अवसाद से आप क्या समझते हैं? - avasaad se aap kya samajhate hain?

आईसीडी-१०आईसीडी-९ओएमआईएमडिज़ीज़-डीबीमेडलाइन प्लसईमेडिसिनएम.ईएसएच
अवसाद
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
विन्सेन्ट वाइन गोघ की १८९० की पेन्टिंग
F32., F33.
296
6085167
3589
003213
med/532 
D003865

अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों संबंधी दुख से होता है। इसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। अधिकतर यह अवस्था व्यक्ति के प्रेम संबंध को लेकर गंभीर होती है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में अपने जीवन साथी के प्रति बहुत अधिक लगाव प्रमुखता या इसका सबसे बड़ा कारण होता है। डिप्रेशन की अवस्था में व्यक्ति स्वयं को लाचार और निराश महसूस करता है। उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहाँ तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं। संबंधों में बेईमानी का परिचायक उसके द्वारा उग्र स्वभाव, गाली गलौज व अत्यधिक शंका करना इसमें शामिल होता है इस दौरान उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है।[1] डिप्रेशन के भौतिक कारण भी अनेक होते हैं। इनमें कुपोषण, आनुवांशिकता, हार्मोन, मौसम, तनाव, बीमारी, नशा, अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ आदि प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त डिप्रेशन के ९० प्रतिशत रोगियों में नींद की समस्या होती है। मनोविश्लेषकों के अनुसार डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं। यह मूलत: किसी व्यक्ति की सोच की बुनावट या उसके मूल व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। डिप्रेशन लाइलाज रोग नहीं है। इसके पीछे जैविक, आनुवांशिक और मनोसामाजिक कारण होते हैं। यही नहीं जैवरासायनिक असंतुलन के कारण भी डिप्रेशन घेर सकता है।[2] इसकी अधिकता के कारण रोगी आत्महत्या तक कर सकते हैं।[3] इसलिए परिजनों को सजग रहना चाहिए और उनके परिवार का कोई सदस्य गुमसुम रहता है, अपना ज्यादातर समय अकेले में बिताता है, निराशावादी बातें करता है तो उसे तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं। उसे अकेले में न रहने दें। हँसाने की कोशिश करें।[4]

मनोविश्लेषकों के अनुसार प्राकृतिक तौर पर महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा डिप्रेशन की शिकार अधिक बनती हैं, लेकिन अवांछित दबावों से वह इसकी शिकार हो सकती हैं। इस कारण प्रायः माना जाता है कि महिलाओं को डिप्रेशन जल्दी आ घेरता है। इसके विपरीत पुरुष अक्सर अपनी डिप्रेशन की अवस्था को स्वीकार करने से संकोच करते हैं। मोटे अनुमान के अनुसार दस पुरुषों में एक जबकि दस महिलाओं में हर पाँच को डिप्रेशन की आशंका रहती है।[2]

डिप्रेशन का संबंध मस्तिष्क brain के उन्हीं क्षेत्रों द्वारा होता है, जहां से निद्रा चक्र और जागरण की अवस्था नियंत्रित होती है।

डिप्रेशन अक्सर दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर्स की कमी के कारण भी होता है। न्यूरोट्रांसमीटर्स दिमाग में पाए जाने वाले रसायन होते हैं जो दिमाग और शरीर के विभिन्न हिस्सों में तारतम्यता स्थापित करते हैं। इनकी कमी से भी शरीर की संचार व्यवस्था में कमी आती है और व्यक्ति में डिप्रेशन के लक्षण दिखाई देते हैं। इस तरह का डिप्रेशन आनुवांशिक होता है। डिप्रेशन के कारण निर्णय लेने में अड़चन, आलस्य, सामान्य मनोरंजन की चीजों में अरुचि, नींद की कमी, चिड़चिड़ापन या कुंठा व्यक्ति में दिखाई पड़ते हैं। डिप्रेशन के कारणों में इसका एक पूरक चिंता (एंग्ज़ायटी) भी है।[5]

इसके उपचार में योगासन में प्राणायाम बहुत सहायक सिद्ध हुआ है।[1] कई बार अतिरिक्त चिड़चिड़ापन, अहंकार, कटुता या आक्रामकता अथवा नास्तिकता, अनास्था और अपराध अथवा एकांत की प्रवृत्ति पनपने लगती है या फिर व्यक्ति नशे की ओर उन्मुख होने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि हम किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करें। व्यक्ति को खुशहाल वातावरण दें। उसे अकेला न छोड़ें तथा छिन्द्रान्वेषण कतई न करें। उसकी रुचियों को प्रोत्साहित कर, उसमें आत्मविश्वास जगाएँ और कारण[6] जानने का प्रयत्न करें।[1] अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने गहन शोध के बाद यह दावा किया है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार सकारात्मक सोच का अभ्यास करता है, तो वह उसके डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति का एकमात्र इलाज हो सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ फैमेली फिजिशियन का कहना है कि लोगों को नकारात्मक नहीं सोचना चाहिए। न ही विफलता के भय को लेकर चिंतित होते रहना चाहिए। इनकी बजाय हमेशा सकारात्मक सोच दिमाग में रखना चाहिए जो होगा अच्छा होगा।[7] घर में अन्य सदस्यों को डिप्रेशन की बीमारी होने से भी यह परेशानी महिलाओं को जल्दी पकड़ती है क्योंकि घर से लगाव पुरुषों के मुकाबले उन्हें ज्यादा होता है। इसके चलते कभी-कभी उनमें आत्महत्या की इच्छा जोर मारने लगती है। इसलिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का डिप्रेशन ज्यादा खतरनाक होता है। हालाँकि मंदी और कॉम्पटीशन के दौर में डिप्रेशन अब युवाओं को भी अपना शिकार बनाने लगा है इसलिए कोशिश यह रखनी चाहिए कि आप खुशनुमा पलों की तलाश करें और सकारात्मक सोच रखें।[2] इससे बचने के उपायों में व्यस्त रहकर मस्त रहना, अपने लिए समय निकालना, संतुलित आहार सेवन, अपने लिए समय निकालना और सामाजिक मेलजोल बढ़ाना मूल उपाय हैं। . डिप्रेशन के इलाज के लिए साइकेडेलिक मनोचिकित्सा का अध्ययन किया जा रहा है.[8][9][10]

सन्दर्भ[संपादित करें]

AIB - If People Treated Other Illnesses Like They Treat Depression - Awareness Video in Hindi

  1. ↑ अ आ इ द्विवेदी, प्रतिभा. "प्राणायाम से दूर भगाएँ डिप्रेशन". वेब दुनिया. मूल से 13 अक्तूबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 सितंबर 2009.
  2. ↑ अ आ इ श्रीवास्तव, सोनिका (३० मई). "लाइलाज नहीं डिप्रेशन". समय लाइव. [मृत कड़ियाँ]
  3. डिप्रेशन बनाम छात्र जिन्दगी Archived 2009-05-16 at the Wayback Machine। समय लाइव।१५ मई, २००९। अनुराग शुक्ला। कानपुर
  4. डिप्रेशन व घरेलू कलह से बढ़ रहीं आत्महत्याएं[मृत कड़ियाँ]।दैनिक भास्कर।१ सितंबर, २००९। कुलदीप कुमार।चंडीगढ़
  5. "क्या डिप्रेशन (अवसाद) और एन्जायटी (चिंता) एक दूसरे के पूरक है?". माईवेब दुनिया. मूल से 6 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 सितंबर 2009.
  6. "कहीं पार्टनर डिप्रेशन में तो नहीं!". मूल से 18 मार्च 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 सितंबर 2009.
  7. सकारात्मक सोचो, डिप्रेशन को भगाओ Archived 2009-03-07 at the Wayback Machine (वेब दुनिया)
  8. Gander, Kashmira (23.8.2018). "FDA Approves psychedelic magic mushrooms ingredient psilocybin for depression trial". मूल से 22 सितंबर 2018 को पुरालेखित.
  9. Pollan, Michael (3.05.2018). "The New Science of Psychedelics" (अंग्रेज़ी में). मूल से 21 सितंबर 2018 को पुरालेखित.
  10. "COMPASS Pathways Receives FDA Breakthrough Therapy Designation for Psilocybin Therapy for Treatment-resistant Depression". मूल से 4 दिसंबर 2018 को पुरालेखित.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • कहीं पार्टनर डिप्रेशन में तो नहीं!
  • डिप्रेशन से बचने के 5 उपाय
  • मनोरोग का बढ़ता शिकंजा
  • 'अवसाद से डिमेंशिया का ख़तरा दो गुना' (बीबीसी)

अवसाद का क्या मतलब?

अवसाद के कारण आपके शरीर में ऐसे रसायन होते हैं जो आपके मूड को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। जब आपके पास इन रसायनों की पर्याप्त मात्रा नहीं होती है या जब आपका मस्तिष्क इनका ठीक से जवाब नहीं देता है, तो आप उदास हो सकते हैं। अवसाद अनुवांशिक हो सकता है (जिसका अर्थ है कि यह परिवारों में चल सकता है)।

अवसाद से व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है?

ऐसा करने से शरीर को नुकसान होने लगता है। शारीरिक और मानसिक तौर पर कई बीमारियों से आप ग्रसित हो सकते हैं। जैसे अनिद्रा की समस्या, अपच की समस्या या पेट में गैस आदि हो सकती है। अवसाद जो एक तरह से आपकी मानसिक स्थिति होती है वह शारीरिक समस्याओं को भी बढ़ा देती है।

अवसाद और उन्माद में क्या अंतर है?

अवसाद में कार्यों मेंं रुचि कम होना, दुखी होना आदि होता हैउन्माद में अधिक खुश होना, अत्यधिक आत्मविश्वास, तेजी से विचार आना, बड़ी-बड़ी बातें करना आदि प्रमुख हैं। शुरुआत: डिसऑर्डर अवसाद से शुरू होता है। साइकॉलो थाइमिया में कम अवसादउन्माद लम्बे समय तक रहता है

अवसाद मूल्य क्या है?

भारत में अवसाद का बोझ एसडीआई 0 से 1 तक के विकास की स्थिति का एक संयुक्त संकेतक है, और प्रति व्यक्ति आय, 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों में औसत शिक्षा, और 25 साल से कम उम्र के लोगों में कुल प्रजनन दर के सूचकांकों के मूल्यों का एक ज्यामितीय माध्य है.

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