भारत में कौन कौन सी आपदाएं आती है? - bhaarat mein kaun kaun see aapadaen aatee hai?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: स्वाति सिंह Updated Sun, 07 Feb 2021 04:22 PM IST

उत्तराखंड के चमोली जिले में आज जो आपदा आई इसने एक बार फिर मनुष्य को प्रकृति के सामने बौना साबित कर दिया है। आज हम आपको उन घटनाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिन्होंने भारतीयों को हिला कर रख दिया। भारत की प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं में ओडिशा सुपर साइक्लोन (1999), गुजरात भूकंप (2001), हिंद महासागर सुनामी (2004), महाराष्ट्र सूखा (2013) और उत्तराखंड बाढ़ (2013) का नाम लिया जाता है। 

उत्तराखंड के चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में रविवार को हिमखंड के टूटने से अलकनंदा और इसकी सहायक नदियों में अचानक आई विकराल बाढ़ के कारण हिमालय की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी तबाही मची है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि बाढ़ के बाद करीब 150 लोग लापता हैं। खबर लिखे जाने तक 10 शव मिले हैं तथा कुछ घायलों को बचाया गया है। 

कश्मीर बाढ़, 2014

सितंबर 2014 में झेलम नदी का पानी लगातार मूसलाधार वर्षा के कारण काफी बढ़ गया था इसीलिए कश्मीर क्षेत्र के रिहायशी इलाकों में पानी घुस गया था। भारतीय सेना ने इस क्षेत्र के फंसे हुए निवासियों की बहुत मदद की थी। इस बाढ़ में करीब 550 लोगों ने अपनी जान गंवाई और लगभग 5000 करोड़ से 6000 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था।

केदारनाथ आपदा, 2013

साल 2013 में उत्तराखंड में कुदरत की विनाशलीला ने कोहराम मचाया था। इस महाप्रलय को याद कर लोगों की रूह कांप जाती है। 16 व 17 जून 2013 को प्रकृति ने ऐसा कहर बरपाया कि उसमें अनेक जिंदगियां तबाह हो गई थीं। जब प्रकोप ने पहाड़ तक जाने वाली तमाम सड़कों को उखाड़ फेंका था। आलम यह था कि आपदा में बिछड़े अपनों को ढूंढने के लिए देश के कोने-कोने लोग से पहाड़ पर पहुंचने की कोशिश कर रहे थे और उसके कदम तीर्थनगरी में आकर ठहर जाते थे। वजह थी इससे आगे सड़कें पूरी तरह से छतिग्रस्त हो चुकी थीं।

सुनामी, 2004

हिंद महासागर में भूकंप से पैदा हुई सुनामी में भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह सहित तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश के तटीय क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित हुए। लगभग 10 हजार लोग मारे गए और पांच हजार लापता हुए। इस अभियान में भारतीय नौसेना ने व्यापक अभियान आपरेशन मदद चलाया था।

आपरेशन मदद के अलावा तीन अन्य अभियान विदेशों (श्रीलंका, मालद्वीव, इंडोनेशिया) के लिए भी चलाए गए। नौसेना के अभियान में 32 जहाज, 7 विमान, 20 हेलीकॉप्टर 15 दिन तक चलाए गए। सेना की राहत कार्य में मदद ली गई। 17 जनपदों में चले आपरेशन मदद से लगभग एक लाख लोगों को निकाला गया।

बर्फ़ीला तूफ़ान, गरज, बिजली, बवंडर, उष्णकटिबंधीय चक्रवात, सूखा, ओलावृष्टि, ठंढ, गर्मी की लहर या लू। शीत लहरें, आदि।

भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन, हिमस्खलन, धंसना, मृदा अपरदन।

बाढ़, ज्वारभाटा की लहरें, महासागरीय धाराएँ, तूफान का बढ़ना, सुनामी।

उपनिवेश के रूप में पौधे और जानवर (टिड्डियां, आदि)। कीड़ों का संक्रमण- फंगल, बैक्टीरियल और वायरल रोग जैसे बर्ड फ्लू, डेंगू, आदि।

आपदा के प्रकार

आपदाओं के निवारण एवं उनके न्यूनीकरण की विधियों के निर्धारण हेतु यह आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण होगा कि आपदाओं की पहचान की जाए अर्थात् यह जाना जाए कि आपदाएँ कितने प्रकार की होती हैं।

सामान्यत: आपदाएँ निम्नलिखित प्रकार की होती हैं।

उत्पत्ति के आधार पर आपदाओं को दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है-

  1. प्राकृतिक आपदाएँ।
  2. मानवजनित आपदाएँ।

1. प्राकृतिक आपदाएँ

मानव पर दुष्प्रभाव डालने वाले प्रकृति जन्य प्रकोप प्राकृतिक आपदाएँ कहलाती है। ये प्रकृतिजन्य प्रकोप अन्तर्जात (पृथ्वी के अन्दर से उत्पन्न होने वाले) एवं बहिर्जात (वायुमण्डल से उत्पन्न होने वाले) प्रकमों द्वारा उत्पन्न होते हैं।

प्राकृतिक आपदाएँ अपेक्षाकृत तीव्रता से घटित होती है, जिन पर मानव समाज का नियंत्रण नहीं के बराबर होता है। इसके अंतर्गत भूकम्प, भू-स्खलन, ज्वालामुखी विस्फोट, बाढ़, चक्रवात, सुनामी, अस्थिर संरचनात्मक आकृतियाँ अथवा रेगिस्तानी एंव हिमाच्छादित क्षेत्रों में विषम जलवायु दशाएँ इत्यादि आते हैं। इस प्रकार प्राकृतिक आपदाएँ न केवल जन-धन को हानि पहुँचाती है, बल्कि पर्यावरण के ढाँचे को भी प्रभावित करती है।

2. मानवजनित आपदाएँ

मानवजनित आपदाएँ ऐसी आपदा होती है, जिनके लिए सीधे तौर पर मानव जिम्मेदार है। मनुष्य प्रकृति के जैव व अजैव घटकों में परिवर्तन कर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। इनसे प्राकृतिक घटकों पर अवांछनीय परिवर्तन भी देखे गए हैं जो प्राकृतिक प्रकोपों व आपदाओं के प्रभाव को बढ़ा रहे हैं।

भूकम्प व भू-स्खलन की घटनाओं के लिए विकास कार्यों की अवैज्ञानिकता भी उत्तरदायी है। इसी प्रकार बाढ़, सूखा, मृदा अपरदन, मृदा निम्नीकरण, मरूस्थलीकरण आदि के लिए भी मानव किसी न किसी रूप से उत्तरदायी है। इन घटनाओं में एक ओर जहाँ जन-धन की हानि होती है, वहीं दूसरी ओर महामारी की आशंकाएँ भी बढ़ जाती हैं। मनुष्य वायुमण्डलीय संघटन में असंतुलन के लिए भी जिम्मेदार है।

वायुमण्डलीय तापन, ओजोन क्षय, अम्लीय वर्षा, धूम्र-कोहरा जैसी समस्याएँ मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के क्रम से उत्पन्न हुई है। मनुष्य जैवीय घटकों में भी विभिन्न बदलाव का कारक बन गया है, जिससे जैव विविधता में कमी देखी जा रही है।

यद्यपि उपर्युक्त समस्याएँ प्राकृतिक संघटन में बदलाव व प्राकृतिक आपदाओं से सम्बद्ध है परन्तु, मनुष्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसके लिए निश्चित रूप से उत्तरदायी है। प्राकृतिक आदाओं के अलावा कुछ ऐसी आपदाएँ हैं, जिसमें मानवीय गतिविधियाँ प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार हैं। इसके अन्तर्गत औद्योगिक दुर्घटनाएँ, मकानों का ध्वस्त होना, अग्निकांड, परमाणु विकिरण, सड़क, रेल, वायुयान, जलपोत आदि से सम्बद्ध परिवहन दुर्घटनाएँ मूलतः मानव जनित आपदाओं के अन्तर्गत आते हैं। भगदड़ एवं विभिन्न आतंकी घटनाओं के कारण होने वाली जन-धन की हानि के लिए केवल मानव समुदाय उत्तरदायी है। वस्तुतः मानव जनित आपदाओं का कोई निश्चित मानक वर्गीकरण संभव नहीं है।

आकस्मिक आपदाएँ

आकस्मिक आपदाओं का सम्बन्ध प्रायः प्रकृति से होता है इसलिए इनको प्राकृतिक आपदा भी कहा जाता है। इस प्रकार की आपदाओं की पूर्ण एवं सत्य भविष्यवाणी करना अभी तक सम्भव नहीं हुआ है। भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट, सुनामी, चक्रवातीय तूफान, हिम आँधी, बादलों का फटना आदि इसी प्रकार की आपदाएँ हैं जो कभी भी तबाही मचा सकती हैं।

अनाकस्मिक आपदाएँ

इस प्रकार की आपदाएँ मानव के कुप्रबन्धन के कारण अधिक उत्पन्न होती हैं। इसलिए इनको धीमी गति वाली या अनाकस्मिक आपदाएँ कहा जाता है। इन आपदाओं की भविष्यवाणी एवं पूर्वानुमान सम्भव है। मरुस्थलीकरण, अकाल, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, मौसम और जलवायु असन्तुलन, कृषि पर कीड़ों का हमला आदि धीमी गति से आने वाली प्रमुख आपदाएं हैं।

महामारी एवं जैवीय आपदाएँ

किसी विशेष अवधि में जल, भोजन, वायु या स्पर्श द्वारा फैलने वाले विभिन्न प्रकार के संक्रामक रोग इस प्रकार की आपदाओं में सम्मिलित किए जाते हैं। प्लेग, हैजा, एड्स आदि इसी प्रकार की आपदाओं के उदाहरण हैं।

सामाजिक आपदाएँ

मानवजनित ऐसी आपदाओं को, जो मानव के कुप्रबन्ध या दुष्कर्मों के कारण समाज एवं समुदाय को संकट में डाल देती हैं, सामाजिक आपदाओं के अन्तर्गत रखा जाता है। युद्ध, दंगा, नाभिकीय दुर्घटना, आतंकवाद, विषाक्त रसायनों का विमोचन, परिवहन दुर्घटनाएँ, अग्निकाण्ड तथा जनसंख्या विस्फोट इसी श्रेणी की आपदाएँ हैं।

भारत में कौन कौन सी आपदा आती है?

भारत में प्राकृतिक आपदा, उनमें से कई भारत की जलवायु से संबंधित हैं, जिससे जान-माल का भारी नुकसान होता है। सूखा, फ्लैश फ्लड, चक्रवात , हिमस्खलन, मूसलाधार बारिश के कारण हुए भूस्खलन और बर्फीले तूफान सबसे बड़ा खतरा हैं। एक प्राकृतिक आपदा भूकंप, बाढ़, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन, तूफान आदि के कारण हो सकती है।

आपदा के 3 प्रकार कौन से हैं?

आपदा के प्रकार | आपदा के कितने प्रकार है?.
आकस्मिक आपदाएँ.
अनाकस्मिक आपदाएँ.
महामारी एवं जैवीय आपदाएँ.
सामाजिक आपदाएँ.

आपदाएं कौन कौन सी है?

प्राकृतिक आपदा.
हिमस्खलन.
भूस्खलन एंवं मिटटी का बहाव.
ज्वालामुखीय विस्फोट.
लिम्निक ईरप्शन.
सूनामी.

आपदा कितने प्रकार के होते?

आपदाएं दो प्रकार की होती हैं प्राकृतिक आपदा व मानव जनित आपदा। प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन, बाढ़, सूखा, वनों में आग लगना , शीतलहर, समुद्री तूफान, तापलहर, सुनामी, आकाशीय बिजली का गिरना, बादलों का फटना आदि आते हैं।

Toplist

नवीनतम लेख

टैग