इसे सुनेंरोकेंExplanation: भिखमंगे के वेश में भी लेखक थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव में पहुँचने पर इसलिए ठहरने का अच्छा स्थान पा गया क्योंकि उसके साथ सुमति थे।
ल्हासा की ओर पाठ का उद्देश्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंपाठ का सार इस पाठ में राहुल जी ने अपनी पहली तिब्बत यात्रा का वर्णन किया है जो उन्होने सन 1929-30 मे नेपाल के रास्ते की थी। चूँकि उस समय भारतीयो को तिब्बत यात्रा की अनुमति नही थी, इसलिए उन्होने यह यात्रा एक भिखमन्गो के छ्द्म वेश मे की थी।
ल्हासा की ओर नामक पाठ के लेखक का नाम क्या है *?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: ल्हासा की ओर पाठ के लेखक राहुल सांकृत्यायन है।
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ल्हासा की ओर पाठ में कंजुर शब्द का अर्थ क्या है *?
इसे सुनेंरोकें’ल्हासा की ओर’ पाठ हिन्दी गद्य की कौन-सी विधा है। Question 9. ‘कुची-कुची’ का क्या अर्थ है? कुची-कुची का अर्थ है दया-दया।
लेखक का घोड़ा धीरे धीरे क्यों चल रहा?
इसे सुनेंरोकेंलेखक समझ रहा था की चढ़ाई की थकान के कारण घोड़ा उतराई वाली रास्ते पर भी धीरे-धीरे चल रहा था। वह घोड़े को जब भी तेज करने की कोशिश करता तो वह और सुस्त पड़ जाता। इसके अलावा वह रास्ता भूल कर किसी और रास्ते पर चला गया था। उसे इतना सुस्त घोड़ा मिला था कि वह अपने साथियों से बिछड़ गया।
ल्हासा की ओर यात्रा वृतांत में सबसे विकट डाँडे का नाम क्या है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: भिखमंगे पर डाकू हमला नहीं करते। भद्र के वेश में डाकुओं का भय था। इसलिए थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव में लेखक को भिखमंगे के वेश में रहना पड़ा।
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इसे सुनेंरोकेंHere we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 2 ल्हासा की ओर. प्रश्न 1. थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका।
ल्हासा की ओर पाठ में डांडा में आदमी लाठी के स्थान पर बंदूक क्यों रखते थे?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: (i) उन दिनों तिब्बत में हथियार रखने का कोई कानून नहीं था। वहाँ के लोग लाठी की तरह पिस्तौल, बन्दूक लिए घूमते थे। (ii) डाकुओं का आतंक होने के कारण लोगों को अपनी जान का भय बना रहता था, क्योंकि डाकू पहले किसी को मारते थे, और उसके बाद उसका धन लूटते थे।
थोङ्ला क्या है * एक बर्तन एक स्थान एक वस्त्र एक व्यक्ति का नाम?
थोङ्ला क्या है?`?
इसे सुनेंरोकेंतिब्बत के लोग बड़े ही खुले दिल के होते हैं। वे किसी भी अजनबी का स्वागत खुले दिल से करते हैं। लेकिन बहुत कुछ लोगों की उस वक्त की मन:स्थिति पर निर्भर करता है। शाम के वक्त अधिकतर लोग छङ के नशे में धुत्त रहते हैं उस उस समय उनका व्यवहार बदल सकता है।
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ल्हासा की ओर पाठ में लेखक को भिखमंगे के वेश में यात्रा क्यों करनी पड़ी?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर :- लेखक जब पहली बार यात्रा पर गया तब भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी इसलिए लेखक को वेश बदल कर जाना पड़ा ।
तिब्बत में लोग लाठी की बजाय पिस्तौल या बंदूक क्यों रखते हैं?
इसे सुनेंरोकेंलोगों को डाकुओं का भय बना रहता था। डाकू पहले लोगों को मार देते और फिर देखते की उनके पास पैसा है या नहीं। तथा तिब्बत में हथियार रखने से सम्बंधित कोई क़ानून नहीं था। इस कारण लोग खुलेआम पिस्तौल बन्दूक आदि रखते थे।
इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- लेखक ने शेकर विहार में सुमति को यजमानों के पासजाने से रोका था क्योंकि अगर वह जाता तो उसे बहुत वक्त लग जाता और इससे लेखक को एक सप्ताह तक उसकी प्रतीक्षा करनी पड़ती। परंतु दूसरी बार लेखक ने उसे रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि वे अकेले रहकर मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित पोथियों का अध्ययन करना चाहते थे।
यह यात्रा राहुल जी ने 1930 में की थी आज के समय यदि तिब्बत की यात्रा की जाए तो राहुल जी की यात्रा से कैसे भिन्न होगी?
इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 16. यदि आज के समय में तिब्बत की यात्रा की जाय तो यह यात्रा राहुल जी की यात्रा से पूरी तरह भिन्न होगी। 1930 में तिब्बत में आना-जाना आसान न था।
ल्हासा की ओर पाठ के आधार पर बताइए कि डाँडा थोंडला में हत्यारे पकड़े क्यों नहीं जाते थे?
इसे सुनेंरोकें(2) चोरी के डर से भिखमंगों को वहाँ के लोग घर में घुसने नहीं देते थे। इसी कारण लेखक को भी ठहरने के स्थान को लेकर कठिनाई का सामना करना पड़ा। (3) डाँड़ा थोङ्ला जैसी खतरनाक जगह को पार करना पड़ा। (4) लङ्कोर का रास्ता तय करते समय रास्ता भटक जाने के कारण वे अपने साथियों से बिछड़ गए।
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लेखक ने सुमति को रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
इसे सुनेंरोकेंलेखक ने शेकर विहार में सुमति को यजमानों के पास जाने से रोका था क्योंकि अगर वह जाता तो उसे बहुत वक्त लग जाता और इससे लेखक को एक सप्ताह तक उसकी प्रतीक्षा करनी पड़ती। परंतु दूसरी बार लेखक ने उसे रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि वे अकेले रहकर मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित पोथियों का अध्ययन करना चाहते थे।
लङ् कोर के बाद लेखक कहाँ पहुँचा था?
इसे सुनेंरोकेंथोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर लेखक भिखमंगे के वेश में होने के बाद भी ठहरने का स्थान पा गया क्योंकि उस समय उनके साथ बौद्ध भिक्षु सुमति थे। सुमति की उस गाँव में जान-पहचान थी। दूसरी यात्रा के समय लेखक भद्र वेश में था पर वह उस गाँव के लोगों के लिए अपरिचित था। उस यात्रा में लेखक शाम के समय वहाँ पहुँचा था।
फ्रीडा कौन थी वह क्या महसूस करती थी?
इसे सुनेंरोकेंफ्रीडा डी. एच. लॉरेंस की पत्नी थीं। लॉरेंस के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया था कि मेरे लिए लॉरेंस के बारे में कुछ कह पाना असंभव-सा है।
राहुल सांकृत्यायन ने तिब्बत की यात्रा कब की थी?
इसे सुनेंरोकेंयह यात्रा राहुल जी ने 1930 में की थी। आज के समय यदि तिब्बत की यात्रा की जाए तो राहुल जी की यात्रा से कैसे भिन्न होगी?
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लेखक ने तिब्बत की यात्रा कब की थी?
इसे सुनेंरोकें➲ सन् 1929-30 में नेपाल से। ✎… लेखक ने अपनी पहली तिब्बत यात्रा सन 1929-30 में नेपाल के रास्ते की थी।
लेखक ने शेखर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
ल्हासा की ओर पाठ में लेखक को भिखमंगे के वेश में यात्रा क्यों करनी पड़ी?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर :- लेखक जब पहली बार यात्रा पर गया तब भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी इसलिए लेखक को वेश बदल कर जाना पड़ा ।
कवि ने पुलिस की मार को सबसे खतरनाक क्यों नहीं माना है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: कवि मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं मानता, क्योंकि इनका प्रभाव सीमित होता है तथा इनकी क्षति-पूर्ति हो सकती है। दूसरे, इन क्रियाओं में व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। वह पूर्णत: नष्ट नहीं होती।
ल्हासा की ओर अध्याय में लेखक के द्वारा ल्हासा की यात्रा कब की गई?
इसे सुनेंरोकें1930 में तिब्बत में आना-जाना आसान न था। ऐसा राजनैतिक कारणों से था। आज उचित पासपोर्ट के साथ आसानी से यह यात्रा की जा सकती है। अब भिखमंगों के वेश में यात्रा करने की आवश्यकता नहीं है।
ल्हासा की ओर पाठ में लेखक कहाँ जाते हुए रास्ता भटक गया?
इसे सुनेंरोकेंAnswer. ‘ल्हासा की ओर’ पाठ में लेखक लंङ्कोर के मार्ग में रास्ता भटक गया था। लेखक सुमति के साथ लङ्कोर के रास्ते से आगे बढ़ रहा था। लेखक का घोड़ा धीमा चल रहा था, इस कारण लेखक के साथी आगे निकल गए और लेखक अपने साथियों से पीछे छूट गया।
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ल्हासा की ओर पाठ के लेखक कौन है?
इसे सुनेंरोकेंपठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार – ल्हासा की ओर क्षितिज भाग – 1. इस पाठ में राहुल जी ने अपनी पहली तिब्बत यात्रा का वर्णन किया है जो उन्होने सन 1929-30 मे नेपाल के रास्ते की थी। चूँकि उस समय भारतीयो को तिब्बत यात्रा की अनुमति नही थी, इसलिए उन्होने यह यात्रा एक भिखमन्गो के छ्द्म वेश मे की थी।
माझी का यहाँ क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकें2. ‘माझी’ का यहाँ क्या अर्थ है? Explain:- माझी ईश्वर के लिए प्रयोग हुआ है।
किसका घोड़ा धीमे चलने लगा?
इसे सुनेंरोकेंउत्तरः सुस्त घोड़ा, ऊँची चढ़ाई, रास्ता भूल जाना आदि। लेखक वहाँ इसलिए देर से पहुँचा क्योंकि उसका घोड़ा बहुत सुस्त ;सीमाद्ध था तथा उसे ऊँची चढ़ाई चढ़कर आना पड़ा था। यही नहीं वह रास्ता भी भूल गया था परिणामतः वहाँ पहुँचने में उसे देर हो गई।
ल्हासा की ओर पाठ क्या है?
इसे सुनेंरोकेंLhasa ki aur Summary Class 9. इस पाठ में लेखक राहुल सांकृत्यायन बताते हैं कि वह तिब्बत जाने के लिए नेपाल के जिस रास्ते को उपयुक्त समझते थे, हमारे देश की वस्तुएं भी उसी रास्ते से तिब्बत जाया करती थी। वहां पूरे रास्ते में पुराने किले थे। जहां चीनी फौजें डेरा डाले हुए थी।