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Rahim ke dohe—मोती,मानुष,चून के संदभ्र मै पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए|
Posted by Surjeet Mohanty 2 years, 2 months ago
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यहां पानी का अर्थ जल और इज्जत से है
'मोती' के संदर्भ में अर्थ है चमक या आब इसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं है। 'मानुष' के संदर्भ में पानी का अर्थ मान सम्मान है मनुष्य का पानी अर्थात सम्मान समाप्त हो जाए तो उसका जीवन व्यर्थ है। 'चून' के संदर्भ में पानी का अर्थ अस्तित्व से है। पानी के बिना आटा नहीं गूँथा जा सकता। आटे और चूना दोनों में पानी की आवश्यकता होती है।
Or
Other explanation
जिस प्रकार मोती का पानी उतर जाता है। अर्थात् उसकी चमक समाप्त हो जाती है तो उसका कोई महत्त्व नहीं रह जाता। मनुष्य का पानी उतरने से आशय मनुष्य का मान-सम्मान समाप्त हो जाता है। ‘चून’ पानी से ही गूँधा जाता है। सूखा आटा पानी के बिना किसी का पेट भरने में सहायक नहीं। इस प्रकार मोती, मनुष्य और चून के लिए पानी का अपना विशेष महत्त्व है।
Posted by Prasanjeet Singh 3 weeks, 6 days ago
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Posted by Mohammad Arman 3 days, 22 hours ago
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Posted by Vidhi Suthar 1 month ago
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Posted by Vidhi Suthar 1 month ago
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Posted by Supriya Chamoli 1 week, 6 days ago
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Posted by Jash Kaur 1 week, 5 days ago
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Posted by Tanisha Tanisha 1 month, 1 week ago
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Posted by Tanya Ayush 1 month, 1 week ago
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Posted by Balbir Bittu 3 weeks, 1 day ago
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Posted by Vishakha Gahlot Mannu Singh 2 weeks, 1 day ago
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निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए :
'मोती, मानुष, चून' के संदर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
Solution
'मोती' के संदर्भ में अर्थ है चमक या आब इसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं है। 'मानुष' के संदर्भ में पानी का अर्थ मान सम्मान है मनुष्य का पानी अर्थात सम्मान समाप्त हो जाए तो उसका जीवन व्यर्थ है। 'चून' के संदर्भ में पानी का अर्थ अस्तित्व से है। पानी के बिना आटा नहीं गूँथा जा सकता। आटे और चूना दोनों में पानी की आवश्यकता होती है।
Concept: पद्य (Poetry) (Class 9 B)
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APPEARS IN
रहिमन पानी राखिये
रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥
रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयुक्त किया है। पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में 'विनम्रता' से है। मनुष्य में हमेशा विनम्रता (पानी) होना चाहिए। पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं। तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है। रहीम का कहना है कि जिस तरह आटे के बिना संसार का अस्तित्व नहीं हो सकता, मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है उसी तरह विनम्रता के बिना व्यक्ति का कोई मूल्य नहीं हो सकता। मनुष्य को अपने व्यवहार में हमेशा विनम्रता रखनी चाहिए।
स्रोत :
- पुस्तक : रहीम ग्रंथावली (पृष्ठ 100)
- रचनाकार : रहीम
- प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
- संस्करण : 1985
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