मेघा के लिए बन ठन के सवर के आने के बाद क्यों कहीं गई है? - megha ke lie ban than ke savar ke aane ke baad kyon kaheen gaee hai?

मेघों के लिए 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात क्यों कही गई है?

Solution

बहुत दिनों तक न आने के कारण गाँव में मेघ की प्रतीक्षा की जाती है। जिस प्रकार मेहमान (दामाद) बहुत दिनों बाद आते हैं, उसी प्रकार मेघ भी बहुत समय बाद आए हैं। अतिथि जब घर आते हैं तो सम्भवत: उनके देर होने का कारण उनका बन-ठन कर आना ही होता है। कवि ने मेघों में सजीवता डालने के लिए मेघों के 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात कही है।

Concept: पद्य (Poetry) (Class 9 A)

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मेघों के लिए 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात क्यों कही गई है?

कवि ने मेघों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है। बहुत दिनों तक न आने के कारण गाँव में मेघ की प्रतीक्षा की जाती है। जिस प्रकार मेहमान (दामाद) बहुत दिनों बाद आते हैं, उसी प्रकार मेघ भी बहुत समय बाद आए हैं। अतिथि जब घर आते हैं तो सम्भवत: उनके देर होने का कारण उनका बन-ठन कर आना ही होता है। ठीक उसी प्रकार मेघ भी बहुत दिनों बाद आए हैं क्योंकि उन्हें बनने सँवरने में देर हो गई थी।

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कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।

मानवीकरण अलंकार:
1. मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
मेघ का दामाद के रुप में मानवीकरण हुआ है।

2.पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए।
पेड़ो का नगरवासी के रुप में मानवीकरण किया गया है।

3. धूल भागी घाघरा उठाए।
धूल का स्त्री के रुप में मानवीकरण किया गया है।

4. बोली अकुलाई लता
लता स्त्री की प्रतीक है।

5. आगे-आगे नाचती बयार चली
यहाँ बयार का स्त्री के रुप में मानवीकरण हुआ है।

6. बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की
पीपल का पुराना वृक्ष गाँव के सबसे बुज़र्ग आदमी के रुप में है।

रूपक अलंकार:
1. दामिनी दमकी
दामिनी दमकी को बिजली के चमकने के रुपक द्वारा प्रस्तुत किया गया है।2. क्षितिज अटारी
यहाँ क्षितिज को अटारी के रुपक द्वारा प्रस्तुत किया गया है।

3. बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
झर-झर मिलन के अश्रु द्वारा बारिश को पानी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।

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भाव स्पष्ट कीजिए -
क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की

भाव - नायिका को यह भ्रम था कि उसके प्रिय अर्थात् मेघ नहीं आएँगे परन्तु बादल रूपी नायक के आने से उसकी सारी शंकाएँ मिट जाती है और वह क्षमा याचना करने लगती है। 

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निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं?
• धूल
• पेड़
• नदी
• लता
• ताल

1 धूल - स्त्री
2 पेड़ - नगरवासी
3 नदी - स्त्री
4 लता - मेघ की प्रतिक्षा करती नायिका
5 ताल - सेवक

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लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?

लता ने बादल रूपी मेहमान को किवाड़ की ओट में से देखा क्योंकि एक तो वह बादल को देखने के लिए व्याकुल हो रही थी और दूसरी ओर वह बादलों के देरी से आने के कारण व्याकुल हो रही थी।

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बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।

बादलों के आने पर प्रकृति में निम्न गतिशील क्रियाएँ हुई-
1. पेड़ों द्वारा मेहमानों को गरदन ऊँची कर देखना।
2. आँधी का आना और धूल का उड़ना।
3. नदी का ठिठकना और बाँकी नज़र से देखना।
4. बुजुर्ग सदस्य पीपल का आगे बढ़कर मेहमान का स्वागत करना।
5. स्वागत में तालाब का परात भर पानी लाना।
6. बादलों के आने की सूचना बयार नाचते-गाते देती हुई चलती है।
7. आकाश में बिजली चमकना और वर्षा के बूंदों के रूप में मिलन के अश्रु बहाना। 
8. उसके आगमन की सूचना में घर के खिड़की दरवाजे खुल जाते हैं।

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Page No 128:

Question 1:

बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।

Answer:

बादलों के आने पर प्रकृति के निम्नलिखित क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है -

(1) बादल मेहमान की तरह बन-ठन कर, सज-धज कर आते हैं।

(2) उसके आगमन की सूचना देते हुए आगे-आगे बयार चलती है।

(3) उनके आगमन की सूचना पाते ही लोग अतिथि सत्कार के लिए घर के दरवाज़े तथा खिड़कियाँ खोल देते हैं।

(4) वृक्ष कभी गर्दन झुकाकर तो कभी उठाकर उनको देखने का प्रयत्न कर रहे हैं।

(5) आँधी के आने से धूल का घाघरा उठाकर भागना।

(6) प्रकृति के अन्य रुपों के साथ नदी ठिठक गई तथा घूँघट सरकाकर आँधी को देखने का प्रयास करती है।

(7) सबसे बड़ा सदस्य होने के कारण बूढ़ा पीपल आगे बढ़कर आँधी का स्वागत करता है।

(8) ग्रामीण स्त्री के रुप में लता का किवाड़ की ओट से देर से आने पर उलाहना देना।

(9) तालाब मानो स्वागत करने के लिए परात में पानी लेकर आया हो।

(10) इसके बाद आकाश में बिजली चमकने लगी तथा वर्षा के रुप में उसके मिलन के अश्रु बहने लगे।
 

Page No 128:

Question 2:

निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं?

धू

पेड़

नदी

लता

ताल

Answer:

(1) धू- स्त्री

(2) पेड़- नगरवासी

(3) नदी- स्त्री

(4) लता- मेघ की प्रतिक्षा करती नायिका

(5) ताल- सेवक

Page No 128:

Question 3:

लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?

Answer:

लता ने बादल रुपी मेहमान को किवाड़ की ओट से देखा क्योंकि वह मेघ के देर से आने के कारण व्याकुल हो रही थी तथा संकोचवश उसके सामने नहीं आ सकती थी।

Page No 128:

Question 4:

भाव स्पष्ट कीजिए -

() क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की

() बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।

Answer:

() नायिका को यह भ्रम था कि उसके प्रिय (मेघ) आएँगे या नहीं, परन्तु बादल रुपी नायक के आने से सारे भ्रम दूर हो गए। अपनी शंका पर दु:ख व्यक्त करती हुई नायिका अपने प्रिय से क्षमा याचना करती है।

() प्रकृति के अन्य सभी रुपों पर मेघ के आने का प्रभाव पड़ा। नदी ठिठकी तथा उठकर ऊपर देखने की चेष्टा में उसका घूँघट सरक गया। वह भी मेघ के आगमन की प्रतीक्षा कर रही थी।

Page No 128:

Question 5:

मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?

Answer:

मेघ के आगमन से दरवाज़े-खिड़कियाँ खुलने लगे। हवा के तेज़ बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ अपना संतुलन खो बैठते हैं, कभी उठते हैं तो कभी झुक जाते हैं। धूल रुपी आँधी चलने लगती है। हवा के चलने से संपूर्ण वातावरण प्रभावित होता है - नदी की लहरें भी उठने लगती है, पीपल का पुराना वृक्ष भी झुक जाता है, तालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है। अन्तत: बिजली कड़कती है और आसमान से मेघ पानी के रुप में बरसने लगते हैं।

Page No 128:

Question 6:

मेघों के लिए'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात क्यों कही गई है?

Answer:

बहुत दिनों तक न आने के कारण गाँव में मेघ की प्रतीक्षा की जाती है। जिस प्रकार मेहमान (दामाद) बहुत दिनों बाद आते हैं, उसी प्रकार मेघ भी बहुत समय बाद आए हैं। अतिथि जब घर आते हैं तो सम्भवत: उनके देर होने का कारण उनका बन-ठन कर आना ही होता है। कवि ने मेघों में सजीवता डालने के लिए मेघों के 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात कही है।

Page No 128:

Question 7:

कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।

Answer:

कविता में प्रयुक्त मानवीकरण अलंकार इस प्रकार है

(1) आगे-आगे नाचती बयार चली

- यहाँ बयार का स्त्री के रुप में मानवीकरण हुआ है।

(2) मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

- मेघ का दामाद के रुप में मानवीकरण हुआ है।

(3) पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए

- पेड़ो का नगरवासी के रुप में मानवीकरण किया गया है।

(4) धूल भागी घाघरा उठाए।

- धूल का स्त्री के रुप में मानवीकरण किया गया है।

(5) बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की

- पीपल का पुराना वृक्ष गाँव के सबसे बुज़र्ग आदमी के रुप में है।

(6) बोली अकुलाई लता

- लता स्त्री की प्रतीक है।

कविता में प्रयुक्त अलंकार -

(1) क्षितिज अटारी

- यहाँ क्षितिज को अटारी के रुपक द्वारा प्रस्तुत किया गया है।

(2) दामिनी दमकी

- दामिनी दमकी को बिजली के चमकने के रुपक द्वारा प्रस्तुत किया गया है।

(3) बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।

- झर-झर मिलन के अश्रु द्वारा बारिश को पानी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।

Page No 128:

Question 8:

कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।

Answer:

कविता में गाँवों के रीति-रिवाजों के माध्यम से वर्षा ऋतु का चित्रण किया गया है। इसके माध्यम से कवि ने गाँव के कुछ रुढ़ीवादी परम्पराओं की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करने की चेष्टा की है; जैसे -

(1) दामाद चाहे किसी के भी घर आए लेकिन गाँव के सभी लोग उसमें बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।

(2) गाँव की स्त्रियाँ मेहमान से पर्दा करती हैं।

(3) नायिका भी मेहमान के समक्ष घूँघट रखती है।

(4) सबसे बुज़ुर्ग आदमी को झुककर मेहमान का स्वागत करना पड़ता है।

(5) मेहमान के आगमन पर वधु-पक्ष के लोगों को दुल्हें के पैरों को पानी से धोना पड़ता है।

Page No 128:

Question 9:

कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान(दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए।

Answer:

कविता में कवि ने मेघों के आगमन तथा गाँव में दामाद के आगमन में काफी समानता बताई है। जब गाँव में मेघ दिखते हैं तो गाँव के सभी लोग उत्साह के साथ उसके आने की खुशियाँ मनाते हैं। हवा के तेज़ बहाव से पेड़ अपना संतुलन खो बैठते हैं, नदियों तथा तालाबों के जल में उथल-पुथल होने लगती है। मेघों के आगमन पर प्रकृति के अन्य अव्यव भी प्रभावित होते हैं।

ठीक इसी प्रकार किसी गाँव में जब कोई दामाद आता है तो गाँव के सभी सदस्य उसमें बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। स्त्रियाँ चिक की आड़ से दामाद को देखने का प्रयत्न करती है, गाँव के सबसे बुज़र्ग आदमी सर्वप्रथम उसके समक्ष जाकर उसका आदर-सत्कार करते हैं। पूरी सभा का केन्द्रिय पात्र वहीं होता है।

Page No 128:

Question 10:

काव्य-सौंदर्य लिखिए -

पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सवँर के।

Answer:

यहाँ पाहुन (दामाद) के माध्यम से प्रकृति का मानवीकृत रुप प्रस्तुत किया गया है। कविता में चित्रात्मक शैली का प्रयोग किया गया है। कविता में भाषा का सहज तथा सरल रुप प्रस्तुत किया गया है। कहीं कहीं पर ग्रामीण शब्दों जैसे- 'पाहुन' का प्रयोग किया गया है।
'बड़े बन-ठन के' में '' वर्ण का प्रयोग बार-बार हुआ है। अत: यहाँ अनुप्रास अलंकार है। मेघों को पाहुन के रुपक द्वारा प्रस्तुत किया गया है। अत: यहाँ रुपक अलंकार है।

Page No 129:

Question 11:

वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।

Answer:

वर्षा के आने पर वातावरण में गर्मी खत्म हो जाती है, पेड़-पौधें स्वच्छ दिखते हैं, आस-पास के गड्ढों में पानी भर जाता है। सड़क किनारे नालों में पानी भर जाता है, ये पानी सड़क पर आ जाता है। इससे यात्रियों को असुविधा होती है। कभी-कभी अधिक वर्षा होने से सड़क पूरी तरह से पानी में डूब जाती है। उस समय बसों तथा टेक्सियों का आना-जाना भी मुश्किल हो जाता है।

Page No 129:

Question 12:

कवि ने पीपल को ही बड़ा बुज़र्ग क्यों कहा है? पता लगाइए।

Answer:

पीपल के वृक्ष की आयु अन्य सभी वृक्षों से अधिक होती है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि गाँवों में पीपल के वृक्ष को पूज्यनीय माना जाता है तथा इसकी पूजा भी की जाती है। सम्भवत: इन्हीं कारणों से कवि ने पीपल को ही बड़ा बुज़ुर्ग कहा है।

Page No 129:

Question 13:

कविता में मेघ को'पाहुन' के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नज़र आते हैं, लिखिए।

Answer:

हमारी संस्कृति में अतिथि को देव तुल्य माना जाता रहा है - 'अतिथि देवो भव:'। परन्तु आज के समाज में इस विषय को लेकर बहुत परिवर्तन आए हैं। इसका प्रमुख कारण भारत में पाश्चात्य संस्कृति का आगमन है। पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण करते-करते आज का मनुष्य इतना आत्मकेन्द्रित होता जा रहा है कि उसके पास दूसरों के लिए समय का अभाव हो गया है। इसी कारण आज संयुक्त परिवार की संख्या धीरे-धीरे घटती जा रही है। ऐसी अवस्था में अतिथि का सत्कार करने की परम्परा प्राय: लुप्त होती जा रही है।

Page No 129:

Question 14:

कविता में आए मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।

Answer:

(1) बन-ठन के  - (तैयारी के साथ) आज काव्य सम्मेलन में सभी कवि बन-ठन के आए हैं।

(2) सुधि लेना  - (खबर लेना) बहुत दिन हो गए मैंने अपने प्रिय मित्र की सुधि तक नहीं ली।

(3) गाँठ खुलना  - (समस्या का समाधान होना) बात की तह तक पहुँचकर ही दोनों के बीच बंधी गाँठ खुल सकती है।

(4) मिलन के अश्रु  - (मिलने की खुशी) इतने दिनों के बाद अपने सगे भाई से मिलकर उसकी आँखों से मिलन के अश्रु  बह  निकले।

Page No 129:

Question 15:

कविता में प्रयुक्त आँचलिक शब्दों की सूची बनाइए।

Answer:

(1) बयार

(2) पाहुन

(3) उचकाना

(4) जुहार

(5) सुधि-लीन्हीं

(6) किवार

(7) अटारी

Page No 129:

Question 16:

मेघ आएकविता की भाषा सरल और सहज है - उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

Answer:

'मेघ आए' कविता की भाषा सरल तथा सहज है। निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा इसे स्पष्ट किया जा सकता है

(1) मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

(2) पाहुन ज्यों आए हो गाँव में शहर के।

(3) पेड़ झुककर झाँकने लगे गरदन उचकाए।

(4) बरस बाद सुधि लीन्हीं

(5) पेड़ झुककर झाँकने लगें

उपर्युक्त पंक्तियों में ज़्यादातर साधारण बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया गया है। कहीं-कहीं पर गाँव का माहौल स्थापित करने के लिए ग्रामीण भाषा, जैसे - पाहुन, सुधि आदि का प्रयोग किया गया है। उसे समझने में कठिनाई नहीं होती है।

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मेघ के लिए बन ठन के सवार के आने की बात क्यों कही गई है?

जिस प्रकार मेहमान (दामाद) बहुत दिनों बाद आते हैं, उसी प्रकार मेघ भी बहुत समय बाद आए हैं। अतिथि जब घर आते हैं तो सम्भवत: उनके देर होने का कारण उनका बन-ठन कर आना ही होता है। कवि ने मेघों में सजीवता डालने के लिए मेघों के 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात कही है।

मेघ आए बड़ेबन ठन के सवर के म5कौन सा है?

मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के में मानवीकरण अलंकार है।

मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन आता है?

मेघ के आगमन से दरवाज़े-खिड़कियाँ खुलने लगे। हवा के तेज़ बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ अपना संतुलन खो बैठते हैं, कभी उठते हैं तो कभी झुक जाते हैं। धूल रुपी आँधी चलने लगती है।

पाहून के आने से गांव में क्या हलचल हुई?

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