अहोई का व्रत कैसे खोलते हैं? - ahoee ka vrat kaise kholate hain?

हाइलाइट्स

हर साल कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी व्रत रखते हैं.अहोई अष्टमी व्रत का अर्थ है, जो मनोकामना अभी तक पूर्ण न हो, उसे पूर्ण करने का व्रत.

Ahoi Ashtami 2022 Puja Vidhi: आज 17 अक्टूबर को अहाई अष्टमी का व्रत है. आज के दिन माताएं अपने संतान की सुरक्षा और उसके सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. जो दंपत्ति संतानहीन हैं, उनको संतान की प्राप्ति होती है. इस व्रत को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी रखा जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी व्रत रखते हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ गणेश मिश्र बताते हैं कि अहोई अष्टमी व्रत का अर्थ है जो मनोकामना अभी तक पूर्ण न हो, उसे पूर्ण करने का व्रत है. इसमें माता पार्वती से उस मनोकामना को पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं. इस व्रत में अहोई माता की पूजा करते हैं, जो माता पार्वती का ही स्वरूप हैं.

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त 2022
कार्तिक कृष्ण अष्टमी की शुरूआत: आज, सोमवार, सुबह 09:29 बजे से
कार्तिक कृष्ण अष्टमी की समाप्ति: कल, मंगलवार, सुबह 11:57 बजे
पूजा का शुभ मुहूर्त: आज शाम 05:50 बजे से शाम 07:05 बजे तक
तारों को देखने का समय: शाम 06:13 बजे से शुरू
चंद्रोदय का समय: आज रात, 11:24 बजे से
पारण समय: तारों को देखने के बाद या फिर चंद्रोदय के बाद

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अहोई अष्टमी व्रत और पूजा विधि
1. आज प्रात: स्नान ध्यान के बाद अहोई अष्टमी व्रत और पूजा का संकल्प करें. माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें. उसके बाद दिन भर निर्जला व्रत रहें.

2. शाम को शुभ मुहूर्त में अहोई अष्टमी व्रत की पूजा करें. कई महिलाएं शिव मंदिर में ही पूजा करती हैं तो काफी माताएं घर पर ही पूजन की व्यवस्था करती हैं.

3. घर पर अहोई माता का चित्र बनाएं या फिर बाजार से खरीदकर लाए गए तस्वीर को पूजा स्थान की दीवार पर पूर्व दिशा में लगा दें.

4. अब एक चौकी पर लाल रंग या पीले रंग का कपड़ा​ बिछा दें. उस पर गेहूं या जौ का ढेर बनाकर उस पर कलश स्थापित करें. फिर सेह और उसके सात पुत्रों का चित्र बनकार चौकी पर स्थापित कर दें.

5. अब अहोई माता को चांदी के दो मोती या मोती की माला अर्पित करें. इसके बाद फूल, सिंदूर, फल, अक्षत्, मिठाई, धूप, दीप, गंध आदि से पूजन करें.

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6. फिर माता को दूध, चावल, 8 पूड़ी, 8 मालपुआ आदि का भोग लगाएं. फिर हाथ में गेहूं के 7 दाने लेकर अहोई अष्टमी व्रत कथा सुनें. कथा समाप्त होने पर उस गेहूं को माता के चरणों में अर्पित कर दें.

7. इसके बाद मोती की माला या चांदी के दो मोती को धागे में डालकर स्वयं पहन लें.

8. पूजा का समापन अर्घ्य देने से होता है. रात के समय में तारों और चंद्रमा को विधिपूर्वक अर्घ्य दें.

9. इसके बाद पूजा का प्रसाद अपनी सास को दें और स्वयं जल एवं प्रसाद ग्रहण करके अहोई अष्टमी व्रत का पारण करें.

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Tags: Dharma Aastha, Religion

FIRST PUBLISHED : October 17, 2022, 06:30 IST

हिंदी न्यूज़ धर्मAhoi Ashtami 2022 : अहोई अष्टमी व्रत आज, नोट कर लें पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत पारण विधि

ahoi ashtami 2022 : अहोई अष्टमी व्रत 17 अक्तूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।

अहोई अष्टमी व्रत 17 अक्तूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, संतान प्राप्ति और उत्तम स्वास्थ्य के लिए उपवास कर अहोई माता की पूजा करती हैं। महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं।

शाम 5:57 बजे से रात 7:12 बजे तक पूजा मुहूर्त

  • अहोई अष्टमी 17 अक्तूबर सोमवार की सुबह 9:29 बजे से शुरू होकर 18 अक्तूबर की सुबह 11:57 बजे तक रहेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 17 अक्तूबर को शाम 5:57 बजे से रात 7:12 बजे तक है। तारा देखने का समय शाम 6:20 बजे तक है। जबकि चंद्रोदय रात 11:35 बजे होगा।t

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आसमान में तारा देखकर व्रत का पारण

  • राष्ट्रीय सनातन एकता मंच और गो सेवा परिवार के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि संतान सुख, बच्चों की दीर्घायु और उनके उज्जवल भविष्य के लिए महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस रात आसमान में तारा देखकर व्रत का पारण करती हैं। कई महिलाएं चांद देखकर भी पारण करती हैं। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती को दूध-भात का भोग लगाती हैं। माता की पूजा में सफेद फूल अर्पित की जाती है। अष्टमी के दिन शिवलिंग का दूध से अभिषेक करने और शिव-पार्वती की पूजा करने तथा अहोई माता को सिंदूर अर्पित कर एवं श्रृंगार करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

होई माता का व्रत कैसे खोलते हैं?

अहोई अष्टमी का व्रत दिनभर निर्जल रहकर किया जाता है। अहोई माता का पूजन करने के लिए महिलाएं तड़के उठकर मंदिर में जाती हैं और वहीं पर पूजा के साथ व्रत प्रारंभ होता है और शाम को पूजा करके कथा सुनने के बाद ये व्रत पूरा किया जाता है। कई जगह ये व्रत चंद्र दर्शन के बाद भी खोला जाता है।

अहोई माता व्रत में क्या खाना चाहिए?

अहोई अष्टमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। लेकिन ये व्रत तभी सफल होता है जब आप सही तरह से इसे पूरा करते हैं। व्रत खोलते समय अपनी थाली में सिंघाड़े को शामिल करें, इस खास दिन पर ये देवी को भी चढ़ाया जाता है। इसके अलवा अपनी थाली में हलवा और चना शामिल करें।

अहोई अष्टमी के व्रत में चाय पी सकते हैं क्या?

हर्षवर्धन ने बताया कि पुत्रों की दीर्घायु के लिए माताएं आज अहोई अष्टमी का व्रत रखेंगी। व्रत में माताएं दीवार पर छाप लगा कर अथवा अहोई माता का केलेंडर लगा कर पूजन करती है। यहव्रत सुबह रोटी, सब्जी सहित कोई मीठी वस्तु लेने के बाद शुरु हो जाता है। दोपहर को अहोई अष्टमी का पूजन कर कथा सुन चाय पी जाती है।

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