फूल के कौन कौन से अंग होते हैं? - phool ke kaun kaun se ang hote hain?

फूल क्या होता है? और इसके विभिन्न भाग, पुंकेसर क्या है, सरसों के पुष्प के भाग, दलपुंज क्या है, जायांग की संरचना, गुड़हल के पुष्प की संरचना, पुष्प के भाग

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1 फूल क्या होता है? और इसके विभिन्न भाग

1.1 फूल के भाग

1.1.1 बाह्यदल

1.1.2 दल (पंखुड़ी)

1.1.3 पुंकेसर

1.1.4 स्त्रीकेसर

1.1.5 वर्तिकाग्र

1.1.6 वर्तिकानली

1.1.7 अंडाशय

2 More Important Article

फूल क्या होता है? और इसके विभिन्न भाग

पुष्प/फूल- यह विशिष्ट प्ररोह है जो लैंगिक जनन के लिए एंजियोस्पर्म में पाया जाता है और यह फल और बीज बनाता है।

फूल के भाग

फूल के निम्नलिखित भाग होते हैं-

  1. बाह्यदल
  2. दल (पंखुड़ी)
  3. पुंकेसर
  4. स्त्रीकेसर

बाह्यदल

फूल में यह पत्तों का बाह्यदल होता है। यह सामान्यत: हरे होते हैं तथा फूल के अंदर वाले भागों की रक्षा करते हैं। इन्हें हरी पत्तियां भी कहते हैं।

दल (पंखुड़ी)

यह फूल में पतियों का दूसरा चक्र होता है। यह समानयत: रंगीन होते हैं और इन्हें रंगदार पत्तियां कहते हैं। इनके कारण फूल विभिन्न रंगों के होते हैं। यह कीटों को आकर्षित करती है तथा प्रांगण में सहायता करती है।

पुंकेसर

यह फूल का नर जनन भाग होता है। इसकी प्रत्येक इकाई को स्टेमन कहते हैं। इसके दो मुख्य भाग हैं पराग कोष तथा तंतु। पराग कोष में परागकण उपस्थित होते हैं जो अंकुरित होकर नर युग्मक उत्पन्न करते हैं।

स्त्रीकेसर

यह फूल का मादा जनन अंग है। इसकी प्रत्येक इकाई को कार्पल कहते हैं। यह फूल का सबसे अंदर वाला भाग होता है। इसके निम्नलिखित तीन भाग होते हैं-

वर्तिकाग्र

यह कार्पल का सबसे ऊपर वाला फूला हुआ भाग होता है। इसके चिपचिपा होने के कारण परागकण इस पर चिपक जाते हैं।

वर्तिकानली

यह एक लंबी पतली नलिका होती है। बीजांड तक पहुंचने के लिए पराग नली इसमें से होकर गुजरती है।

अंडाशय

यह कार्पल का सबसे नीचे वाला फुला हुआ भाग होता है। इसमें बीजांड उपस्थित होते हैं। निषेचन के बाद यह फल में तथा बीजांड बीजों में विकसित होते हैं।

एक घासीय फूल का शीर्ष (चारागहीय फॉक्सटेल फूल) सादे/मैदानी रंग के फूलों को दिखाते हुए जो कि बड़े प्रजननीय अंगों को लिए हुए हैं।

वातपरागित फूल: वायु का इस्तेमाल पराग को एक फूल से अगले फूल तक ले जाने में करते हैं उदाहरण के लिए घासें (grasses), संटी वृक्ष, एम्बोर्सिया जाति की रैग घांस और एसर जाति के पेड़ और झाडियाँ. उन्हें परागनों को आकर्षित करने की जरुरत नहीं पड़ती जिस कारण उनकी प्रवृति 'दिखावटी फूलों' की नहीं होती. जहाँ कि कीटप्रागीय फूलों के पराग बड़े और लसलसे दानों कि प्रवृति लिए हुए रहते हैं जो कि प्रोटीन (protein) में धनी होते हैं (परागनकर्ताओं के लिए एक पुरुस्कार), वातपरागित फूलों के पराग ज्यादातर छोटे दाने लिए हुए रहते हैं, बहुत हल्के और कीटों (insect) के लिए इतने पोषक भी नही. मधुमक्खी और बम्बल मक्खी सक्रिय रूप से वातपरागित पराग कोर्न (मक्के) जो जमा करते हैं हालाँकि ये उनके ज्यादा महत्त्व के नहीं होते.

कुछ फूल स्वपरागित होते हैं और उन फूलों का इस्तेमाल करते हैं जो कभी नहीं खिलते, या फूल खिलने से पहले स्वपरागित जो जाते हैं, इन फूलों को क्लीसटोगैमस कहा जाता है कई प्रकार के विओला और सालविया प्रजातियों में इस प्रकार के फूल होते हैं।

बहुत से फूलों में एक या कुछ विशिष्ट प्रकार के जीवाणुओं से निकट सम्बन्ध होते हैं। उदहारण के लिए कई फूल एक विशिष्ट कीट जाति से केवल एक कीट को ही आकर्षित करते हैं, अतः सफल प्रजनन के लिए केवल उस कीट पर निर्भर करते हैं। इस घनिष्ट सम्बन्ध जो अक्सर सहविकास (coevolution) के उदाहरण के रूप में लिया जाता है, जैसा की माना जाता है कि फूल और परागणकर्ता एक लम्बी अवधि से एक दुसरे कि जरूरतों से मेल खाने के लिए विकास कर रहे हैं

ये घनिष्ट सम्बन्ध विलोपन (extinction) के नकारात्मक प्रभाव के रूप में यौगिक हो जाते हैं। इस तरह के सम्बन्ध में एक के भी विलोपन का मतलब होता है कि लगभग दुसरे सदस्य का भी विलोपन. कुछ लुप्तप्रायः पौधे जातियों (endangered plant species) का कारण ख़त्म होते परागणकर्ताओं की जनसँख्या में कमी है (shrinking pollinator populations).

इस चित्र में फूल के पुंकेसर स्पष्ट दृश्यमान हैं।

कुछ फूलों में पुंकेसर और स्त्रीकेसर दोनों स्वनिषेचन में सक्षम होते हैं, जो कि बीजों के उत्पादन के अवसर बढ़ा देता है परन्तु आनुवंशिक विविधता को सीमित कर देता है। स्वनिषेचन के अतिवादी मामले उन फूलों में होते हैं जो कि हमेश स्वनिषेचित होते हैं, जैसे कि कई कुक्रौंधे (dandelion). इसके विपरीत, कई पौधों कि नस्लों में स्वनिषेचन को रोकने के अपने तरीके होते हैं। एक ही पौधे पर एक लैंगीय नर और मादा फूल एक ही समय पर दिखलाई नहीं पड़ते अथवा परिपक्व नहीं होते पिछले प्रकार के फूल, जिनमें स्वयं के पराग में रासायनिक अवरोध होते हैं, ऐसे फूलों को आत्ममृत अथवा बाँझ के रूप में सन्दर्भित किया जाता है (पौधे की कामुकता (Plant sexuality), भी देखें)

कामाकुरा, कानागावा (Kamakura, Kanagawa), जापान में

हालाँकि जमीनी/धरती पर के पौधे ४२५ मिलियन साल तक अस्तित्व (reproduced) में रहे हैं, प्रथम जो की अपने समकक्षों स्पोर्स (spore) से एक साधारण अनुकूलन द्वारा पैदा हुए थे। समुद्री पौधे और कुछ जानवर स्वयं के अनुवांशिक नकलों (clones) को बिखेर सकते हैं जो की बह के कहीं और सृजित हो सकें/विकास कर सकें. इस प्रकार शुरू के पौधे प्रजनित होते थे। परन्तु शीघ्र ही पौधों ने अपनी नकलों को सुरक्षित रखने के तरीकों को विकसित कर लिया ताकि सूखने और दुसरे कष्टों/अपप्रयोग/अनुचित व्यवहार का सामना कर सकें जो की समुद्री पौधों के मुकाबले जमीनी पौधों में ज्यादा है। ये सुरक्षा बीज बन गयी, जो कि अभी तक फूल में विकसित नहीं हो पाई है। प्रथम बीज धारक पौधों में गिंगको (ginkgo) और शंकुवृक्ष (conifer) शामिल हैं। फूल-पौधे का प्रारंभिक जीवाश्म आर्काफ्रुक्टुस लिआओनिंगजेनिसिस (Archaefructus liaoningensis), को १२५ मिलियन साल पहले दिनांकित किया गया है।[2] गाइमनोस्पर्म्स के कई समूह, ख़ासकर बीज फर्न (seed fern) को फूल-पौधों के पूर्वज के रूप में प्रस्तावित किया जाता है पर सतत जीवाश्मों के सबूत नहीं हैं जो यह दिखा सकें कि फूलों का विकास कैसे हुआ था। जाहिर तौर पर अपेक्षाकृत नविन पौधों का जीवाश्म इतिहास में अचानक दिखाई देना ने विकास के सिद्धांत के सामने एक समस्या खड़ी कर दी, जिसे चार्ल्स डार्विन द्वारा "घिनौना रहस्य" कहा गया। हाल हीं में खोजे गए ऐन्गियोस्पर्म जीवाश्म जैसे कि आर्काफ्रुक्टुस, साथ ही में आगे कि खोजो में गाइमनोस्पर्म्स के जीवाश्म यह सुझाव देते हैं कि किस तरह ऐन्गियोस्पर्म के चरित्र एक के बाद एक श्रृंखला को हासिल कर प्राप्त हुए होंगे।

हाल ही में हुए DNA (DNA) विश्लेषण (आण्विक यथाक्रम (molecular systematics))[3][4] दिखाते हैं कि एम्बोरेला ट्राईकोपोडा" (Amborella trichopoda) जो कि न्यू कैलेडोनिया (New Caledonia), के प्रशांतीय द्वीपों में पाए जाते हैं, अन्य फूल-पौधों (sister group) के समूह से ही है और आकृति विज्ञान के अध्ययन[5] से सुझावित होता है कि इसके चरित्र में वे सारी विशेषताएं/गुण हैं जो की प्रारंभिक फूल-पौधों में थीं।

आम धारणा यह है कि प्रारम्भ से ही फूलों का कार्य, पशुओं को प्रजनन प्रक्रिया में शामिल करना रहा है। पराग चमकीले/सुनहरे और स्पष्ट रूप के बगैर भी बिखर सकते हैं, अतः यह एक दायित्व बन जाता है, पौधे के संसाधनों का प्रयोग जब तक कि वह अन्य कोई लाभ न प्रदान करे. अचानक पूर्ण रूप से विकसित फूलों कि उपस्थिति का एक प्रस्तावित कारण यह भी है कि ये एक पृथक वातावरण जैसे कि एक द्वीप अथवा द्वीपों कि श्रंखला में में विकसित हुए हैं, जहाँ पर पौधे जो उनपर धारण होते थे ने एक उच्च विशेष सम्बन्ध कुछ विशिष्ट जानवरों (उदाहरण के लिए एक ततैया) से विकसित कर लिए हैं, जैसा कि वर्तमान में/आज द्वीपीय नस्लें/जातीय विकसित होती हैं। एक परिकल्पित ततैये का पराग के साथ काल्पनिक सम्बन्ध जो कि एक पौधे से दुसरे पौधे तक पराग ले जाता है, आज के अंजीर ततैये (fig wasp) के जैसा है, हो सकता है कि यह पौधे और उसके साथी के बीच उच्च स्तर कि विशेषता का परिणाम हो। विशेषता के आम स्रोत के रूप में द्वीप अनुवांशिकी (Island genetics) को माना जाता है, खासकर जब मौलिक/आरंभिक अनुकूलन/रूपांतर कि बात आती है तो आंतरिक संक्रमण के रूपों की आवश्यकता पड़ती है। ध्यान दे कि ततैये का उदहारण आकस्मिक नहीं है, जाहिर तौर पर मधुमक्खियाँ, जो कि काल्पनिक/प्रतीकात्मक पौधों के संबंधों के लिए विकसित हुयी हैं, ततैयों के परवर्ती के रूप में विकसित हुए हैं।

इसी तरह, कई फल जो कि पौधे के प्रजनन में इस्तेमाल किए जाते हैं फूल के भागों के विस्तार से ही आते हैं, अक्सर फल एक उपकरण है जो उन जानवरों पर निर्भर करता है जो उसे खाने के इच्छुक, इस प्रकार उन बीजों को बिखेरते हैं जो उस फल में हैं।

जबकि इस प्रकार के प्रतीकात्मक सम्बन्ध (symbiotic relationship) मूल भूमी पर अपने अस्तित्व को बचाए रखने और फैलने में बहुत नाज़ुक होते हैं, फूल असाधारण रूप से उत्पादन का एक कारगर साधन बन जाते हैं, फैलाते हुए/प्रसार करते हुए (जो भी उनका वास्तविक रूप/उद्गम रहा हो) ताकि वे जमीनी पौधों के जीवन में सबसे ज्यादा प्रबल हों.

जबकि इस बात का मुश्किल से सबूत है कि ऐसे फूल १३० मिलियन साल पहले अस्तित्व में थे, कुछ परस्थितिजनक सबूत हिं जो कि ये बताते हैं कि ये २५० मिलियन साल पहले अस्तित्व में थे। ओलीयनेन, एक रसायन ओलियन (oleanane) जो कि पौधों द्वारा पाने फूलों की रक्षा के लिए किया जाता है, पुराने पौधों के जीवाश्म में पाया गया है, जिसमें जाईगेंटोपेट्रिड (gigantopterid)[6] शामिल है जो कि उस समय विकसित थे और कई आधुनिक फूल-पौधों के गुण धारण किए हुए हैं, हालाँकि वे फूल-पौधों के रूप में नहीं जाने जाते, क्योंकि उनके तने और कांटे ही पूर्णरूप से संरक्षित हो पाए हैं, जो कि प्रारंभिक जीवाश्मीकरण (petrification) का एक उदाहरण है।

पत्ते (leaf) और तने (stem) की संरचना में समानता बहुत आवश्यक है, क्योंकि फूल आनुवंशिक रूप से सामान्य पत्ते और तने के घटकों का ही अनुकूलन है, जींस का संयोजन सामान्य रूप से नए अंकुर को सृजित करते हैं।[7] अति प्राचीन फूलों में माना जाता हैं कि उनमे फूल के भागों के परिवर्तनशील अंग होते है जो कि ज्यादातर अलग होते थे (परन्तु एक दुसरे से संपर्क में) फूल शायद घुमावदार रूप से बढे होंगे ताकि वे उभयलिंगी (bisexual) हो सकें (पौधों में इसका मतलब होता हैं कि नर और मादा भाग दोना एकही फूल में) और जिसका अंडाशय (ovary) (मादा हिस्सा) द्वारा वर्चस्व किया जाता है। जैसे-जैसे फूल बढ़ते बढ़ते और उन्नत हुए, उनमें भागों के आपस में जुड़ जाने के कारण विविधता का विकास हुआ और भी विशिष्ट संख्या और ढांचे के साथ, या प्रति फूल या पौधे के विशिष्ट लिंग के साथ, या कम से कम "अंडाशय अवर"

फूलों का आज तक जारी है, आधुनिक फूल इतना ज्यादा मनुष्यों द्वारा प्रभावित हुए हैं कि कई तो प्रकृति में परागनित नहीं हो सकते. कई आधुनिक, पालतू फूल जंगली घांस-फूंस हुआ करते थे, जो कि उसी समय खिलते थे जब भूतल में कम्पन होती थी/जब भूमि हिलती थी। कुछ मानव फसलों के साथ उगने कि प्रवृति रखते थे और जो सबसे सुंदर होता था उन्हें अपनी खूबसूरती के कारण उखाडा नहीं जाता था, जिससे मानवीय स्नेह के ऊपर निर्भर करना और विशेष अनुकूलन का विकास होने लगा। [8]

फूल के विकास का ऐ बी सी नमूना

फुलीय अंग कि पहचान के निर्धारण के लिए आणविक नियंत्रण पूरी तरह से समझ लिया गया है। एक साधारण मॉडल में, तीन जीनों की गतिविधियाँ संयोजी रूप से एक दुसरे से जुड़ती रहती हैं ताकि फुलीय मेरिस्टेम (meristem) के मूल अंग के विकाशशील पहचान का निर्धारण किया जा सके। इन जीन की क्रियाओं को अ/ऐ, ब/बी, और स/सी- जीन क्रिया कहा जाता है। पहले फुलीय वोर्ल में केवल ऐ-जींस ही व्यक्त होते हैं, जो की सेपल्स के निर्माण का नेतृत्व करते हैं। दुसरे वोर्ल में ऐ- और बी- जींस ब्यक्त होते हैं, जो की पंखुडियों के निर्माण का नेतृत्व करते हैं। तीसरे वोर्ल में बी और सी जींस एक दुसरे से जुड़ते हैं ताने और फूल के मध्य के निर्माण के लिए, अकेले सी जींस कार्पेल्स को जन्म देते हैं। मॉडल [[होमीयोटिक/जानवरों और पौधों में शरीर अथवा किसी अंग के बदले दूसरे शरीर या अंग का सामान्य सृजन/निर्माण|होमोटिक]] (homeotic) मिऊटन्ट्स [[अराबिडोपेसिस/ फूल-पौधों की एक जाति जो की उत्तर समशीतोष्ण इलाकों में पाई जाती हैं, इन पौधों का इस्तेमाल वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए अधिक किया जाता है|अरबीडोप्सिस]] (Arabidopsis) थालियाना और स्नैपड्रैगन, [[एंटीर्रिनियम माजुस/ एंटीर्रिनियम जाति में से कोई भी एक पौधा, खासकर जो की भूमध्यसागरीय प्रदेश में एक बूटी के रूप में उगाये जाते हैं।|एंटीर्र्हिनुम माजुस]] (Antirrhinum majus) के अध्यन पर आधारित है। उदहारण के लिए जब बी-जीन की क्रिया में कमी होती है, मिऊटन्ट फूल सेपल्स के साथ प्रथम वोर्ल में हमेशा की तरह उत्पन्न होते हैं, पर सामान्य पंखुडियों के निर्माण के बजाय दुसरे वोर्ल में भी उत्पन्न होते हैं। तीसरे वोर्ल में बी क्रिया की कमी परन्तु सी क्रिया की उपस्थिति चौथे वोर्ल की नक़ल कर देती है, जो कि तीसरे वोर्ल में भी कर्पेल्स के निर्माण का नेतृत्व करती है। फूल के विकास का एबीसी मॉडल भी देखें (The ABC Model of Flower Development).

अधिकांश जींस जो कि मॉडल के केन्द्र में हैं MADS-बक्से (MADS-box) जींस की सम्पत्ति हैं और प्रतिलेखन कारक (transcription factors) हैं जो कि प्रत्येक फुलीय अंग के विशिष्ट जीन कि अभिव्यक्ति को विनियमित करते हैं।

अपने जीवन चक्र में पुष्पण के लिए संक्रमण (transition) पौधे द्वारा बदलाव का एक महान चरण होता है। संक्रमण उसी समय होना चाहिए जब अधिकतम प्रजनन की सफलता कि सुनिश्चितता होगी। इन जरुरतो को पुरा करने के लिए पौधे महत्वपूर्ण अन्तर्जातीय और पर्यावरणिक सूत्रों को जैसे कि पौधे के हारमोनों (plant hormones) के स्तर में परिवर्तन और मौसमी तापमान और [[फोटो अवधि/ वह समय जब एक जीव प्रतिदिन रौशनी को पाता है/धूप पाता है जो की खासकर उस जीव के सृजन और विकास के लिए जरूरी होता है|फोटोसमय]] (photoperiod) परिवर्तन को समझने में सक्षम होते हैं। कई बारहमासी पौधों और द्विवार्षिक पौधों को फूलों के [[वर्नालाईजेशन/ बीज या बीजांकुर को कम तापमान में रखना ताकि पौधे की पुष्पण की प्रक्रिया त्वरित हो सके|वेर्नालाइजेशन]] (vernalization) की जरुरत पड़ती है। कुछ जींसों जैसे CONSTANS और FLC के आण्विक व्याख्याएँ इस बात का निश्चयन करती हैं कि पुष्पण तभी होगा जब निषेचन (fertilization) और बीज गठन के लिए अनुकूल समय होगा। [9] फुलीय गठन तने के अन्तक से शुरू होती है और इसमे कई शारीरिक और आकृति सम्बन्धी परिवर्तन होते हैं। पहला कदम सब्जीय पराईमोर्डिया का फुलीय पराईमोर्डिया में बदलाव है यह रासायनिक रूप में होता हैं जो कि पत्तों, कली (bud) और तने के उत्तकों की कोशिकीय भिन्नता को दिखाने के लिए होता हैं जो कि प्रजनन अंगों के रूप में विकसित होंगे। तने के मध्य/केन्द्र भाग के अग्रभाग का बढ़ना रुक जाता है अथवा चपटे हो जाते हैं जिसके कारण तने के अंत के बाह्य में लच्छेदार या गोलाकार रूप में कोने फूल जाते हैं। ये विकसन सेपलों, पंखुडियों, तने और कार्पेल (carpel) में होते हैं। ज्यादातर पौधों में जब एक बार यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है तो उस वापिस लेना नामुमकिन है और तना फूल विकसित कर लेता हैं, भले ही फूल के गठन का प्रारंभिक क्षण पर्यावरण श्रृंखला (cue) पर ही निर्भर क्यों न हो। [10] एक बार यह प्रक्रिया शुरू होती है और श्रृंखला को अगर निकाल भी दिया जाता है तब भी फूल का विकास होगा।

Small Text== प्रतीकवाद ==

लिली का प्रयोग ज्यादातर जीवन के पुनरुत्थान को निरुपित करने के लिए किया जाता है

सजावटी उद्देश्य के लिए फूल प्रेरित करते हैं

अपने भिन्न सुगंधों के लिए फूल चहेते रहे हैं

पाश्चात्य संस्कृति में कई फूलों के महत्वपूर्ण प्रतीक (symbol) हैं। फूलों को अर्थ अधिमानित करने की प्रथा को फ्लोरोग्राफी (floriography) कहा जाता है। सबसे आम उदाहरणों में शामिल हैं:

  • लाल गुलाब (rose) प्रेम, सौंदर्य और चाहत के प्रतीक के रूप में दिया जाता है
  • खसखस (Poppies) मृत्यु के समय सांत्वना का प्रतीक है यु के, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में लाल खसखस युद्ध के दौरान मरे गए सैनिकों की श्रधांजलि में पहना जाता है।
  • आईरिश (Irises)/लिली (Lily) का उपयोग दफ़नाने के समय जीवन के पुनरुत्थान के रूप में किया जाता है यह सितारों (सूरज) से भी जोड़ कर देखी जाती हैं और उसकी पंखुडियां भी खिलती हुयी/ चमकती हुयी
  • डेसी (Daisies) के फूल मासूमियत के प्रतीक हैं

कला में भी फूल जननांग (female genitalia) का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसा कि जार्जिया ओ'कीफी (Georgia O'Keefe), इमोगन कनिंगहम (Imogen Cunningham), वेरोनिका रुइज़ डे वेलअस्को (Veronica Ruiz de Velasco) और जूडी चिकागो (Judy Chicago) जैसे कलाकारों के कामो में दीखता हैं, हकीकत में एशियाई और पश्चिमी शास्त्रीय कला में भी यह दिखाई देता है। दुनिया भर की कई संस्कृतियों में फूलों को स्त्रीत्व (femininity) के साथ जोड़ने की चिन्हित प्रवृति दिखाई देती है।

भिन्न प्रकार के नाजुक और सुंदर फूलों की विशालता ने कई कवियों की सृजनात्मकता को प्रेरित किया हैं, विशेषतः रोमांटिक (Romantic) युग के १८वी-१९वी शताब्दी में. प्रसिद्ध उदहारण विलियम वर्डस्वर्थ का I Wandered Lonely as a Cloud (I Wandered Lonely as a Cloud) और विलियम ब्लेक (William Blake) का Ah! है। सूर्य-मूखी.

अपनी विविधता और रंगीन उपस्थिति के कारण, फूल दृश्य कलाकारों के भी पसंदीदा विषय रहे हैं। मशहूर चित्रकारों द्वारा कुछ प्रख्यात चित्रों में फूलों के चित्र हैं, उदहारण के लिए वैन गो (Van Gogh) का सूर्यमुखी (sunflowers) का श्रृंखला और मोनेट के पानी के लिली. फूलों को सुखाया भी जाता है, सूखे रूप में फ्रीज़ किया जाता हैं और दबाया जाता है ताकि फूल कला (flower art) के तीन-आयामी स्थायी हिस्से हों.

रोमन फूलों, बगीचों और वसंत के मौसम की देवी फ्लोरा है। वसंत, फूलों और प्रकृति की यूनानी देवी क्लोरिस (Chloris) है।

हिंदू पौराणिक कथाओं में फूलों का महत्वपूर्ण स्थान है। विष्णु जो कि हिंदू प्रणाली में तीन मुख्य देवताओं में से एक हैं, को अधिकतर कमल (lotus) के फूल पर सीधा खड़ा चित्रित किया जाता है।[11] विष्णु से जुड़े होने के अलावा भी हिंदू परम्परा कमल के अध्यात्मिक महत्ता को मानती है।[12] उदहारण के लिए, यह हिंदू कथाओं में सृजन के लिए वर्णित की जाति है।[13]

आधुनिक समय में लोगों ने खेती करने, खरीदने, पहनने या फूलों के इर्द-गिर्द रहने के तरीके ढूंढ लिए हैं, आंशिक रूप से इसलिए कि वे मनचाहे दिखाई देते हैं और उनकी गंध (smell) भी मनचाही होती है। दुनिया भर में लोग फूलों का इस्तेमाल नानविध उपलक्ष्यों और समारोहों में करते हैं जो कि एक के जीवन काल में जमा होकर उसे घेरे रहती है।

  • नवजात शिशु के अथवा इसाईकरण (Christening) के लिए
  • पुष्प आभूषण (corsage) अथवा बटनियर (boutonniere) के रूप में सामाजिक समारोहों और छुट्टियों/अवकाशों में पहनते हैं।
  • प्रेम और अभिमान/सम्मान के चिह्न के रूप में/की निशानी के रूप में
  • वधु की पार्टी/दावत/समारोह के लिए शादी के फूल और भवन/हॉल की सजावट के लिए
  • जैस कि घर के अन्दर रोशनी की सजावट
  • शुभ यात्रा पार्टियों और घर-वापसी की पार्टियों में यादगार उपहार के रूप में अथवा "आप के बारे में सोचते हुए' उपहार.
  • अंत्येष्ठी (funeral) के लिए फूल और शोक करने वालों के लिए अभिव्यक्ति (sympathy)

इसलिए लोग अपने घर के चारों ओर फूल उगाते हैं, अपना बैठक का कमरे का पुरा भाग पुष्प उद्यान (flower garden) के लिए समर्पित कर देते हैं, जंगली फूलों को चुनते हैं नहीं तो फूलवाले (florist) से फूल खरीदते हैं जो की व्यावसायिक उत्पादको और जहाजियों पर पूर्ण रूप से निर्भर करता है।

फूल, पौधे के मुख्य भागों (बीज, फल, जड़ (root), तना (stem) और पत्तों (leaves) के मुकाबले कम आहार उपलब्ध करा पाते हैं, पर वे कई दुसरे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ और मसाले उपलब्ध करा पाते हैं। फूलों की सब्जियों में शामिल है ब्रोकोली (broccoli), फूलगोबी और हाथीचक्र (artichoke). सबसे महंगा मसाला, जाफरानी (saffron), जाफरानी (crocus) के फूल के स्टिग्मा धारण किए हुए रहता है। दुसरे फूलों की नस्लें हैं लौंग (clove) और केपर्स (caper).होप (Hops) फूलों का प्रयोग बियर (beer) में सुगंध के लिए उपयोग किया जाता है। मुर्गियों (chicken) को गेंदे (Marigold) का फूल खिलाया जाता है ताकि अंडे का पीला भाग और सुनहरा पीला हो सके, जो की उपभोक्ताओं को पसंद है। कुक्रौंधे (Dandelion) के फूलों से अक्सर शराब/वाइन बनाई जाती है। मधुमक्खी पराग (Pollen), मधुमक्खियों द्वारा एकत्रित पराग को कुछ लोगों द्वारा स्वास्थ्यवर्धक आहार कहा जाता है। शहद (Honey) में मधुमक्खी द्वारा संसाधित फूल का रस होता है और ज्यादातर उनका नाम फूलों के नाम पर रखा जाता है, उदाहरण के लिए नारंगी (orange) शहद फूल, बनमेथी (clover) शहद, टुपेलो (tupelo) शहद.

सैंकडों फूल भक्षनीय/खाने योग्य होते हैं पर कुछ ही हैं जिन्हें खाद्य के रूप में व्यापक तौर पर बेचा/विपणन किया जाता है। ये अक्सर सलादों में रंग और स्वाद बढ़ाने के लिए किए जाते हैं। स्क्वैश (Squash) फूलों को ब्रेडक्रम्बस में डुबोकर तला जाता है। खाद्य फूलों में शामिल हैं जलइंदुशुर (nasturtium), गुलदाउदी (chrysanthemum), गुलनार (carnation), [[कात्तैल/कटैल/टैफा जाति की कोई भी बारहमासी बूटी जो की किसी भी दलदल वाले इलाकों में पाए जाते हैं, इन्हें रीड मेज़ भी कहा जाता है|कटैल]] (cattail), शहद्चुसक (honeysuckle), कासनी (chicory), [[कोर्नफ्लावर/कोर्नपुष्प/ एक वार्षिक यूरेशियाई पौधा जिसकी खेती उत्तर अमेरिका में की जाती है। इसे कुंवारे का बटन भी कहा जाता है/ इसे बैचलर बटन भी कहा जाता है|मकई का फूल]] (cornflower), देवकली (Canna) और सूर्यमुखी (sunflower). कुछ खाद्य फूल कभी-कभी खुसामद भरे भी होतें हैं जैसे डेसी (daisy) और गुलाब (rose) (हो सकता है आपका किसी बनफशा (pansy) से भी साबिका पड़ जाए)

फूलो को औषधीय चाय (herbal tea) भी बनाया जा सकता है। सुगंध और औषधीय गुण, दोनों के लिए सूखे फूल जैसे की गुलदाउदी, गुलाब और चमेली, कर्पुरपुष्प को चाय में डाला जाता है। कभी-कभी उन्हें भी चाय (tea) पत्ती के साथ सुगंध के लिए मिलाया जाता है।

फूलों के कितने अंग होते हैं?

आदर्श फूल अलग कुंडली में बाह्यदल, पंखुड़ी, पुंकेसर और अंडप नामक चार प्रकार के फूलों की पत्तियों से मिलकर बने होते हैं। इन्हें आमतौर पर क्रमश: बाह्यदल पुंज, दलपुंज, पुंकेसर और जायांग के रूप में जाना जाता है। जिस फूल में सभी चारों कुंडलियां (बाह्यदल, पत्ती, अंडप, पुंकेसर) मौजूद होते हैं उसे पूर्ण कहा जाता है।

फूल पौधे का कौन सा अंग है?

फूल पौधे का प्रजनन अंग है जिससे पौधों में लैंगिक प्रजनन की क्रिया (sexual reproduction in plants) होती हैं। किसी भी फूल के चार भाग होते हैं।

फूल के अंदर भाग को क्या कहते हैं?

सही उत्तर स्त्रीकेसर है। स्त्रीकेसर: स्त्रीकेसर फूल का सबसे भीतरी भाग होता है। यह फूल का मादा भाग है। पुंकेसर: पुंकेसर फूल का नर भाग होता है।

फूल के कौन कौन से भाग होते हैं चित्र सहित समझाइए?

विज्ञान.
बाह्य दलपुंज या हरी पत्तियाँ-यह फूल का सबसे बाहरी भाग होता है। यह हरी पत्तियों के रूप में होता है जिन्हें बाह्य दल कहते हैं। ... .
दलपुंज या रंगीन पत्तियाँ-बाह्य दलपुंज के भीतरी भाग को दलपुंज कहते हैं। प्रत्येक अंग पंखुड़ी या दल कहलाता है। ... .
पुंकेसर-यह फल का बाहर से तीसरा भाग है। ... .
स्त्रीकेसर-यह फूल का मादा भाग होता है।.

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