नवंबर में अष्टमी कौन से दिन की है? - navambar mein ashtamee kaun se din kee hai?

ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विनोद शुक्ला Updated Tue, 15 Nov 2022 05:45 PM IST

सार

एक माह में तीस तिथियां होती हैं और ये तिथियां दो पक्षों में विभाजित होती हैं। शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। तिथि के नाम - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या/पूर्णिमा।
 

PANCHANG - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

16 नवंबर 2022 का दैनिक पंचांग / Aaj Ka Panchang: हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय एवं काल की सटीक गणना की जाती है। पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास एवं पक्ष आदि की जानकारी देते हैं। आइए जानते हैं आज का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय।


 

तिथि   

अष्टमी

31:57 तक
नक्षत्र   आश्लेषा 18:52 तक
करण 

बालवा
कौवाला

18:53 तक
31:57 तक 

पक्ष कृष्ण   
वार    बुधवार  
योग   ब्रह्मा 24:55 तक
सूर्योदय 06:48  
सूर्यास्त 17:22  
चंद्रमा    कर्क  
राहुकाल 12:05 − 13:24  
विक्रमी संवत्   2079  
शक सम्वत 1944   
मास मार्गशीर्ष  
शुभ मुहूर्त अभिजीत कोई नहीं

पंचांग के पांच अंग तिथि
हिन्दू काल गणना के अनुसार 'चन्द्र रेखांक' को 'सूर्य रेखांक' से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। एक माह में तीस तिथियां होती हैं और ये तिथियां दो पक्षों में विभाजित होती हैं। शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। तिथि के नाम - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या/पूर्णिमा।


नक्षत्र: आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। 27 नक्षत्रों के नाम- अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।

वार: वार का आशय दिन से है। एक सप्ताह में सात वार होते हैं। ये सात वार ग्रहों के नाम से रखे गए हैं - सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार।

योग: नक्षत्र की भांति योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम - विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।

करण: एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। ऐसे कुल 11 करण होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं - बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

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Navratri 2022: नवरात्रि के त्योहार को काफी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है.  इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर, सोमवार से शुरू हुई थी. इसका समापन बुधवार, 5 अक्टूबर को दशहरा या विजयदशमी पर होगा. नवरात्रि के दो सबसे महत्वपूर्ण दिन हैं अष्टमी और नवमी. अष्टमी और नवमी के दिन लोग व्रत खोलते हैं और अपने घरों में कन्या पूजा भी करते हैं.

कब है महाअष्टमी (Navratri 2022 Maha Ashtami)

अष्टमी जिसे महा अष्टमी या दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. ये नवरात्रि का आठवां दिन होता है. इस दिन नवदुर्गा के आठवें रूप मां महागौरी की पूजा की जाती है. मां महागौरी पवित्रता और शांति का प्रतीक मानी जाती हैं. महा अष्टमी पर नौ छोटे बर्तन स्थापित किए जाते हैं और उनमें मां दुर्गा की नौ शक्तियों का आह्वान किया जाता है. अष्टमी की पूजा के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. लोग इस दिन कन्याओं की भी पूजा करते हैं, क्योंकि उन्हें मां दुर्गा का दिव्य अवतार माना जाता है. इस पूजा को कन्या पूजा के रूप में जाना जाता है. संधि पूजा भी महा अष्टमी पर पड़ती है, जहां लोग देवता के समक्ष पशु या सब्जी और फलों की बलि चढ़ाते हैं. 

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इस साल अष्टमी 03 अक्टूबर सोमवार को पड़ रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि की शुरुआत 02 अक्टूबर, रविवार को शाम 06 बजकर 47 मिनट पर होगी और 03 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 38 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक रहेगा. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. 

कब है महानवमी (Navratri 2022 Maha Navami)

नवमी या महा नवमी नवरात्रि का नौवां दिन है. महा नवमी पर देवी दुर्गा की महिषासुर मर्दिनी के रूप में पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि महानवमी के दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था. नवरात्रि के नौवें दिन भक्त मां दुर्गा के नौवें अवतार मां सिद्धिदात्री की पूजा भी करते हैं. कुछ भक्त नवमी पर भी कन्या पूजा करते हैं. 

इस साल नवमी 4 अक्टूबर, मंगलवार को पड़ रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार नवमी तिथि 03 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी और 04 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी. इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगा और 05 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगा. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक चलेगा.

नवरात्रि 2022 पारण का समय (Navratri 2022 Paran time)

हिंदू पंचांग के अनुसार नवरात्रि का पारण समय 04 अक्टूबर 2022 को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट के बाद होगा.

कन्या पूजन 

विधि शास्त्रों के मुताबिक, नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि पर कन्‍याओं को उनके घर जाकर निमंत्रण दें. गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नामों के जयकारे लगाएं. अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह पर बिठाएं. सभी के पैरों को दूध से भरे थाल में रखकर अपने हाथों से धोएं. कन्‍याओं के माथे पर अक्षत, फूल या कुमकुम लगाएं फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीष लें.

नवंबर में अष्टमी कब की है?

Aaj ka Panchang 16 November 2022: आज 16 नवंबर, बुधवार को कालाष्टमी है। हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान भैरव की पूजा का विधान है।

अष्टमी कब ः २०२२?

शारदीय नवरात्रि दुर्गा अष्टमी 2022 कब है? इस साल शारदीय नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी 03 अक्टूबर दिन सोमवार को है. नवरात्रि की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 02 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 47 मिनट से हो रहा है. यह 03 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 मिनट तक मान्य है.

कृष्ण पक्ष की अष्टमी कब है 2022?

हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. साल 2022 में अहोई अष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर, सोमवार को यानी आज रखा जा रहा है.

अष्टमी तिथि क्या है?

कृष्ण जन्माष्टमी या गोकुल अष्टमी हिंदू देवता विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाने वाला एक हिंदू त्योहार है। कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू कैलेंडर में भाद्र महीने के अंधेरे आधे या कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है, जब रोहिणी नक्षत्र लग्न होता है

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