प्रबन्ध काव्य (Prabandh Kavya)–
जब किसी काव्य में एक कथा का सूत्र विभिन्न छंदों के माध्यम से जुड़ा रहे तो वह प्रबंध काव्य कहलाता है। प्रबन्ध काव्य में क्रमशः रूप से कोई कथा निबद्ध (जुड़ी) रहती है।
उदाहरण– रामचरित मानस, पंचवटी, यशोधरा, कामायनी, सुदामा चरित ये सभी प्रबन्ध काव्य हैं।
प्रबन्ध काव्य के भेद– प्रबंध काव्य के दो भेद हैं (i) महाकाव्य (ii) खंडकाव्य
(i) महाकाव्य (Mahakavya) – किसी काव्य में जब किसी महापुरुष के संपूर्ण जीवन वृत्त का वर्णन किया जाता है, तो वह महाकाव्य होता है।
जैसे– तुलसीदास कृत रामचरितमानस एवं जयशंकर प्रसाद रचित कामायनी यह दोनों महाकाव्य के उदाहरण हैं।
रामायण में भगवान श्रीराम के सम्पूर्ण जीवन वृत्त का वर्णन किया गया है जबकि कामायनी में मनु और श्रद्धा (शतरूपा) के सम्पूर्ण जीवन का वर्णन है।
इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. घनाक्षरी छंद और इसके उदाहरण
2. काव्य का 'प्रसाद गुण' क्या होता है?
3. अपहनुति अलंकार किसे कहते हैं? एवं विरोधाभास अलंकार
4. भ्रान्तिमान अलंकार, सन्देह अलंकार, पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार
5. समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द– अपेक्षा, उपेक्षा, अवलम्ब, अविलम्ब शब्दों का अर्थ
(ii) खंडकाव्य (khand Kavya) – जब किसी काव्य में किसी महापुरुष के जीवन के किसी एक भाग को प्रस्तुत किया जाता है, उसे खण्ड काव्य कहा जाता है।
जैसे – मैथिली शरण गुप्त रचित पंचवटी एवं नरोत्तम दास रचित सुदामा चरित ये दोनों खंड काव्य का उदाहरण है।
इस तरह ये प्रबन्ध काव्य के भेद हैं।
मुक्तक काव्य (Muktak Kavya) –
काव्य में जब प्रत्येक छन्द अपने आप में पूर्ण एवं स्वतंत्र रहता है। एक छंद का संबंध दूसरे से नहीं होता है, ऐसे काव्य को मुक्तक काव्यकहते हैं।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने मुक्तक काव्य के विषय में कहा है– "मुक्तक काव्य एक चुना हुआ गुलदस्ता है।"
नीचे दिए गए उदाहरण को देखिए–
(i) बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।
सौंह कहै भौहन हँसे, देन कहें नटि जाय।।
(ii) कोऊ कोटिक संग्रह, कोऊ लाख हजार।
मो सम्पति यदुपति सदा, विपति विदारनहार॥
क्या उक्त दोनों दोहे एक दूसरे से किसी कथा सूत्र में बंधे हैं? नहीं!
यदि इन दोहों को आगे-पीछे लिख दिया जाए या पढ़ा जाए तो अर्थग्रहण में कोई व्यवधान नहीं आता है? ये दोनों दोहे अपने आप में पूर्ण और स्वतंत्र है। अतः ये प्रबन्ध काव्य के अंश नहीं हैं। ऐसे संग्रह मुक्तक काव्य की श्रेणी में आते हैं।
उदाहरण– कबीर की साखी, बिहारी के दोहे, रहीम के दोहे, वृन्द के दोहे आदि मुक्तक काव्य के उदाहरण हैं।
इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. समास के प्रकार, समास और संधि में अन्तर
2. संधि - स्वर संधि के प्रकार - दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण और अयादि
3. वाक्य – अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार
4. योजक चिह्न- योजक चिह्न का प्रयोग कहाँ-कहाँ, कब और कैसे होता है?
5. वाक्य रचना में पद क्रम संबंधित नियम
6. कर्त्ता क्रिया की अन्विति संबंधी वाक्यगत अशुद्धियाँ
आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfcompetiton.com
इसे सुनेंरोकें1. प्रबंध काव्य में छंद एक कथासूत्र में पिरोए हुए होते हैं, जबकि मुक्तक काव्य में छंद एक-दूसरे से स्वतंत्र होते हैं। 2. प्रबंध काव्य में किसी एक व्यक्ति के जीवन चरित्र का वर्णन होता है, जबकि मुक्तक काव्य में किसी अनुभूति, कल्पना या भाव का चित्रण होता है।
छंद मुक्त कविता क्या है?
इसे सुनेंरोकेंदोस्तों, छंद मुक्त कविता उस कविता को कहते हैं, जो छंद के नियमों से स्वतंत्र रहती है। जिसे बिना छंद के नियमों को ध्यान में रखकर लिखा जाता है। लेकिन आज के वक्त में लोग छंद मुक्त कविता का अर्थ गलत समझ लेते हैं। वो इसलिए क्योंकि छंद मुक्त कविता छंद से मुक्त होती है।
प्रबंध काव्य की परिभाषा क्या है?
इसे सुनेंरोकेंइसमें कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे रामचरित मानस।
पढ़ना: एक त्रिभुज में कितने विकर्ण होते हैं?
मुक्त छंद किसकी देन है?
इसे सुनेंरोकेंहिन्दी में मुक्तछन्द की परम्परा सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ ने आरम्भ की।
खंडकाव्य कितने प्रकार के होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंमहाकाव्य प्रमुख कथा केसाथ अन्य अनेक प्रासंगिक कथायें भी जुड़ी रहती हैं इसलिए इसका कथानक उपन्यास की भाँति धीरे-धीरे फलागम की ओर अग्रसर होता है। खण्डाकाव्य में केवल एक प्रमुख कथा रहती है, प्रासंगिक कथाओं को इसमें स्थान नहीं मिलने पाता है। भाषा विभाषा नियमात् काव्यं सर्गसमुत्थितम्।
मुक्तक छंद के प्रवर्तक कौन है?
प्रबंध काव्य कौन सा है?
इसे सुनेंरोकेंप्रबंध काव्य में कोई धारावाहिक कथा होती है। अर्थात किसी कथायुक्त श्रव्य को प्रबंध काव्य कहा जाता है। इसमें किसी घटना अथवा क्रिया का वर्णन काव्यात्मक रूप में होता है। जयशंकर प्रसाद की रचना ‘ कामायनी ‘ को इसका एक श्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है।
प्रबंध काव्य का क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकेंइसमें कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे रामचरित मानस। 1- महाकाव्य इसमें किसी ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुष की संपूर्ण जीवन कथा का आद्योपांत वर्णन होता है।
पढ़ना: पंचक कब से कब तक है October 2021?
छंद मुक्त कविता को कविता बनाने वाले तीन तत्व कौन से हैं?
इसे सुनेंरोकें3) भाव प्रवाह :- छंदमुक्त कविता में भावों का निरंतर प्रवाह होना आवश्यक है अर्थात किसी भी बंद में भावों की शृंखला ना टूटे और पाठक को कविता पड़ने पर मजबूर करदे। 4) भाषा शैली :- मुक्तछंद कविता की भाषा शैली अत्यंत ही सहज, सरल और सर्वग्राही होनी चाहिए। यदि कंही कंही तुकांत भी हो जाए तो कविता का काव्य सौंदर्य निखर उठेगा।
छंदमुक्त कविता की क्या विशेषता होती है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: कविता सहज सरल तरल है जैसे पानी और यह उतनी ही स्वाभाविक जैसे सांस लेना। जो छंद जानता है वही छंद मुक्त भी लय में लिख सकता है, वरना छंद मुक्त कविता मंे शिल्प लय की कमी होती है। वैसी कविता गद्यात्मक हो जाती है।