राष्ट्रमंडल खेल
राष्ट्रमंडल खेल परिसंघ की मोहर, 2001 में अपनायी गयी |
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मानवता – समानता – नियति |
लंदन, संयुक्त राजशाही |
मा. माइकल फेनेल ओजे, सीडी |
राष्ट्रमंडल खेल परिसंघ |
राष्ट्रमंडल खेल या कॉमनवेल्थ गेम्स एक अंतरराष्ट्रीय बहु-खेल प्रतियोगिता है जिसमें राष्ट्रमंडल देशों के एथलीट शामिल होते हैं। यह आयोजन पहली बार 1930 में हुआ था, तथा तब से हर चार साल पर होता है। राष्ट्रमंडल खेलों को 1930 से 1950 तक ब्रिटिश एंपायर गेम्स, 1954 से 1966 तक ब्रिटिश एंपायर एंड कॉमनवेल्थ गेम्स और 1970 से 1974 तक ब्रिटिश कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम से जाना जाता था। विकलांग एथलीटों को उनकी राष्ट्रीय टीमों के पूर्ण सदस्यों के रूप में पहली बार मान्यता देने के कारन, राष्ट्रमंडल खेलों को पहली पूर्ण रूप से समावेशी अंतर्राष्ट्रीय बहु-खेल प्रतियोगिता भी माना जाता है। तथा यह दुनिया का पहला बहु-खेल कार्यक्रम है जो महिलाओं और पुरुषों के पदक की घटनाओं की समान संख्या को शामिल करता है और हाल ही में 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में लागू किया था
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इतिहास[संपादित करें]
एश्ली कूपर वे प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने सदभावना को प्रोत्साहन देने और पूरे ब्रिटिश राज के अंदर अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए एक अखिल ब्रितानी खेल कार्यक्रम आयोजित करने के विचार को प्रस्तुत किया। वर्ष 1928 में कनाडा के एक प्रमुख एथलीट बॉबी रॉबिन्सन को प्रथम राष्ट्र मंडल खेलों के आयोजन का भार सौंपा गया। ये खेल 1930 में हेमिल्टन शहर, ओंटेरियो, कनाडा में आयोजित किए गए और इसमें 11 देशों के 400 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।
तब से हर चार वर्ष में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन किया जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इनका आयोजन नहीं किया गया था। इन खेलों के अनेक नाम हैं जैसे ब्रिटिश एम्पायर गेम्स, फ्रेंडली गेम्स और ब्रिटिश कॉमनवेल्थ गेम्स। वर्ष 1978 से इन्हें सिर्फ कॉमनवेल्थ गेम्स या राष्ट्रमंडल खेल कहा जाता है। मूल रूप से इन खेलों में केवल एकल प्रतिस्पर्द्धात्मक खेल होते थे, 1998 में कुआलालम्पुर में आयोजित राष्ट्र मंडल खेलों में एक बड़ा बदलाव देखा गया जब क्रिकेट, हॉकी और नेटबॉल जैसे खेलों के दलों ने पहली बार अपनी उपस्थिति दर्ज की।
वर्ष 2001 में इन खेलों द्वारा मानवता, समानता और नियति की तीन मान्यताओं को अपनाया गया, जो राष्ट्रमंडल खेलों की मूल मान्यताएं हैं। ये मान्यताएं हजारों लोगों को प्रेरणा देती है और उन्हें आपस में जोड़ती हैं तथा राष्ट्रमंडल के अंदर खेलों को अपनाने का व्यापक अधिदेश प्रकट करती हैं। क्वीन्स बेटन रिले ओलम्पिक टोर्च की तरह राष्ट्रमंडल खेलों में भी क्वीन्स बेटन रिले की औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं। इसमें प्रथम बार १९५८ कें कार्डिफ (ब्रिटेन) में शुरू किया गया था। पारंपरिक रूप से बेटन रिले बकिंघम पैलेस से शुरू होता है। १९वां राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन 3-14 अक्टूबर २०१० के बीच दिल्ली में किया गया। इसमें ७१ देशों एवं क्षेत्र के ६०८१ एथलिटों ने १७ खेलों की २७२ स्पर्धाओं में भाग लिया। इन खेलों का उद्घाटन एवं समापन समारोह नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में संपन्न हुआ। एशिया में अभी तक दो बार ही राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन हुआ है। 2014 में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में हुआ। यह 20वें कॉमनवैल्थ गेम्स थे।
21वें राष्ट्रमंडल खेल[1][संपादित करें]
21वें राष्ट्रमंडल खेल का आयोजन आॅस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट सिटी में 4 अप्रैल 2018 से 15 अप्रैल 2018 के बीच आयोजित किया गया। इसका उद्घाटन गोल्ड कोस्ट सिटी के करारा स्टेडियम में 4 अप्रैल 2018 को बहुत ही आकर्षक आतिशबाजी के साथ किया गया। आॅस्ट्रेलिया, 21वें राष्ट्रमंडल खेल के आयोजन को शामिल करते हुए, ने पांचवीं बार राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी किया है। इससे पहले यहां के मेलबर्न, ब्रिस्बन, पर्थ और सिडनी शहरों में राष्ट्रमंडल खेल हो चुके हैं। 2022 के राष्ट्रमंडल खेल इंग्लैंड के बर्मिंघम शहर में 27 जुलाई से होंगे।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- ओलम्पिक खेल
- खेल प्रतियोगितायें
- राष्ट्रीय खेल
- राष्ट्रमंडल
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- ↑ "Commonwealth Games 2018: Hindi Essay". मूल से 14 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 फ़रवरी 2018.
देखें:
CWG 2018: हीना से है उम्मीद, सोने पर लगाएंगी
निशाना
कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरुआत करीब 88 साल पहले हुई थी। 1930 में पहली बार ये खेल कनाडा के हैमिल्टन शहर में आयोजित किए गए थे। हर 4 साल के अंतराल पर आयोजित होने वाले इन खेलों के टाइटल की
बात करें, तो 1930 से लेकर अब तक इन खेलों के नाम में 4 बार बदलाव किया गया है।
शुरुआत में इन खेलों को 'ब्रिटिश एंपायर खेल' के नाम से पहचान मिली थी और 1930 से 1950 तक इसी नाम से इन खेलों का आयोजन होता रहा। इसके बाद इन खेलों का नाम बदलकर 'ब्रिटिश एंपायर एवं कॉमनवेल्थ खेल' किया गया। ब्रिटिश एंपायर एवं कॉमनवेल्थ नाम से ये खेल 12 साल (1954 से 1966) तक आयोजित होते रहे।
1970 में इन खेलों की शुरुआत से पहले एक बार फिर (तीसरी बार) इनका नाम बदल दिया गया और इस बार इन्हें 'ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेल' नाम दिया गया। दो संस्करणों के बाद चौथी बार 1978 में इन खेलों का नाम फिर बदला गया और इस बार इन्हें नाम मिला 'कॉमनवेल्थ खेल'। शुरुआत में इन खेलों के नाम के कारण ही कई देश इनमें भाग नहीं लेते थे। लेकिन 40 साल पहले जब इन खेलों का नाम सहमति बनाकर 'कॉमनवेल्थ गेम्स' रख दिया गया, तो इसके बाद इनमें भाग लेने वाले देशों की संख्या में आश्चर्यजक रूप से बढ़ोतरी हुई।
देखें: CWG 2018: मेडल का रंग बदलना चाहेंगी सिंधु
इस बार ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित हो रहे यह कॉमनवेल्थ खेलों का 21वां संस्करण है। इन कॉमनवेल्थ खेलों में भारत की बात करें, तो भारत ने अब तक संपन्न हुए 20 संस्करणों में से 16 में ही भाग लिया है और उसने इन 88 साल में अभी तक कुल 438 पदक अपने नाम किए हैं। इन पदकों में 155 गोल्ड, 155 सिल्वर, जबकि 128 ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए हैं।
पढ़ें: CWG 2018 : रेसलर सुशील कुमार का नाम एंट्री लिस्ट में शामिल
नहीं
भारत ने 1930, 1950, 1962 और 1986 में इन खेलों में भाग नहीं लिया, जबकि दो बार 1938 (सिडनी) और 1954 (वैंकूवर) में उसे बिना कोई पदक जीते ही घर लौटना पड़ा। कॉमनवेल्थ खेलों में भारत के लिए सबसे शानदार साल 2010 रहा, जब भारत ने इन खेलों का आयोजन किया था और अपने घर में खेलते हुए उसने 101 पदकों के साथ मेडल तालिका में दूसरा स्थान हासिल किया था। इसमें ऑस्ट्रेलिया 180 पदक के साथ टॉप पर था।
भारत ने साल 2010 में 39 गोल्ड, 26 सिल्वर और 36 ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए थे। इसके बाद साल 2014 में ग्लासगो में आयोजित हुए खेलों में भातर 5वें स्थान पर रहा। यहां उसे कुल 64 पदक हासिल हुए। इस बार 15 स्वर्ण, 30 सिल्वर और 19 ब्रॉन्ड मेडल उसकी झोली में आए। इस बार भारत से एक बार फिर शानदार परफॉर्मेंस की उम्मीद है।
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