इतिहासकार अतीत को कालों या युगों में कैसे विभाजित करते हैं क्या इस कार्य में उनके सामने कोई कठिनाई आती है? - itihaasakaar ateet ko kaalon ya yugon mein kaise vibhaajit karate hain kya is kaary mein unake saamane koee kathinaee aatee hai?

Solution : अधिकतर इतिहासकार आर्थिक तथा सामाजिक कारकों के आधार पर ही अतीत को कालों या युगों में विभाजित करते हैं। इस आधार पर इतिहासकार प्राय: इतिहास को तीन काल खण्डों में विभाजित करते हैं—प्राचीनकालीन इतिहास, मध्यकालीन इतिहास और आधुनिक इतिहास।। लेकिन इतिहास का एक कालखण्ड भी अनेक बदलावों से भरा होता है। आखिर 16वीं और 18वीं शताब्दियाँ 8वीं या 11वीं शताब्दियों से काफी भिन्न थीं। फिर .मध्यकाल. की तलना प्राय: .आधुनिक काल. से की जाती है। आधुनिकता के साथ भौतिक उन्नति और बौद्धिक प्रगति का भाव जुड़ा हुआ है। इससे आशय यह निकलता है कि मध्य काल रूढ़िवादी था और उस दौरान कोई परिवर्तन हुआ ही नहीं। लेकिन हम जानते हैं कि ऐसा नहीं था। इन हजार वर्षों में इस उपमहाद्वीप के समाजों में प्रायः परिवर्तन आते रहे हैं।

इतिहासकार अतीत को कालों या युगों में कैसे विभाजित करते हैं?

Solution : अधिकतर इतिहासकार आर्थिक तथा सामाजिक कारकों के आधार पर ही अतीत को कालों या युगों में विभाजित करते हैं। इस आधार पर इतिहासकार प्राय: इतिहास को तीन काल खण्डों में विभाजित करते हैं—प्राचीनकालीन इतिहास, मध्यकालीन इतिहास और आधुनिक इतिहास।।

आज के इतिहासकारों को अतीत के शब्दों से सावधान क्यों रहना पड़ता है?

किसी भी शब्द का प्रयोग करने में इतिहासकारों को बहुत सावधान रहना चाहिए क्योंकि अतीत में उन शब्दों के वुफछ अलग ही अथर् थे। उदाहरण के लिए 'विदेशी' जैसा सीध - सादा शब्द ही ले लीजिए। हमारे लिए आज इसका अथर् होता है, ऐसा व्यक्ित जो भारतीय न हो।

9 पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने कौन कौन सी समस्याएँ आती हैं ?`?

पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने निम्न समस्याएँ आती हैं:.
कई बार पांडुलिपियों की लिखावट को समझने में दिक्कत आती है।.
आज हमें लेखक की मूल पांडुलिपि शायद ही कहीं मिलती है।.
मूल पांडुलिपि की नई प्रतिलिपि बनाते समय लिपिक छोटे-मोटे फेर-बदल करते चलते थे, कहीं कोई शब्द, कहीं कोई वाक्य।.

जातियों के मामले कैसे सुलझाए जाते थे class 7?

जातियों के मामले कैसे नियंत्रित किए जाते थे? Solution : जातियों के मामले निम्न प्रकार नियंत्रित किए जाते थे <br> (i) अपने सदस्यों के व्यवहार का नियंत्रण करने के लिए जातियाँ स्वयं अपने-अपने नियम बनाती थीं। <br> (ii) इन नियमों का पालन जाति के बड़े-बुजुर्गों की एक सभा करवाती थी जिसे कुछ इलाकों में जाति-पंचायत कहा जाता था।

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