कोलाइडी विलयन क्या है इसके गुणधर्म लिखिए? - kolaidee vilayan kya hai isake gunadharm likhie?

Colloidal Solution In Hindi : प्रिय मित्रों आज हम आपको कोलाइडी विलयन के बारे में विस्तार से बताएंगे। आज हमने इस लेख में कोलाइडी विलयन क्या है, कोलाइडी विलयन का वर्गीकरण, संगुणित कोलाइड, नेत्र की कार्यविधि, संगुणित कोलाइड, मिसेल इत्यादी के बारे आपके लिए विस्तार से जानकारी दी है। हमारा यह लेख पढ़ने के बाद आपको Colloidal Solution Kya Hai की पूर्ण जानकारी के बारे में पता लग जाएगा। 

हमारा यह लेख कक्षा 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए बहुत अधिक उपयोगी है। इसलिए विद्यार्तियो की सहायता के लिए हमने Call Id Billion Kya Hai लिखा है।

Table of Contents

  • What Is Colloidal Solution In Hindi
    • Classification Of Colloids Solution In Hindi
    • संगुणित कोलाइड
    • कोलाइडी विलयन के गुण

What Is Colloidal Solution In Hindi

कोलाइडी विलयन क्या है :- वह विषमांगी मिश्रण जिसमें कणों का आकार एक नैनोमीटर से 1000 नैनोमीटर तक हो कोलाइडी विलयन कहलाता है। 

उदाहरण के लिए गोंद का जल में घोल। 

  • स्टार्च का जल में घोल
  • साबुन का जल में घोल। 
  • यूरिया या नमक का एल्कोहल में घोल। 
  • जल में तेल या घी का घोल। 

कोलाइडी विलयन मुख्य रूप से 2 अवस्थाओं से मिलकर बना होता है। 

  • परीक्षिप्त प्रावस्था
  • परिक्षेपण माध्यम

कोलाइडी विलयन :- कोलाइडी विलयन में जिस पदार्थ की मात्रा कम होती है। परीक्षिप्त प्रावस्था कहलाती है।

परिक्षेपण माध्यम :- कोलाइडी विलयन में जिस प्रकार की मात्रा अधिक होती है वह परीक्षेपण माध्यम कहलाता है। 

उदाहरण के लिए साबुन के कोलाइडी विलयन में साबुन परीक्षित प्रावस्था एवं जल परीक्षेपण माध्यम होता है। 

कोलाइडी विलयन में परीक्षण माध्यम जैसा लिया जाता है उसी प्रकार का नाम रखा जाता है। जैसे

  • हाइड्रोसॉल :- इसमें अधिक मात्रा में जल लिया जाता है। 

एल्कोसोल :- इसमें अधिक मात्रा में एल्कोहल लिया जाता है।

Classification Of Colloids Solution In Hindi

कोलाइडी विलयन का वर्गीकरण :- परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परीक्षण माध्यम में परस्पर क्रियाओं के आधार पर इन्हे दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है। 

  • द्रव स्नेही कोलाइडी विलयन
  • द्रव विरोधी कोलाइडी विलयन

द्रव स्नेही कोलाइडी विलयन :- वह कोलाइडी विलयन

जिसमें परिक्षेपण माध्यम के कण प्रीक्षिप्त प्रावस्था के कणों से स्नेह रखते हैं। द्रव्य स्नेही कोलाइडी विलयन कहलाता है। 

उदाहरण के लिए गोंद जिलेटिन प्रोटीन इत्यादि का कोलाइडी विलयन। 

द्रव स्नेही कोलाइडी विलयन में परीक्षित प्रावस्था तथा परीक्षण माध्यम के मध्य प्रबल आकर्षण बल पाया जाता है। 

यह विलयन स्थाई होता है। 

इस विलयन को आसानी से स्कंदीत नहीं किया जा सकता है। 

द्रव विरोधी कोलाइडी विलयन :- वह कोलाइडी विलियन जिसमें परीक्षण माध्यम के कण परीक्षित प्रावस्था के कणों से स्नेह नहीं रखते हैं। द्रव्य विरोधी कोलाइडी विलयन कहलाता है। 

उदाहरण के लिए जल में साबुन का घोल

यह अस्थाई होते हैं। 

इन्हें आसानी से स्कंदित किया जा सकता है।

बहुआणविक, वृहदआणविक तथा सगुणित कॉलाइड :- वह कोलाइडी विलयन जिसमें प्रक्षेपण माध्यम तथा प्रीक्षिप्त प्रावस्था के कणों के आकार के आधार पर उन्हें तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है। 

  • बहु आणविक कोलाइड :- वह आणविक कोलाइडी विलयन जिसमें कणों का आकार एक नैनोमीटर से कम हो बहु आणविक कोलाइडी विलयन कहलाते हैं।

इस प्रकार की कोलाइडी विलयन में परमाणु एवं अणु समूह के रूप में उपस्थित होते हैं। 

  • वृहदआणविक कोलाइड :- वे कोलाइडी विलयन जिन्हें परीक्षित प्रावस्था के कणों का आकार बहुत बड़ा हो। वह वृहदआणविक कोलाइडी कहलाते हैं। 

इसमें कणों का आकार एक नैनोमीटर से 1000 नैनोमीटर तक होता है। 

यह कोलाइड अधिक स्थाई होते हैं। 

संगुणित कोलाइड

संगुणित कोलाइड :- वे कोलाइड जो निम्न सांद्रता पर विद्युत अपघटन लेकिन उच्च सांद्रता पर संगुणित होकर कोलाइड का निर्माण करते हैं। उन्हें संगुणित कोलाइड कहा जाता है। 

उदाहरण के लिए 

  • जल में साबुन का घोल
  • जल में अपमार्जक का घोल

मिसेल :- जब साबुन या अपमार्जक को जल में घोला जाता है तो साबुन और अपमार्जक के अनेक कण संगुणित हो जाते हैं जिसे मिशेल कहा जाता है। 

कोलाइडी विलयन बनाने की विधियां :- सामान्यतः द्रव स्नेही कोलाइडी विलयन को आसानी से बनाया जा सकता है। क्योंकि परीक्षित प्रावस्था के कण परीक्षेपन माध्यम के कणों से स्नेह रखते हैं। 

यहां हम केवल द्रव विरोधी कोलाइडी विलयन बनाने की विधियों का अध्ययन करेंगे। 

द्रव विरोधी कोलाइडी विलियन बनाने की दो विधियां हैं।

  • परीक्षेपण विधि 
  • संघनन विधि

परीक्षेपण विधि :- इस विधि में पदार्थ के बड़े कणों को तोड़कर उन्हें छोटे-छोटे कणों में परिवर्तित करके कोलाइडी विलयन बनाया जाता है। 

निम्न परीक्षेपण विधि द्वारा कोलाइडी विलयन मनाया जाता है। 

  • यांत्रिक परीक्षेपण विधि
  • विद्युत परीक्षेपण विधि

यांत्रिक परीक्षेपण विधि :- यांत्रिक परीक्षेपण विधि में परीक्षित प्रावस्था के बड़े कणों को तोड़कर बारिख कणों में परिवर्तित किया जाता है। 

कोलाइडी चक्की में धातु के बने दो पाट होते हैं। जिसमें नीचे वाला पाट स्थिर होता है। तथा ऊपरी पाट चक्कर लगाता है। इस चक्की में जिस पदार्थ को पीसा जाता है। उसे बड़े बड़े टुकड़ों के रूप में डाल दिया जाता है। एवं बारीक कणों में परिवर्तित कर दिया जाता है। उन बारीक कणों को परीक्षण माध्यम में डालकर कोलाइडी विलयन बनाया जाता है।  

विद्युत परीक्षेपण विधि :- इस विधि द्वारा धातु का कोलाइडी विलयन बनाया जाता है। इसमें जिस धातु का कोलाइडी विलयन बनाया जाता है। उसे छड़ के रूप में लेकर सोडियम हाइड्रोक्साइड के तनु विलयन में डुबोया जाता है। तथा इस में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है। जिसमें धातु की छड़ से छोटे-छोटे कणों उत्पन्न होते हैं। यह कण सोडियम हाइड्रोक्साइड के तनु विलयन में मिलकर कोलाइडी विलयन का निर्माण करते हैं। 

संघनन विधि :- इस विधि में छोटे कणों को संघनित करके कोलाइडी विलयन बनाया जाता है। 

इसमें निम्न तीन विधियां हैं।

  • ऑक्सीकरण विधि
  • अपचयन विधि 
  • जल अपघटन विधि

ऑक्सीकरण विधि :- जब हाइड्रोजन सल्फाइड को ब्रोमीन जेल तथा सल्फर डाइऑक्साइड में प्रवाहित किया जाता है तो सल्फर का कोलाइडी विलयन प्राप्त होता है। 

अपचयन विधि :- जब गोल्ड क्लोराइड की क्रिया टिन क्लोराइड के साथ कराई जाती है तो स्वर्ण सोल प्राप्त होता है। 

जल अपघटन विधि :- फेरिक क्लोराइड का जल अपघटन किया जाता है तो फेरिक हाइड्रोक्साइड का सोल प्राप्त होता है। 

कोलाइड विलयन का शुद्धीकरण :- उपरोक्त विधियों से प्राप्त कोलाइडी विलयन अशुद्ध होते हैं इन्हें निम्न विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है। 

  • अपोहन विधि
  • विधुत अपोहन विधि
  • अति सूक्ष्म फिल्टन विधि द्वारा

अपोहन विधि :- इस विधि द्वारा कोलाइडी विलयन में उपस्थित अशुद्धियों को दूर किया जाता है। 

इस विधि में एक अर्ध पारगम्य झिल्ली का प्रयोग किया जाता है। इस अर्ध पारगम्य झिल्ली में कोलाइडी विलयन भरकर इसे जल से भरे पात्र में लटका दिया जाता है। 

इस झिल्ली से अशुद्धियों तो बाहर आ जाती हैं लेकिन कोलाइडी विलयन नहीं निकलते है। 

अतः इस प्रकार झिल्ली के अंदर शुद्ध कोलाइडी विलयन शेष रह जाता। 

विधुत अपोहन विधि :- उपरोक्त अपोहन विधि धीमी गति से होती है। इसमें अपोहन विधि को तीव्र गति से प्राप्त करने के लिए इसमें इलेक्ट्रोड जोड़ दिए जाते हैं। जिसमें अशुद्धि इलेक्ट्रॉड की ओर आकर्षित होने लगती हैं। एवं कोलाइडी विलयन जल्दी शुद्ध हो जाता है। 

अति सूक्ष्म फिल्टर द्धारा :- इस विधी में अशुद्ध कोलाइडी विलयन को पेपर की सहायता से लिया जाता है। फिल्टर पेपर में से शुद्ध कोलाइडी विलयन बाहर निकल जाता।

कोलाइडी विलयन के गुण

  •  कोलाइडी विलयन के गुण :- इनके निम्न गुण है। 
  • विषमांगी प्रकृति :- कोलाइडी विलयन विषमांगी प्रकृति के होते हैं। 
  • रंग : कोलाइडी विलयन रंगों के लिए उत्तरदाई होता है। यह रंग प्रदर्शित करता है। 
  • ब्राउनी गति :- कोलाइडी विलियन में कोलाइडी कणों निरंतर टेडी मेडी गति करते हैं। 

सर्वप्रथम इस गति को वैज्ञानिक ब्राउन ने देखा था। इसलिए इस गति का नाम ब्राउनी गति दिया गया। 

  •  टिंडल प्रभाव :- वह परीघटना जिसमें प्रकाश पुंज कोलाइडी विलयन से गुजरता हुआ दिखाई देता है। टिंडल प्रभाव कहलाता है। 

इस  परीघटना का अध्ययन सर्व प्रथम वैज्ञानिक टिंडल ने किया था। इसलिए इसे टिंडल प्रभाव कहा जाता है। 

जो वास्तविक विलयन से भरे हुए बीकर में से प्रकाश पुंज गुजारा जाता है तो प्रकाश का पथ गुजरता हुआ दिखाई नहीं देता। परंतु प्रकाश पुंज को कोलाइडी विलयन में से गुजारा जाता है। तो प्रकाश का पथ गुजरता हुआ दिखाई देता है। इस परिघटना को ही टिंडल प्रभाव कहा जाता है। 

 कोलाइडी विलयन के अनुप्रयोग :- कोलाइडी विलयन के प्रयोग दैनिक जीवन में निम्न प्रकार हैं। 

  • जल के शुद्धिकरण में :- नदी झील तालाब आदि से प्राप्त जल में अनावश्यक मिट्टी के कण उपस्थित होते हैं। इस जल को शुद्ध करने के लिए इसमें थोड़ी सी फिटकरी अथवा लाल दवा मिलाई जाती है। जिससे मिट्टी के कणों का स्कंदन हो जाता है। 
  • साबुन और अपमार्जक की शुद्धिकरण में :- साबुन को जब जल में मिलाने पर कोलाइडी विलयन प्राप्त होता है। अबे शबनम कपड़ों पर उपस्थित धूल के कणों को झाग के द्वारा सतह पर अवशोषित कर लेता है। जिसे कपड़ों की सफाई आसानी से हो जाती है। 
  • ओषधि तथा कृषि क्षेत्र में :- शरीर में अनेक सूक्ष्म तत्व जैसे सोडियम पोटेशियम कैल्शियम आयरन एलुमिनियम कार्बन आदि की आवश्यकता होती है। उनकी पूर्ति के लिए कोलाइडी कणों के रूप में उपयोग किया जाता है। 

कोलाइडी विलयन का औद्योगिक क्षेत्र में निम्न उपयोग है। 

  • चमड़ा उद्योग में :- चमड़ी में उपस्थित प्रोटीन के कण धन आवेशित होते हैं। चर्म शोधन के समय चमड़े का ऋण आवेशित कोलाइडी विलयन में डुबोया जाता है। जिससे कणों का स्कंदन हो जाता है। चमड़ा कई दिनों तक सुरक्षित रहता है। 
  • रब्बर उद्योग में :- वृक्षों से प्राप्त गाढ़ा द्रव्य जिसे लेटेक्स कहा जाता है रब्बर से बनाया जाता है। इसमें उपस्थित प्रोटीन को उबाला जाता है। तो प्रोटीन का विकृति करण हो जाता है। और एक स्थाई रबर प्राप्त होता है। 
  • डेल्टा के निर्माण में :- तालाब नदियों के जल में उपस्थित मिट्टी के कण ऋणावेशित होते हैं। 

जब नदियों का जल समुद्री जल के संपर्क में आता है तो नदियों के जल में उपस्थित कोलाइडी कणों का स्कंदन हो जाता है। जिससे कर नीचे की ओर जमा रहते हैं और डेल्टा का निर्माण करते हैं। 

  • आकाश का रंग नीला दिखाई देना :- वायुमंडल में उपस्थित धूल एवं जल के काम मिल कर कोलाइडी विलयन बनाते हैं। यह गण प्रकाश के नीले रंग को प्रक्रणित भी करते हैं। जो हमारी आंखों तक पहुंचता है जिस कारण आकाश का रंग नीला दिखाई देता है। 
  • कोहरा, धुंध तथा वर्षा :- वायुमंडल में अत्यधिक मात्रा में उपस्थित हवा के साथ ही जलवाष्प के कण तथा धूल के कण आपस में मिलकर धुंध व कोहरे का निर्माण करते हैं। जो कि एक कोलाइड प्रकृति का विलयन है।

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कोलाइडी विलयन क्या है इसके गुण लिखो?

कोलाइड के गुण (Properties of a Colloid) - कोलाइड एक विषमांगी (Heterogeneous)मिश्रण है. - कोलाइड के कण इतने बड़े होते हैं कि वे प्रकाश को फैला देते हैं, जिससे प्रकाश का मार्ग दृष्टिगोचर हो जाता है. - कोलाइडी विलयन को शांत छोड़ देने पर इसके कण तल पर नहीं बैठते हैं, अर्थात ये स्थाई होते हैं.

कोलाइडी विलयन के उदाहरण क्या है?

दूध की एक बूंद को सूक्ष्मदर्शी से देखने पर हम वसा के छोटे-छोटे कणों को द्रव में तैरते हुए देख सकते हैं। इसलिए दूध को कोलॉइडी विलयन कहते हैं। रंगीन रत्न, जिलेटिन, स्याही आदि कोलाइड के अधिक उदाहरण हैं।

कोलाइड क्या है समझाइए?

कलिल या कोलॉइड एक रसायनिक मिश्रण होता है जिसमे एक वस्तु दूसरी वस्तु मे समान रूप से परिक्षेपित (dispersed) होती है। परिक्षेपित वस्तु के कण मिश्रण मे केवल निलम्बित रहते है ना कि एक विलयन की तरह (जिसमे यह पूरी तरह घुल जाते हैं)।

कोलाइडी विलयन से क्या तात्पर्य है?

जब किसी पदार्थ के कणों का आकार 10-⁴ से 10-⁷ से०मी० के क्षेत्र में होता है तथा पदार्थ के कण किसी माध्यम में परिक्षिप्त (वितरित, dispersed) होते हैं तो पदार्थ की इस अवस्था को कोलॉइडी अवस्था कहते हैं।

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