भक्ति काल के कौन कौन से 4 शाखाएं हैं चारों के नाम? - bhakti kaal ke kaun kaun se 4 shaakhaen hain chaaron ke naam?

विषयसूची

  • 1 भक्ति काव्य को कितने भागों में बांटा जाता है?
  • 2 भक्ति का मूल नाम क्या था?
  • 3 भक्ति काल को कितने धाराओं में विभाजित किया गया है?
  • 4 भक्ति काल के कौन कौन से 4 शाखाएं हैं चारों के नाम लिखिए?
  • 5 सगुण भक्ति धारा की प्रमुख प्रवृत्तियां कौन कौन सी है संक्षेप में समझाइए?

भक्ति काव्य को कितने भागों में बांटा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंभक्ति काव्य के प्रधानतः दो भेद हैं निर्गुण और सगुण भक्ति काव्य। निर्गुण भक्ति काव्य की दो शाखाएं हैं ज्ञानमार्गी जिसके प्रतिनिधि कवि कबीर हैं और प्रेम मार्गी जिसके प्रतिनिधि कवि मलिक मुहम्मद जायसी हैं। सगुण भक्ति काव्य की भी दो शाखाएं हैं। कृष्ण भक्ति शाखा और राम भक्ति शाखा।

भक्ति काल के कितने नाम है?

निर्गुण भक्ति

  • ज्ञानाश्रयी शाखा
  • प्रेमाश्रयी शाखा

भक्ति का मूल नाम क्या था?

इसे सुनेंरोकेंभक्ति शब्द की व्युत्पत्ति ‘भज्’ धातु से हुई है, जिसका अर्थ ‘सेवा करना’ या ‘भजना’ है, अर्थात् श्रद्धा और प्रेमपूर्वक इष्ट देवता के प्रति आसक्ति। नारदभक्तिसूत्र में भक्ति को परम प्रेमरूप और अमृतस्वरूप कहा गया है। इसको प्राप्त कर मनुष्य कृतकृत्य, संतृप्त और अमर हो जाता है।

भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियां क्या है?

इसे सुनेंरोकें(2) भक्ति की प्रधानता- इस काव्य की चारों काव्यधाराओं अर्थात् सन्त, प्रेम, राम तथा कृष्ण साहित्य में ईश्वराधन के लिए भक्ति पर समान बल दिया गया है। यद्यपि कबीर के ईश्वर निराकार हैं और वे ज्ञान गम्य हैं किन्तु भक्ति के बिना उसकी प्राप्ति नहीं होती। भक्ति ज्ञान का प्रमुख साधन है- “हरि भरक्ति जाने बिना बूड़ि मुआ संसार”।

भक्ति काल को कितने धाराओं में विभाजित किया गया है?

इसे सुनेंरोकेंभक्ति काल का विभाजन भक्ति काव्य दो धाराओं में विभक्त हुआ, एक निर्गुण धारा और दूसरी सगुण धारा।

रीतिकाल को कितने भागों में बांटा गया?

इसे सुनेंरोकेंआचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने रीतिकाल को ‘श्रृंगारकाल’ नाम देते हुए उसे तीन वर्गां में विभाजित किया- 1. रीतिबद्ध 2. रीति सिद्ध 3. रीतिमुक्त।

भक्ति काल के कौन कौन से 4 शाखाएं हैं चारों के नाम लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: संक्षेप में भक्ति-युग की चार प्रमुख काव्य-धाराएं मिलती हैं : ज्ञानाश्रयी शाखा, [प्रेमाश्रयी शाखा]], कृष्णाश्रयी शाखा और रामाश्रयी शाखा, प्रथम दोनों धाराएं निर्गुण मत के अंतर्गत आती हैं, शेष दोनों सगुण मत के अंतर्गत आती हैं।

भक्ति काल का नामकरण कैसे हुआ?

इसे सुनेंरोकेंसामाजिक, धार्मिक, दार्शनिक, राजनैतिक दृष्टि से अंतर्विरोध से से परिपूर्ण भक्ति काल में भक्ति का ऐसा रस प्रवाहित हुआ कि विद्वानों ने इसे एक साथ ही भक्ति काल नाम ही दे दिया। भक्ति शब्द में भज धातु है तथा क्तिन प्रत्यय के साथ निर्मित यह शब्द इतना व्यापक है तथा गहन है।

सगुण भक्ति धारा की प्रमुख प्रवृत्तियां कौन कौन सी है संक्षेप में समझाइए?

सगुण भक्ति काव्य धारा की विशेषताएं | सगुण भक्ति काव्य धारा की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

  • (1) ईश्वर का सगुण रूप-
  • (2) अवतार भावना-
  • (3) लीला रहस्य-
  • (4) रूपोपासना-
  • (5) गुरु की महत्ता- Important Links.

सगुण भक्ति धारा की मुख्य प्रवृत्तियाँ कौन कौन सी हैं संक्षिप्त में समझाइये?

इसे सुनेंरोकेंसगुण भक्ति का अर्थ है- आराध्य के रूप – गुण, आकर की कल्पना अपने भावानुरूप कर उसे अपने बीच व्याप्त देखना. सगुण भक्ति में ब्रह्म के अवतार रूप की प्रतिष्ठा है और अवतारवाद पुराणों के साथ प्रचार में आया. इसी से विष्णु अथवा ब्रह्म के दो अवतार राम और कृष्ण के उपासक जन-जन के ह्रदय में बसने लगे.

भक्ति काल की कौन सी चार शाखाएं हैं?

संक्षेप में भक्ति-युग की चार प्रमुख काव्य-धाराएं मिलती हैं : ज्ञानाश्रयी शाखा, प्रेमाश्रयी शाखा, कृष्णाश्रयी शाखा और रामाश्रयी शाखा, प्रथम दोनों धाराएं निर्गुण मत के अंतर्गत आती हैं, शेष दोनों सगुण मत के।

भ काल के दो मुख्य शाखाएं कौन सी है?

1.9 जोडाक्षर / संयुक्ताक्षर.

भक्ति काल को कितने भागों में बांटा है नाम लिखिए?

भक्ति काल दो भागों में बांटा जा सकता है... सगुण भक्ति धारा और निर्गुण भक्ति धारा।

भक्ति काल कितने प्रकार के होते हैं?

भक्ति काल का विभाजन भक्ति काव्य दो धाराओं में विभक्त हुआ, एक निर्गुण धारा और दूसरी सगुण धारा। निर्गुण धारा के प्रवर्त्तकों ने निराकार भगवान की उपासना पर बाल दिया है। निर्गुण धारा भी ज्ञानमार्गी तथा प्रेममार्गी धाराओं में विभक्त हो गई।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग