क्या मैं 10 दिनों के बाद रेबीज का टीका ले सकता हूं? - kya main 10 dinon ke baad rebeej ka teeka le sakata hoon?

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (CDC) द्वारा जारी नई गाइडलाइन्स के अनुसार, जो लोग हाई रिस्क वाले प्रफेशन में काम करते हैं, उन्हें उनके कार्य से संबंधित जोखिम से जुड़े वैक्सिनेशन किसी हादसे से पहले ही लगाने चाहिए। ताकि किसी हादसे का शिकार होने के बाद संक्रमण का खतरा ही ना रहे। सीडीसी ने यह बात खासतौर पर चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट्स को ध्यान में रखते हुए कही।

सीडीसी के अनुसार, हाई रिस्क फील्ड जैसे कि पशु चिकित्सा क्षेत्र या ऐसी ही अन्य सभी प्रफेशन में काम करनेवाले कर्मचारियों को उनके काम की प्रकृति के हिसाब से प्री-एक्सपोजर वैक्सीन का टीका लगना चाहिए। सीडीसी का कहना है कि उच्च जोखिम वाले समूहों में, जैसे कि पशु चिकित्सकों को पूर्व-जोखिम वाले टीकों के साथ रेबीज का टीका लगाया जाए। इसकी एक वजह यह भी है कि विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करने से वैक्सीन की कम डोज में ही काम हो जाएगा, साथ ही प्रभावित व्यक्ति को किसी खतरे की स्थिति में संक्रमण फैलने का रिस्क भी नगण्य यानी बेहद कम रहेगा।

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पेट्स को लगवाएं जरूरी वैक्सीन


डॉक्टर जेनिफर कैटफील्ड के अनुसार, उदाहरण के तौर पर यदि पशु चिकित्सा के क्षेत्र में काम करनेवाले चिकित्सकों और अन्य सहायकों को रेबीज का प्री-एक्सपोजर वैक्सिनेशन किया जाए यानी पहले से ही उन्हें रेबीज का टीका लगाया जाए तो रेबीज पोस्ट-एक्सपोजर यानी रेबीज वायरस के संपर्क में आने पर रेबीज वैक्सीनेशन की तुलना में उन्हें इस वैक्सीन की कम डोज की जरूरत होगी। साथ ही इससे उनकी सुरक्षा या प्रोटेक्शन लेवल कहीं अधिक होगा।

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विशेषज्ञों का कहना है कि रेबीज का टीका लगाने के बाद ऐंटिबॉडी रेस्पॉन्स डिवेलप होने में कम से कम 7 से 10 दिन लगते हैं। जबकि हमारे पास रेबीज के वायरस का पता लगानेवाले और ऐंटिबॉडीज डिवेलप कर इन्हें न्यूट्रलाइज करनेवाले वैक्सीन्स कई वर्षों से उपलब्ध हैं। ऐसे में हम किसी भी व्यक्ति को किसी वायरस का शिकार होने से पहले ही उससे फाइट करने लायक ऐंटिबॉडीज डिवेलप कर सकते हैं।

जबकि वायरस के शरीर में आने के बाद हमें उस व्यक्ति के लिए एक बूस्टर टीकाकरण की आवश्यकता होगी और जरूरत को पूरा करने के लिए टिटर्स से काम हो जाएगा। इस दिशा में विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश है कि एक बूस्टर रेबीज टीकाकरण किसी मरीज को तब दिया जाए जब टिटर 0.5 IU/mLहो।

रेबीज इम्यून ग्लोब्युलिन (Rabies Immune Globulin) उन बच्चों को दी जाती हैं जिन्हें पहले यह वैक्सीन न दी गयी हैं। रेबीज इम्यून ग्लोब्युलिन (Rabies Immune Globulin) के बारे में पहले ही पूरी जानकारी प्राप्त कर लें। इसकी पहली चार रेबीज शॉट्स की तरह ही उसी टाइम पीरियड पर दी जाती है। यह डोजेज शुरू के तीन दिनों में जब बच्चा इस संक्रमण के संपर्क में आया होता है तब दी जाती है। जिन बच्चों को पहले रेबीज इम्यून ग्लोब्युलिन (Rabies Immune Globulin) दिया गया है। उन्हें केवल चार ही वैक्सीन्स की जरूरत होती है। इन सभी रेबीज की बॉक्सिन्स को दो हफ़्तों के भीतर देना चाहिए।

अपने बच्चे को इंफेक्शन और रेबीज से बचाने के लिए यह सभी टीके लगाना जरूरी है। रेबीज इंजेक्शन टाइम पीरियड (Rabies Injection Time Period) में दो हफ्ते बेहद महत्वपूर्ण होते हैं जिनमें यह इंजेक्शन लगाए जाते हैं। एंटी रेबीज वैक्सीन तीन साल तक काम करती है। यानी, अगर इन सालों में को जानवर काट लेता है तो इंफेक्शन का डर नहीं रहता है। जो लोग जंगल में रहते हैं या जिन्हें यह इंफेक्शन होने का खतरा अधिक रहता है वो पहले ही एंटी रेबीज इंजेक्शन लगा लेते हैं। यह तो थी रेबीज इंजेक्शन टाइम पीरियड (Rabies Injection Time Period) के बारे में जानकरी अब जान लेते हैं इसके साइड इफेक्ट्स के बारे में।

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रेबीज इंजेक्शन टाइम पीरियड: रेबीज वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Rabies Vaccine Side Effects)

रेबीज वैक्सीन लेने के बाद कुछ लोग साइड इफेक्ट्स का अनुभव कर सकते हैं। हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं है कि हर किसी को इस वैक्सीन को लेने के बाद साइड इफेक्ट्स नजर आएं। इसके कुछ सामान्य साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हैं

  • इंफेक्शन वाली जगह पर दर्द (Pain)
  • जोड़ों में दर्द (Joint Pain)
  • इंजेक्शन वाली जगह लालिमा (Redness)
  • इंजेक्शन वाली जगह सूजन (Swelling)
  • लिम्फ नोड्स में सूजन (Swelling in Lymph nodes)

यह हल्के साइड इफेक्ट्स अधिकतर नियमित इस दवा को लेने के बाद खुद ही दूर हो जाते हैं। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार रेबीज वैक्सीन के प्रयोग के बाद कुछ लोग सिरदर्द, पेट में दर्द, मसल्स में दर्द, जी मचलना जैसी समस्याओं का अनुभव भी कर सकते हैं। यही नहीं, दुर्लभ मामलों में उन्हें नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Nervous System Disorders) जैसे गिलेन बार सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrom) की समस्या भी हो सकती है। लेकिन अगर यह परेशानियां गंभीर हों, तो डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें। अब जानिए किस तरह से हो सकता है रेबीज से बचाव?

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रेबीज से बचाव कैसे संभव है? (Prevention of Rabies)

अपने आसपास मौजूद जानवरों से सुरक्षित रहिए, चाहे वो आपका पालतू जानवर ही क्यों न हों, इससे एनिमल बाइट्स के जोखिम को कम किया जा सकता। इसके साथ ही इस इंफेक्शन से बचने के लिए रेबीज इंजेक्शन टाइम पीरियड (Rabies Injection Time Period) के बारे में सही जानकारी होना भी जरूरी है।। जानवरों के बाइट्स और रेबीज के जोखिम को कम करने के सामान्य तरीके इस प्रकार हैं:

  • अगर आप पालतू जानवर रखना चाहते हैं तो सोच समझ कर इसका चुनाव करें। ऐसे जानवर का चुनाव करें जो बच्चों के लिए सुरक्षित हो।
  • अपने बच्चे को कभी भी पालतू जानवर के साथ अकेला न छोड़ें।
  • अपने पालतू जानवरों की पहले ही सभी वैक्सीन्स लगवाना जरूरी है।
  • अपने पालतू जानवरों को अन्य जंगली जानवरों के संपर्क में ना आने दें।
  • बच्चों को मरे हुए जानवरों से छूने से मना करें।
  • अपने बच्चों को एनिमल सेफ्टी के बारे में सिखाएं इससे भी वो एनिमल बाइट्स से बच सकते हैं। जैसे जानवरों को कभी खाते हुए न छेड़ें। किसी भी जंगली जानवरों से अपने बच्चों को न खेलने दें।

अपने बच्चे को समझाएं कि अगर गलती से भी आपका पालतू जानवर उसे काट लेता है या स्क्रैच करता है तो वो तुरंत आपको बताएं। क्योंकि, हो सकता है कि हलकी चोट या स्क्रैच को बच्चा गंभीरता से न लें। ऐसे में संक्रमण बढ़ सकता है।

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यह तो थी रेबीज से बचाव और रेबीज इंजेक्शन टाइम पीरियड (Rabies Injection Time Period) के बारे में जानकारी। रेबीज एक वायरल इंफेक्शन है जो नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है। इसके लक्षण जब दिखाई देते हैं तो यह आमतौर पर घातक होता है। इसलिए इसका जल्दी से जल्दी उपचार जरूरी है। रेबीज का वायरस शरीर में किसी भी कट, स्क्रैच, बाईट या मुंह और आंखों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है। ऐसे में सबसे जरूरी है अपने बच्चों को जानवरों के कॉन्टेक्ट में आने से बचाएं या उन्हें अपनी सुरक्षा करना सिखाएं। ताकि रेबीज इंफेक्शन का खतरा कम हो सकता है।

क्या मैं 10 दिनों के बाद रेबीज का टीका लगवा सकता हूँ?

अगर हल्का सा भी निशान है तो एंटी रेबीज इंजेक्शन जरूर लगाने चाहिए। यदि किसी भी व्यक्ति को रेबीज संक्रमित किसी जानवर ने काट लिया और उसने 72 घंटे के भीतर अपना इलाज नहीं करवाया तो उसके बाद वैक्सीन या एआरवी के टीके लगवाने का कोई फायदा नहीं है। इसलिए जितना जल्दी हो सके वैक्सीन व एआरवी के टीके अवश्य लगावाएं।

कितने दिनों के भीतर रेबीज का टीका लगवाना चाहिए?

एंटी रेबीज वैक्सीन या आलर्क निरोधी वैक्सीन उस स्थिति में दिया जाता है जब किसी व्यक्ति को पागल कुत्ता, गीदड़, भेड़िए आदि काट ले| मरीज को ७२ घंटे के अंदर आलर्क निरोधी वैक्सीन लगवाना आवश्यक है| वैक्सीन न लगवाने की इस्थिति में रेबीज़ रोग होने का खतरा होता है|इस टीके की खोज लुई पास्चर नामक फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने की।

क्या मैं 3 दिनों के बाद रेबीज का टीका ले सकता हूं?

एक मरीज को अगर कुत्ता या बंदर काट लेता है तो उसे उसी समय एंटी रेबीज टीका लगवाना चाहिए। अगर किसी कारण नहीं लगवाया गया तो 72 घंटे में हर हाल में एंटी रेबीज टीका लग जाना चाहिए।

कुत्ता काटने के कितने Time बाद इंजेक्शन लगवाना चाहिए?

कब लगवाएं इंजेक्शन आमतौर पर कुत्ते काटने के बाद 5 इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती है. इसके लिए पहला शॉट 24 घंटे के अंदर लगना चाहिए. इसके बाद तीसरे दिन, सांतवें दिन, 14 वें दिन और अंत में 28वें दिन में लगता है.

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