बांस की पत्ती खाने से क्या होता है? - baans kee pattee khaane se kya hota hai?

बांस ऐसा पौधा है जिसे न तो अधिक हवा-पानी की जरूरत है और न सूर्य की रोशनी की। पहले यह खेतों की मेड़ पशुशाला व ऊसर-बंजर भूमि पर भी लगाया जाता था मगर अब इसकी खेती होने लगी है। यह सबसे तीव्र गति से बढ़ने वाला पौधा है।

विनोद भारती, अलीगढ़। बांस यानी हरा सोना। इसका व्यापक आर्थिक व सांस्कृतिक महत्व है। प्रकृति का गहरा मित्र है और अन्य पौधों के मुकाबले तिगुना आक्सीजन देता है। तना ही नहीं पत्तियां भी औषधीय गुणों से भरपूर हैं।

कई रोगों में लाभकारी

एएमयू के वनस्पति विज्ञानी प्रो. जकी अनवर सिद्दीकी बताते हैं कि बांस कार्बन मोनोआक्साइड, बेंजीन व क्लोरोफार्म जैसे तत्वों को नष्ट कर आक्सीजन उत्सर्जति करता है। मलखान सिंह जिला अस्पताल स्थित आयुष विंग के प्रभारी व आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. नरेंद्र चौधरी बताते हैं कि बांस से अचार, काढ़ा, सिरका के अलावा शक्तिवर्धक दवाएं एवं वटी बनाई जाती है। हृदय रोग, दमा, मस्तिष्क व सांस की बीमारियों में लाभकारी है।

कलम से रोपाई

उत्तर भारत में फूलों से झरे बीजों के अलावा जड़ की कटिंग से रोपाई होती है। तने के निचले भाग को तीन इंच लंबाई में काटकर लगाते हैं। नई-नई जड़ें भी पौधे का रूप लेती हैं। तीन से चार मीटर की दूरी पर पौधा लगाने के कारण इनके बीच अन्य फसल लगाई जा सकती है।

बांस के औषधीय गुण

  • बांस खाने से मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद मिलती है
  • बांस की कोंपल का काढ़ा बनाकर पीने से सांस का रोग दूर होता है
  • बांस के पत्तों से निकले द्रव से तैयार जूस में एक्टिव कंपोनेंट होते हैं
  • बांस का खूंट (पहली बार निकला तना) से रक्तचाप व कोलेस्ट्रोल घटाने की दवा बनती है
  • फ्लैवोनोइडस, फिनोल एसिड, इनर इस्टर्स, पाली सैकेराइड, एमिनो एसिड, पेप्टाइड, मैंग्नीज, जिंक की पूर्ति होती है

आर्थिक संबल भी

  • कागज, बांसुरी व वायलन बनाया जाता है
  • भूकंप रोधी घर, झोंपड़ी, छत बनाने में उपयोग
  • अगरबत्ती, पेंसिल, माचिस, टूथ-पिक, चापस्टिक्स का निर्माण
  • बल्ली, सीढ़ी, टोकरी, चारपाई व चटाई का इससे निर्माण होता है
  • फर्नीचर व साज-सज्जा का सामान बनाने में इसका उपयोग होता है

कभी भी, कहीं भी लगाएं बांस

बांस ऐसा पौधा है, जिसे न तो अधिक हवा-पानी की जरूरत है और न सूर्य की रोशनी की। पहले यह खेतों की मेड़, पशुशाला व ऊसर-बंजर भूमि पर भी लगाया जाता था, मगर अब इसकी खेती होने लगी है। यह सबसे तीव्र गति से बढ़ने वाला पौधा है। वैसे तो किसी भी मौसम में इसकी रोपाई कर सकते हैं, फिर भी वर्षाकाल के प्रारंभ में इसे लगाना ठीक रहता है। आठ से 36 डिग्री सेल्सियस तापमान व 1270 मिमी वर्षा पर्याप्त होती है।

Edited By: Sanjay Pokhriyal

बांस औषधीय गुणों की खान भी है. बांस को खाने के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है, इसका अचार बनाया जा सकता है जो सर्दी में काफी कारगर साबित होता है. इस बांस की कोपलों को खाने से बच्चों की लम्बाई बढ़ती है.इतना ही नहीं इस बांस में कैल्सियम भी खासी मात्रा में पाया जाता है. बांस की कोपलों को खाने से हड्डियां भी मजबूत होती हैं.

बांस के फायदे -

1- बांस के थोड़े पत्तों के रस में चीनी डालकर पीने से पारा खा लेने वाले रोगी को लाभ मिलता है.

2- वंशलोचन का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर देने से बच्चों की खांसी और सांस का रोग ठीक हो जाता है. बांस की गांठ को पानी में मिलाकर देने से भी लाभ होता है.

3-बांस की मुलायम पत्तियों का रस लगाने से आंख फड़कना बंद हो जाती है.

4- बांस के फूल के रस की 2-3 बूंदे रोजाना 3-4 बार कान में डालने से बहरेपन के रोग में धीरे-धीरे लाभ होने लगता है.

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बांस के फायदे

बांस जिसे बैम्बू भी कहा जाता हैं, इसका नाम तो आपने सुना होगा। लेकिन शायद कुछ लोग ही जानते होंगे कि इसे खाया भी जाता है। बांस में कई तरह के औषधीय गुण होते हैं। इसका सेवन शरीर के लिए  काफी फायदेमंद है। सवाल उठता है कि इतने सख्त बांस को कैसे खाया जा सकता है। दरअसल बांस का सख्त भाग नहीं, बल्कि इसकी कोंपलों का इस्तेमाल खाने के लिए किया जाता है। बांस के बीज, जड़, छाल और पत्तियों को आयुर्वेदिक दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है। बांस का पौधा बहुत ही कोमल होता है।  आइए जानते हैं बांस के फायदे के बारे में।

कान दर्द 

बांस की कोंपलों को कान कान दर्द में भी फायदेमंद माना जाता है। दरअसल ये एनाल्जेसिक गुणों से भरपूर होती हैंं जो कान के दर्द से छुटकारा दिलाने में मदद करती हैं। 

 त्वचा 

आजकल ज्यादातर लोग त्वचा संबंधी समस्या से परेशान हैं। त्वचा के लिए बांस के पत्ते काफी फायदेमंद होते हैं। इसके लिए आप बांस के पत्ते और बांस की जड़ को पीसकर लेप बना लें। इसके बाद अपनी त्वचा पर लगाए। ऐसा करने से त्वचा रोगों से जल्द छुटकारा मिलेगा।  

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 मुँह के छालों से मिलेगी राहत

अगर आपके मुँह छाले पड़ गए हैं तो बांस के पत्ते इसके लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इसके लिए आप बांस के पत्तों में शहद मिलाकर इसे छाले वाली जगह पर लगाए। ऐसा करने से मुंह के छालों से छुटकारा मिलेगा।

सूखी खांसी 

अगर बदलते मौसम के कारण सूखी खांसी की समस्या से परेशान है और ये कम होने का नाम ही नहीं ले रही है तो बांस इसके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके लिए आप बांस के पत्तों का चूर्ण बनाकर इसको शहद के साथ मिलाए और फिर इसे मिलाकर इसका सेवन करें। ऐसा करने से कफ निकलना शुरू हो जाएगा और सूखी खांसी से छुटकारा मिलेगा। 

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भूख बढ़ाने के लिए 

कई बार पाचन से जुड़ी समस्या या किसी अन्य कारणों से भूख कम लगती है। ऐसे में अगर आप बांस की कोपलों का सेवन करेंगे तो ये भूख बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। 

 सांस संबंधी समस्याओं के लिए फायदेमंद 

 सांस संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए भी आप बांस की कोंपलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप बांस की कोंपलों को शहद के साथ मिलाकर काढ़ा बनाकर पीएं। इससे सांस संबंधी समस्याओं से राहत मिल सकती है।

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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी फिटनेस व्यवस्था या चिकित्सकीय सलाह शुरू करने से पहले कृपया डॉक्टर से सलाह लें। 

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बांस के पत्ते खाने से क्या होता है?

नरेंद्र चौधरी बताते हैं कि बांस से अचार, काढ़ा, सिरका के अलावा शक्तिवर्धक दवाएं एवं वटी बनाई जाती है।

बांस के पत्तों का उपयोग कैसे करें?

बांस का उपयोग – How to Use Bamboo in Hindi.
बम्बू शूट्स का सेवन सब्जी के रूप में किया जा सकता है। ... .
बांस का उपयोग सूप बनाकर पीने के लिए भी किया जा सकता है।.
बांस की कोंपलों का चूर्ण बनाकर सेवन किया जा सकता है।.
बांस की कोंपलें और पत्तों का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं।.
इसकी पत्तियों का पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगा सकते हैं।.

बांस से क्या लाभ होता है?

बांस प्रकृति से मीठा, एसिडिक, तीखा, कड़वा, भारी,रूखा और ठंडे तासीर का होता है। यह कफ और पित्त कम करने में सहायता करता है। बांस के फायदे के कारण कुष्ठ, व्रण या अल्सर, सूजन, मूत्रकृच्छ्र या मूत्र संबंधी बीमारी, प्रमेह या डायबिटीज, अर्श या पाइलस तथा जलन कम करने में मददगार होता है।

बांस में कौन सा तत्व होता है?

बांस में सैचुरेटिड फैट, कोलेस्ट्रोल और सोडियम कम होता है तथा रेशों (फाइबर), विटामिन-सी, थायामिन, विटामिन बी6, फास्फोरस, पोटेशियम, जिंक, कॉपर, मैगनीज, प्रोटीन, विटामिन ई, रिबोफ्लेविन, नियासिन और आयरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए इसका इस्तेमाल औषधि के तौर पर भी किया जाता है।

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