(क) मुहावरे Show वे छोटे-छोटे वाक्यांश हैं जिनके प्रयोग से भाषा में सौन्दर्य, प्रभाव, चमत्कार और विलक्षणता आती है। महावरा वाक्यांश होता है, अतः इसका स्वतन्त्र प्रयोग न होकर वाक्य के बीच में उपयोग किया जाता है। मुहावरे के वास्तविक अर्थ का ज्ञान होने पर ही इसका सही उपयोग हो सकता है। इसका सामान्य अर्थ न लेकर इसके गूढ़ अर्थ या व्यंजना से अर्थ समझना चाहिए। इसका उपयोग करने में इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
यहाँ कुछ मुहावरे, उनके अर्थ और प्रयोग क्रमशः दिये जा रहे हैं (11) अपने मुँह मियाँ मिट्ठ (अपनी प्रशंसा आप
करना)-अरुण हमेशा अपने मुँह मियाँ मिट्ठ बना रहता है। (21) आँखों का तारा होना (अत्यन्त प्रिय होना)-रुचि अपनी मम्मी की आँख का तारा है। (31) आकाश से बातें करना (ऊँचे उठते जाना)-सौरभ की पतंग आकाश से बातें करने लगी तो वह बहुत खुश हो गया। (41) हाथों के
तोड़े उड़ जाना (होश उड़ना)-विष्णु घर से क्या गया, नीलिमा के हाथों के तोते उड़ गये। (51) बाल-बाँका न होना (हानि न होना)-विपत्ति में पड़ने पर धैर्य नहीं खोना चाहिये धैर्यवान व्यक्ति का बाल भी बाँका न होगा। (61) पेट में चूहे दौड़ना (भूख लगना)- गरीबों के धन अभाव के कारण पेट में चूहे दौड़ते रहते हैं। (71) आँख लगना (झपकी आना)-टी. वी. देखते-देखते अचानक मेरी आँख लग गयी और चोर चोरी कर ले गये। (81) उधेड़-बुन में पड़ना (दुविधा में पड़ना)-कार्य का अत्यधिक बोझ होने के कारण
दीपक उधेड़-बुन में पड़ा है कि कौन-सा कार्य पहले पूरा करे। (91) कलेजा फटना
(दुःखी होना)-पति की मृत्यु के बाद सीमा का कलेजा फट गया। (101) कौड़ी का न पूछना (तनिक भी सम्मान न करना)-आजकल के पुत्र वृद्ध होने पर माता-पिता को कौड़ी का भी नहीं पूछते हैं। (111) गाल फुलाना (गुस्से में चुप होना)-सीमा ने गीता से कहा तुम तो हर समय गाल फुलाये रहती हो तुमसे कौन बात करेगा? (121) चम्पत हो जाना (गायब हो जाना)-पुलिस को देखकर अपराधी चम्पत हो जाते हैं। (131) छठी का दूध याद आना (अत्यधिक परेशानी का अनुभव करना)-पर्वतारोहियों को दुर्गम चढ़ाई चढ़ने में छठी का दूध याद आ गया। (141) जमीन पर पाँव न रखना (अभिमान करना)-अचानक धन प्राप्त होने पर महेश के पाँव जमीन पर नहीं पड़ते। (151) आपे से बाहर होना (क्रोध में होश खो बैठना)-जगदीश ने श्याम से कहा मेरी जरा सी भूल पर तुम आपे से बाहर क्यों हो रहे हो? (161) टाँग पसार कर सोना (निश्चिन्त
होना)-बेटी का विवाह सम्पन्न होने पर माता-पिता टाँग पसार कर सोते हैं। (171) तलवे चाटना (खुशामद)-आजकल बहुत से लोग दूसरों के तलवे चाटकर अपना काम बना लेते हैं। (181) कपाल क्रिया करना (मार डालना)-वीर युद्धभूमि में शत्रुओं की कपाल क्रिया करके ही चैन की साँस लेते हैं। (191) अंधेर मचाना (खुला अन्याय करना)-आजकल आतंकवादियों ने अंधेर मचा रखा है। (201) घमण्ड चूर करना (परास्त करना)-कारगिल के छद्म युद्ध में भारत ने पाकिस्तान का घमण्ड चूर कर दिया। [2015] (ख) लोकोक्ति या कहावतें मनुष्य का जीवन अनुभवों से भरा है। कभी-कभी एक ही अनुभव कई लोगों को होता है और उनके मुँह से जो बातें निकलती हैं वे प्रचलित होकर कहावत बन जाती हैं। लोक + उक्ति = लोकोक्ति, लोगों द्वारा कहा गया कथन है। ये लोकोक्तियाँ प्रायः नीति, व्यंग्य, चेतावनी, उपालम्भ आदि से सम्बन्धित होती हैं। अपनी बात की पुष्टि के लिए लोग लोकोक्ति का सहारा लेते हैं। कभी-कभी बिना असली बात कहे हुए भी लोग लोकोक्ति बोल देते हैं और वास्तविक अर्थ प्रसंग से समझ लिया जाता है। लोकोक्तियाँ मुहावरे की अपेक्षा विस्तृत होती हैं। ये क्रियार्थक नहीं होती। ये अविकारी होती हैं, इन्हें लिंग, वचन के अनुसार बदलते नहीं हैं। इन्हें वाक्यों में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। ये वाक्य रूप में ही अपने आप में पूर्ण होती हैं। लोकोक्तियाँ लेखकों के लेखन या भाषणकर्ताओं से निसृत होकर प्रचलित होती हैं। लोकोक्ति साहित्य का गौरव है। इन्हें समझने के लिए इनका सही अर्थ जानना आवश्यक है, तभी इनका प्रयोग सफल होगा। लोकोक्ति का प्रयोग
करते समय इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए- इसी प्रकार कुछ लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ इस प्रकार हैं- (11) अन्धा क्या चाहे दो आँखें-मनचाही वस्तु देने वाले से और कुछ नहीं चाहिए। (21) उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे-अनुचित काम करके भी न दबना। (31) कर नहीं तो डर नहीं-बुरा न किया तो किसी से डरना कैसा। MP Board Class 11th Hindi Solutionsनमक का दरोगा पाठ में आने वाले 5 5 मुहावरे एवं लोकोक्तियों को छाँटकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए?नमक के दारोगा पाठ में कई सारे मुहावरे का प्रयोग किया गया है।
जैसे नौकरी में हदे की ओर ध्यान रख देना। यह तो पीर का मज़ार है। जहाँ कुछ ऊपरी आए हो मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है, जो 1 दिन दिखाई देता है और घटते घटते लुप्त हो जाता है। ऐसा काम ढूंढना जहाँ कुछ ऊपरी आए हो।
दस मुहावरे और दस लोकोक्तियाँ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करें?प्रयोग- अभी मैं विद्यालय से अवकाश लेने की सोच ही रही थी कि मेघा ने मुझे बताया कि कल विद्यालय में अवकाश है। यह तो वही हुआ- अन्धा क्या चाहे दो आँखें। अंधों के आगे रोना, अपना दीदा खोना= (मूर्खों को सदुपदेश देना या अच्छी बात बताना व्यर्थ है।) प्रयोग- मुन्ना को समझाना तो अंधे के आगे रोना, अपना दीदा खोना वाली बात है।
नमक का दरोगा कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?यह कहानी धन के ऊपर धर्म के जीत की है। कहानी में मानव मूल्यों का आदर्श रूप दिखाया गया है और उसे सम्मानित भी किया गया है। सत्यनिष्ठा, धर्मनिष्ठा और कर्मपरायणता को विश्व के दुर्लभ गुणों में बताया गया है। अन्त में यह शिक्षा दी गयी है कि एक बेइमान स्वामी को भी एक इमानदार कर्मचारी की तलाश रहती है।
नमक का दरोगा कहानी का क्या उद्देश्य है लिखिए?नमक का दरोगा कहानी का उद्देश्य होता है कि ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठ समाज का निर्माण करना। नमक का दरोगा कहानी के पात्र कौन-कौन हैं? नमक का दरोगा कहानी में चार प्रमुख पात्र हैं – अलोपीदीन, मुंशी वंशीधर, बूढ़े मुंशी जी और नमक।
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