हिंदू धर्म में कितने लोक हैं? - hindoo dharm mein kitane lok hain?

वेदो, ग्रंथो और विष्णु पुराण के अनुसार हमारे ब्रह्माण्ड में 14 लोक शामिल है जिनका निर्माण माता भुग्नेश्वरी ने शिव जी के साथ मिल के किया था। इन 14 लोको में धरती लोक का स्थान सातवे नंबर पर है। धरती के ऊपर 6 लोक है जिनको ऊर्धवा लोक (ऊपरी छेत्र) भी कहा गया है। फिर आता है मध्य लोक इसमें कुल एक लोक है भूलोक (धरती लोक), फिर धरती से निचे 7 लोक है जिनको आदोह लोक (निचला छेत्र) कहते है।  

ऊर्धवा लोक(ऊपरी छेत्र) के क्या नाम है और यह कौन वास करते है। 

सत्य लोक  

इसको ब्रह्मा लोक भी कहा जाता है सत्य लोक इन 14 लोक में सबसे ऊपर है इसमें ब्रह्माण्ड के रचियता भगवान ब्रह्मा वास करते है। यह पर ब्रह्मा जी के साथ उनकी पत्नी देवी सरस्वती जी भी रहती है और साथ में ऐसी पवित्र आत्मा रहती है जिन्होंने बहुत तपस्या, अच्छे कर्म करके सत्य लोक में अपनी जगह बनाई है।

तप लोक

यह लोक 4 कुमार(बच्चे) का निवास स्थान है जिनका नाम है - सनथ, सनक, सनन्दन, सनातन और ये लोक सत्य लोक से करीबन 12 करोड़ योजन की दूरी पर निचे की और स्थित है। ग्रंथो के अनुसार 4 कोष का एक योजन होता है। यह भगवान विष्णु के अवतार माने जाते है और यह ज्ञान शक्ति को दर्शाते है। ये अनीश्वर है यानी इनकी मृत्यु नहीं होती है और इनका शरीर 5 साल के बच्चे का है। अपनी पवित्रता और साफ़ मन के कारण इनको हर लोक में जाने की अनुमति है साथ ही साथ इनको भगवान विष्णु के निवास स्थान वैकुण्ठ जाने की भी अनुमति है। यह पर ये सिर्फ तपस्या करते है इसलिए इस जगह को तप लोक कहा जाता है। 

जनक लोक

तप लोक से 8 करोड़ योजन निचे जनक लोक है और यह पर विराज नामक देवगन का निवास स्थान है। 

महर लोक

जनक लोक से 2 करोड़ योजन निचे महर लोक है ऋषि मुनियो का घर इसको कहा जाता है। यह पर निवास करने वाले ऋषि मुन्नी भूलोक और सत्यलोक में आने जाने की आज्ञा रखते है ये इच्छा अनुसार कही भी आ-जा सकती है। यह पर रहने वालो की उम्र ब्रह्मा जी के 1 दिन के बराबर है जो की मनुष्य की उम्र के हिसाब से 432 करोड़ साल बताई गयी है और तब इनके जीवन का अंत होता है तब इनके कर्मो के हिसाब से तये होता है की आत्मा ब्रह्मा लोक(सत्यलोक) जयेगी या फिर महर लोक के निचले स्थानों में जयेगी।  

स्वर्ग लोक

यह लोक महर लोक से 80,000 योजन निचे है। यह पर 33 वैदिक देवताओ का वास है जिसके राजा इंद्र देवता है और वो गंधर्ब, अप्सरा, मारुस, वासस, देवदत्त और अन्य दिव्या शक्तियो के साथ रहते है।ये अकल्पनीय(जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती) लोको मे से एक है। यह पर अकल्पनीय धन, इच्छा पूर्ति करने वाले पेड़, ब्रह्माण्ड में घूमने के लिए जहाज, विभिन आयामों में यात्रा करने की छमता, लम्बा जीवन काल और बीमारी से स्वतन्त्रा। इनका कार्य राक्षसों के खिलाफ सबकी रक्षा करना ब्रह्माण्ड के मामले में प्रभंध करना है। स्वर्गलोक की राजधानी अमरावती है यह अमरो का निवास स्थान है। कामदेनु गाय, 3 सर वाला सफ़ेद हाथी(ऐरावत), उड़ने वाला घोडा(उच्चरेवा) यह सब इनको समुन्द्र मंथन से प्राप्त हुए थे।

भुवर लोक

ये लोक अर्थ देवियो और ऋषि मुनियों का निवास स्थान है ये देवताओ के सम्पर्क में रहते है और विभिन्न तरीको से देवताओ की सहायता करते है और कभी कबार भूलोक में भी जाने की अनुमति रखते है। अगर इनके कर्म और मेहनत अच्छे होते है तो इनको देवताओ का पद्द भी मिलता है और अगर अच्छे न हो तो मनुष्य या उससे निचे का जनम भी मिलता है।

भुवर लोक में 8 ओर लोक शामिल है ये भुवर लोक और धरती लोक के बीच में गीने जाते है। 

1. ध्रुव लोक - ये हमारी आकाश गंगा के बीच का हिस्सा बताया गया है ये महर लोक से 1 करोड़ योजन निचे है। 

2. सप्तऋषि लोक - ये ध्रुव लोक से 1 लाख योजन निचे बताया गया है यहां पर सप्त ऋषि निवास करते है। और ये अनंत काल से इस लोक में रहते आ रहे है और पृथ्वी के लोगो को दिशा निर्देश देते रहते है। 

3. नक्षत्र लोक

4. शोर मंडल 

5. सूर्य लोक - ये धरती और भुवर लोक के बीच में माना गया है ये धरती से लगभग 1 लाख योजन की दूरी पर है।

6. चंद्र लोक - चंद्र लोक धरती से 30,000 योजन की दूरी पर है और चंद्र भगवान का निवास स्थान है। 

7. राहु-केतु लोक

8. आँतरिक्ष लोक - इसको आकाश लोक भी कहा जाता है ये धरती से कुछ ही दूरी पर ऊपर की ओर स्थित है। यहां पर हवा और बादल होते है और ये यक्ष, पिचास और भूतो का निवास है।

भूलोक (धरती लोक)

ये 14 लोको में से सातवे स्थान पर आता है। यह पर पाप और पुण्य में उलझने वाले इंसान यानि हम ईश्वर और देवताओ की निगरानी में अपना जीवन व्यतीत करते है। इसको हम नष्वर लोक, मध्य लोक, मृत्यु लोक और पाप पुण्य लोक भी कहते है, ये लोक पूरी तरह समय से बंधा हुआ है, यह पर हर वो चीज़ जो जीवित है उसने एक न एक दिन समाप्त हो जाना है।

आदोह लोक (निचला छेत्र) के क्या नाम है और यह कौन वास करते है। 

अताल

यहां पर बाला नामक असुर का राज है। जो की माया का पुत्र है और उसने यह 96 तरह की माया रची है। 

वीताल

यहां पर भगवान शिव का एक रूप अपने पार्सद भूतो के साथ रहते है। इनको हटकेश्वर कहा जाता है वह पर हटकी नाम की नदी बहती है। इस नदी में सोना बहता है इसलिए यह के लोग सोने से सजे हुए रहते है। 

सुताल

यहां पर भगवान नारायण के प्रिये भक्त प्रलाद के पोते राजा बलि निवास करते है। इनको राक्षस की श्रेणी में सबसे पवित्र राक्षस माना जाता है। सुताल लोक का निर्माण भगवान विश्व कर्मा ने किया है। राजा बलि व्ही राजा है जिनसे भगवान नारायण ने वामन अवतार में बिख्शा में 3 पग जमीन मांगी थी जिसमे भगवान ने 2 ही पग में तीनो लोक माप दिए थे और तीसरा पग भगवान ने बलि के सर पर रख कर उनको सुताल लोक भेज दिया था। इतने बड़े दानी होने के कारण प्रसन्न हो के भगवान ने उनको सुताल ही नहीं बल्कि अगले जन्म में देवलोक का राजा बनने का वरदान दिया।

तलताल

यहां असुर माया निवास करता है। ये असुरो के वास्तुकार भी माने जाते है इनको जादूगरी में काफी ज्ञान है इसके जादू को माया जाल भी कहा जाता है। 

महाताल

कश्यप ऋषि की पत्नी कद्रू से उतपन्न हुए अनेक सर वाले सांपो का समुदाय रहता है उनमे खुक, तक्षक, कालिया, सुसील आदि नाम के नाग निवास करते है।

रस्ताल

इसको राक्षसो का घर भी कहा जाता है। यहां पर शक्ति साली दानव और दैत्य भी निवास करते है। यह पर रहने वाले असुर(राक्षस) देवताओ के पक्के दुश्मन है। 

पाताल

यहां पर सेन्य, कुलिक, महासेनया, सोहीत, धनंजय, धृतराष्ट्र, संगसुर, कंपल, अख़्तर और देवदत्त आदि बड़े क्रोधित और बड़े बड़े फन्नो वाले नाग रहते है। यह के नाग राज वासुखि है और वो यह की राजधानी भोगवती में निवास करते है। एक बार नारद जी पाताल लोक से स्वर्ग लोक गए और वह आकर बताया की पाताल लोक तो स्वर्ग लोक से भी ज्यादा सुंदर है। वह पर सूरज की रौशनी न होने के कारण  भी उनके मस्तक में लगी मड़िया इतना प्रकाश करती है की वह पर प्रकाश की कोई कमी नहीं यह पर सुंदर नदियां, सरोवर, कमलो के वन है। 

पाताल लोक से निचे भी 2 लोक और है जो अन्स्थायी है। 

1. पितृ लोक - 

इस स्थान पर हमारे पूर्वज वास करते है। जो आत्मा मरने के बाद पूजनीय हो जाती है वो यह आती है। 

2. नर्क लोक - 

ये जगह उनके लिए है जिन्होंने पृथ्वी पर सबसे घिनोने-छमा न करने योग्य काम किये हो। इनको यह सजा के तौर पर लाया जाता है और एक बार आत्मा को उसके बुरे कर्मो की सजा मिल गयी फिर वो वापस जन्म लेती है या अपने कर्मो के अनुसार अपने स्थान पे चली जाती है। नर्क लोक सूर्य पुत्र यमराज के यम-लोक के अधीन आता है जहा वो अपने सहायक चित्रगुप्त के रखे गए मनुष्यो के कर्मो के अनुसार निर्णय देते है। 

हिंदू धर्म में कितने लोक होते हैं?

हिंदू पुराणों के अनुसार ब्रह्मांड में यूं तो अनेकों लोक हैं ,परंतु प्रमुख 14 लोक हैं जिनमें से सबसे अच्छा लोक सत्यलोक अर्थात ब्रह्मलोक को माना गया है ।

14 लोक कौन से हैं?

विस्तृत वर्गीकरण के मुताबिक तो 14 लोक हैं- 7 तो पृथ्वी से शुरू करते हुए ऊपर और 7 नीचे। ये हैं- भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक और ब्रह्मलोक। इसी तरह नीचे वाले लोक हैं- अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल , महातल और पाताल।

7 लोक कौन कौन से हैं?

भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, जनलोक, तपोलोक, सत्यलोक और ब्रह्मलोक - ये सात लोक कहे गये हैं । पाताल, वितल, अतल, तल, तलातल, सुतल और रसातल - ये सात पाताल हैं । इनके आदि, मध्य और अंत में रुद्र रहते हैं

एक ब्रह्मांड में कुल कितने लोक होते हैं?

बता दें, ब्रह्मांड में सिर्फ तीन नहीं बल्कि दस लोक हैं। स्वर्गलोक को हम सबसे ऊपरी दर्जा देते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि 10 लोकों की श्रेणी में स्वर्गलोक पांचवें स्थान पर आता है। चलिए अब आपको बताते हैं कि कौन सा लोक सबसे ऊपर और कौन सबसे नीचे आता है और इनमें कौन रहता है? सबसे ऊपर सत्यलोक आता है।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग