पहले परमाणु बम का नाम क्या था? - pahale paramaanu bam ka naam kya tha?

Nuclear Bomb: रूस-यूक्रेन की जंग (Russia Ukraine War) अब इस मोड़ पर आ चुकी है कि इसमें परमाणु युद्ध (Nuclear War) की आशंका भी पैदा हो गई है. इस जंग में परमाणु बम के जिक्र ने हमें 1945 में जापान पर हुए अमेरिका के परमाणु हमले की याद तो दिलाई ही है, साथ उस शख्स के बारे में सोचने पर भी मजबूर कर दिया है, जिसने इसका आविष्कार किया था. क्या आप उस शख्स का नाम जानते हैं, जिसने दुनिया को परमाणु बम (Nuclear Bomb) के रूप में दहशत की नई गाथा लिखने की क्षमता रखने वाला ऐसा विध्वंसक हथियार दिया? आइए आज जानते हैं कि परमाणु बम को किसने बनाया और इसका बटन किसके पास होता है. 

परमाणु बम का आविष्कार 

इस घातक हथियार को बनाने की शुरुआत साल 1939 में ही हो गयी थी, क्योंकि यह वो दौर था जब द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो चुका था. जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने तकरीबन पूरे यूरोप में आतंक मचा रखा था. अमेरिका को लग रहा था कि अगर हिटलर के वैज्ञानिकों ने पहले परमाणु बम बना लिया तो वह दुश्मन देशों पर इससे हमला करेगा और भयंकर तबाही मचा देगा. यह सब ध्यान में रखते हुए अमेरिकी वैज्ञानिकों ने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा बताया कि हिटलर के आतंक के चलते न्यूक्लियर बम बनाना बहुत जरूरी है. राष्ट्रपति के आदेश के बाद अमेरिका में परमाणु बम बनाने पर काम शुरू हुआ.

अमेरिकी मूल के वैज्ञानिक जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर(J Robert Oppenheimer) को परमाणु बम का जनक कहा जाता है. 16 जुलाई 1945  को पहले परमाणु बम का परीक्षण उनकी देखरेख में अमेरिका में ही हुआ था. इस परीक्षण को अमेरिका के लॉस अलामोस से 200 मील दूर अलेमो गोर्डो के उत्तर के रेगिस्तानी में किया गया था. 19वीं सदी से पहले तक इस तरह के किसी हथियार की सिर्फ कल्पना ही की जाती थी, लेकिन जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने इसे हकीकत में बदल दिया. 

किसके पास होता है परमाणु बम का बटन? 

सबसे पहले यह साफ कर दें कि प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति की टेबल पर परमाणु हमला करने का कोई बटन नहीं होता है. अगर कोई देश किसी दूसरे देश पर परमाणु हमला करता है, तो पहले उसे एक लंबी प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ेगा. अगर भारत की बात की जाए तो भारत में परमाणु हमले पर आखिरी फैसला करने की शक्ति प्रधानमंत्री के पास होती है. प्रधानमंत्री के आदेश के बाद ही भारत किसी दूसरे देश पर परमाणु हमला कर सकता है. दरअसल, देश के प्रधानमंत्री ही न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी (NCA) का नेतृत्व करते हैं. अतः NCA प्रधानमंत्री के आदेश मिलने पर ही परमाणु संबंधी ऑपरेशन करती है. 

परमाणु बम छोड़ने के लिए जरूरी है स्मार्ट कार्ड 

प्रधानमंत्री के पास एक स्मार्ट कार्ड होता है. परमाणु हमला करने के लिए इसी कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एक विशेष तरह का कोड होता है, जिसके बिना परमाणु हमला नहीं किया जा सकता. बता दें कि परमाणु हमले की प्रक्रिया में इस स्मार्ट कोड के अलावा भी कई अन्य गोपनीय कार्रवाई की जाती हैं. प्रधानमंत्री भी इस कोड का इस्तेमाल करने से पहले कैबिनेट कमेटी, चेयरमैन ऑफ चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार आदि से चर्चा करते हैं. यह सब मिलकर इसपर फैसला लेते हैं. भारत ने परमाणु बम का परीक्षण पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार (Government) में किया था. 

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योगेश मिश्रा

| नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 6 Aug 2022, 11:09 am

Disaster in Hiroshima : प्लेन के क्रू को पता था कि वे परमाणु बम गिराने जा रहे हैं लेकिन किसी को भी इससे होने वाली तबाही का अंदाजा नहीं था। कैप्टन लुईस जिस टीम का हिस्सा थे उसकी कमान प्रमुख पायलट पॉल टिबेट्स के हाथ में थी।

(फोटो साभार : AP/हैरिटेज ऑक्शन/Bonhams)

हाइलाइट्स

  • आज के ही दिन अमेरिका ने हिरोशिमा पर गिराया था परमाणु बम
  • धमाके में तत्काल मारे गए 70 हजार लोग, लाखों की संख्या में कुल मौतें
  • पायलट ने बयां किया अनुभव- अब तक का सबसे भयानक धमाका

टोक्यो : इतिहास के पन्नों में 6 अगस्त 1945 का दिन काली स्याही से दर्ज है। इसी दिन अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराया था जिसमें लाखों लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले में 1,30,000 जापानी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी। उस बम का नाम 'लिटिल बॉय' था जिसे B-29 बॉम्बर (Enola Gay) के चालक दलों ने गिराया था। यह अमेरिका की तरफ से सफल परीक्षणों के बाद युद्ध में इस्तेमाल किया गया पहला परमाणु बम था। इसके तीन दिन बाद अमेरिका ने 'फैट मैन' नाम का एक और बम जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर गिरा दिया। इसमें 40,000 लोगों की मौत हो गई और जापान को सरेंडर करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

कुछ दिनों पहले एक नीलामी में एक लॉगबुक 450,000 पाउंड (3.84 करोड़ रुपए) में बिकी जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने का भयानक अनुभव दर्ज था। इस लॉग बुक को कैप्टन रॉबर्ट ए लुईस ने मिशन के दौरान लिखा था जो उस प्लेन के को-पायलट थे। बुक में कैप्टन ने बताया कि उस दिन हिरोशिमा में क्या हुआ था। उन्होंने बॉम्ब के गिराए जाने के दृश्य को 'अब तक का सबसे भयानक धमाका' करार दिया।
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'100 साल भी जिंदा रहा तो नहीं भूलूंगा'
कैप्टन ने लिखा, 'हमने कितनों को मार दिया? ईमानदारी से कहूं तो मेरे पास इसे बयां करने के लिए शब्द नहीं है। हे भगवान! ये हमने क्या कर दिया। अगर मैं 100 साल भी जिंदा रहा तो भी मैं उन कुछ मिनटों को अपने दिमाग से कभी नहीं निकाल पाऊंगा।' यह बुक पेन और पेंसिल दोनों से लिखी गई थी। कुछ दिनों पहले हैरिटेज ऑक्शन ने इसे करीब 4 करोड़ रुपए में बेचा। कैप्टन लुईस ने अपने रियल-टाइम एक्सपीरियंस को इस बुक में दर्ज किया था। यह लॉगबुक उस मिशन का एकमात्र रेकॉर्ड है जो अभी भी मौजूद है।

किसी को नहीं था तबाही का अंदाजा
हालांकि प्लेन के क्रू को पता था कि वे परमाणु बम गिराने जा रहे हैं लेकिन किसी को भी इससे होने वाली तबाही का अंदाजा नहीं था। कैप्टन लुईस जिस टीम का हिस्सा थे उसकी कमान प्रमुख पायलट पॉल टिबेट्स के हाथ में थी। अमेरिका ने मैनहट्टन प्रोजेक्ट के तहत दुनिया के पहले परमाणु बम विकसित किए थे। जब ये बनकर तैयार हो गए तो अमेरिका ने इन्हें जापान पर इस्तेमाल करने का फैसला किया क्योंकि एशियाई देश के नेताओं ने घुटने टेकने से इनकार कर दिया था।

लैंडिंग से पहले जापान के सरेंडर करने की उम्मीद
Enola Gay की क्रू ने 6 अगस्त को हिरोशिमा पर 1,750 फीट की ऊंचाई से बम गिराया था। इससे शहर की 70 फीसदी इमारतें नष्ट हो गई थीं और विस्फोट के बाद तत्काल 70,000 लोगों की मौत हो गई। इसके प्रभाव से आगे चलकर लाखों लोगों की मौत हुई। उन्होंने लिखा, 'मुझे विश्वास है कि जापानी हमारे लैंड करने से पहले ही सरेंडर कर देंगे क्योंकि निश्चित तौर पर वे यह नहीं चाहेंगे कि हम इस तरह के परमाणु ऊर्जा वाले बम और गिराएं।'

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तीन दिन बाद दूसरा परमाणु हमला
इसके बाद भी जापान के अधिकारियों ने सरेंडर नहीं किया जिसके बाद अमेरिका ने 9 अगस्त को जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया। इस बम को B-29 बॉम्बर (Bockscar) से गिराया था जो इतिहास में दूसरा और अब तक का आखिरी परमाणु हमला था। आखिरकार जापान ने 15 अगस्त को सरेंडर कर दिया। कैप्टन लुईस का 1983 में 65 साल की उम्र में वर्जीनिया में उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।

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पहला परमाणु बम का नाम क्या था?

अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर लिटिल बाय नाम का परमाणु बम गिराया था। यह करीब चार टन यानी चार हजार किलो वजनी था। इसमें 65 किलो यूरेनियम भरा हुआ था। इस बम को एनोला गे नाम के विमान से गिराया गया, जिसके पायलट पाल टिबेट्स थे।

सबसे पहले परमाणु बम कौन बनाया था?

अमेरिकी मूल के वैज्ञानिक जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर(J Robert Oppenheimer) को परमाणु बम का जनक कहा जाता है. 16 जुलाई 1945 को पहले परमाणु बम का परीक्षण उनकी देखरेख में अमेरिका में ही हुआ था.

भारत का पहला परमाणु बम कौन सा था?

Detailed Solution. सेना के बेस पोखरण टेस्ट रेंज राजस्थान में बम विस्फोट किया गया थाभारत में पहला परमाणु विस्फोट 18 मई 1974 को किया गया था। पहले परमाणु बम परीक्षण का निर्दिष्ट कोड नाम स्माइलिंग बुद्धा था

पहला परमाणु बम कब गिरा था?

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के इस शहर पर परमाणु बम गिराया था। जापान उस वक्त भी ताकतवर था। आज से 77 साल पहले दुनिया ने आसमान से मौत की बारिश देखी थी। तब जापान के हिरोशिमा शहर पर अमेरिका ने विश्व का पहला परमाणु हमला किया था

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