क्या कोलाइटिस का इलाज संभव है? - kya kolaitis ka ilaaj sambhav hai?

आंतों में सूजन को अल्‍सरेटिव कोलाइटिस कहा जाता है। ये इंफ्लामेट्री बाउल डिजीज का सबसे सामान्‍य प्रकार है। आंतों में सूजन की समस्‍या का घरेलू नुस्‍खों से इलाज तो नहीं किया जा सकता, लेकिन लक्षणों से राहत पाने और इसे बढ़ने से रोका जरूर जा सकता है। अगर किसी व्‍यक्‍ति की आंतों में सूजन आ गई है तो वह कुछ घरेलू नुस्‍खों की मदद से इस समस्‍या को कम या बढ़ने से रोक सकता है।

​आंतों में सूजन के लक्षण

मल में खून आना, बुखार, भूख में कमी, एनीमिया, दिल की धड़कन तेज होना और पाचन संबंधी समस्‍याएं आंतों में सूजन के लक्षणों में शामिल हैं। अगर समय पर इस समस्‍या का इलाज न किया गया तो व्‍यक्‍ति को फैट, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल की कमी हो सकती है। 10 साल या इससे ज्‍यादा समय तक अल्‍सरेटिव कोलाइटिस होने पर आम लोगों की तुलना में आंत के कैंसर का खतरा 200 गुना बढ़ जाता है।

तो चलिए जानते हैं कि आंतों में सूजन आने पर किन घरेलू तरीकों से इसे कम या कंट्रोल किया जा सकता है।

​कार्बोहाइड्रेट कम लें

अल्‍सरेटिव कोलाइटिस को नियंत्रित करने के लिए आपको सबसे पहले अपने आहार से रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट को हटाना है। इसकी वजह से आंतों में सूजन के कारण होने वाली दिक्‍कतें बढ़ जाती हैं।

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​एलर्जी वाले खद्य पदार्थों से दूर रहें

कुछ मामलों में किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी के कारण अल्‍सरेटिव कोलाइटिस हो सकता है। अगर आपको किसी फूड की वजह से आंतों में सूजन हुई है तो आंतों में सूजन के इलाज के तौर पर आपको इन चीजों को अपने आहार से हटा देना चाहिए। इसमें मक्‍का, गेहूं और दूध से बने उत्‍पाद आ सकते हैं।

​आंतों में सूजन का घरेलू उपचार है अलसी का तेल

आंतों में सूजन के घरेलू उपचार के तौर पर ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्‍त तेलों का सेवन बढ़ा दें। मछली के तेल और अलसी के तेल में ओमेगा-3 ज्‍यादा पाया जाता है। ये तेल इंफ्लामेट्री प्रक्रिया को कम करने में मदद करते हैं। रोज एक से दो चम्‍मच अलसी का तेल लेना बेहतर रहता है।

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​आंतों में सूजन का इलाज हैं प्रोबायोटिक्‍स

माना जाता है कि प्रोबायोटिक्‍स अल्‍सरेटिव कोलाइटिस को नियंत्रिम करने में लाभकारी हैं। प्रोबायोटिक्‍स सूजन को कम करने के दौरान हानिकारक बैक्‍टीरिया को कंट्रोल करने में मदद करते हैं और पेट की म्‍यूकस लाइनिंग को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

​आंत में सूजन का देसी इलाज है एलोवेरा जैल

शुद्ध एलोवेरा जैल को अल्‍सरेटिव कोलाइटिस से ग्रस्‍त लोगों में सूजन-रोधी प्रभाव देने वाला पाया गया है। हालांकि, एलोवेरा रेचक प्रभाव भी रखता है इसलिए दस्‍त की स्थिति में एलोवेरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

​आंतों में सूजन का घरेलू इलाज हर्बल टी

आंतों में सूजन के घरेलू उपचार में हर्बल-टी भी बहुत फायदेमंद होती हैं। आपको चाय और कॉफी के सेवन की बजाय अदरक की चाय और ग्रीन टी पीना शुरू कर देना चाहिए। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लामेट्री और एंटी-माइक्रोबियल गुण इर्रिटेबल बाउल डिजीज जैसे आंतों से संंबंधित रोगों के लिए फायदेमंद होते हैं।

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​आंतों में सूजन होने पर इन बातों का रखें ध्‍यान

  • दस्‍त, पेट में दर्द और गैस को कम करने के लिए डेयरी प्रोडक्‍ट्स का सेवन कम या बंद कर दें।
  • उच्‍च फाइबर युक्‍त चीजों जैसे कि ताजी फल और सब्जियों एवं साबुत अनाज से लक्षण और बढ़ सकते हैं। ब्रोकली और फूलगोभी से ज्‍यादा दिक्‍कत हो सकती है इसलिए इन चीजों को खाने से बचें।
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड में हेल्‍दी फैट होते हैं जो कि सैल्‍मन और मैकरेल मछली में पाए जाते हैं। ये सूजन को दूर कर अल्‍सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों को कम करती है। अपने आहार में फैटी फिश को शामिल करें।
  • मसालेदार खाना, शराब और कैफीन न लें। इसकी वजह से लक्षण और गंभीर रूप ले सकते हैं।
  • दिन में दो या तीन बार ज्‍यादा खाने की बजाय पांच या छह बार कम मात्रा में खाना खाएं। इससे खाना आसानी से पच जाता है।

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क्या अल्सरेटिव कोलाइटिस पूरी तरह ठीक हो सकती है?

अल्सरेटिव कोलाइटिस से शरीर में कमजोरी पैदा हो सकती है और कभी-कभी ये जानलेवा स्थितियां तक पैदा कर सकता है। हालांकि अभी तक इसका कोई सही इलाज नहीं आया है, लेकिन बीमारी के संकेतों और लक्षणों के आधार पर इलाज क‍िया जाए तो इससे लंबे वक्त के ल‍िए न‍िजात म‍िल सकती है।

कोलाइटिस ठीक होने में कितने दिन लगते हैं?

आमतौर पर हल्के कोलाइटिस के मामलों में, बच्चों को ठीक होने में लगभग 3 से 4 दिन लग सकते हैं और वयस्कों के लिए लगभग एक सप्ताह का समय लग सकता है। हालांकि, गंभीर कोलाइटिस से पीड़ित रोगियों को इस स्थिति से उबरने में 3 से 4 सप्ताह का समय भी लग सकता है।

कोलाइटिस की अंग्रेजी दवा क्या है?

मैस्लो 800mg टैबलेट एक एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा है जिसे अल्सरेटिव कोलाइटिस नामक बाउल डीजीज का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह बाउल में इन्‍फ्लेमेशन को कम करके डायरिया (दस्त), ब्लीडिंग और पेट दर्द जैसे लक्षणों को कम करने में मदद करता है.

कोलाइटिस की जांच कैसे होती है?

कोलाइटिस के लक्षण.
पेट में दर्द और ऐंठन।.
भूख न लगना।.
रेक्टम में दर्द।.
रेक्टम से ब्लीडिंग होना।.
ब्लीडिंग की वजह से एनीमिया होना।.
बार बार दस्त आना।.
सौच करने में असमर्थता।.
बुखार होना।.

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