एनसीआर में दिल्ली से सटे सूबे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई शहर शामिल हैं।[1] एनसीआर में 4 करोड़ 70 लाख से ज्यादा आबादी रहती है। समूचे एनसीआर में दिल्ली का क्षेत्रफल 1,484 स्क्वायर किलोमीटर है। देश की राजधानी एनसीआर का 2.9 फीसदी भाग कवर करती है। एनसीआर के तहत आने वाले क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), ग्रेटर नोएडा, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़ और मुजफ्फरनगर; और हरियाणा के फरीदाबाद, गुड़गांव, मेवात, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, महेंद्रगढ़, भिवानी,जींद और करनाल जैसे जिले शामिल हैं। राजस्थान से दो जिले - भरतपुर और अलवर एनसीआर में शामिल किए गए हैं।[2]
जुलाई 2013 में एनसीआर में तीन और जिलों को शामिल किया गया है जिसमें हरियाणा राज्य के भिवानी और महेंद्रगढ़, राजस्थान राज्य के भरतपुर जैसे जिले शामिल कर एनसीआर को विस्तारित किया गया था। अब एनसीआर में शामिल जिलों की संख्या बढ़ कर 19 हो गई है। साल 2011-12 में एनसीआर के सभी क्षेत्रों ने एक साथ देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 128.9 यूएस अरब डॉलर का उत्पादन किया, जो कि भारतीय जीडीपी का 7.5 प्रतिशत था। अभी हाल में उत्तर प्रदेश का एक और जिला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल किया गया है जिसका नाम शामली है जो कि उत्तर प्रदेश का पश्चिमी जिला भी है
घटक जिला
हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के तीन पड़ोसी राज्यों में कुल 24 जिलों के साथ-साथ दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का गठन किया गया है। इन घटक जिलों के क्षेत्रों और जनसंख्या (भारत की जनगणना २०११, मुजफ्फरनगर, जिंद और करनाल के अतिरिक्त) नीचे निर्धारित किए गए हैं:
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि NCR की नयी सीमाएं तय होने से करनाल का आधा हिस्सा एनसीआर से बाहर होगा। यह लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग थी, जो अब पूरी होने जा रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि अब तक हरियाणा का 57 फीसदी हिस्सा एनसीआर में आता था, लेकिन नये नियमों के बाद यह हिस्सा कम होने जा रहा है।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने राज्य के पांच जिलों और दो जिलों की तीन तहसीलों को राष्टीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के दायरे से बाहर निकालने का प्रस्ताव तैयार किया है। अभी तक राज्य के 22 में 14 जिले एनसीआर के दायरे में आते हैं, जो कुल आबादी का 57 प्रतिशत एरिया बनता है।
हरियाणा सरकार का मानना है कि एनसीआर के दायरे में आने की वजह से हरियाणा के इन जिलों को फायदा कम और नुकसान अधिक हो रहा है। प्रदेश सरकार की ओर से एनसीआर के दायरे वाले जिलों की संख्या 14 से घटाकर नौ करने का यह प्रस्ताव एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की अगली बैठक में रखा जाएगा।
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यह भी पढ़ेंमुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रतिनिधि के रूप में मुख्य सचिव संजीव कौशल तीन जुलाई को होने वाली बैठक में ही यह प्रस्ताव रखने वाले थे, लेकिन बैठक स्थगित हो गई। एनसीआर के दायरे से बाहर निकाले जाने वाले जिलों में करनाल, जींद, महेंद्रगढ़, भिवानी और दादरी शामिल है। पानीपत जिले की मतलौडा व पानीपत तथा रोहतक जिले की महम तहसील को भी एनसीआर के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव राज्य सरकार ने तैयार किया है।
प्रस्ताव पास हुआ तो रह जाएंगे नौ जिले
प्रदेश सरकार का प्रस्ताव यदि मंजूर हुआ तो एनसीआर के दायरे में सिर्फ नौ जिले गुरुग्राम, पलवल, झज्जर, रेवाड़ी, सोनीपत, पानीपत, रोहतक, नूंह और फरीदाबाद रह जाएंगे। इन नौ जिलों का कुल एरिया 13 हजार 428 किलोमीटर का है, लेकिन तीन तहसीलों पानीपत, मतलौडा व महम का एरिया घटाने के बाद यह 12 हजार 280 किलोमीटर बनेगा।
पहले भी उठ चुका है मामला
मुख्यमंत्री मनोहर लाल पिछले काफी समय से चाहते हैं कि एनसीआर में आने वाले हरियाणा के जिलों का दायरा कम किया जाना चाहिए। इस संबंध में वह एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बैठक में मसला उठा चुके हैं। एनसीआर में दिल्ली का मात्र 2.69 प्रतिशत एरिया शामिल है। सैद्धांतिक रूप से हरियाणा सरकार के प्रस्ताव से एनसीआर प्लानिंग बोर्ड पूरी तरह सहमत है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा प्रस्ताव पेश करने के बाद अब इस पर केंद्र सरकार द्वारा आगे बढ़ने की संभावनाएं बलवती हुई हैं।
नए जिलों का प्रारूप तैयार
चीफ कार्डिनेटर प्लान (एनसीआर) गुरमीत कौर व डीटीपी एनसीआर विजय कुमार ने एनसीआर में आने वाले हरियाणा के नए जिलों का नया प्रारूप तैयार किया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का मानना है कि एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की योजनाओं से हरियाणा के आधे से ज्यादा जिले लाभान्वित नहीं होते, बल्कि नुकसान ज्यादा होता है। ऐसे में इन जिलों को एनसीआर के दायरे से बाहर निकालना ही बेहतर होगा।
एनजीटी के प्रतिबंधों से प्रभावित हो रहे जिले
हरियाणा के काफी बड़े हिस्से को एनसीआर से अलग करने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल की राय है कि दिल्ली पर शहरीकरण का बोझ कम करने के लिए एनसीआर का विस्तार किया गया था, इसलिए दिल्ली के आसपास के इलाकों की तरह दिल्ली को भी विकसित करने के लिए यह फैसला लिया गया।
समय बीतने के साथ-साथ एनसीआर क्षेत्र बढ़ता गया और विकास के साथ-साथ इसके कई दुष्परिणाम भी सामने आने लगे। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) या केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कोई प्रतिबंध लगाता है, तो यह लगभग 57 प्रतिशत हरियाणा को प्रभावित करता है, चाहे वह प्रदूषण या निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाना हो या उस पर अंकुश लगाना हो। हरियाणा के कुछ हिस्सों को एनसीआर से बाहर करने से कई इलाकों की बड़ी आबादी इस तरह के प्रतिबंधों से मुक्त हो जाएगी।