महासागरों में लवणता के क्या कारण है? - mahaasaagaron mein lavanata ke kya kaaran hai?

सागरीय जल में घुले लवण प्रधान ठोस पदार्थों की मात्रा को सागरीय जल की लवणता कहते हैं। समुद्री जल में मुख्यतः 47 प्रकार के लवण पाए जाते हैं, जिसमें 7 प्रकार के लवण सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, इसमें – 

  • सोडियम क्लोराइड – 77.8 प्रतिशत
  • मैग्निशियम क्लोराइड – 10.9 प्रतिशत
  • मैग्नीशियम सल्फेट – 4.7 प्रतिशत
  • कैलशियम सल्फेट – 3.6 प्रतिशत
  • पोटेशियम सल्फेट – 2.5 प्रतिशत
  • कैल्शियम कार्बोनेट – 0.3 प्रतिशत
  • मैग्निशियम ब्रोमाइड – 0.2 प्रतिशत

आदि विभिन्न मात्रा में पाए जाते हैं। लवण का मापन प्रति हजार ग्राम समुद्री जल के अनुपात में होता है। डिटमर के अनुसार सागरीय जल में औसत प्रति हजार ग्राम समुद्री जल में 35 ग्राम लवण पाया जाता है। लेकिन विभिन्न महासागरों में तथा महासागरों के अंतर्गत भी लंबवत एवं क्षैतिज वितरण में विषमता पाई जाती है। 

  • अटलांटिक महासागर – 37.8 प्रतिशत 
  • प्रशांत महासागर – 36.3 प्रतिशत व
  • हिंद महासागर – 34.8 प्रतिशत लवणता पाई जाती है।

लवणता वितरण के भौगोलिक कारक :

समुद्री जल के क्षैतिज लवणता वितरण के विषमता के प्रमुख भौगोलिक कारक निम्नलिखित हैं।

  1. वाष्पीकरण का विषम प्रभाव – विषुवत रेखीय क्षेत्रों को छोड़कर अन्य उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वाष्पीकरण का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है, जिससे लवणता की मात्रा बढ़ जाती है। विषुवत रेखीय क्षेत्रों में अधिक वर्षा के कारण लवणता की मात्रा कम हो जाती है। उच्च अक्षांशों में कम वाष्पीकरण के कारण लवणता अपेक्षाकृत कम पाई जाती है।
  2. समुद्री जल धारा : गर्म जल धाराओं के कारण समुद्री जल की लवणता में वृद्धि हो जाती है, जबकि ठंडी जलधारा समुद्री जल की लवणता घटा देती है। उत्तरी अटलांटिक एवं उत्तरी प्रशांत गर्म धारा क्रमश: उत्तरी सागर एवं अलास्का के तट पर लवणता में वृद्धि कर देती है।
  3. बर्फ का पिघलना – उच्च अक्षांशो में ऋतु परिवर्तन के कारण बर्फ के पिघलने से लवणता में कमी आती है।
  4. नदियों द्वारा स्वच्छ जल की आपूर्ति : नदियों के मूहाने वाले सागरीय क्षेत्र में लवणता में कमी होती है। काला सागर में अनेक नदियों के गिरने के कारण लवणता कम पाई जाती है, जबकि कैस्पियन सागर में अधिक लवणता पाई जाती है।
  5. तटीय आकृति – यदि तटरेखा सीधी हो तो लवणता का मिश्रण हो जाने पर लवणता का प्रभाव कम हो जाता है जबकि टेढ़ी और बंद तटरेखा वाले सागरीय क्षेत्रों में लवणता का प्रभाव अधिक होता है।
  6. ज्वालामुखी पदार्थों की अधिकता – ज्वालामुखी पदार्थों में लवणता की मात्रा पाई जाती है। अतः ज्वालामुखी पदार्थ प्रधान क्षेत्र में लवणता अधिक पाई जाती है।
  7. वायुदाब का प्रभाव – अधिक वायुदाब के कारण जल बैठ जाता है, अतः इसको भरने के लिए जलधाराएं चलती है, इससे लवणता की मात्रा प्रभावित होती है।

लवणता का क्षैतिज वितरण :

लवणता के क्षैतिज वितरण की दृष्टि से विश्व के महासागरीय क्षेत्रों को 4 भागों में बांटा जा सकता है –

  • अत्यधिक लवणता का क्षेत्र  –  40 प्रतिशत से अधिक 
  • अधिक लवणता का क्षेत्र  –     30-40 प्रतिशत से अधिक
  • निम्न लवणता का क्षेत्र  –         20-30 प्रतिशत लवणता
  • न्यूनतम लवणता का क्षेत्र  –     20 प्रतिशत से कम लवणता

(1) अत्यधिक लवणता का क्षेत्र :

यह क्षेत्र मुख्यत: उष्ण कटिबंध के बंद सागर तथा झील है। ये वे क्षेत्र है, जहां वाष्पीकरण का तीव्र प्रभाव है तथा वाष्पीकरण के अनुपात में जल की आपूर्ति ही नहीं होती है। ऐसी स्थिति में लवण के अनुपात में वृद्धि होती है। इस प्रकार के लवण प्रधान क्षेत्र मरुस्थलीय और अर्धमरुस्थलीय जलवायु प्रदेशों में पाए जाते हैं, जैसे – 

  • टर्की की वान झील –                 330 प्रतिशत (सर्वाधिक)
  • मृत सागर –                             240 प्रतिशत
  • ग्रेट साल्ट लेक –                       220 प्रतिशत
  • लाल सागर –                            37-40 प्रतिशत
  • पर्शियन सागर –                        37.38 प्रतिशत
  • भूमध्य सागर –                          37.39 प्रतिशत
  • कैस्पियन सागर का दक्षिण भाग – 40 प्रतिशत

भूमध्य सागर के अफ्रीकी तट के किनारे तथा जिब्राल्टर की खाड़ी के पास लवणता अत्यधिक पाई जाती है।

(2) अधिक लवणता का क्षेत्र :

इसके अंतर्गत भी मुख्यतः उष्ण एवं उपोषण अक्षांश के क्षेत्र आते हैं। भौगोलिक वितरण की दृष्टि से सभी महासागरों के 30 डिग्री अक्षांश तक (विषुवत रेखा क्षेत्रों को छोड़कर) लवणता की मात्रा उच्च होती है। अधिक लवणता की मात्रा उच्च अक्षांश में भी देखने को मिलती है,  लेकिन यह उत्तरी अटलांटिक प्रवाह या उत्तरी प्रशांत प्रवाह के क्षेत्र तक ही सीमित है।

दक्षिणी गोलार्ध में तुलनात्मक रूप से लवणता की मात्रा कम होती है। इसका कारण यहां जलीय क्षेत्र का अधिक विस्तार होने से लवण मिश्रित हो जाना है एवं उपोषण क्षेत्र में लवणता का कारण वाष्पीकरण का अधिक प्रभाव एवं वर्षा की कम मात्रा है। जैसे –

  • कैरेबियन सागर  –            35-36 प्रतिशत लवणता
  • बास जलडमरूमध्य  –      35.5 प्रतिशत लवणता
  • कैलिफोर्निया की खाड़ी  –  35.5 आदि क्षेत्र सामान्य लवणता के क्षेत्र है।

(3) निम्न लवणता का क्षेत्र :

इसके अंतर्गत निम्न अक्षांशो के क्षेत्र आते हैं। जैसे –

  • विषुवतीय क्षेत्र : जो सभी महासागरों में 5 डिग्री अक्षांश तक पाए जाते हैं।
  • उच्च अक्षांशीय क्षेत्र : 30 डिग्री से 45 डिग्री तथा पुनः 55 डिग्री अक्षांश से आगे आर्कटिक सागर तक तथा दक्षिणी गोलार्ध में अंटार्कटिका के मग्नतटीय क्षेत्र तक देखने को मिलता है। यहां लवणता की मात्रा 20 से 30% होती है।

विषुवत रेखीय क्षेत्रों में कम लवणता का कारण संवाहनिक वर्षा एवं अनेक बड़ी नदियों का समुद्र में गिरना है। यहां जैरे तथा अमेजन प्रमुख नदियां गिरती है। जैरे के मुहाने पर लवणता 10% है। उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में कम लवणता का कारण वाष्पीकरण का निम्न प्रभाव है। यही कारण है कि ज्यों-ज्यों अक्षांशीय वृद्धि होती है त्यों-त्यों लवणता में कमी आती है। अतः आर्कटिक सागर की औसत लवणता 20% हो जाती है।

लवणता के कम होने का एक कारण हिमशिलाखंडों का आना तथा नदियों द्वारा स्वच्छ जल का लाया जाना है।

  • न्यून लवणता के क्षेत्र : इसके अंतर्गत उच्च अक्षांशो के बंद सागर तथा झील आते हैं। ये वें क्षेत्र है, जहां वाष्पीकरण का प्रभाव न्यून है तथा नदी तथा हिमानी द्वारा बड़ी संख्या में स्वच्छ जल लाया जाता हैं। जैसे –

काला सागर, उजला सागर व हडसन खाड़ी जैसे क्षेत्र न्यून लवणता के क्षेत्र हैं। यहां औसत लवणता 11 से 13 प्रतिशत पाई जाती है। बाल्टिक सागर के गोटलैंड के पास सबसे कम लवणता पाई जाती है। यहां 6 से 7% लवणता पाई जाती है।

लवणता का लंबवत वितरण :

लवणता के लंबवत वितरण में भी असमानता पाई जाती है। विषुवत रेखीय क्षेत्रों में सतह के ऊपर कम लवणता पाई जाती है। लेकिन नीचे में जल में लवणता का प्रभाव अधिक होता है। अधिक घनत्व के कारण लवण नीचे बैठते रहते हैं तथा वर्षा के कारण स्वच्छ जल का सतह पर अधिक प्रभाव पड़ता है। मध्य अक्षांश क्षेत्रों में 200 फैदम की गहराई तक लवणता बढ़ती है, पुनः घटती है। इसका कारण उपसतही जलधारा है, जो उच्च अक्षांशो से मध्य अक्षांशों की तरह चलती है। उच्च अक्षांशो में गहराई के अनुसार लवणता में वृद्धि होती है।

महत्वपूर्ण तत्थ :

  1. विश्व की सर्वाधिक लवणता टर्की की वान झील में 330%० रहती है। इसके बाद मृत सागर में 238%० तथा संयुक्त राज्य अमेरिका की ग्रेट साल्ट लेक में 220%० लवणता पायी जाती है।
  2. भारत की सांभर झील लवणता के मामले में सबसे अधिक लवणता वाली झील है। दुनिया की सबसे बड़ी झील कैस्पियन सागर ( यूरेशिया) क्षेत्रफल – 371000 वर्ग किमी है।
  3. विभिन्न सागरों या महासागरो में लवणता की मात्रा 33%० से 37%० के बीच रहती है। महासागरों की औसत लवणता 35%० है। परन्तु प्रत्येक महासागर, झील आदि में लवणता की मात्रा अलग-अलग पायी जाती है।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग