क्या मृत्यु सूतक में पूजा करनी चाहिए? - kya mrtyu sootak mein pooja karanee chaahie?

विषयसूची

  • 1 मृत्यु सूतक में पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए?
  • 2 सूतक और पातक क्या है?
  • 3 क्या पातक में पूजा करनी चाहिए?
  • 4 पातक कितनी पीढ़ियों तक लगता है?
  • 5 सूतक के कितने दिन बाद पूजा करनी चाहिए?

मृत्यु सूतक में पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंसूतक का समय: सूतक के विषय में यह माना जाता है कि यह एक अशुभ काल होता है। इसलिए इस समय ना पूजा की जाती है और ना ही देव दर्शन किये जाते हैं। धार्मिक नियमों के अनुसार सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पूर्व ही सूतक लग जाता है, इस कारण मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते हैं।

सूतक और पातक क्या है?

इसे सुनेंरोकेंब्राह्मणों के लिए सूतक का समय 10 दिन का, वैश्य के लिए 20 दिन का, क्षत्रिय के लिए 15 दिन का और शूद्र के लिए यह अवधि 30 दिनों की होती है। जिस तरह घर में बच्चे के जन्म के बाद सूतक लगता है उसी तरह गरुड़ पुराण के अनुसार परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर लगने वाले सूतक को ‘ पातक ‘ कहते हैं।

सूतक में क्या क्या नहीं करना चाहिए?

क्या होता है सूतक और पातक : सूतक का संबंध जन्म-मरण के कारण हुई अशुद्धि से है।…सूतक-पातक के नियम :

  • सूतक और पातक में अन्य व्यक्तियों को स्पर्श न करें।
  • कोई भी धर्मकृत्य अथवा मांगलिक कार्य न करें तथा सामाजिक कार्य में भी सहभागी न हों।
  • अन्यों की पंगत में भोजन न करें।
  • किसी के घर न जाएं और ना ही किसी भी प्रकार का भ्रमण करें।

मृत्यु के कितने दिन बाद पूजा करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंजबकि कुछ मान्यताओं के अनुसार परिवार में किसी उपनयन संस्कार और विवाह संस्कार हो चुके व्यक्ति की मृत्यु पर 13 दिनों और कहीं-कहीं 10 दिनों पर अशौच यानी सूतक समाप्त हुआ माना जाता है। अगर मुंडन हो चुका हो तो तीन दिन में शुद्धिकरण किया जा सकता है।

क्या पातक में पूजा करनी चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंसूतक-पातक की अवधि में “देव-शास्त्र-गुरु” का पूजन, प्रक्षाल, आहार आदि धार्मिक क्रियाएं वर्जित होती हैं । इन दिनों में मंदिर के उपकरणों को स्पर्श करने का भी निषेध है ।

पातक कितनी पीढ़ियों तक लगता है?

इसे सुनेंरोकेंपातक का सम्बन्ध मरण के निम्मित से हुई अशुद्धि से है । मरण के अवसर पर दाह-संस्कार में इत्यादि में जो हिंसा होती है, उसमे लगने वाले दोष या पाप के प्रायश्चित स्वरुप पातक माना जाता है । जन्म के बाद नवजात की पीढ़ियों को हुई अशुचिता 3 पीढ़ी तक -10 दिन, 4 पीढ़ी तक – 10 दिन, 5 पीढ़ी तक – 6 दिन गिनी जाती है ।

किसी के मरने पर कितने दिन का सूतक होता है?

इसे सुनेंरोकेंयदि माता की मृत्यु के दस दिनों के अंतराल में पिता की भी मृत्यु हो जाए तो पिता के मृत्यु के दिनों से पूरे दस दिनों तक सूतक काल माना जाता है। किसी कारणवश मृत्यु दिवस के दिन दाह संस्कार न हो सके तब भी मृत्यु दिवस के दिन से ही सूतक काल को गिना जाएगा।

मृत्यु सूतक कितने दिन तक रहता है?

इसे सुनेंरोकेंयदि माता की मृत्यु के दस दिनों के अंतराल में पिता की भी मृत्यु हो जाए तो पिता के मृत्यु के दिनों से पूरे दस दिनों तक सूतक काल माना जाता है। किसी कारणवश मृत्यु दिवस के दिन दाह संस्कार न हो सके तब भी मृत्यु दिवस के दिन से ही सूतक काल को गिना जाएगा। अग्निहोत्र करने वालों के लिए सूतककाल दस दिनों तक के लिए ही माना जाएगा।

सूतक के कितने दिन बाद पूजा करनी चाहिए?

मरने के कितने दिन बाद पूजा पाठ करना चाहिए?

उसी तरह परिवार के सदस्य की मृत्यु के बाद भी सूतक लग जाता है जिसमें वर्जित काल 13 दिनों तक होता है, इसको पातक कहा जाता है। गरुण पुराण के अनुसार पातक लगने के 13वें दिन क्रिया कर के ब्राह्मण भोज के बाद ही पूजा कार्य शुरू करना चाहिए

क्या हम सूतक में पूजा कर सकते हैं?

सूतक पातक की अवधि में देव शास्त्र गुरु, पूजन प्राक्षाल, आहार आदि धार्मिक क्रियाएं वर्जित होती है। 8. जिस व्यक्ति या परिवार के घर में सूतक-पातक रहता है, उस व्यक्ति और परिवार के सभी सदस्यों को कोई छूता भी नहीं है।

किसी के मरने पर कितने दिन का सूतक होता है?

यदि माता की मृत्यु के दस दिनों के अंतराल में पिता की भी मृत्यु हो जाए तो पिता के मृत्यु के दिनों से पूरे दस दिनों तक सूतक काल माना जाता है। किसी कारणवश मृत्यु दिवस के दिन दाह संस्कार न हो सके तब भी मृत्यु दिवस के दिन से ही सूतक काल को गिना जाएगा। अग्निहोत्र करने वालों के लिए सूतककाल दस दिनों तक के लिए ही माना जाएगा।

सूतक काल में क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए?

सूतक लगे परिवार के लोग केवल मानसिक जाप या स्मरण कर सकते हैं। उनको माला लेकर कोई जप करना भी वर्जित है और ना ही उन्हें कोई धार्मिक ग्रंथ पढ़ना चाहिए। यदि सूतक के समय कोई व्रत पहले से करते आ रहे हों तो सूतक के समय में भी उसे करना जारी रखा जा सकता है परंतु किसी व्रत का उद्यापन सूतक काल में नहीं किया जाना चाहिए

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