क्या पढ़ाई और खेलकूद साथ साथ चल सकते हैं विषय पर लेख संबंधित कार्य? - kya padhaee aur khelakood saath saath chal sakate hain vishay par lekh sambandhit kaary?

पढ़ाई के साथ खेलने से हावी नहीं होता मानसिक तनाव

चन्दौसी ।पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब। कभी बुजुर्गों द्वारा कही जाने वाली यह

चन्दौसी ।पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब। कभी बुजुर्गों द्वारा कही जाने वाली यह कहावत अब बच्चों पर सटीक नहीं बैठती है, क्योंकि पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के लिए खेलकूद भी जरूरी है। अब तो खेलों को शिक्षा के बराबर महत्व दिया जाता है। बच्चों के सर्वांगीण विकास में खेलकूद का अपना विशिष्ट महत्व है, लेकिन परीक्षा के दौरान बच्चों को खेलकूद में कम समय देना चाहिए, क्योंकि ज्यादा समय खेलकूद में देने से उनकी परीक्षा की तैयारी प्रभावित होगी।

आज के परिवेश में शिक्षा जितनी जरूरी है उतना ही जरूरी बच्चों के लिए खेलकूद है। इससे बच्चों में शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास होता है। बच्चों के विचारों में निखार आता है। खेल को आज के बच्चे कॅरियर के रूप में भी अपनाने लगे हैं।

इस संदर्भ में जब अभिभावकों से बात की गई तो का¨लदी कुंज निवासी पूनम अग्रवाल कहती हैं कि आजकल के बच्चे टीवी, मोबाइल फोन पर गेम खेलते हैं जो गलत है। उन्हें क्रिकेट, कबड्डी जैसे शारीरिक गेम ज्यादा खेलने चाहिए। बच्चों को पढ़ाई के बराबर का समय खेलने कूदने को माता-पिता को देना चाहिए, जिससे बच्चे अपने ताजगी महसूस करें। रोहताश गोयल ने कहा कि बच्चों को उनके माता पिता शाम के समय लगभग एक घंटे खेलने के लिए तय करें, जिससे कि बच्चे पढ़ाई के लिए अपने आपको मानसिक रूप से स्वस्थ कर सकें। साहूकारा निवासी चंचल गोयल ने कहा कि सरकार को भी बच्चों को विद्यालयों में पढ़ाई के अलावा खेलकूद के लिए निश्चित अवधि तय करनी चाहिए। कमलेश यादव ने कहा कि माता पिता को बच्चों पर हर समय पढ़ने के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए। जब बच्चे का खेलने का मन हो तो उसे खेलने दें, लेकिन परीक्षा के समय थोड़ी सतर्कता जरूर रखें, जिससे बच्चों की परीक्षाओं की तैयारी प्रभावित न हो। मनोज वर्मा ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ खेलने का समय भी निर्धारित कर देना चाहिए। परीक्षा की तैयारी के समय उन्हें समझाएं कि ज्यादा देर खेलने से वे परीक्षा की तैयारी पूरी नहीं कर पाएंगे। परीक्षा के समय उन पर किसी तरह का दबाव न डालें। सुशील मल्होत्रा ने कहा कि इस समय बच्चों को परीक्षा की तैयारी सबसे ज्यादा जरूरी है, क्योंकि तैयारी नहीं होने पर उनका साल भी खराब हो सकता है।

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जिला व्यायाम शिक्षक अनिल कपूर कहते हैं कि बच्चों को पढ़ाई के साथ खेलकूद भी जरूरी है क्योंकि खेलने- कूदने से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है। परीक्षाओं की तैयारी के दौरान भी बच्चों को खेलने के लिए कुछ समय जरूर देना चाहिए। खेलने के बाद बच्चे में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ जाएगी। खेलकूद नहीं करने पर बच्चे आलसी हो जाएंगे। मानसिक तनाव भी बढ़ जाएगा।

अनिल कपूर, जिला व्यायाम शिक्षक

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परीक्षाओं की तैयारी में जुटे विद्यार्थी

बबराला: बोर्ड परीक्षा में अब एक माह से भी कम समय शेष रह गया है। लगातार नजदीक आ रही परीक्षाएं परीक्षार्थियों के दिमाग पर हावी होती जा रही हैं। इस स्थिति में परीक्षाओं को लेकर छात्र छात्राओं की अपनी अलग- अलग सोच है। कुछ छात्र परीक्षाओं को लेकर डरे हुए हैं तो कुछ इसे चुनौती के रूप में देख रहे हैं। वही शिक्षक यह बात मानते हैं कि यह समय ही तो उनके बच्चों को कुछ कर दिखाने का मौका देता है। छात्र हर वर्ष परीक्षा देते हैं लेकिन बोर्ड परीक्षा का नाम आते ही उनकी धड़कनें तेज हो जाती हैं। कक्षा 10 और 12वीं कक्षा के छात्र अतिरिक्त दबाब महसूस करते हैं। छात्र परीक्षा को अलग तरीके से ले रहे हैं और उनका नजरिया ही उनका परिणाम भी घोषित करेगा। कक्षा 12 विज्ञान वर्ग की छात्रा मोनिका का कहना है कि कक्षा में काफी विद्यार्थी हैं। उनके साथ परीक्षा में शामिल होने वाली अन्य छात्राएं भी परीक्षाओं को लेकर दबाब महसूस कर रही हैं। छात्र वरुण ने कहा कि बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक बनाने का दबाव रहता है ताकि अंकों की मेरिट अच्छी बन सके। इसके लिए अभिभावक भी प्रेरित करते हैं। इसलिए मेहनत कर रहे हैं। शिक्षक रोहिताश गुप्ता ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस युग में परीक्षाओं में अच्छे अंक लाना भी एक चुनौती ही है। अभिभावकों को बच्चों से उनकी क्षमता से अधिक अपेक्षा न करके उन्हें सहयोग करना चाहिए। ऐसा न करने पर परिणाम आशा के विपरीत हो सकते हैं।

क्या पढ़ाई और खेल कूद साथ साथ चल सकते हैं?

क्या पढ़ाई और खेल-कूद साथ-साथ चल सकते हैं ? कक्षा में इस पर वाद-विवाद कार्यक्रम आयोजित कीजिए। Solution : वाद-विवाद कार्यक्रम का आयोजन छात्र स्वयं अध्यापक के सहयोग से करें।

क्या पढाई और खेल कूद साथ साथ चल सकते हैं l वाद विवाद?

आज़ादी से खेलकूद में शरीक होने लगा।

पढ़ाई व खेलकूद में समायोजन क्यों जरूरी है अपने विचारों द्वारा स्पष्ट कीजिए L?

यह आवश्यक नहीं है कि खेल यथार्थ ही दर्शाए । खेल कल्पना शक्ति को विकसित करता है और यह बच्चों को दैनिक स्थितियों से जूझने में मदद करता है । आपने पढ़ा कि शारीरिक और क्रियात्मक कौशलों का विकास अभ्यास करने पर निर्भर करता है। खेल ऐसी क्रिया है जो बच्चों को अभ्यास के पर्याप्त अवसर प्रदान करती है।

पढ़ाई के साथ साथ खेल क्यों जरूरी है?

स्वस्थ शरीर और दिमाग काे विकसित करने के लिए खेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खेल कई प्रकार के होते हैं, जाे हमारे शारीरिक के साथ मानसिक विकास में मदद करते हैं। लगातार पढ़ाई के दौरान कई बार तनाव की स्थिति होती है। ऐसे में खेल इस तनाव को दूर करने का बेहतर माध्यम है

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