आज 15 अगस्त को पूरा देश 72वां स्वतंत्रता दिवस मना जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झंडा फहराकर लाल किले से देशवासियों को संबोधित किया. उन्होंने अपने भाषण में कई अहम विषयों की चर्चा की. प्रधानमंत्री ने अपने लंबे-चौड़े भाषण में एक ख़ास किस्म के फूल की भी चर्चा की जिसे लेकर दुनियाभर के लोगों में दिलचस्पी है.
दरअसल, प्रधानमंत्री ने दक्षिण भारत में नीलगिरी की पहाड़ियों पर खिलने वाले "नीलाकुरिंजी" फूल का भी जिक्र किया.
नीले रंग का ये फूल बेहद खूबसूरत होता है, जो किसी का भी मन मोह सकता है.लेकिन इसकी खासियत कुछ और है जो इसे आम फूलों से अलग करता है.
नीलाकुरिंजी फूल, मुन्नार की पहाड़ियों पर खिलता है. सबसे दिलचस्प बात यह कि ये फूल 12 साल में सिर्फ एक बार ही खिलता है. इसे देखने के लिए दुनियाभर के लोग यहां पहुंचते हैं.
भारत देश को हुए 71 साल हो चुके हैं. इन 71 सालों में ये फूल अब तक सिर्फ 6 बार ही खिला है.
विशेषज्ञों का मानना है कि नीलाकुरिंजी फूल एक बार खिलने के बाद सूख जाते हैं, लेकिन उनके बीज उसी स्थान पर रहते हैं. इन बीजों से दोबारा फूल खिलने की प्रक्रिया में 12 साल लग जाते हैं.
2018 में नीले-बैंगनी रंग के नीलकुरिंजी फूल जुलाई के आखिर दिनों से खिलाना शुरू हुए थे. इन फूलों की वजह से पूरा इलाका नीले रंग में नजर आता है. फूलों का मौसम अक्टूबर तक रहता है. इससे पहसे साल 2006 में मुन्नार की पहाड़ियों पर नीलकुरिंजी का फूल खिले थे.
मुन्नार में पूरे देश भर में सबसे ज्यादा नीलकुरिंजी के पौधे हैं. ये पहाड़ियों के 3000 हेक्टयर क्षेत्र में फैले हुए हैं. हर पौधा अपने जीवनकाल में सिर्फ एक बार खिलता है और फूल खिलने के बाद खत्म हो जाता है. बीज को फिर से पौधा बनने में और बड़ा होने में करीब 12 वर्षों का लंबा वक्त लग जाता है.
नीलकुरिंजी का फूल रिंजी एशिया और ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है. यह स्ट्रोबिलैंथ्स प्रजाति का पौधा है. पूरी दुनिया में स्ट्रोबिलैंथ्स की 450 प्रजातियां पाई जाती हैं जिसमें से 146 भारत में मिलती हैं. अकेले केरल में इनकी 43 प्रजातियां पाई जाती हैं.
नीलकुरिंजी का फूल खिलते ही तितलियों और मधुमक्खियों का झुंड लग जाता है. नीलकुरिंजी का शहद बहुत खास होता है. यह 15 वर्षों तक खराब नहीं होता है. इस शहद में औषधीय गुण भी होते हैं.
मुन्नार के अलावा कर्नाटक के वेस्टर्न घाट और तमिलनाडु के नीलगिरी पर्वत पर भी हर 12 साल में नीलकुरिंजिनी के फूल खिलते हैं.
आपने कुंभ मेले के बारे में सुना ही होगा जो 12 साल में एक बार होता है. कभी आपने ऐसे फूल के बारे में सुना है जो 12 साल में एक बार खिलता है. अगर नहीं सुना तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं देश में होने वाले ऐसे ही एक फूल की प्रजाति के बारे में जो 12 सालों के बाद इस साल खिलने वाला है. खास बात ये है कि इस फूल को देखने के लिए अभी से लोगों ने प्लान बना लिया है. आप भी जानिए क्या है इस फूल की खासियत और देश के किस हिस्से में खिलने जा रहा है ये अनोखा फूल. केरल के मुन्नार में जल्द ही नीलकुरिन्जी का मौसम आने वाला है। ये फूल खुबसूरत केरल राज्य के मुन्नार में हर 12 साल में
केरल के मुन्नार में जल्द ही नीलकुरिन्जी का मौसम आने वाला है। ये फूल खुबसूरत केरल राज्य के मुन्नार में हर 12 साल में खिलता है. इस फूल का नाम नीलकुरिन्जी है. केरल की स्थानीय भाषा में नीला का तात्पर्य रंग से है और कुरिन्जी फूल का स्थानीय नाम है. इस फूल को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश से लोग यहां आते हैं. स्थानीय भाषा में नीला का तात्पर्य रंग से है और कुरिन्जी फूल का स्थानीय नाम है। केरल पर्यटन की ओर से जारी बयान के
स्थानीय भाषा में नीला का तात्पर्य रंग से है और कुरिन्जी फूल का स्थानीय नाम है। केरल पर्यटन की ओर से जारी बयान के अनुसार, नीलकुरिन्जी प्रायरू पश्चिमी तटों पर पाया जाता है और 12 साल में एक बार खिलता है। यह एक दशक लंबा चक्र इसे दुर्लभ बनाता है। पिछली बार यह फूल साल 2006 में खिला था। भारत में इस फूल की 46 किस्में पाई जाती हैं। मुन्नार में यह सर्वाधिक संख्या में उपलब्ध हैजुलाई की शुरुआत में नीलकुरिन्जी के खिलने के बाद अगले तीन माह तक पहाड़ियां नीली दिखेंगी।
नीलकुरिन्जी खिलने की ऋतु के विषय में केरल पर्यटन विभाग के निदेशक पी. बाला किरण ने कहा, श्मुन्नार जाने के लिए नीलकुरिन्जी के खिलने से बेहतर कोई समय नहीं है। इस पौधे का अनूठा जीवनचक्र पहाड़ों को यात्रा प्रेमियों का चहेता गंतव्य बनाता है। इन पहाड़ियों पर भव्य और दुर्लभ नीलगिरी थार भी पाया जाता है। नीलकुरिन्जी के खिलने के समय टूर प्लानर और एडवेंचर क्लब इन पहाड़ियों पर ट्रैकिंग का आयोजन करेंगे। आस-पास के आकर्षणों में दक्षिण एशिया का सबसे लंबा अनामुदी पीक शामिल है, जहां पर ट्रैकिंग की व्यवस्था देश में सर्वश्रेष्ठ है। एराविकुलम नेशनल पार्क नीलकुरिन्जी का प्रमुख क्षेत्र है, जहां प्रतिदिन अधिकतम 2750 पर्यटकों को आने की अनुमति है। फूल
एराविकुलम नेशनल पार्क नीलकुरिन्जी का प्रमुख क्षेत्र है, जहां प्रतिदिन अधिकतम 2750 पर्यटकों को आने की अनुमति है। फूल खिलने के समय प्रशासन 40 प्रतिशत अतिरिक्त आगंतुकों के लिए अनुमति देगाऐसा माना जाता है कि मुन्नार समुद्र तल से 1600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और मुद्रापुझा, नल्लाथन्नी और कुंडला से घिरा है। यह भारत के छुट्टी बिताने वाले सर्वश्रेष्ठ यात्रा गंतव्यों में से एक है। केरल पर्यटन ने भी उस प्रत्येक यात्री के लिए योजना बनाई है, जो इस स्थान की सुंदरता में खो जाना चाहता है। इडुक्की की जिला पर्यटन प्रवर्तन समिति भी पर्यटकों को पहाड़ियां एक्स्प्लोर करने के लिए सहयोग प्रदान करती है