Short Note
कवयित्री मीरा ने अपने प्रभु से क्या प्रार्थना की है? प्रथम पद के आधार पर लिखिए।
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Solution
कवयित्री मीरा ने अपने प्रभु श्रीकृष्ण से लोगों की पीड़ा दूर करने की प्रार्थना की है। उनके प्रभु श्रीकृष्ण ने द्रौपदी, प्रहलाद और गजराज की जिस तरह सहायता की थी और उन्हें विपदा से मुक्ति दिलाई उसी तरह मीरा अपनी पीड़ा दूर करने की प्रार्थना अपने प्रभु से की है।
Concept: पद्य (Poetry) (Class 10 B)
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Chapter 1.2: पद - अतिरिक्त प्रश्न
Q 1Q 2Q 2
APPEARS IN
NCERT Class 10 Hindi - Sparsh Part 2
Chapter 1.2 पद
अतिरिक्त प्रश्न | Q 1
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कवयित्री मीरा ने अपने प्रभु से क्या प्रार्थना की है?
कवयित्री अपने प्रभु से क्या प्रार्थना कर रही है? कवयित्री अपने प्रभु से अपने दु:ख हरने की प्रार्थना कर रही है। वह उन्हें विभिन्न उदाहरण द्वारा याद दिला रही हैं कि जिस तरह वे अपने भक्तों की रक्षा करके उनके दु:ख दूर करते रहे हैं ठीक उसी तरह आज वे उनके दु:खों को भी दूर करें।
पहले पद में मीरा अपने आराध्य से क्या प्रार्थना करती है?
प्रथम पद में कवयित्री अपने प्रभु से पहले लोगों का दुख दूर करने की प्रार्थना करती है। वह अपने प्रभु का गुणगान करती हुई उनकी क्षमताओं का स्मरण कराती है। इसी क्रम में वह अपने प्रभु को द्रौपदी, गजराज और प्रहलाद के प्रति किए गए कार्यों का दृष्टांत प्रस्तुत करती हुई अपनी पीड़ा दूर करने की प्रार्थना करती है।
कवयित्री मीरा अपने प्रभु के सौंदर्य पर क्यों रीझी हुई है स्पष्ट कीजिए?
कवयित्री मीरा अपने प्रभु श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं। वह श्रीकृष्ण की चाकरी करके उनका सामीप्य पाना चाहती थी। इस चाकरी से उन्हें अपने प्रभु के दर्शन मिल जाते। उनका नाम स्मरण करने से स्मरण रूपी जेब खर्च मिल जाता और भक्तिभाव रूपी जागीर उन्हें मिल जाती।
मीरा अपने प्रभु से क्या चाहती हैं?
मीरा कृष्ण को पाने के लिए अनेकों कार्य करने को तैयार हैं। वह सेवक बन कर उनकी सेवा कर उनके साथ रहना चाहती हैं, उनके विहार करने के लिए बाग बगीचे लगाना चाहती है। वृंदावन की गलियों में उनकी लीलाओं का गुणगान करना चाहती हैं, ऊँचे-ऊँचे महलों में खिड़कियाँ बनवाना चाहती हैं ताकि आसानी से कृष्ण के दर्शन कर सकें।