्य परिषद का लक्ष्य सनातन हिन्दू वर्णाश्रम धर्मशासित राष्ट्र स्थापित करना था। अन्य हिन्दूवादी दलों की भांति यह दल भी समान नागरिक संहिता का पक्षधर था। १९७१ में इसका भारतीय जनसंघ के साथ विलय हो गया था। यह भाजपा द्वारा फैलाई गई फरेबी चाल है और अखिल भारतीय रामराज्य परिषद के पक्षद्रोही लोगों को मिलाकर किया गया षड्यंत्र है।। जिसकी आजिविका भाजपा चला रही है।। अखिल भारतीय रामराज्य परिषद आज भी 20 से ज्यादा प्रदेश और जिलों में धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज द्वारा संकल्पित रामराज्य, गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध और सत्य सनातन धर्म की रक्षा एवं भारत अखंड हिन्दू राष्ट्र घोषित हो पर राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शिव गोपाल शुक्ल जी।। राष्ट्रीय महासचिव श्री जगदम्बा मिश्रा एडवोकेट वाराणसी द्वारा निरंतर प्रगति कर एक मजबूत स्थिति में है।। भाजपा के इशारे पर चुनाव आयोग ने हमारे चुनाव निशान उगता सूरज को रोक दिया है जिसके लिए हम सभी ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है और फैसला बहुत जल्द होगा, और स्वामी जी का संकल्प साकार होगा।।

लोकसभा में 15 मई 1952 को पहली बार हिंदी में संबोधन सीकर के तत्कालीन सांसद नन्द लाल शर्मा ने किया था जो राम राज्य परिषद के सांसद थे। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री - शिव गोपाल शुक्ल जी।। राष्ट्रीय महासचिव श्री - जगदम्बा मिश्रा एडवोकेट वाराणसी।। मोबाइल नंबर 9653052038,9838949212, ह्वाट्सएप नं 0-9455589959, पर संपर्क करें 🙏 हर हर महादेव 🙏🕉️🙏🚩

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • रामराज्य
  • स्वामी करपात्री

सन्दर्भ[संपादित करें]

  • Baxter, Craig (1971). The Jana Sangha. A Biography of an Indian Political Party. Delhi, India: Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0812275837.

राम राज्य कब बना?

महाकाव्य रामायण के अनुसार, श्री राम जब लंका में रावण का वध कर अयोध्या लौटते हैं तब वे राम राज्य की स्थापना करते हैं।

राम का राज्य का नाम क्या था?

भगवान राम : वन से लौटने के बाद जब भगवान राम ने अयोध्या का शासन संभाला तो उन्होंने कई वर्षों तक भारत पर शासन किया और भारत को एकसूत्र में बांधे रखा। राम के काल में रावण, बाली, जनक, अहिरावण और कार्तवीर्य अर्जुन नाम के महान शासक थे, लेकिन सभी का अंत कर दिया गया था

भारत में कितने रामराज साइट है?

भारत में 46 रामसर स्थलों में ओडिशा स्थित चिल्का झील, राजस्थान स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, पंजाब स्थित हरिके झील, मणिपुर स्थित लोकतक झील और जम्मू- कश्मीर स्थित वुलर झील शामिल हैं। भारत में कितने रामसर स्थल हैं?

5 रामराज्य की क्या विशेषताएँ है?

रामराज्य की छह प्रमुख विशेषताएँ हैं। इस काल में सभी सुखी है, सभी कर्तव्यपरायण हैं, सभी दीर्घायु है, सभी में दाम्पत्य प्रेम है, प्रकृति उदार है और सभी में नैतिक उत्कर्ष देखा जा सकता है। रामराज्य की बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ सभी प्रसन्न, सुखी, संतुष्ट, हृष्ट-पुष्ट है। सुख या संतुष्टि तन-मन दोनों की होती है।

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