बीजगणित में कितने सूत्र होते हैं? - beejaganit mein kitane sootr hote hain?

गणित में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ होती है- फॉर्मूला। यदि आपको गणित के सभी महत्वपूर्ण Formula याद हैं तो आपके लिए गणित काफी सरल हो जाती हैं। हमने अभी तक गणित में विभिन्न प्रकार के सूत्रों के विषय में पढ़ा है इसी तरह विभिन्न प्रकार के प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे SSC, UPSC, SSC CGL, JEE Mains आदि में छोटी कक्षाओं में उपयोग किए जाने वाले सूत्रों  के ऊपर सवाल पूछे जाते हैं इसलिए आज हम हमारे ब्लॉग मे गणित के सूत्र के बारे में जानकारी देंगे और जानेंगे कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण सूत्र कौन से है तो आइए शुरू करते हैं गणित के सूत्र-

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गणित के सूत्र किसे कहते हैं? 

  • गणित के प्रश्नों को हल करने के लिए गणित के सूत्र बहुत महत्वपूर्ण होते है इसलिए हमारे आज के ब्लॉग में हमने गणित के सभी सूत्रों को शामिल किया है।
  • जैसा कि आप सभी इस बात से भली भांति परिचित हैं कि गणित में छोटे से छोटे प्रश्न को हल करने के लिए एक विशेष तरीके(Method) की आवश्यकता होती है इसी तरीके(Method) को Formula का रूप देकर किसी भी समस्या को आसानी से हल किया जा सकता है
  • “गणित में प्रतीकों एवं किसी तर्क-भाषा के रचना के नियमों का प्रयोग करते हुए बनाई गई समीकरण को सूत्र (Formula) कहते हैं।”
  • विज्ञान में किसी सूचना या विभिन्न राशियों के बीच गणितीय सम्बन्ध को छोटे रूप में दर्शाने को सूत्र (Formula) कहते हैं।
  • रासायनिक सूत्र भी किसी तत्व या यौगिक को प्रतीकात्मक रूप से संक्षेप में लिखने का तरीका मात्र है।

उदाहरण के लिये किसी वृत्त के क्षेत्रफल का सूत्र निम्नलिखित है- πr2

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गणित के सूत्र:गणित के सूत्र कितने प्रकार के होते हैं? 

गणित के सूत्र विभिन्न प्रकार के होते हैं छोटी कक्षाओं से लेकर बड़ी कक्षाओं में हम विभिन्न प्रकार के गणित के सूत्र पड़ते हैं हमारे आज के ब्लॉग में हमने आपको सभी कक्षाओं से संबंधित महत्वपूर्ण सूत्र उपलब्ध कराए हैं जो निम्नानुसार है-

बीजगणित के सूत्र:

  • (a+b)² = a²+2ab+b²
  • (a-b)² = a²-2ab+b²
  • (a-b)² = (a+b)²-4ab
  • (a+b)² + (a-b)² = 2(a²+b²)
  • (a+b)² – (a-b)² = 4ab(a+b)³ = a³+3a²b+3ab²+b³
  • (a+b)² – (a-b)² = a³+b³+3ab(a+b)
  • (a-b)³ = a³-3a²b+3ab²-b³
  • (a-b)³ = a³+b³+3ab(a+b)
  • (a+b)³ + (a-b)³ = 2(a³+3ab²)
  • (a+b)³ + (a-b)³ = 2a(a²+3b²)
  • (a+b)³ – (a-b)³ = 3a²b+2b³
  • (a+b)³ – (a-b)³ = 2b(3a²+b²)
  • a²-b² = (a-b)(a+b)
  • a³+b³ = (a+b)(a²-ab+b²)
  • a³-b³ = (a-b)(a²+ab+b²)
  • a³-b³ = (a-b)³ + 3ab(a-b)
  • (a+b+c)² = a²+b²+c²+2(ab+bc+ca)
  • (a+b+c)³ = a³+b³+c³+3(a+b)(b+c)(c+a)
  • a³+b³+c³ = (a+b+c)³ – 3(a+b)(b+c)(c+a)
  • (a+b+c+d)² = a²+b²+c²+d²+2(ab+ac+ad+bc+bd+cd)
  • a³+b³+c³-3abc = (a+b+c)(a²+b²+c²-ab-bc-ca)
  • x²+y²+z²-xy-yz-zx = ½[(x-y)²+(y-z)²+(z+x)²]
  • a³+b³+c³-3abc = ½(a+b+c) [(a-b)²+(b-c)²+(c-a)²]
  • a²+b²+c²-ab-bc-ca = ½[(a-b)²+(b-c)²+(c-a)²]
  • a(b-c)+b(c-a)+c(a-b)=0
  • ab(a-b)+bc(b-c)+ca(c-a) = -(a-b)(b-c)(c-a)
  • a²(b²-c²)-b²(c²-a²)+c²(a²-b²) = (a-b)(b-c)(c-a)
  • a+b = (a³+b³)/(a²+ab+b²)
  • a – b = (a³-b³)/(a²+ab+b²)
  • a+b+c = (a³+b³+c³-3abc) / (a²+b²+c²-ab-bc-ca)
  • (a+1/a)² = a²+1/a²+2
  • (a²+1/a²) = (a+1/a)²-2
  • (a-1/a)² = a²+1/a²-22
  • (a²+1/a²) = (a-1/a)²+2
  • (a³+1/a³) = (a+1/a)³-3(a+1/a)

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क्षेत्रमिति के सभी Formula

  1. त्रिभुज का क्षेत्रफल – 1/2 × आधार × उचाई
  2. त्रिभुज का परिमाप – त्रिभुज के तीनों भुजाओं का योग।
  3. त्रिभुज का क्षेत्रफल – √s(s-a)(s-b)(s-c)

त्रिभुज के प्रकार एवं उनके क्षेत्रफल :

समद्विबाहु त्रिभुज: वह त्रिभुज जिसकी दो भुजाएँ बराबर हो समद्विबाहु त्रिभुज  (Isosceles Triangle) कहलाता है| 

समद्विबाहु त्रिभुज का सूत्र

  • समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल, A = a / 4 b √ (4b² – a²)
  • समद्विबाहु त्रिभुज का शीर्षलम्ब = a / 4 b √ (4b² – a²)
  • परिमाप,  P = 2a + b

विषमबाहु त्रिभुज

विषमबाहु त्रिभुज एक ऐसा त्रिभुज जिसकी तीनों भुजाएं असमान लंबाई की होती हैं। 

विषमबाहु त्रिभुज के सूत्र

  • विषमबहु त्रिभुज का क्षेत्रफल, A =√ [ s(s – a)(s – b)(s – c) ]
  • दुसरें रूप में, A = ½ × आधार × ऊँचाई
  • अर्धपरिधि P = ½ ( a + b + c )

समकोण त्रिभुज 

वह त्रिभुज जिसके तीनों भुजाएं समान होती हैं और प्रत्येक कोण 60° का होता है|

समकोण त्रिभुज का सूत्र

  • समकोण त्रिभुज का क्षेत्रफल,  A = ½ × आधार × ऊँचाई
  • समकोण समद्विबाहु त्रिभुज का परिमाप = (2 + √2) × भुजा
  • समकोण समद्विबाहु त्रिभुज का कर्ण = (√2) × भुजा
  • समकोण समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = ½ × भुजा2

समबाहु त्रिभुज 

समबाहु त्रिभुज  बहुत त्रिभुज होता है जिसकी सभी भुजाएं बराबर होती है|

समबाहु त्रिभुज का सूत्र

  • समबाहु त्रिभुजा का क्षेत्रफल = (√3)/4 × भुजा2
  • समबाहु त्रिभुज का शीर्षलम्ब = (√3)/4 × भुजा
  • परिमाप = 3 × भुजा

आयत : आयतवह चतुर्भुज होता है जिसकी आमने-सामने की भुजाएं समान हो तथा प्रत्येक कोण समकोण (90º) के साथ विकर्ण भी समान होते हैं।

  • आयत का क्षेत्रफल – लम्बाई × चौड़ाई
  • आयत का परिमाप – 2 × ( लम्बाई + चौड़ाई )
  • आयत का विकर्ण- √( लंबाई 2+ चौडाई 2 ) 

वर्ग: उस चतुर्भुज को वर्ग कहते हैं, जिसकी सभी भुजाएं समान व प्रत्येक कोण समकोण(90°) है। 

  • वर्ग का क्षेत्रफल – भुजा × भुजा (a2) 
  • वर्ग का परिमाप – 4 × भुजा  (4a) 
  • वर्ग का विकर्ण – भुजा × √2
  • भुजा- √ क्षेत्रफल
  • वर्ग का क्षेत्रफल – ½ × विकर्णों का गुणनफल 

समलम्ब चतुर्भुज: जिस चतुर्भुज की सम्मुख भुजाओं का केवल एक युग्म समान्तर हो, उसे समलम्ब चतुर्भुज कहते है|

समलम्ब चतुर्भुज का सूत्र

  • समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल= ½ (समान्तर भुजाओं का योग x  ऊंचाई)

      = ½ (समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल)
= ½ (आधार x संगत ऊंचाई)

  • परिमाप, P = a + b+ c + d

समचतुर्भुज : समचतुर्भुज एक ऐसी समतल आकृति होती है जिसकी चारों भुजाएं समान होती हैं।

सम चतुर्भुज ke Formula

  • ∠A + ∠B + ∠C + ∠D = 360°
  • विषमकोण चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × दोनों विकर्णों का गुणनफल  
  • समचतुर्भुज की परिमाप = 4 × एक भुजा
  • समचतुर्भुज में => (AC)² + (BD)² = 4a²

चक्रीय चतुर्भुज का फार्मूला

  • ∠A + ∠C = 180° 
  • ∠B + ∠D = 180°
  • क्षेत्रफल = √[s(s-a) (s-b) (s – c) (s – c)]
  • परिमाप, S = ½ ( a + b + c + d )

बहुभुज का फार्मूला

  • n भुजा वाले चतुर्भुज का अन्तः कोणों का योग = 2(n -2) × 90°
  • समबहुभुज के प्रत्येक अंतः कोण = (n – 2) / 2 × 180°
  • n भुजा वाले बहुभुज के बहिष्कोणों का योग = 360°
  • बहुभुज के कुछ अंतः कोणों का योग = (n – 2) × 180°
  • n भुजा वाले समबहुभुज का प्रत्येक अन्तः कोण = [2(n – 2) × 90°] / n
  • बहुभुज की परिमिति = n × एक भुजा
  • नियमित षट्भुज का क्षेत्रफल = 6 × ¼√3 (भुजा)²
  • n भुजा वाले समबहुभुज का प्रत्येक भहिष्यकोण = 360°/n
  • नियमित षट्भुज का क्षेत्रफल = 3√3×½ (भुजा)²
  • सम षट्भुज की भुजा = परिवृत्त की त्रिज्या
  • नियमित षट्भुज की परिमति = 6 × भुजा
  • n भुजा वाले नियमित बहुभुज के विकर्णो की संख्या = n(n – 3)/2

वृत्त का फार्मूला

  • वृत्त का क्षेत्रफल = πr²
  • वृत्त का व्यास = 2r
  • वृत्त की परिधि = 2πr
  • वृत्त की परिधि = πd
  • वृत्त की त्रिज्या = √व्रत का क्षेत्रफल/π
  • वृताकार वलय का क्षेत्रफल = π (R2 – r2)
  • अर्द्धवृत्त की परिधि = ( π r  + 2 r )
  • अर्द्धवृत्त का क्षेत्रफल = 1/2πr²
  • त्रिज्याखण्ड एवं वृत्तखंड का फार्मूला
  • त्रिज्याखण्ड का क्षेत्रफल = θ/360° × πr²
  • चाप की लम्बाई = θ/360° × 2πr
  • त्रिज्याखण्ड की परिमिति = 2r + πrθ/180°
  • वृतखण्ड का क्षेत्रफल = (πθ/360° – 1/2 sinθ)r²
  • वृतखण्ड की परिमिति = (L + πrθ)/180° , जहाँ L = जीवा की लम्बाई

घन का फार्मूला

  • घन का आयतन = भुजा × भुजा × भुजा = a3
  • घन का परिमाप = 4 a²
  • पार्श्वपृष्ठ का एक किनारा = √ ( पार्श्वपृष्ठ का क्षेत्रफल / 4 )
  • घन का एक किनारा = 3√आयतन
  • घन का एक किनारा = √ (सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल / 6 )
  • घन के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = 6a²
  • घन का विकर्ण = √3 × भुजा

घनाभ का फार्मूला

  • घनाभ का आयतन =  l × b × h
  • घनाभ का परिमाप = 2(l + b) × h
  • घनाभ के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = 2(lb + bh + hl)
  • घनाभ का विकर्ण = √(l² + b² + h²)
  • घनाभ की ऊँचाई = आयतन / ( लम्बाई × चौड़ाई )
  • घनाभ की चौड़ाई = आयतन / ( लम्बाई × ऊँचाई )
  • कमरें के चारों दीवारों का क्षेत्रफल = 2h ( l + b )
  • ढक्कनरहित टंकी का क्षेत्रफल = 2h ( l + b ) + lb
  • छत या फर्श का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई

बेलन का फार्मूला

  • बेलन का आयतन = πr2h
  • बेलन की ऊँचाई = आयतन / πr2
  • लम्बवृतीय बेलन की त्रिज्या = √ ( आयतन / πh)
  • खोखले बेलन में लगी धातु का आयतन = πh (R2 – r2 )
  • बेलन का वक्रपृष्ठ का क्षेत्रफल = 2πrh
  • बेलन का सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = 2πr ( h + r )
  • लम्बवृतीय बेलन की ऊँचाई = (बेलन का सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल / 2πr) – r
  • लम्बवृतीय बेलन का आधार का क्षेत्रफल =  πr2

शंकु का सूत्र

  • शंकु का आयतन = 1/3 πr2h
  • लम्बवृतीय शंकु की तिर्यक ऊँचाई = √ ( h2 + r2 )
  • शंकु की ऊँचाई = √ (l2 – r2 )
  • शंकु की आधार की त्रिज्या = √ (l2 – h2 )
  • शंकु के वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल = πrl
  • लम्बवृतीय शंकु के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = πr ( l + r )
  • शंकु का आधार का क्षेत्रफल = πr2

गोला का फार्मूला

  • गोले का वक्रपृष्ठ का क्षेत्रफल = 4πr2
  • गोला का आयतन = 4/3 πr3
  • गोलीय शेल का आयतन = 4/3 π ( R3 – r3 )
  • गोलीय शेल के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = 4/3 π(R2- r2 )
  • घन ने सबसे बड़े गोले का आयतन = 1/6 a3
  • घन में सबसे बड़े गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल = πr 2
  • गोले में सबसे बड़े घन की एक भुजा = 2R / √3
  • अर्द्ध गोला के वक्रपृष्ठ का क्षेत्रफल = 2 πr2
  • किसी अर्द्ध गोला के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = 3 πr2
  • अर्द्ध गोला का आयतन = 2/3 πr3

प्रतिशत के सूत्र:

  •  लाभ = विक्रय मूल्य – क्रय मूल्य
  •  हानि = क्रय मूल्य – विक्रय मूल्य
  • लाभ % = लाभ क्रय मूल्य × 100
  • हानि % = हानि क्रय मूल्य × 100
  • विक्रय मूल्य = क्रय मूल्य + लाभ
  •  विक्रय मूल्य = क्रय मूल्य – हानि
  •  क्रय मूल्य = विक्रय मूल्य – लाभ
  •  क्रय मूल्य =  विक्रय मूल्य + हानि
  •  लाभ = (लाभ%/( 100 + लाभ)) × विक्रय मूल्य
  •  हानि = (हानि%/(100-हानि)) × विक्रय मूल्य

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अंक गणित के सूत्र

अंकगणित गणित की सबसे महत्वपूर्ण शाखा होती है जिसके अंतर्गत अंकों तथा संख्याओं की गणना एक निश्चित अवस्था में व्यवस्थित करके की जाती है। 

अंकगणित पर आधारित सभी Formula

लगुत्तम और महत्तम फार्मूला:

लघुत्तम, वह छोटी से छोटी संख्या है, जो उन संख्याओं से पूर्णतः विभाजित हो जाती हैं और महत्तम, वह बड़ी से बड़ी संख्या है , जिसमे सभी संख्याएँ पूर्णतः विभाजित हो जाती हैं। 

  • ल.स. = (पहली संख्या × दूसरी संख्या) ÷ HCF
  • ल.स × म.स. = पहली संख्या × दूसरी संख्या
  • पहली संख्या = (LCM × HCF) ÷ दूसरी संख्या
  • म.स. = (पहली संख्या × दूसरी संख्या) ÷ LCM
  • दूसरी संख्या = (LCM × HCF) ÷ पहली संख्या

सरलीकरण फार्मूला:

गणितीय संख्याओं को साधारण भिन्न / संख्यात्मक रूप में बदलने की प्रक्रिया सरलीकरण कहलाती है इसे कई तरह से परिभाषित किया जाता है जिसमे भिन्न-भिन्न सूत्रों का उपयोग किया जाता है। 

  • a²- b² = (a + b) (a – b)
  • (a+b)²= a²+ 2ab + b²
  • (a-b)²= a²- 2ab + b²
  • (a+b)² + (a-b)²= 2(a²+b²)
  • (a+b)² – (a-b)²= 4ab
  • (a+b)³ = a³ + b³ + 3ab(a+b)
  • (a-b)³ = a³- b³- 3ab(a-b)
  • a³+ b³ = (a + b) (a² – ab + b²)
  • a³- b³ = (a-b) (a² + ab + b²)

वर्ग और वर्गमूल: किसी दी हुई संख्या को उसी संख्या से गुणा करने पर प्राप्त संख्या उस संख्या का वर्ग कहलाता है। वर्गमूल वह संख्या होती है, जिस संख्या का वर्ग करने पर दी हुई संख्या प्राप्त होती है। वर्गमूल को ‘√’ चिन्ह से प्रदर्शित किया जाता है। 

  • ab = √a × √b
  • (ab)1/2 = √a . b1/2 = a1/2 b1/2
  • (a-b)2 = a2 – 2ab + b2
  • (a+b)2 = a2 + 2ab + b2
  • √a/b = √a / √b
  • √(a/b) = (a)1/2 / (b)1/2
  • (a+b)2 + (a-b)2 = 2(a2 + b2)

औसत: दो या दो से अधिक सजातीय पदों का ‘औसत’ वह संख्या है जो दिए गए कुल पदों के योगफल को उन कुल पदों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है । इसे ‘मध्यमान (Mean Value)’ भी कहा जाता है ।

  • औसत =सभी राशियों का योग/ राशियों की संख्या
  • सभी राशियों का योग = औसत × राशियों की संख्या

साधारण ब्याज का सूत्र

जहां,
P
R
T

चक्रवृद्धि ब्याज के सूत्र

जब निश्चित समय अंतराल के बाद ब्याज की गणना करके उसे मूलधन में जोड़ा जाता है तो वह चक्रवर्ती ब्याज कहलाता है। 

Compound Interest (CI) =A-P

जहाँ

  • P = मूलधन ( Principal)
  • r = ब्याज की वार्षिक दर ( Rate of Interest)
  • n = एक वर्ष में कुल ब्याज-चक्रों की संख्या
  • t = कुल समय (Time)
  • A = t समय बाद मिश्रधन (Amount)
  • CI = चक्रवृद्धि ब्याज ( Compound Interest )

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त्रिकोणमिति के सूत्र

Trikonmiti Formula का उपयोग करके विभिन्न प्रकार के गणितीय समस्याओं को हल किया जाता है जिसमे त्रिभुजों के कोण, लंबाई और ऊंचाई के विभिन्न भाग और अन्य ज्यामितीय आकृतियां शामिल होती है|

त्रिकोणमिति के सामान्य फार्मूला

गणित में त्रिकोणमिति के 6 फलनों का अध्ययन विशेष रूप से किया जाता है, जो त्रिभुज के भुजाओं एवं कोणों को मापने में मदद करता है,त्रिकोणमिति के सामान्य सूत्र इस प्रकार हैं-

  • sinθ = लम्ब/कर्ण = p / h
  • cosθ = आधार/कर्ण = b / h
  • tanθ = लम्ब/आधार = p / b
  • cotθ = आधार/लम्ब = b / p
  • secθ = कर्ण/आधार = h / b
  • coescθ = कर्ण/लम्ब = h / p

त्रिकोणमिति अनुपातों के मध्य संबंध 

  • sinθ × Cosecθ = 1
  • sinθ = 1 / Cosecθ
  • Cosecθ = 1 / sinθ
  • Cosθ × Secθ = 1
  • Cosθ = 1 / Secθ
  • Secθ = 1 / Cosθ
  • Tanθ × Cotθ = 1
  • Tanθ = 1 / Cotθ
  • Cotθ = 1 / Tanθ
  •  Tanθ = sinθ / Cosθ
  • Cotθ = Cosθ / sinθ

त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ (Trigonometric Identities in Hindi):

sin²θ + cos²θ = 1

  • sin²θ = 1 – cos²θ
  • sinθ = (1 – cos²θ)
  • cos²θ = sin²θ – 1
  • cosθ = ( sinθ – 1 )

1 + tan²θ = sec²θ

  • tan²θ = sec²θ – 1
  • tanθ = √(sec²θ – 1)
  • secθ = √(1 + tan²θ)

cosec²θ = cot²θ + 1

  • cosecθ = √(cot²θ + 1)
  • cot²θ = cosec²θ – 1
  • cot²θ = √(cosec²θ – 1)

त्रिकोणमितीयदो कोणों के योग एवं अंतर | Trikonmiti Formula

  • Sin(A+B) = Sin A . Cos B + Cos A . Sin B
  • Sin(A-B) = Sin A . Cos B − Cos A . Sin B
  • Cos (A+B) = Cos A . Cos B − Sin A . Sin B
  • Cos ( A-B ) = Cos A . Cos B + Sin A . Sin B
  • Tan ( A + B ) = (Tan A + Tan B) / ( 1 − Tan A . Tan B)
  • Cot ( A + B ) = (Cot A . Cot B − 1) / (Cot B + Cot A)
  • tan(A – B)= ( tan A – tan B )/ ( 1 + tan A . tan B )
  • cot(A – B) = (cot A . cot B + 1) / ( cot B – cot A )

दो त्रिकोणमितीय कोणों का सूत्र

  • sin( 2θ ) = 2sin( θ ) • cos( θ ) = [ 2tan θ / (1+tan2 θ )]
  • cos( 2θ ) = cos2( θ ) – sin2( θ ) = [ (1- tan2  θ ) / ( 1+tan2 θ )]
  • cos( 2θ ) = 2 cos 2( θ )−1 = 1–2sin2( θ )
  • tan( 2θ ) = [ 2tan( θ )] / [1−tan2( θ )]
  • sec ( 2θ ) = sec2 θ / (2-sec2 θ )
  • Cosec ( 2θ ) = (sec θ . Cosec θ ) / 2

तीन त्रिकोणमितिय कोणों का सूत्र

  • Sin 3θ = 3 sin θ – 4sin3θ
  • Cos 3θ = 4cos3 θ – 3 cos θ
  • Tan 3θ = [3tan θ – tan3 θ ] / [ 1 – 3tan2 θ ]

sin θ तथा cos θ का योग त्रिकोणमितिय फार्मूला

  • 2sin A . sin B = cos(A – B) + cos(A + B)
  • sin A . cos B = sin(A + B) + sin(A – B)
  • 2Cos A . sin B = sin(A + B) – sin(A – B)
  • 2Cos A . cos B = cos(A + B) + cos(A – B)
  • sin C + sin D = 2sin(C+D / 2) . cos(C-D / 2)
  • sin C – sin D = 2cos(C+D / 2) cos(C-D / 2)

त्रिकोणमितिय टेबल | Trikonmiti Table

त्रिकोणमिति में कोणों का मान निकालने की विधि एक से अधिक होता है लेकिन यहाँ सिर्फ 0°, 30°, 45°, 60° और 90° के याद करने के दृष्टिकोण से दिया गया है- 

संकेत 30° = π/6 45° = π/4 60° = π/3 90° = π/2
Sin θ 0 ½ 1/√2 √3/2 1
Cos θ 1 √3/2 1/√2 ½ 0
Tan θ 0 1/√3 1 √3 अपरिभाषित
Cot θ अपरिभाषित √3 1 1/√3 0
Sec θ 1 2/√3 √2 2 अपरिभाषित
Cosec θ अपरिभाषित 2 √2 2/√3 1

हमने आज आपके साथ गणित से जुड़े सभी सूत्रों की जानकारी साझा की है जिसमें अंकगणित, ज्यामिति, लाभ-हानि,औसत मान, लघुत्तम-महत्तम, अवकलन, समाकलन आदि जैसे आपको सभी कक्षाओं और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले सूत्रों की जानकारी दी गई है। उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। आपको ये जानकारी कैसी लगी हमें Comment Box में Comment करके हमे जरूर बताये।इसी तरह की और जानकारी के लिए हमारी साइट Leverage Edu पर  बने रहे। 

बीजगणित के कितने सूत्र होते हैं?

बीजगणित के सूत्र: (a+b)² = a²+2ab+b² (a-b)² = a²-2ab+b²

बीजगणित में क्या क्या आता है?

हम एक संख्या को निरूपित करने के लिए चर का प्रयोग करते हैं तथा इसे किसी अक्षर जैसे l, m, n, p, x, y, z, इत्यादि से व्यक्त करते हैं। एक चर किसी भी व्यावहारिक स्थिति में संबंध को व्यक्त करने तथा ज्यामिति, बीजगणित इत्यादि के अनेक सामान्य नियमों और गुणों को व्यक्त करने में हमें समर्थ बनाता है।

बीजगणित का पिता कौन है?

जॉन नेपियर (1550-1617 ई.)

बीजगणित का प्रारंभ कब हुआ?

गणित शिक्षा के लक्ष्य 2.

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